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    20160419 चीन-भारत आवाज़
    2016-04-19 13:57:38 cri

    यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, पिछले सप्ताह की तरह आज भी चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम में मैं ललिता आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूं। इस कार्यक्रम में हम चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान के बारे में ढेर सारी बातें करेंगे। पूरी उम्मीद करती हूं कि आपको चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम पसंद आ रहा होगा। आज हम आपको भारत में चीनी भाषा सीखने के रूझान के बारे में बताने जा रहे हैं।

    भारत में चीनी भाषा सीखने का रूझान बढ़ा

    हाल के वर्षों में पूरी दुनिया में चीनी भाषा सीखने का रूझान बढ़ा है। चीन और भारत पड़ोसी देश हैं, पिछले कुछ सालों में हमारे दोनों देशों के बीच आर्थिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में व्यापक प्रगति हुई है। अब चीनी भाषा सीखना भारत में भी लोकप्रिय बनता जा रहा है।

    19 वर्षीय छंग थिंग दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। जब वो 6 वर्ष के थे, तब उन्होंने अपने पिता से चीन के बारे में सुना था। बड़ा होने के साथ साथ चीन की भाषा और संस्कृति में उसकी रुचि भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी। वर्ष 2015 में छंग थिंग चीनी भाषा की पढ़ाई करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिल हुए। उन्होंने खुद को छंग थिंग का यह चीनी नाम दिया।

    "मेरा नाम छंग थिंग है, चीनी भाषा में छंग का मतलब है सफलता और थिंग का मतलब है परिवार। मेरा घर आंध्र प्रदेश में है, जो भारत के दक्षिणी इलाके में स्थित है। अब मैं जेएनयू में चीनी भाषा की पढ़ाई कर रहा हूं, करीब 7 महीने हो चुके हैं। मुझे लगता है कि चीन एक बहुत बढ़िया जगह है, वहां बहुत से सुंदर दर्शनीय स्थल हैं, विशेष संस्कृति है और स्वादिष्ट खाना भी मिलता है।"

    हालांकि छंग थिंग ने सिर्फ़ 7 महीने तक चीनी भाषा सीखी, लेकिन चीन के बारे में उनकी जानकारी बहुत व्यापक हैं। वो पेइचिंग, शांगहाई, हांगचो और खुनमिंग जैसे चीन के बड़े शहरों के बारे में जानते हैं और उन्हें चीन के परंपरागत उत्सव भी पता हैं। वो प्यार से चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग को चाचा शी बुलाते हैं। छंग थिंग ने कहाः

    "चीनी संस्कृति में मेरी बहुत बड़ी रुचि है। चीनी भाषा सीखने के बाद मैं और अच्छी तरह चीनी संस्कृति और चीन-भारत संबंध समझ सकूंगा। मुझे लगता है कि चाचा शी द्वारा पेश एक पट्टी एक मार्ग और चीनी सपना वाली रणनीति बहुत अच्छी है। भारत को भी एक पट्टी एक मार्ग रणनीति में लाभ मिलेगा। हालांकि चीन और भारत की संस्कृतियों में व्यापक फ़र्क हैं, लेकिन हम फिर भी एक दूसरे से सीख सकते हैं, मतभेदों को दरकिनार रखकर समानताओं की खोज कर सकते हैं और आपस में मौजूद गलतफ़हमी को दूर कर सकते हैं।"

    छंग थिंग ने हमें बताया कि उसे पूरा विश्वास है कि चीनी भाषा अवश्य ही पूरी दुनिया में प्रचलित होगी। विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद वो चीनी भाषा या चीन से संबंधित काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहाः

    "चीन शांतिपूर्ण तरीके से उभर रहा है, चीन का प्रभाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है, इसलिए चीनी भाषा अवश्य ही दिन प्रति दिन और लोकप्रिय होगी। यह चीनी भाषा सीखने का मेरा एक कारण भी है। मैं चीनी भाषा के माध्यम से और अच्छी तरह चीन को समझना चाहता हूं और चीन से संबंधित काम करना चाहता हूं।"

    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीनी भाषा विभाग के प्रोफेसर दीपक कई वर्षों से चीनी भाषा सिखाने के काम में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले भारत में सिर्फ़ जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कुछ यूनिवर्सिटी में चीनी भाषा विभाग थे, लेकिन हाल के वर्षों में व्यापक विश्वविद्यालयों ने चीनी भाषा विभाग खोला है। चीनी भाषा सीखने वाले छात्रों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, जेएनयू में चीनी भाषा विभाग की स्थापना के समय सिर्फ़ 3 से 5 अध्यापक थे और हर साल 10 छात्रों की भर्ती होती थी। लेकिन पिछले वर्ष तक जेएनयू में 12 अध्यापक चीनी भाषा सिखाते हैं और अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टर ग्रेजुएट की संख्या 150 से अधिक है। प्रोफेसर दीपक ने कहाः

    "अब हमारे चीनी विभाग में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले साल हमने 50 छात्रों की भरती की थी, यह तो बहुत ज़्यादा है। मुझे लगता है कि यह रूझान जारी रहेगा। शायद भविष्य में हम और अधिक छात्रों की भर्ती करेंगे।"

    दीपक के विचार में भारत में चीनी भाषा सीखने वालों की संख्या में इजाफ़ा होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक आदान-प्रदान का विकास। उन्होंने कहा कि चीनी उद्यम भारत में व्यापार करना चाहते हैं। उन्हें स्थानीय कर्मचारियों, विशेषकर चीनी भाषा जानने वाले कर्मचारियों की जरूरत होती है। व्यापक भारतीय युवा इसमें अवसर ढूंढ़ना चाहते हैं। दीपक ने कहाः

    "चीन और भारत के बीच व्यापारिक संबंध हाल के वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। चीनी उद्यम दूसरे देशों में निवेश करना चाहते हैं, जबकि भारत को चीन की पूंजी, तकनीक और उत्पादन क्षमता की आवश्यकता है। हम एक-दूसरे के पूरक हैं। मुझे लगता है कि भविष्य में और ज़्यादा चीनी कंपनियां भारत में पूंजी निवेश करेंगी। वे अवश्य ही चीनी भाषा जानने वाले भारतीय युवाओं को काम का अवसर देंगे।"

    आदित्य अब चीनी भाषा सीख रहे हैं, वो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने हमें बताया कि हाई स्कूल में उन्होंने फैसला किया था कि विश्वविद्यालय में वो चीनी भाषा की पढ़ाई करेंगे। उनकी भविष्य में योजना भी स्पष्ट है। आदित्य ने कहाः

    "जब मैं हाई स्कूल में था, तब मुझे चाइना और चाइनीज़ कल्चर बहुत पसंद था। चीनी संस्कृति को मुझे बहुत अच्छा लगता है। इसलिए मैं चाइनीज़ सीखना चाहता हूं। और भारत में अगर आप चाइनीज़ जानते हैं, तो बहुत अच्छा काम कर सकते हैं।"

    अधिक से अधिक चीनी उद्यमों के भारत में व्यापार करने के साथ साथ तमाम भारतीय निवेशक भी अवसर ढूंढ़ रहे हैं। तमिलनाडु के व्यापारी अरुण अभी अभी चीन से भारत वापस लौटे हैं। चीन जाने से पहले वो सिर्फ़ फ़िटनेस उपकरण प्रदर्शनी में भाग लेना चाहते थे, लेकिन चीन आने के बाद उनमें एक नया विचार पैदा हुआ। अरुण ने कहाः

    "भारत में मैंने तीन व्यायामशालाएं खोलीं, अब योग और नृत्य आदि कला सिखाई जाती है। चीन के दौरे पर मैंने देखा कि शांगहाई के पार्कों और निवासी क्षेत्रों में सुबह सुबह बहुत से लोग व्यायाम करते हैं। कुछ तलवार का नृत्य नाचते हैं, कुछ ताई ची करते हैं, या तो कुछ योग का अभ्यास करते हैं। इसलिए मुझे एक नया विचार आया कि चीनी परंपरागत नृत्य और चीनी कुंग फ़ू सिखाने के लिए कुछ चीनी कोचों को मेरी व्यायामशालाओं में आमंत्रित किया जाएगा। इससे अवश्य ही और ज़्यादा लोग आकर्षित होंगे।"

    श्रोताओ, इसी के साथ हमारा आज का चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम समाप्त होता है, आपको कैसा लगा? हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी रायें और सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। आप नोट कीजिए हमारा ई-मेल है hindi@cri.com.cn, आप हमारी वेबसाइट पर भी कार्यक्रम सुन सकते हैं, हमारी वेबसाइट का पता हैः hindi.cri.cn। अच्छा, इसी के साथ मैं ललिता आप से विदा लेती हूं इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे। तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार।

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