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    समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्र के निर्माण में तिब्बत की भूमिका
    2016-03-19 19:01:16 cri

    चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने 5 मार्च को पेइचिंग के राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के सम्मेलन में सरकारी कार्य रिपोर्ट सुनाते हुए कहा कि वर्ष 2016 में चीन सरकार रेशम मार्ग और समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण यानी एक पट्टी और एक मार्ग की योजना को बढ़ाने और प्रगतियां हासिल करने की सक्रियता से कोशिश करेगी ।

    ली खछ्यांग ने कहा,"चीन एक पट्टी और एक मार्ग के निर्माण को बढ़ाने का ठोस प्रयास करेगा, इस क्षेत्र में आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में तालमेल बिठाएगा और दूसरे देशों के साथ स्थलीय आर्थिक गलियारे और समुद्रीय सहयोग अड्डे का निर्माण करेगा । इस बीच चीन दूसरे देशों के साथ व्यापारिक संपर्क और आवाजाही , आर्थिक व व्यापारिक सहयोग तथा मानवीय आदान प्रदान बढ़ाएगा । चीन एक पट्टी और एक मार्ग के क्षेत्र में स्थित देशों के साथ सीमा शुल्क सहयोग संरचना तथा अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग के संदर्भ में सहयोग करने को तैयार है ।"

    रेशम मार्ग और समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण यानी एक पट्टी और एक मार्ग की योजना, चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनपींग द्वारा प्रस्तुत की गयी है । उन्होंने मध्य पूर्व और दक्षिणी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया की यात्राओं में कई बार यह अनुमोदन पेश किया । बेशक रेशम मार्ग और समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण से इस क्षेत्र में सभी देशों के बीच व्यापारिक आवाजाही को बढ़ावा मिलेगा। चीनी निर्माण बैंक के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग की उप प्रधान सुन चैन पो ने पेइचिंग में आयोजित एक बैठक में चर्चा में कहा था,"रेशम मार्ग और समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण से इस क्षेत्र स्थित देशों के बीच व्यापारिक मार्गों को निर्बाध बनाया जाएगा । चीन इस क्षेत्र के देशों में से ऊर्जा, खनिज पदार्थों और अनाज जैसे माल आयात करेगा , और दूसरे देश भी चीन में से मशीनरी और वाहनों जैसे विनिर्माण उत्पादों का आयात करेंगे । रेशम मार्ग और समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण में रेल मार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डे , राजमार्ग और पाइप लाइन आदि आधारभूत उपकरण शामिल होंगे ।"

    नब्बे के दशक में दक्षिणी चीन के युन्नान प्रांत के युन्नान विश्वविद्यालय आदि के अनुसंधानकर्ताओं ने सबसे पहले बीसीआईएम यानी बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार को आर्थिक गलियारे के समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्र में शामिल कराने का विचार पेश किया था । उनका मानना है कि बीसीआईएम आर्थिक गलियारे का निर्माण, एक पट्टी और एक मार्ग से जल्द ही शुरू किया जाना चाहिये । युन्नान प्रांत के सोश्ल विज्ञान अकादमी के दक्षिण एशिया अनुसंधानशाला के प्रमुख चेन लीचुन ने कहा,"उस समय हम दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ सहयोग संबंध कायम कर चुके थे , पर दक्षिण एशियाई देशों के साथ समान सहयोग संरचना की स्थापना नहीं की गई थी । पर चीन के युन्नान प्रांत के नज़दीक भारत और बांग्लादेश स्थित हैं । इस विशाल क्षेत्र के विकास को इन देशों को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता है । साथ ही में ये क्षेत्र विकसित करने का बड़ा बाजार भी था ।"

    चेन लीचुन ने कहा कि हम ने व्यावहारिक दृष्टिकोण से भारत, म्यांमार और बांग्लादेश को किसी सहयोग संरचना में शामिल कराने का विचार प्रस्तुत किया था । क्योंकि आर्थिक दृष्टि से चीन और उक्त तीन देशों के बीच अत्यधिक पूरकता मौजूद है । चीन का विकसित निर्माण उद्योग है जो उक्त तीन देशों के लिए पूरक है । दूसरी तरफ चीन को अपने आधुनिक निर्माण के दौरान संसाधनों और ऊर्जा की बहुत आवश्यकता है । इन चार देशों के बीच अगर आर्थिक सहयोग किया जाए , तो बखूबी मुहैया किया जाएगा । भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के नेताओं ने भी यह विचार प्रस्तुत किया था कि वे अपने अपने देशों में औद्योगिक पार्क का निर्माण करने के लिए चीन का स्वागत करेंगे ।

    इस के अलावा चीन और भारत, बांग्लादेश और म्यांमार सभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाले देश हैं , कृषि सहयोग करने और इन देशों में आधुनिक कृषि का आदर्श क्षेत्र और उत्पाद अड्डे स्थापित करने से चार देशों के किसानों को क्लायण पहुंचाया जाएगा । चेन लीचुन ने कहा कि यूननान प्रांत चीन के दक्षिण में महत्वपूर्ण द्वार माना जाता है । यूननान प्रांत की राजधानी खुनमिंग से भारत, म्यांमार और बांग्लादेश की ओर जाने वाला फ्राइट खोला गया है । इन चार क्षेत्रों के बीच अधिक आदान प्रदान करने से जनता के बीच भावना को भी बढ़ाया जाएगा ।

    युन्नान प्रांत की ही तरह चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश भी रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्र और समुद्री रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्र में स्थित है , यानी तिब्बत एक पट्टी और एक मार्ग के ठीक रास्ते में स्थित है । तिब्बत की सरकार के अध्यक्ष लोसांग च्यांगछ्वन ने पेइचिंग में आयोजित राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के अधिवेशन में कहा कि तिब्बत को, दक्षिण एशिया उन्मुख द्वार खुलने का महत्वपूर्ण रास्ता और खिड़की बनाया जाएगा । तिब्बत के निर्माण को एक पट्टी और एक मार्ग रणनीति में शामिल कराया जाएगा । उन्हों ने कहा,"हमारा ख्याल है कि एक पट्टी और एक मार्ग के निर्माण में तिब्बत के खुलेपन के लिए अहम सुअवसर साबित होगा । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश भारत और नेपाल आदि देशों से जुड़ता है , उन के बीच चार हजार किलोमीटर लम्बी सीमा है । इतिहास में तिब्बत हमेशा हमारे देश और दक्षिण एशिया के बीच आवाजाही का महत्वपूर्ण रास्ता बना रहता था । देश के एकीकृत आयोजन से हम एक पट्टी और एक मार्ग की रणनीति के मुताबिक समन्वय, खुलेपन और सहयोग की नीतियां बनाने में काम कर रहे हैं । भविष्य में हम एक पट्टी और एक मार्ग की योजना से तिब्बत की खुली अर्थव्यवस्था को जोरों से विकास करते रहेंगे और दक्षिण एशिया उन्मुख व्यापार मार्ग प्रशस्त करेंगे ।"

    लोसांग च्यांगछ्वन ने कहा कि अभी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश इतना खुला नहीं है , दूसरे क्षेत्रों के साथ आदान प्रदान करने की क्षमता भी कम है । इसलिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और दक्षिण एशिया के देशों के साथ व्यापार करने का स्तर भी कम है । आशा है कि 13वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान तिब्बत में बुनियादी उपकरणों के निर्माण को जोरों पर लगाया जाएगा , ताकि तिब्बत को दक्षिण एशिया की ओर जाने वाला मार्ग बनाया जा सके । उन्होंने कहा,"इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में हम स्छ्वान-तिब्बत रेल मार्ग का निर्माण करेंगे, और इस रेल लाइन को ची-लूंग बंदरगाह तक लम्बा बनाया जाएगा । भूमिगत परिवहन के सिवा हवाई यातायात का भी विकास किया जाएगा । मिसाल के लिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आयरलैंस ने नेपाल के राजकीय आयरलैंस के साथ एक संयुक्त पूंजी वाले हिमालय आयरलैंस की स्थापना की है । तिब्बत में बहुत समृद्ध जल संसाधन मौजूद है । हम चिनशा नदी, लैनछ्सांग नदी, नूच्यांग नदी और यालूच्यांगबू नदी पर पनबिजली और सौर ऊर्जा के विकास में जोर लगाएंगे । हम तिब्बत से बाहर क्षेत्रों तक ऊर्जा सप्लाई लाइन खासकर हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण करेंगे , भविष्य में तिब्बत नेपाल को बिजली का निर्यात करेगा , इसमें विकास की बड़ी संभावना है ।"

    एक पट्टी और एक मार्ग का निर्माण करने से, एशिया के देशों के बीच समान व आपसी विश्वास , सहयोग व उभय जीत तथा सभ्यता एक-दूसरे से सीखने का रास्ता प्रशस्त बनेगा । अगर विभिन्न देश एक दूसरे की मदद करें और एक ही दिशा में चलें, तो रेशम मार्ग और समुद्र रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण करने का नया अध्याय जुड़ेगा और दक्षिण एशियाई देशों की जनता को एक पट्टी और एक मार्ग की सफलता की खुशियां दिलायी जाएंगी ।

      ( हूमिन )

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