दोस्तो, चीन के हपेइ प्रांत के लाएश्वेई काऊंटी के ईतू कस्बे के वांगकोच्वांग गांव में एक प्राइमरी स्कूल है, जिसका नाम वांगकोच्वांग प्राइमरी स्कूल है। हालांकि यह स्कूल कोई ज्यादा बड़ा नहीं है, फिर भी आसपास के छै गांवों के छात्र उस स्कूल में पढ़ने के लिए जाते हैं। जो इस क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
वांगकोच्वांग गांव एक गरीब गांव है। वहां का आर्थिक विकास बहुत पिछड़ा हुआ है। लंबे समय से स्कूल में शिक्षा की स्थिति बहुत खराब है और शिक्षा से जुड़े संसाधन भी बेहद कम है, जो स्थानीय छात्रों की मांग को पूरा नहीं कर सकता। चीन में एक कहावत है शिक्षा के मामले में पैसों की तंगी नहीं होनी चाहिये, और बच्चों को कठोर जीवन नहीं बिताना चाहिये। वहां शिक्षा की मुश्किल स्थिति का सुधार करने के लिये वर्ष 2004 में लाएश्वेइ काऊंटी की सरकार ने पूंजी लगाकर वांगकोच्वांग प्राइमरी स्कूल की इमारत का पुनर्निर्माण किया, और शिक्षा से जुड़े उपकरणों का सुधार भी किया। पुनर्निर्माण के बाद स्कूल का क्षेत्रफल 3480 वर्गमीटर तक पहुंच गया। इस स्कूल के 143 विद्यार्थी नयी इमारत में पढ़ने लगे। वांगकोच्वांग प्राइमरी स्कूल में काम करने वाली पुरानी अध्यापिका च्यांग हाएयेन ने बिते समय को याद करते हुए कहा कि, पिछले समय में स्कूल में पक्की जमीन बनाने की क्षमता नहीं थी। हर बारिश में स्कूल का मैदान उबड़-खाबड़ हो जाता था। वर्ष 2004 में शिक्षा इमारत का सुधार किया गया। सबसे पहले यहां सभी मकान छोटे हुआ करते थे। सर्दी के दिनों में कक्षा की स्थिति ठीक-ठाक नहीं थी। हम केवल आग जलाकर ही कमरे का तापमान गर्म कर पाते थे। और पिछले साल से सभी कक्षाओं में इलेक्ट्रिक हीटर लग गये हैं।
आज सभी कक्षाएं रोशनीदार हैं। विशाल व समतल खेलकूद का मैदान हो गया है। मैदान पर खेल रहे बच्चों को देखते हुए कई सालों से यहां काम करने वाले अध्यापकों के मन में खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
बच्चों के प्रति जानकारियों का भंडार और समृद्ध बनाने और पढ़ने की अच्छी आदतें तैयार करने के लिये वांगकोच्वांग प्राइमरी स्कूल ने एक पुस्तकालय की स्थापना भी की। अब इस पुस्तकालय में कुल तीन हजार से अधिक पुस्तकें रखी जाती हैं। पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी च्यांग छनयांग ने संवाददाता से कहा कि, क्योंकि पुस्तक पढ़ने से मानवों का विचार विस्तार हो सकता है। और ज्यादा से ज्यादा जानकारियां मिल सकती हैं। अगर बच्चे बचपन से ही अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, तो बड़े होने के बाद वे अच्छी उपलब्धियां प्राप्त कर सकेंगे।
बच्चों के लिये पढ़ने का अच्छा वातावरण तैयार करने के साथ साथ उनके स्वस्थ विकास को भी सुनिश्चित करना चाहिये। इसकी चर्चा में हमें विद्यार्थियों के पोषण सुधार योजना को कहना पड़ेगा। यह ग्रामीण विद्यार्थियों के प्रति अच्छे भोजन को सुनिश्चित करने के लिये बनायी गयी एक योजना ही है। ग्रामीण विद्यार्थियों, खास तौर पर गरीब क्षेत्रों व गरीब परिवारों से आए विद्यार्थियों के स्वास्थ्य स्तर को उन्नत करने के लिये चीनी केंद्र सरकार ने क्रमशः 1 खरब 25 अरब 60 करोड़ य्वान का खर्च किया है। पर हर गरीब क्षेत्र में उन पूंजी-निवेश को लागू कैसा किया गया? लाएश्वेई काऊंटी के शिक्षा ब्यूरो के कार्यालय के उपाध्यक्ष ल्यू येनथाओ ने इस का परिचय देते हुए कहा कि, वर्ष 2012 में लाएश्वेई ने पोषण सुधार योजना को लागू शुरू किया। इसके आरंभ में क्योंकि कुछ स्कूलों में भोजनालय नहीं थे, इसलिये यह असंभव है कि विद्यार्थियों को औपचारिक भोजन दिये जाते थे। हर ग्रामीण स्कूल की ठोस स्थिति के आधार पर हमने ऐसा किया कि जिन स्कूलों में भोजनालय नहीं है, वहां नाश्ते के रूप में सभी विद्यार्थियों को हर दिन दूध, ब्रैड, अंड्डा व हैम परोसा जाता है। हर सेमेस्टर में एक बार समायोजन किया जाता है। ताकि विद्यार्थियों को काफ़ी पोषण प्राप्त हो सकें। प्रति दिन प्रति व्यक्ति का मापदंड चार य्वान है। रसोइया आदि का खर्च काऊंटी की सरकार संभालेगी।
बच्चों के प्रति पढ़ने का वातावरण सुविधाजनक है, और शरीर भी स्वस्थ है, यह केवल शिक्षा का एक भाग ही है। हालांकि वांगकोच्वांग स्कूल गरीब क्षेत्र में स्थित है, लेकिन वह शिक्षा देने के उन्नत विचार पर ध्यान देता है। बच्चों के शरीर व चरित्र का प्रशिक्षण देने के साथ साथ यह स्कूल ग्रामीण बच्चों की विशेषता के आधार पर शिक्षा देता है। शिष्टाचार इस स्कूल की एक विशेषता बन गयी है। वांगकोच्वांग प्राइमरी स्कूल के कुलपति छन क्वेइलुङ ने कहा, ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे मुख्य तौर पर अपने दादा दादी के साथ रहते हैं। इसलिये शिष्टाचार की कमी है। हमारे अध्यापक आम तौर पर छुट्टियों में या काम के बाद विद्यार्थियों के घर जाते हैं, उनके परिवार जनों के साथ आदान-प्रदान करते हैं, और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को जानते हैं। स्कूल में हम बच्चों के शिष्टाचार बनाने के लिये अकसर गतिविधियों का आयोजन करते हैं। क्योंकि प्राइमरी स्कूल में शिक्षा की प्राथमिकता ट्रेनिंग है।
हाल के कई वर्षों में चीन की केंद्रीय सरकार व स्थानीय सरकारों ने विभिन्न नीति व कदम उठाकर ग्रामीण प्राइमरी स्कूलों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत करने के लिये समर्थन दिया। अधिक से अधिक गरीब क्षेत्रों के ग्रामीण स्कूलों को इस से लाभ मिलता है। आज के वांगकोच्वांग प्राइमरी स्कूल में मुश्किलें धीरे धीरे दूर हो रही हैं। शिक्षा का स्तर दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। बच्चे भी ज्यादा से ज्यादा शिष्टाचार सीख रहे हैं। स्कूल के मैदान में खुशी की आवाज़ें गुंजती है, जो यहां आने वाले सभी लोग महसूस कर सकते हैं। (चंद्रिमा)