रिपोर्ट है कि विज्ञान व तकनीक क्षेत्र में भारत का आउटसोर्सिंग उद्योग विश्व में मशहूर है, साथ ही भारत के चिकित्सा को भी धीरे धीरे विश्व की मान्यता मिली है। हाल में भारत विश्व के पाँच चिकित्सक पर्यटक देशों में से एक बन चुका है। भारतीय इक्नॉमिक टाइम्स के 2015 के अंत की एक रिपोर्ट के अनुसार उपचार के फीस और स्वीकृत चिकित्सकों से विश्व में सिंगापुर, थाईलैंड, भारत, मलेशिया, मैक्सिको और कोस्टा रिका आदि बड़े चिकित्सक पर्यटक देश उभरे। जिनमें भारत में थाईलैंड के बाद सब से ज्यादा स्वीकृत अस्पताल हैं। केवल 2012 में विश्व के 1.66 लाख रोगियों ने भारत की यात्रा की। इधर के सालों में यह संख्या बढ़ रही है।
विश्व के रोगी भारत में रोगों का उपचार करने के लिए क्यों जाना चाहते हैं? कारण यह है कि भारत में सरकारी मुफ्त उपचार उपलब्ध है, साथ ही कई निजी अस्तपाल भी हैं, जो रोगियों को उचित दाम में श्रेष्ठ चिकित्सक सेवा प्रदान करते हैं। भारत में डॉक्टर विभिन्न अस्पतालों में रोगियों का उपचार कर सकते हैं और अनेक पैसे कमाते हैं। इसी वजह से भारत में अनेक सुयोग्य व्यक्ति चिकित्सा सीखने जाते हैं।
इसके अलावा, भारत के निजी अस्पतालों में जांच केंद्र और फार्मसी स्वतंत्र हैं और उनका अस्तपाल से कोई संबंध नहीं है। इसलिए भारत के अस्पतालों में डॉक्टर रोगियों को ज्यादा दवाएं नहीं देते हैं और रोगी भी अनावश्यक्त जांच भी नहीं करते हैं। इसलिए भारत में फीस अपेक्षाकृत कम मांगी जाती है। उदाहरण के लिए चीन के निजी अस्पताल में सबसे अच्छे ढंग से हर एक दाँत लगाने का दाम करीब 20 हजार चीनी युआन हैं, जबकि भारत के सबसे अच्छे निजी अस्पताल में बराबर उपचार के लिए फीस केवल 4000 चीनी युआन खर्च करने होते हैं।