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16 अप्रैल आपकी पसंद
पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।
अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... शिवाजी चौक कटनी, मध्यप्रदेश से अनिल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, रविकांत नामदेव, इनके साथ ही हमें पत्र लिखा है पवन यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू, सोना, मोना, हनी, यश, सौम्या और इनके सभी परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है शहज़ादा (1972) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर और राजेश खन्ना ने, गीतकार हैं राजेन्द्र कृष्ण और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं --------
सांग नंबर 1. रिमझिम रिमझिम देखो ....
पंकज - लैब में बन सकेगा 'ब्लड प्लेटलेट्स'!
बड़ी मात्रा में 'ब्लड प्लेटलेट्स' तैयार करने की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण सफ़लता हासिल की है.
'ब्लड प्लेटलेट्स' की वजह से ही रक्त का थक्का जमता है, जिससे चोट लगने के बाद ख़ून का बहना बंद होता है.
शरीर में प्लेटलेट्स बनाने वाली चीज़ को प्रयोगशाला में किस तरह से तैयार की जा सकती है, इसकी खोज 'एनएचएस' और कैंब्रिज़ यूनिवर्सिटी की टीम ने की है।
इससे प्लेटलेट्स को हासिल करने का एक नया स्रोत मिल सकता है।
लेकिन इसका परीक्षण करने से पहले, शोधकर्ताओं को इस तरीक़े को और कारगर बनाना होगा।
अगर कोई इंसान रक्तदान करता है, तो इसे लाल रक्त कोशिकाओं, प्लाज़्मा और प्लेटलेट्स में बांटा जाता है, और मरीज़ों को उसकी ज़रूरत के हिसाब के आवश्यक हिस्सा दिया जाता है।
किसी भी दुर्घटना, सर्जरी, ब्लड कैंसर के उपचार या 'हिमोफ़िलिया' जैसी रक्त से जुड़ी कुछ बीमारियों में प्लेटलेट्स की ज़रूरत होती है.
ख़ून से जुड़ी बीमारियों के परामर्शदाता डॉक्टर सेड्रिक ग़ेवार्ट कहते हैं, "हम ऐसी परिस्थियों में प्लेटलेट्स की ज़रूरत के लिए पूरी तरह से रक्तदान पर निर्भर करते हैं".
अंजली – मित्रों इस महत्वपूर्ण जानकारी के साथ ही अब मैं आप सभी को कार्यक्रम का अगला गाना सुनवाने जा रही हूं लेकिन इससे पहले आपको ये भी बताती चलूं विज्ञान का विकास समय के साथ बहुत तेज़ी से हो रहा है, सिर्फ ब्लड प्लेटलेट्स ही नहीं बल्कि लैब में किडनी, नाक, कान के साथ ही शरीर के दूसरे अंग भी सफलतापूर्वक बनाए जाने लगे हैं, पिछले वर्ष वैज्ञानिकों लैब में एकदम असली किडनी बनाई थी लेकिन उसके साथ सिर्फ यही दुविधा थी कि वो अभी निष्क्रीय है यानी वो खून साफ करने का काम अभी नहीं करती है लेकिन इसे लेकर भी वैज्ञानिक आशावान हैं और उनका दावा है कि अगले दस वर्षों में वो इस किडनी को काम करने लायक भी बना देंगे, मित्रों जिस तरह से लैब में हमारे शरीर के अंग बनाए जा रहे हैं उसे देखकर यही लगता है कि आने वाले दिनों में मशीनों की ही तरह इंसान भी अपना दिल, किडनी, लिवर, नाक, कान, आंखें सभी कुछ समय के साथ बदलवा लिया करेगा, और इसके साथ ही वो इस धरती पर लंबे समय तक जी सकेगा। क्योंकि बुढ़ापे के दौरान इंसान की मौत उसके शरीर के कई अंगों के निष्क्रीय होने के कारण ही होती है। खैर इस तरह का लेक्चर देना पंकज का काम है मैं तो आपको कार्यक्रम का अगला जाना सुनवाती हूं जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है चंदा चौक अंधराठाढ़ी, ज़िला मधुबनी बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन और इनके ढेर सारे साथियों ने इनके साथ ही हमें पत्र लिखा है मेन रोड मधेपुर ज़िला मधुबनी बिहार से प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है गूंज उठी शहनाई (1959) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर, पुष्पक और मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं भरत व्यास, और संगीत दिया है वसंद देसाई ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 2. जीवन में पिया तेरा साथ रहे .......
पंकज - उनकी टीम 'मेगाकार्योसाइट्स' के विकास की कोशिश में लगी है. यह इंसान के शरीर की एक मातृ कोशिका है, जो बॉन मैरो (अस्थि मज्जा) में पाई जाती है. यही थक्के के रूप में जमने वाला प्लेटलेट्स बनाती है.
सेड्रिक ग़ेवार्ट प्रयोगशाला के इस परिणाम को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते हैं. उन्होंने कहा कि "हर मेगाकार्योसाइट से बड़ी मात्रा में प्लेटलेट्स हासिल करना, अगला बड़ा क़दम होगा."
प्रयोगशाला में तैयार की गई एक कोशिका से 10 प्लेटलेट्स हासिल होते हैं. लेकिन 'बोन मैरो' में मौजूद ऐसी हर कोशिका से 2000 से ज़्यादा प्लेटलेट्स पैदा होते हैं.
उम्मीद की जा रही है कि बॉन मैरो जैसी परिस्थिति को तैयार कर लेने से, ये कोशिकाएं ज़्यादा असरदार हो सकती हैं.
अगर शोधकर्ताओं को इसमें सफलता मिल जाती है, तो रक्तदान से मिले प्लेटलेट्स की तुलना में प्रयोगशाला में तैयार प्लेटलेट्स ज़्यादा उपयोगी हो सकते हैं.
अंजली – मित्रों पंकज आपको हमेशा रोचक और नई जानकारियां देते रहते हैं और मैं आप सभी को आपके मन पसंद फिल्मी गाने सुनाती हूं। हम आपके इस सबसे चहेते कार्यक्रम को और भी अच्छा बनाना चाहते हैं इसके लिये आपलोग हमें अपने सुझाव भेजें जिससे आपका सबसे प्यारा कार्यक्रम आपकी पसंद नई ऊंचाईयां छूए.... वैसे हम आपके भेजे गए ढेर सारे पत्रों के आभारी हैं क्योंकि इस कार्यक्रम की असली रंगत तभी आती है जब हम आपके पत्र पढ़ते हैं और आपकी पसंद के गीत सुनवाते हैं..... मित्रों अगर आपके क्षेत्र में कोई विशेषता है तो उसके बारे में हमें आप ज़रूर लिख भेजें, हम आपके द्वारा भेजी गई वो जानकारी इस कार्यक्रम के माध्यम से अपने बाकी श्रोताओं के साथ साझा करेंगे। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं कापशी रोड, अकोला, महाराष्ट्र से संतोषराव बाकड़े, ज्योतिताई बाकड़े, दिपाली बाकड़े, पवन कुमार बाकड़े और समस्त बाकड़े परिवार ने आप सभी ने सुनना चाहा है हीरो (1983) फिल्म का गाना जिसे गाया है रेशमा ने गीतकार हैं आनंद बख्शी संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 3. लंबी जुदाई .....
पंकज - डॉक्टर सेड्रिक ग़ेवार्ट कहते हैं, "ऐसी स्थिति में हम प्लेटलेट्स में बदलाव भी कर सकते हैं, जिससे की रक्त का थक्का जमना ज़्यादा तेज़ हो जाए. इससे ज़रूरतमंद लोगों, मरीज़ो या घालय सैनिकों तक को बड़ी मदद मिल सकती है."
इससे डॉक्टरों को भी बड़ी मात्रा में अलग-अलग तरह के पलेटलेट्स को जमा करने का अवसर मिल पाएगा. जिस तरह से ख़ून A, B, O और AB जैसे अलग-अलग ग्रूप में पाया जाता है, वैसे ही प्लेटलेट्स अलग-अलग तरीके के होते हैं।
पंकज - समय पर नहीं मिला खाना तो बना डाला बुकिंग ऐप, अब हैं अरबों के मालिक
गुड़गांव। कहते हैं कि रास्ता कोई भी हो एक यूनिक आइडिया आपकी लाइफ बना सकता है। कुछ ऐसा ही एक आइडिया आईआईएम में पढ़ चुके साहिल बरुआ और उनके दोस्तों को रेस्टोरेंट से खाना आर्डर करते समय आया। जिसे उन्होंने बिजनेस में कंवर्ट किया और आज उनका टर्नओवर अरबों में पहुंच चुका है। जानिए बिजनेस शुरू होने की पूरी कहानी...
- मेकैनिकल इंजीनियरिंग और आईआईएम की पढ़ाई पूरी कर साहिल ने बैन एंड कंपनी फुल टाइम एसोसिएट कंसल्टेंट के तौर पर ज्वाइन की।
- अगले एक साल में साहिल का प्रमोशन हो गया उनके परफॉर्मेंस को देखते हुए जल्द ही उन्हें कंसल्टेंट की जिम्मेदारी दे दी गई।
अंजली – श्रोता मित्रों मैंने बहुत पहले कहीं पढ़ा था कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, और ये बात पूरी तरह से साहिल ने साबित भी कर दी, आज के बदलते दौर में हमें अपनी सोच को बदलना होगा, हम सरकार से रोज़गार की अपेक्षा रखें इससे बेहतर होगा कि हम छोटे स्तर पर ही सही लेकिन अपना खुद का कुछ रोज़गार शुरु करें, वो व्यावसायिक दृष्टिकोण से खेती करना भी हो सकता है, मछली पालन, पोल्टरी फार्म खोलना, या फिर उत्पादन क्षेत्र में या फिर कोई भी आपकी पसंद का काम हो सकता है, लेकिन इसमें शर्त ये है कि उस काम में आपका दिल लगना चाहिये नहीं तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा... जब आप अपना खुद का काम शुरु करेंगे तो आप दूसरों को भी काम पर रखकर उन्हें भी रोज़गार देंगे, अर्थव्यवस्था का स्वरूप ऐसी ही छोटी छोटी कोशिशों से बदलता है। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं हरिपुरा झज्जर, हरियाणा से प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा और निखिल वधवा आप सभी ने सुनना चाहा है अकेला (1991) फिल्म का गाना जिसे गाया है सुदेश भोंसले ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं --------
सांग नंबर 4. मुझे आज कुछ न कहना ......
पंकज - इसी नौकरी के दौरान साहिल की मुलाकात सूरज सहारन और मोहित टंडन से हुई।
- अपना वेंचर शुरू करने में दिलचस्पी के चलते इन तीनों की मुलाकात गहरी दोस्ती में तब्दील हो गई।
- एक कारगर आइडिया की तलाश के लिए उन्होंने नौकरी से 6 महीनों की छुट्टी लेने का फैसला लिया।
- इन्हीं छुटि्टयों में एक रात जब साहिल और सूरज ने गुड़गांव के एक रेस्टोरेंट से ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया।
- डिलिवरी में हुई परेशानी को देखकर उन्हें इस बात का अंदाजा हो गया कि इंडियन मार्केट में डिलिवरी की सुविधा की बड़ी कमी है और रेस्टोरेंट के लिए डिलिवरी नेटवर्क के लिए कोई ऑनलाइन या फिजिकल मॉडल भी नहीं है । इसी कमी में उन्हें अपना बिजनेस आइडिया मिल गया।
रेस्टोरेंट के मालिक को दिया प्रपोजल...
- दोनों ने रेस्टोरेंट के मालिक से मुलाकात की और डिलिवरी की समस्या को सुलझाने का प्रपोजल दिया। यहीं से 'डेल्हीवेरी ऐप' की शुरुआत हुई।
- अपनी सेविंग और अर्बनटच डॉट काम के अभिषेक गोयल के इनवेंस्टमेंट के साथ साहिल ने डेल्हीवरी की शुरुआत गुड़गांव में 250 स्क्वायर फीट के एक कॉर्पोरेट ऑफिस से की।
- अपने बिजनेस को फैलाते हुए उन्होंने लोकल रेस्टोरेंट के साथ हाथ मिलाना शुरू किया।
- डेल्हीवरी का मॉडल काफी पसंद किया गया और बहुत ही कम वक्त में उन्हें गुड़गांव में ही 100 ऑर्डर पर्डे के मिलने लगे।
- अभिषेक गोयल ने भी अपने पैकेज डिलिवर करने का ऑर्डर साहिल को सौंप दिया।
- यहीं से डेल्हीवरी के खाते में पहला ई-कॉमर्स क्लाइंट शामिल हो गया।
अंजली – मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं मस्जिद मेराज वाली गली, दौलत बाग, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से अंसार हुसैन, समीर मलिक और इनके ढेर सारे साथी आप सभी ने सुनना चाहा है हीरालाल पन्नालाल (1978) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं --------
सांग नंबर 5. ओ पड़ोसन की लड़की ....
पंकज - ई-कॉमर्स के जरिए बड़ी सक्सेस
- ई-कॉमर्स से मिलने वाले काम को देख साहिल और उनके दोस्तों ने मार्केट की पड़ताल की और पाया कि इस फील्ड में बड़े मौके मौजूद हैं।
- इसी सोच के साथ उन्होंने जनवरी 2011 में डेल्हीवरी को पूरी तरह ई-कॉमर्स पर फोकस कर दिया।
- साल के अंत तक वे दिल्ली और एनसीआर में तीन सेंटर्स के साथ 5 ई-कॉमर्स क्लाइंट्स के लिए 500 शिपमेंट्स डिलिवर कर रहे थे।
- कुछ ही वक्त में उन्होंने फंडिंग के साथ स्टोरेज फैसिल्टिज को बढ़ाना शुरु किया।
- स्टोरेज सुविधा के साथ कंपनी अपना कारोबार देश के 31 शहरों में फैलाने में कामयाब हो गई। यहां से डेल्हीवरी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
3200 इंप्लॉइज और अरबों का कारोबार...
पांच साल पहले पांच को-फाउंडर्स और मुट्ठी भर डिलिवरी ब्वॉयज के साथ शुरू हुई कंपनी इस वक्त में 3200 इंप्लॉइज की टीम के साथ देश के 175 शहरों के साथ मिडल ईस्ट और साउथ-एशिया में कारोबार कर रही है। यही नहीं इसी फाइनेंशियल ईयर में कंपनी ने 220 करोड़ के टर्नओवर का आंकड़ा पार कर लिया है।
अंजली - मित्रों ई कॉमर्स का ज़िक्र हो और चीन के सबसे बड़े ई कॉमर्स कारोबारी मा यिंग यानी जैक मा का जिक्र न हो ये तो हो ही नहीं सकता, मा यिंग जिन्हें आप सभी लोग जैक मा के नाम से जानते हैं उन्होंने 1999 में अपने साठ मित्रों से 80 हज़ार डॉलर से अलीबाबा डॉक कॉम की शुरुआत की थी, जैक मा ने रिटेल क्षेत्र को एक नया आयाम दिया और सफल बनाया.... कड़ी मेहनत और गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया और आज वो सबसे सफल ई कॉमर्स व्यवसायी हैं.... मित्रों आने वाला समय भी ई कॉमर्स का ही है इसलिये इस क्षेत्र में अभी बहुत सारी संभावनाएं मौजूद हैं। खैर मैं अकसर गलती से पंकज का काम करने लगती हूं, इससे पंकज का काम आसान और मेरा मुश्किल हो जाता है। दरअसल, मेरा काम तो आप सभी को गाने सुनवाना है और इसी क्रम को जारी रखते हुए मैं अगला पत्र उठा रही हूं जिसे हमें भेजा है मालवा रेडियो श्रोता संघ, प्रमिलागंज, आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके सभी मित्रों ने और आप सभी ने फरमाईश की है मनपसंद फिल्म का गाना सुनने की जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं अमित खन्ना और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं -----
सांग नंबर 6. होठों पे गीत जागे .....
पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।
अंजली – नमस्कार।
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