हाल ही में सऊदी अरब ने शानदार आर्थिक रूपांतरण योजना----सऊदी अरब 2030 विज़न पेश किया, जिसका उद्देश्य 15 वर्षों में तेल पर अतिनिर्भरता की स्थिति को बदलना है और अर्थतंत्र के बहु ध्रुवीकरण को साकार करना है। पिछले दो वर्षों में सऊदी अरब में तेल के दामों में 60 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है। गत वर्ष सऊदी अरब में बजट घाटा करीब 98 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जो सऊदी अरब के जीडीपी के करीब 15 प्रतिशत है।
सऊदी अरब के उप युवराज मोहम्मद ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि राजा अब्दुल्लाह अजीज ने सऊदी अरब की स्थापना करते समय तेल पर निर्भर नहीं किया। सऊदी अरब का विकास करते समय भी तेल पर निर्भरता नहीं थी। सऊदी अरब का प्रशासन करते समय भी तेल पर निर्भरता नहीं थी। अब इस देश में रहने के लिए हम भी तेल पर निर्भर नहीं रहेंगे।
जानकारी के अनुसार सऊदी अरब में तेल का भंडार विश्व में प्रथम स्थान पर रहा, जो विश्व का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। सऊदी अरब की 70 फीसदी आय तेल उद्योग से आती है। ऊंचे तेल के दामों ने सऊदी अरब के लिए प्रचुर संपति इकट्ठा की है।
सऊदी अरब में काम करने वाले चीनी प्रवासी ली छीमिंग ने हमारे पत्रकार से कहा कि जब वह 2013 में सऊदी अरब आए, तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि यहां तेल पानी से भी सस्ता है। एक लीटर नम्बर 91 गैस के लिए केवल 7 रुपये थे।
लेकिन सऊदी में पानी तेल से महंगा की कथनी भी ठीक नहीं है, कारण है कि सऊदी अरब के नागरिकों के लिए जीवन के लिए पानी और बिजली सभी मुफ़्त है। ली छीमिंग ने कहा कि सऊदी अरब में नागरिक बहुत उच्च कल्याण का उपभोग कर सकते हैं। विवाह करते समय सरकार उपहार के रूप में पैसे देती है। बच्चे का जन्म होने के बाद बच्चों को मुफ्त चिकित्सा और शिक्षा मिलती है। नागरिकों को किसी भी तरह का टैक्स देने की जरूरत नहीं है। यदि बेरोजगार है, तो भी उसे भत्ता मिलता है। इसलिए सऊदी अरब में अनेक लोगों को काम करने का मन नहीं है।
लेकिन गत वर्ष के सितंबर माह में सऊदी अरब सरकार ने अचानक घोषणा की कि सरकार गैस के दामों को 50 फीसदी तक बढ़ाएगी। हालांकि 50 फीसदी बढ़ने के बाद भी गैस बहुत सस्ती है, फिर भी कई लोग इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दो वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमत में भारी गिरावट आयी है, तेल पर भारी निर्भरता वाले सऊदी अरब को भी भारी क्षति पहुंची है। वर्ष 2015 में सऊदी अरब में वित्तीय घाटा 98 अरब अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा है, जो घरेलू कुल उत्पादन मूल्य का 15 प्रतिशत है।
इस साल की शुरूआत में अंतर्राष्ट्रीय तेल के दामों में भारी गिरावट आयी और प्रति पीपे की कीमत 30 अमेरिकी डॉलर तक कम की गई है। हाल ही में हालांकि तेल के दामों में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है, फिर भी प्रति पीपे की कीमत भी 45 अमेरिकी डॉलर रही। जबकि 2013 के स्वर्ण युग में तेल के दाम 100 अमेरिकी डॉलर प्रति पीपे था।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन ने हाल ही में अनुमान लगाया कि यदि तेल के दाम प्रति पीपे 50 अमेरिकी डॉलर से कम होते हैं, तो 5 वर्षों में सऊदी अरब का अर्थतंत्र नष्ट हो जाएगा। इसे देखकर सऊदी अरब की सरकार ने राजधानी रियाद में एक न्यूज़ ब्रीफिंग आयोजित करके 2030 विज़न की योजना जारी की। इस योजनानुसार, सऊदी अरब विश्व में सबसे बड़े प्रभुसत्ता संपति कोष की स्थापना करेगा। सऊदी अरब खुलेआम तेल कंपनी के 5 प्रतिशत के शेयर को बेचकर चंदा इकट्ठा करेगा और 20 खरब अमेरिकी डॉलरों को प्रभुसत्ता संपति कोष का एक भाग बनाएगा।
सऊदी अरब के उपयुवराज और आर्थिक विकास कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद ने कहा कि 2030 विज़न तेल के दामों में परिवर्तन का निपटारा कर सकता है। साथ ही उन्होंने कई सुधार के लक्ष्य भी पेश किये, यानी राष्ट्रीय अर्थतंत्र में निजी कारोबारों का अनुपात पहले के 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक बढ़ेगा। बेरोज़गारी दर 11 प्रतिशत से 7.6 प्रतिशत कम की जाएगी और गैर तेल कारोबारों की आय 44 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2.67 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचायी जाएगी। लेकिन ठोस कदम अब घोषित नहीं किये गये।
2030 विज़न के अनुसार भविष्य में सऊदी अरब की मुख्य आय स्रोत तेल के बजाए पूंजी, सैन्य उद्योग, रियल एस्टेट और पर्यटन होगा।
2030 विज़न में विदेशी लोगों को और ज्यादा ग्रीन कार्ड देने का वादा किया गया है, ताकि वे लोग लम्बे समय के लिए सऊदी अरब में काम कर सकें। हाल ही में सऊदी अरब के निजी कारोबारों में वास्तु निर्माण, रियल एस्टेट, बिजली, टेलिकॉम जैसे क्षेत्रों में 80 प्रतिशत के श्रमिक विदेशी हैं। सऊदी अरब के आर्थिक विकास में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
2030 विज़न में यह भी लिखा गया है कि सऊदी अरब शिक्षा और प्रशिक्षण, उच्च गुणवत्ता वाले रोजगारी, स्वास्थ्य, मकान, मनोरंजन की सेवा प्रदान करने से अपने देश को सभी अवसरों को ढूंढ़ने वाले लोगों का स्वर्ग बनाने की कोशिश करेगा।
सऊदी अरब के पड़ोसी देश संयुक्त अरब अमीरात ने सफलतापूर्ण रूप से सुधार करके दुबेई को विश्व का प्रथम पर्यटन लक्ष्य स्थल बनाया है। आंकड़े बताते हैं कि हालांकि तेल की आय अभी भी संयुक्त अरब अमीरात की कुल आय के 60-70 प्रतिशत तक है, फिर भी उसके जीडीपी में विमान उद्योग और पर्यटन उद्योग का योगदान 20 प्रतिशत तक पहुंच गया है। संयुक्त अरब अमीरात की एयर लाइंस कंपनी कम समय में विश्व की तीसरी बड़ी एयर लाईंस कंपनी बन गयी है, जबकि दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा विश्व का महत्वपूर्ण स्थानांतरण एयर हार्बर भी बन गया है। हाल ही में गैर तेल अर्थतंत्र के दुबई के जीडीपी में अनुपात 1975 के 46 प्रतिशत से बढ़कर अब के 97 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। कई वर्षों के प्रयासों के बाद दुबई ने सात सितारा होटल और लक्जरी शॉपिंग सेंटरों से विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अब दुबई उच्च स्तरीय पर्यटन का ठिकाना बन चुका है।
साथ ही दुबई में मध्य-पूर्व क्षेत्र में सबसे बड़ा स्वतंत्र व्यापार क्षेत्र भी मौजूद है। 2002 में दुबई ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र का निर्माण करने की योजना बनायी और बैंकिंग सेवा उद्योग को मुख्य उद्योग के रूप में विकसित किया। अभी तक इस क्षेत्र में दुबई को भारी उपलब्धियां मिली हैं। अब दुबई तेल अर्थतंत्र पर नहीं निर्भर करने से बचा हुआ है। दुबई का रूपांतरण शेख़ मोहम्मद के प्रयास से अलग नहीं किया जा सकता। शेख़ मोहम्मद की एक मशहूर कथनी हैः मृग को अवश्य ही शेर से तेज़ दौड़ना चाहिए, नहीं तो उसे शेर खा जाएगा। जबकि शेर को भी मृग से तेज़ दौड़ना चाहिए, नहीं तो उसे भूखा रहना पड़ेगा। इसलिए चाहे शेर हो या मृग, जब सुबह की रोशनी गिरती है, तो तुम्हें दूसरों से तेज़ दौड़ना चाहिए।