हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात की अख़बार गल्फ़ न्यूज़ की एक रिपोर्ट ने इंटरनेट को एक झटका दिया। रिपोर्ट के अनुसार दुबई के पुलिस ने एक भिखारी को गिरफ्तार किया और पता लगाया कि उसकी मासिक आमदनी 2.7 लाख दिरहम (Dirham) यानी करीब 47.6 लाख रुपये तक भी पहुंची है। जबकि स्थानीय बैंकों में कर्मचारियों की मासिक आय केवल 20 से 30 हज़ार दिरहम है। कुछ समय पहले दुबई के पुलिसकर्मियों ने स्थानीय पेशेवर भिखारियों के खिलाफ कार्यवाईयां कीं और तीन महीनों में कुल 59 लोगों को गिरफ्तार किया।
दुबई सरकारी अधिकारी के परिचय के अनुसार ये पेशेवर भिखारी रोज़ाना करीब 9000 दिरहम, यानी करीब 15.86 लाख रुपये कमाते हैं। हर शुक्रवार को ये भिखारी मस्जिदों के आसपास इकट्ठे होकर पैसों की मांग करते हैं। दुबई स्थित चीनी शिनह्वा समाचार एजेंसी के पत्रकार ली जंग ने कहा कि इस्लामी धर्म अनुयायी परोपकार कार्य करने का प्रोत्साहन करता है। इसलिए धार्मिक गतिविधियों या धार्मिक त्योहारों के दौरान बहुत ज्यादा लोग भिखारियों को पैसे देते हैं। लेकिन कुछ भिखारी सचमुच गरीब आदमी नहीं हैं। ली जंग के अनुसार दुबई की सड़कों पर भिखारियों की संख्या ज्यादा नहीं है, केवल हर साल रमज़ान के दौरान ज्यादा भिखारी दिखाये देते हैं।
दुबई में भिखारी ज्यादातर पिछड़े अरब देशों या अफ्रीकी देशों से आते हैं। कई भिखारी स्थानीय तस्कर और अपराधी संगठनों से संबंधित हैं। लेकिन यदि आप मानते हैं कि एक बार दुबई के भिखारी दल में शामिल हो गए तो वो तुरंत धनी आदमी बनोगा, तो यह बात सही नहीं है। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर और कुवैत जैसे खाड़ी के अरब देशों में भीख मांगना गैरकानूनी है, जिसपर स्पष्ट रूप से पाबंदी लगी हुई है। हर साल के रमज़ान के दौरान खाड़ी क्षेत्र के विभिन्न देशों के पुलिसकर्मी भिखारियों पर प्रहार करने का अभियान चलाते हैं। गल्फ़ न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार दुबई पुलिस ने 2015 के रमज़ान के दौरान कुल 197 भिखारियों को गिरफ्तार किया था। पेशेवर भिखारियों को पुलिस ने नजरबंद किया और बाद में उन्हें स्वदेश वापस भेजा जाऐगा और उनका वीजा ब्लैकलिस्ट भी किया जाएगा।