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    20160503 चीन-भारत आवाज़
    2016-05-04 10:06:20 cri

    यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, पिछले सप्ताह की तरह आज भी चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम में मैं ललिता आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूं। इस कार्यक्रम में हम चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान के बारे में ढेर सारी बातें करेंगे। पूरी उम्मीद करती हूं कि आपको चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम पसंद आ रहा होगा।

    आज के कार्यक्रम में हम सबसे पहले आपको चीन-भारत संबंधों में हुई दस कहानियां सुनाएंगे।

    चीन-भारत संबंधों में दस कहानियां

    दोस्तो, भारत के ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के निमंत्रण पर भारत स्थित अस्थाई चीनी कार्यवाहक ल्यू चिनसोंग ने अप्रैल में वहां जाकर "चीन-भारत संबंधों की वर्तमान स्थिति और भविष्य" के विषय पर भाषण दिया।

    ल्यू चिनसोंग ने चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान की दस कहानियां सुनाईं। अब हम एक साथ सुनें वे क्या हैं?

    पहली, तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई और भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा समान रूप से निश्चित चीन-भारत सीमा पार नदी सहयोग अब तक जारी है और इसमें लगातार प्रगति हो रही है। चीन के जल विभागों और विशेषज्ञों ने कठिनाइयों को दूर कर भारत को बाढ़ के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया, जिससे सीमा पार नदी चीन-भारत मित्रता का सूत्र बना।

    दूसरी, भारत का ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट अलीबाबा और मी फोन जैसी चीन की मशहूर आईटी कंपनियों के साथ गहन रूप से सहयोग कर रहा है, जिससे सृजन में सहयोग की विशाल संभावना व्यक्त हुई है।

    तीसरी, चीन के आनह्वी प्रांत के एक युवक ने अनजान भारतीय लड़के को मुफ्त में हीमैटोपोयटिक स्टेम सेल दान किया। "जीवन सूटकेस" का रिले लोगों को प्रभावित करता है।

    चौथी, चीन ने भारतीय तीर्थ यात्रियों के लिए नाथुला दर्रे से कैलाश जाने वाला नया मार्ग खोला। जीवन भर की इच्छी पूरा करने के बाद भारतीय बुज़ुर्ग की आंखों से आंसू गिरे। मार्ग खोलने के शुरुआती समारोह में उपस्थित भारतीय अधिकारी ने कहा कि यह मार्ग यूएसबी की तरह है, जो सीधे भारतीय लोगों के दिलों में पहुंचता है।

    पांचवीं, चीन और भीरत के सैनिक संयुक्त सैन्याभ्यास से एक दूसरे से सीखते हैं। दोनों देशों के सैनिक मज़बूती से हाथ पकड़ते हैं, जो बहुत प्रभावित है।

    छठीं, हमारे पूर्वजों ने समुद्री रेशम मार्ग के जरिए मानसिक और भौतिक आवाजाही की। आज का "एक पट्टी एक मार्ग" प्रस्ताव भी एशियाई नागरिकों की साझा अपेक्षा है। "एक पट्टी एक मार्ग" विभिन्न देशों की विकास रणनीतियों को जोड़ेगा और क्षेत्रीय संपर्क और आदान-प्रदान को मज़बूत करेगा।

    सातवीं, चीन के वांदा समूह ने भारत में नए औद्योगिक शहर स्थापित करने के लिए 10 अरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी लगाने की योजना बनाई है। भारत के बाजार पर चीनी उद्यमी में बड़ा विश्वास रखते हैं। भारत भी इसमें जुटेगा।

    आठवीं, भारतीय लोग होली की खुशियां मनाने के दौरान चीन में निर्मित खिलौने वाली बंदूक जैसी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं। इससे भी जाहिर होता है कि हमारे दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग की बड़ी आवश्यकता है।

    नौवीं, मुंबई की एक 14 वर्षीय लड़की ने भारत स्थित चीनी राजदूत को पत्र भेजकर कहा कि वो चीन-भारत मित्रता पर पूर्ण विश्वास करती है। उसने यह भी लिखा कि चीन-भारत संबंधों के विकास के लिए लम्बे रास्ते की जरूरत है। उसकी ईमानदार बात विचार-कारक है।

    दसवीं, पेइचिंग स्थित एक भारतीय पत्रकार ने चीनी लड़की से शादी की। चीन के स्मार्ट फोन ओप्पो के विज्ञापन ओडियो में दिखाई गई प्रेम कहानी दिलचस्प और रोमांटिक है। इसी तरह की कहानियां और अधिक होंगी।

    ल्यू चिनसोंग ने कहा कि इन सच्ची कहानियों से जाहिर हुआ है कि चीन-भारत संबंधों की विशाल संभावना और बड़ी निहित शक्ति है। आशा है कि दोनों देशों के नागरिक, विशेषकर युवा लोग द्विपक्षीय संबंधों के विकास में भाग लेंगे।

    भारत चीन के मुकाबले में अमेरिका का सहायक नहीं बनेगा

    दोस्तो, भारतीय प्रतिरक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हाल ही में कहा कि भारत और अमेरिका भविष्य के कुछ महीनों में रसद समझौता संपन्न करेंगे। भारत और अमेरिका के बीच संबंध किस दिशा में विकसित होंगे? इस पर भारतीय विशेषज्ञ का अपना विचार है। हम एक साथ सुनें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीनी भाषा विभाग के प्रोफेसर दीपक क्या कहते हैं?

    दीपक ने बताया कि वर्ष 2004 में अमेरिका ने भारत को रसद समझौते समेत तीन आधारभूत समझौतों पर हस्ताक्षर करने का सुझाव पेश किया था, इसलिए अब रसद समझौता संपन्न करना आश्चर्य की बात नहीं है।

    पहला, अमेरिका के साथ घनिष्ठ रणनीतिक संपर्क मज़बूत करने का भारत का उद्देश्य है कि अपने राष्ट्रीय हितों की दृष्टि से अमेरिका के साथ अनुसंधान में सहयोग के माध्यम से प्रतिरक्षा में सहयोग बढ़ाएगा।

    दूसरा, अमेरिका के साथ सहयोग में भारत का ध्यान मुख्यतः उच्च तकनीक पर केन्द्रित है। भारत आशा करता है कि संयुक्त अनुसंधान और उत्पादन से देश की प्रतिरक्षा तकनीक उन्नत की जाएगी और प्रतिरक्षा का मज़बूत आधार तैयार किया जाएगा।

    तीसरा, हालांकि भारत और अमेरिका रसद समझौता संपन्न करेंगे, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि भारत अमेरिका के साथ गठबंधन स्थापित करेगा। भारत "रेशम मार्ग आर्थिक गलियारा" और "21वीं सदी समुद्री रेशम मार्ग" से संबंधित परियोजनाओं में चीन के साथ सहयोग करना चाहता है। मोदी सरकार चीन से पूंजी-निवेश का आकर्षण करना चाहती है। इसलिए आर्थिक क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सहयोग की विशाल संभावना मौजूद है।

    दीपक ने कहा कि अगर भारत अमेरिका का सहायक बनता है, तो चीन के साथ संबंध अवश्य ही ख़राब होंगे। वहीं अगर अमेरिका चीन के मुकालबे में भारत को खींचना चाहता है, तो यह एक बड़ी गलती होगी। क्योंकि भारत एक बहुत बड़ा देश है। अमेरिका का सहायक बनना भारत के लिए उचित नहीं है। मुकाबला और मुठभेड़ भारत के हित ही नहीं, बल्कि चीन और अमेरिका के हितों के भी अनुरूप नहीं है। इसलिए भारत चीन के मुकाबले में अमेरिका का सहायक नहीं बनेगा।

    श्रोताओ, इसी के साथ हमारा आज का चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम समाप्त होता है, आपको कैसा लगा? हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी रायें और सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। आप नोट कीजिए हमारा ई-मेल है hindi@cri.com.cn, आप हमारी वेबसाइट पर भी कार्यक्रम सुन सकते हैं, हमारी वेबसाइट का पता हैः hindi.cri.cn। अच्छा, इसी के साथ मैं ललिता आप से विदा लेती हूं इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे। तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार।

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