29 अप्रैल को विश्व के मशहूर कंडक्टर जुबिन मेहता का 80 वां जन्म दिन था। आज के इस कार्यक्रम में सबसे पहले मैं आप लोगों को मेहता की कहानी सुनाऊंगी।
29 अप्रैल 1936 को जुबिन मेहता भारत के मुम्बई में एक संगीतकार के परिवार में पैदा हुए। मेहता कहते हैं कि संगीत उनकी ज़िंदगी है। उनके अनुसार, मैं हमेशा ही अपने को एक संगीतकार या संगीत प्रेमी मानता हूं। मेरे पिता जी एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। मैं संगीत सुनते हुए बड़ा हुआ हूं। संगीत मुझे सबसे अधिक पसंद है।
संगीत के प्रति गहरा प्यार होने की वजह से मेहता ने कॉन्सर्ट के तरीके से अपने जन्मदिन मनाया। अप्रैल के मध्य से मेहता ने इजराइली फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल का नेतृतव कर इजराइल के तेल अविव और अपनी जन्मभूमि मुम्बई में तीन बार कॉन्सर्ट का आयोजन किया। और जन्मदिन यानी 29 अप्रैल को उन्होंने संगीत राजधानी वियना में वियना फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल के साथ अभिनय किया।
मेहता और इजराइली फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल के बीच पचास वर्षों का सहयोग है। 1961 में मेहता पहली बार इजराइली फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल के संगीत कंडक्टर बने। 1969 में वे दल के संगीत सलाहकार बने, 1977 में प्रथम कंडक्टर बने और 1981 में आजीवन संगीत निदेशक बने। पिछले 47 सालों में मेहता हर साल तीन से चार महीने के लिए इजराइल में रहते हैं, इसलिए इजराइल उनका दूसरा घर है। उनके अनुसार,यहां मुझे घर की तरह आराम मिलता है। कारण यह है कि यहां संगीत के क्षेत्र में मेरे परिजन हैं और साथ ही वफादार श्रोता भी हैं।
इजराइली फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल से सहयोग की चर्चा में मेहता ने आशा जताई की कि उनकी भागीदारी से दल को कुछ अलग करने का मौका मिलता है। हमने कई तत्कालीन म्यूज़िक वर्क्स का प्रदर्शन किया। दल के सदस्यों की संख्या में बहुत इजाफ़ा हुआ है। अब दल में लगभग 110 लोग हैं, जिनका स्तर अति उन्नत है। मुझे इस पर बहुत गर्व है। साथ ही विश्व के विभिन्न स्थलों में मेहता और इजराइली फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल के प्रदर्शन से इजराइल के प्रति लोगों का एहसास युद्ध व मुठभेड़ तक ही सीमित नहीं रहेगा। विश्व के विभिन्न स्थलों में हम इजराइल की सक्रियता को प्रतिबिंबित करने की कोशिश करते हैं। जो लोग कॉन्सर्ट में आते हैं, चाहे वे इजराइल की नीति का समर्थन करते हों या नहीं, जब वे लोग फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल के प्रदर्शन को देखते हैं, तो अंत में ताली भी बजाते हैं। ये सब इजराइल के लिए सकारात्मक चीज़ें हैं।
चीनी दर्शकों के लिए जुबिन मेहता का नाम परिचित है। वे कई बार इजराइली फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा दल का नेतृत्व कर चीन में अभिनय करने आ चुके हैं। 1998 में मेहता और चीनी डायरेक्टर चांग ईमो ने पेइचिंग के थाई मंदिर में ऑपेरा तुरांतोट का प्रदर्शन किया, जिसे लोगों ने बहुत सराहा। 2015 में मेहता ने पेइचिंग के राष्ट्रीय थिएटर में ओपेरा का निर्देशन किया।
फिलिस्तीन-इजराइल मुठभेड़ की पृष्ठभूमि में मेहता आशा करते हैं कि संगीत से लोगों को शक्ति दी जा सकेगी और शांति सूचना प्रदान दी जा सकेगी। मेहता ने कहा कि वे इजराइल की नीति पर पूरी रूप से सहमत नहीं हैं। लेकिन उनके दर्शकों की राय शायद उनसे अलग है। लेकिन उन्हें संगीत और संगीत द्वारा भेजी गयी सूचना की जरूरत है। दो साल पहले इजराइल व गाजा सैन्य मुठभेड़ की याद करते हुए मेहता ने कहा,दो साल पहले जब गाजा से रॉकेट दागे जाते थे, हर रात को हम कॉन्सर्ट का आयोजन करते थे। हर रात को लोग कॉन्सर्ट देखने आते थे। हवाई हमला होने पर हम शो स्थगित करते थे।
भारतीय पासपोर्ट होने के चलते मेहता जोर्डन नदी के पश्चिमी तट क्षेत्र जा सकते हैं और वहां के फिलिस्तीनी संगीतकारों के साथ आदान प्रदान करते हैं। इसके अलावा वे इजराइली मूल वाले अरबी लोगों की संगीत शिक्षा में भी सक्रिय रहे हैं। उनके अनुसार,मैंने उत्तरी इजराइल में एक कोष की स्थापना की। करीब 150 अरबी छात्र वहां सीख रहे हैं। हमारे संगीतकार हर महीने वहां जाकर छात्रों को सिखाते हैं। मेरा सपना है एक दिन इजराइली मूल के अरबी लोग यहां अभिनय करेंगे।
मेहता का मानना है कि फिलिस्तीन-इजराइल शांति को साकार करने के लिए दोनों पक्षों के इरादे की जरूरत है। उन्होंने कहा,इजराइल व फिलिस्तीन के युवकों को इसी तरह प्रयास करना चाहिए। दोनों देशों के युवक इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए आदान प्रदान कर सकते हैं। वे परिवर्तन लाने में सक्षम हैं।