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    20160308 चीन-भारत आवाज़
    2016-03-09 14:08:40 cri

    यह चाईना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तों, आज से हमारा साप्ताहिक कार्यक्रम चीन-भारत आवाज़ नए रूप में आपके सामने आएगा, मैं ललिता आप सभी का हार्दिक स्वागत करती हूं। हम इस कार्यक्रम में चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान के बारे में ढेर सारी बातें करेंगे। पूरी आशा करती हूं कि आपको चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम पसंद आएगा। आज हम आपको भारत में चीनी उद्यमों के विकास और कोचीन में मछली पकड़ने के चीनी जाल के बारे में बताने जा रहे हैं।

    भारत में चीनी उद्यमों का विकास

    आप सब जानते हैं कि पिछले महीने मुंबई में एक महत्वपूर्ण घटना घटी। जी हां, वो है मेक इन इंडिया वीक का आयोजन और मेक इन इंडिया केन्द्र की स्थापना। 2500 से अधिक विदेशी कंपनियों और 8000 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने शुरुआती समारोह में हिस्सा लिया। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसा करने का उद्देश्य भारत में कारखाना खोलने में विदेशी उपक्रमों को आकर्षित करना है।

    मेक इन इंडिया नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर 2015 में प्रस्तुत अहम परियोजना है। मुंबई में मेक इन इंडिया वीक के आयोजन और मेक इन इंडिया केन्द्र की स्थापना से विश्व के सभी उद्यमों को यह दिखाया गया कि दुनिया भर में भारत निर्माण करने के लिए सबसे अच्छी जगह है। खुशी की बात है कि मेक इन इंडिया की नीति लागू करने के बाद भारत दुनिया में पूंजी निवेश की सबसे लोकप्रिय जगह बन चुकी है।

    मशहूर चीनी उद्यम सानी भारी उद्योग कंपनी लिमिटेड, एसएआईसी मोटर और वांदा समूह ने कहा कि भविष्य में वे भारत में पूंजी निवेश को बढ़ाएंगे और भारी उपकरण, पोर्ट मशीनरी, ऊर्जा, सॉफ्टवेयर, कार, चिकित्सा और आवासीय निर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग करेंगे।

    गुड़गांव भारत का नया औद्योगिक क्षेत्र है, वहां बड़ी बड़ी इमारतें देखने में मिलती हैं। तमाम भारत और विदेशों की कंपनियां अपना कार्यालय गुड़गांव में स्थापित करती हैं। चाइना टेलीकॉम उनमें से एक है।

    चाइना टेलीकॉम हमेशा भारत के बाज़ार पर ध्यान देती रही है। इस कंपनी ने नवंबर 2012 में भारत में अपनी शाखा खोली, जिसका नाम है चाइना टेलीकॉम (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड। भारत को केन्द्र बनाकर दक्षिण एशिया में व्यापार बढ़ाना इसका उद्देश्य है। चीन में मज़बूत दूरसंचार नेटवर्क और दुनिया में श्रेष्ठ ब्रॉडबैंड संसाधन होने के चलते चाइना टेलीकॉम भारत में इंटेनेशनल ऑपरेटर के ग्राहकों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों, विशेषकर चीनी कंपनियों को वैश्विक स्तर की संचार योजना और विविधतापूर्ण दूरसंचार सेवा प्रदान करती है।

    चाइना टेलीकॉम (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के मेनेजर वांग योंगलिन ने कहा कि भारत में व्यापार करने की विशाल संभावना होने के साथ साथ चुनौतियां भी मौजूद हैं। भारत के दसियों स्थानीय मोबाइल ऑपरेटरों के अलावा, अन्तरराष्ट्रीय ऑपरेटर भी व्यापार करने के लिए भारत आए। वांग योंगलिन ने कहा कि लाइसेंस पर प्रतिबंध और बाज़ार में कड़ी प्रतिस्पर्द्धा चाइना टेलीकॉम के सामने मौजूद मुख्य कठिनाई है। बेहतर बाज़ार का वातावरण तैयार करने के लिए चाइना टेलीकॉम ने समान उभय सहयोग वाला रवैया अपनाया। स्थानीय ऑपरेटर के साथ सहयोग मज़बूत कर चाइना टेलीकॉम विदेशों में स्थित चीनी कंपनियों का प्राथमिक भागीदार बनने में कोशिश करती है।

    हाल के वर्षों में चीन–भारत संबंध नेताओं के नेतृत्व और प्रोत्साहन में निरंतर बेहतरी की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। चीन और भारत के बीच सहयोग भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। चीन की "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति और भारत की "मेक इन इंडिया" परियोजना एक दूसरे की पूरक है, जिससे दोनों देशों के उपक्रमों को सहयोग और विकास करने के लिए अच्छा अवसर मिला है।

    वांग योंगलिन ने कहा कि चाइना टेलीकॉम सक्रियता से "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति में भाग लेती है। कंपनी ने इसके लिए अन्तरराष्ट्रीय व्यापार योजना बनाई है, जिसका मुख्य भाग भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों से जुड़ा हुआ है। चाइना टेलीकॉम (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड क्लाउड प्लेटफार्म के माध्यम से भारत स्थित चीनी कंपनियों को विकास की नई शक्ति और अवसर देगी।

    भारत के अलावा, चाइना टेलीकॉम ने पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे भारत के पड़ोसी देशों में भी अपना व्यापार शुरू किया है। भविष्य में चाइना टेलीकॉम पूरे दक्षिण एशिया में सूचनाकरण, स्मार्ट सिटी और नेटवर्क के निर्माण में व्यापक सेवाएं देगी।

    अंकित श्रीवास्तव चाइना टेलीकॉम (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। चीनी संस्कृति के प्रति उनके लगाव और चीनी कंपनी में काम करने की इच्छा की वजह से अंकित अच्छी तरह चीनी भाषा बोल लेते हैं। इससे काम करने में उन्हें बड़ी सुविधा मिली है। भारत में चीनी कंपनी के विकास पर अंकित का अपना विचार है।

    उन्होंने कहा कि चीनी कंपनी के भारत में व्यापार करने की विशाल संभावना मौजूद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग के बीच बेहतर राजनयिक संबंध कायम हुए हैं। दोनों ने तमाम सहयोगी समझौते संपन्न किए हैं। व्यापक भारतीय कंपनियों ने चीन में व्यापार करने में प्रगति की है, इसके साथ ही चीनी कंपनियों ने भी भारत के बाज़ार में अपना स्थान बनाए रखा है। इसलिए भविष्य में दोनों देशों के बीच व्यापार का तेज़ विकास होगा।

    भारत में छः वर्षों तक काम कर रहे वांग योंगलिन भारत के बाज़ार वातावरण को स्पष्ट रूप से जानते हैं। भारत में चीनी कंपनी के भविष्य को लेकर वो आशावान हैं।

    वांग योंगलिन ने कहा कि चुनौती अवश्य ही मौजूद होगी, पर अच्छा रूझान नहीं बदलेगा। और अधिक चीनी कंपनियों के भारत में व्यापार करने के चलते विकास का वातावरण और अच्छा बनेगा।

    कोचीन में मछली पकड़ने के जाल

    आप सुन रहे हैं चाइना रेडियो इंटरनेशनल, चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम। मैं हूं आपकी दोस्त ललिता। अब हम आपको कोचीन में खड़े मछली पकड़ने वाले जाल के बारे में बताते हैं।

    चीन और भारत के बीच आवाजाही हज़ारों वर्ष पुरानी है। ह्वेन त्सांग, फ़ाहियान और डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस के अलावा, केरल के कोचीन में सैकड़ों वर्षों तक खड़े मछली पकड़ने के जाल भी चीन-भारत मैत्री का प्रतीक है।

    चीनी जाल के बारे में व्यापक कहानियां प्रचलित हैं। कोचीन के रहने वाले यूसुफ कलाथिल ने बताया कि करीब 1350 से 1450 ईस्वी में चंग ह नाम का एक चीनी व्यक्ति मछली पकड़ने के जाल लेकर कोचीन पहुंचा था। अब तक इसके 600 से ज़्यादा वर्षों का इतिहास हो चुका है।

    रोज सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक समुद्री तट पर इस तरह का गाना सुनने को मिलता है। मछुआरों के लिए चीनी जाल उनके दादा और पिता के परीश्रम का प्रतीक है। हालांकि अब व्यापक मछुआरे नाव से समुद्र में जाकर मछली पकड़ते हैं, लेकिन चीनी जाल फिर भी तमाम मछुआरों का पहला चुनाव है।

    जाल का प्रयोग कैसे होता है, इसकी चर्चा में स्थानीय युवा बिलाल ने बताया कि जाल से मछली पकड़ने के समय 6 से 8 लोगों की ज़रूरत पड़ती है।

    बिलाल ने कहा कि एक व्यक्ति लकड़ी के फ्रेम की ओर समुद्र में जाता है और अपने वजन से जाल को पानी के नीचे रखता है। करीब 10 मिनट बाद मछुआरे रस्सी से जाल को पानी से बाहर निकालते हैं और मछलियां ले जाते हैं।

    बोलने में आसान है, लेकिन करने में बड़ी शक्ति की ज़रूरत है। 61 वर्षीय सैमुअल कुशलता से काम करते हैं। अजीब बात है कि जाल शेल्फ में कोई युवक नहीं होता। सैमुअल ने कहाः

    सैमुअलः हमारी उम्र 61 है, यहां काम करने के लिए 33 साल हो चुका है।

    संवाददाताः आपके बेटा-बेट्टी भी जाल का प्रयोग करते हैं?

    सैमुअलः नहीं, बाहर काम करता है।

    संवाददाताः शहर में?

    सैमुअलः शहर में काम करता है। यह काम अच्छा नहीं है, बहुत मुश्किल काम है।

    लोग अक्सर ग़ायब हो गई परंपरा और संस्कृति पर दुख महसूस करते हैं, क्योंकि इसमें हमारे पूर्वजों की छाया छिपी हुई है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि पुरानी परंपराओं का जाना और नई परंपराओं के आना दुनिया का प्राकृतिक नियम है। कोचीन के रहने वाले यूसुफ कलाथिल ने कहा कि शायद भविष्य में चीनी जाल भी ग़ायब हो जाएगा, लेकिन उन्हें अफ़सोस नहीं होगा।

    यूसुफ ने कहा कि चीनी जाल के प्रयोग से मछली पकड़ना दिलचस्प बात है, लेकिन मछुआरों के लिए यह एक बहुत ही कठिन काम है। मछुआरे बच्चों को स्कूल में पहुंचाना चाहते हैं, ताकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें अच्छा काम मिल सके और परिवार का जीवन स्तर उन्नत हो सके।

    यूसुफ ने कहा कि हर व्यक्ति को अपना सपना पूरा करने और खुशहाल जीवन बिताने का अधिकार है, मछुआरे का भी है। परंपरा को बंधन नहीं बनना चाहिए।

    लेकिन मित्रों, चिंता मत कीजिए, चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान पुराने तकनीक के साथ दूर नहीं होगा। कोचीन जाएं, तो आप ज़रूर देखेंगे कि इस तटीय शहर में और अधिक चीन की आधुनिक छाप मौजूद हैं, जो ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्रभावित करती हैं।

    अच्छा श्रोताओं, हमारा आज का चीन-भारत आवाज़ कार्यक्रम अब समाप्त होता है, आपको कैसा लगा। आप अपनी राय और सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। आप नोट करें हमारा ई-मेल है hindi@cri.com.cn, आप हमारी वेबसाइट पर भी कार्यक्रम सुन सकते हैं, हमारी वेबसाइट का पता हैः hindi.cri.cn । अच्छा श्रोताओं, इसी के साथ मैं ललिता आपसे विदा लेती हूं इस वादे के साथ कि अगले सप्ताह फिर मिलेंगे। तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार।

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