जो पर्यटक भारत की राजधानी दिल्ली की यात्रा करते, तो जरूर लोटस टेंपल का दौरा करेंगे। दुनिया के पहले हेरिटेज शहर के खिताब पर दिल्ली की दावेदारी खिसक गई है। ऐसे में जब लोटस टेंपल को विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने की कोशिश हो रही है। मालूम हों कि दिल्ली के पास पहले ही 3 विश्व धरोहर की ऐतिहासिक इमारतें हैं। यानीकि लाल किला, कुतुब मीनार व हुमायू का मकबरा विश्व धरोहरों की सूची में पहले से ही है।
बहाई समुद्य की आस्था से जुड़े इस लोटस टेंपल को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की कोशिश 2015 में शुरू हुई थी। भारत स्थित बहाई राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा ने इसका प्रस्ताव दिया था। उन्होंने इस संबंध में नामांकन दाखिल करने के लिए उन्होंने इंडियन नेशनल टूस्ट फॉर आर्ठ ऐंड कल्चरल हेरिटेज को प्रस्ताव तैयार करने के लिए नियुक्त किया।
इसे अप्रैल 2014 में यूनेस्को के विश्व धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया था। दिल्ली सरकार ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है और पर्यटन विभाग भी इसे आगे लेकर जाने में उत्साह दिखा रहा है। संरक्षणवादियों का कहना है कि लोटस टेंपल को इस सूची में शामिल किए जाने से राजधानी का सम्मान काफ़ी बढ़ जाएगा।
विश्व में पर्यटकों द्वारा भ्रमण किए जाने वाले इमारतों में यह भी शामिल है। यहां ताज महल से भी ज्यादा लोग आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि विश्व में कमल की आकृति में बनी इमारतों में और कोई भी लोकप्रिय और मशहूर नहीं है। इसे 1986 में आम जनता के लिए खोला गया था। इसे बनने में एक दशक का समय लगा था। यहां आने वाले लोग अलग-अलग धर्मों के अनुयायी होते हैं। अनुमान के मुताबिक अब तक यहां 70 मिलियन लोग आ चुके हैं।
नामांकन की यह प्रक्रिया अभी लंबी चलने वाली है। प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इसकी समीक्षा करेगा। पूरी जांच के बाद सितंबर 2016 में इसे यूनेस्को में दाखिल किया जाएगा। आखिरी प्रस्ताव 1 फरवरी 2017 को जमा होगा। इसके बाद इसे देखने व इसकी समीक्षा करने यूनेस्को की एक टीम यहां अक्तूबर 2017 में आएगी।
यूनेस्को इस बारे में आखिरी फैसला जून 2018 में लेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि लोटस टैंपल को यह दर्जा मिलने की काफ़ी संभावनाएं हैं। इसकी अनोखी आकृति व स्थापत्य के कारण इसकी जगह बेहद खास है।