20160227
|
चंद्रिमा – श्रोता मित्रों को चंद्रिमा का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं आपके प्यार के कारण ही दिनों दिन हमारे श्रोताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और हम चाहते हैं कि आप हमारे कार्यक्रम में अपने कुछ सुझाव भी भेजें जिससे हम अपने इस कार्यक्रम को नए रूप में ढालें तो वो आपके अनुरूप हो, जिससे आप अपने इस चहेते और प्यारे कार्यक्रम को सुनने के लिये और भी अधिक उत्सुकता दिखाएं, हमारा उद्देश्य है आपको ढेर सारी जानकारी देना साथ ही हम आपको आपकी पसंद के फिल्मी गाने भी सुनवाते हैं तो चलिये करते हैं आज के कार्यक्रम की शुरुआत। मित्रों हमारे पहले श्रोता हैं ... बिधानचंद्र सान्याल, रीता चक्रवर्ती, रीता सान्याल, हाब्रू और इनके ढेर सारे मित्रों ने लेकिन मित्रों आपने अपना पता हमें नहीं लिखा है कृपया अगली बार आप हमें अपना पूरा पता भी लिखें, आप हमें हमारी वेब साइट पर जाकर भी पत्र लिख सकते हैं। आप सभी ने सुनना चाहा है शिकारी (1963) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर ने और संगीत दिया है जी एस कोहली ने, गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 1. तुमको पिया दिल दिया कितने नाज़ से ......
पंकज - स्टीव जॉब्स की सफलता के 10 फॉर्मूले, आप भी अपनाकर ले सकते हैं सीख
24 फरवरी को एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की 61वीं बर्थ एनिवर्सरी थी। जॉब्स हर काम को अलग तरीके से करने पर यकीन रखते थे। यही उनकी सफलता का राज भी रहा। हम आपको बता रहे हैं स्टीव जॉब्स के 10 सक्सेस फॉर्मूलों के बारे में जिनसे हर कोई सीख ले सकता है।
1. भविष्य का पूर्वानुमान – आपको तय करना होगा कि अगले 5 वर्षों में आप क्या पाना चाहते हैं और उसे पाने के लिये आपको आज से ही उसकी तरफ़ कदम बढ़ाना शुरु करना होगा।
2. असफलताओं से सीख लेना – हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी असफल होते हैं। जॉब्स भी हुए थे, जॉब्स को भी असफलता मिली थी। 1984 में उन्हें उन्हीं की कंपनी ऐप्पल से निकाल दिया गया था।
3. दुनिया की सैर – जॉब्स के मुताबिक नई जगहों पर जाने और घूमने से व्यक्ति का दृष्टिकोण बढ़ता है। बिज़नेसमैन के लिये घूमना सबसे ज्यादा ज़रूरी है।
4. सही पार्टनर चुनें – जॉब्स ने अकेले ऐप्पल की शुरुआत नहीं की थी।उनके पार्टनर थे स्टीव वॉजनायक। इस जोड़ी ने ऐप्पल को दुनिया की नंबर 1 टेक कंपनी बना दिया।
5. रुकावटों को अवसर मानना - मुश्किलों को चुनौती के रूप में लेना शुरु कर दें, आप सफलता की तरफ़ बढ़ते चले जाएंगे।
चंद्रिमा – मित्रों पंकज आपको सफलता के राज बताएं उससे पहले मैं आप सभी को आपकी पसंद का अगला गाना सुनवा देती हूं जिसके लिये हमारे पास पत्र आया है हरिपुरा, झज्जर, हरियाणा से प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा, निखिल वधवा, यश वधवा, खनन वधवा और इनके सभी मित्रों का आप सभी ने सुनना चाहा है आज़ाद (1955) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और उषा मंगेशकर ने गीतकार हैं राजेन्द्र कृष्ण और संगीत दिया है सी रामचंद्र ने और गीत के बोल हैं --------
सांग नंबर 2. अपलम चपलम चपलाई रे दुनिया को छोड़ मैं तो ........
पंकज -
6. रिस्क लेना – जॉब्स कहते थे कि कई बार हमें आगे बढ़ने के लिये रिस्क लेना पड़ता है। लेकिन रिस्क लेने से पहले इसके सभी पहलुओं पर सोच विचार करना ज़रूरी होता है।
7. अच्छे लोगों की संगत – सफलता पाने के लिये ऐसे लोगों के साथ रहें जो आपकी प्रतिभा को समझते हों और उसे निखारने में आपकी मदद करें।
8. आप जल्दी ही मरने वाले हैं – जॉब्स कहते थे कि जब भी आप कन्फ्यूज्ड, डरे हुए या फैसला लेने में अपने आपको असरमर्थ पाते हैं तब एक बात याद रखिये आप जल्दी ही मर जाएंगे।
9. दूसरों से सीखने में शर्म कैसी – 20 और 21 साल की उम्र में जॉब्स ने HP,अट्राई जैसी टेक कंपनियों में काम किया। उन्होंने कुछ नया और इनसे अलग करने की सीख ली।
10. सकारात्मक बातों के बारे में सोचें – स्टीव जॉब्स अडाप्टेड बच्चे थे। वे गोद लेने वाले माता पिता के शुक्रगुज़ार थे और उनके भी जिन्होंने उन्हें जन्म देकर छोड़ दिया था। जॉब्स ने अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाया।
चंद्रिमा – श्रोता मित्रों पंकज आपको कोई और नई जानकारी दें उससे पहले मैं आप सभी को कार्यक्रम का अगला गीत सुनवा देती हूं क्योंकि गंभीर विषय पर लगातार जानकारी की बात होने से दिमाग बोझिल हो जाता है और हमें अपने आप को फिर से तरो ताज़ा करने के लिये गाना सुनने का मन करता है तो गाने के लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है चंदा चौक, अंधराठाढ़ी, जिला मधुबनी, बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन, इनके साथ ही मेनरोड मधेपुरा, जिला मधुबनी से ही प्रमोद कुमार सुमन, रेनु सुमन और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है गूंज उठी शहनाई (1959) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर, पुष्पक और मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं भरत व्यास और संगीत दिया है वसंत देसाई ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 3. जीवन में पिया तेरा साथ रहे ....
पंकज - रहस्यमय कारणों से महिला की आंख से निकलते हैं पत्थर, डॉक्टर्स भी हैरान
बीजिंग। क्या आपने कभी किसी की आंखों से पत्थर निकलने की बात सुनी है? नहीं सुनी तो बता दें कि चीन की रहने वाली एक महिला के साथ ऐसा ही हो रहा है। इस महिला का नाम डिंग अइहुआ है, जिसकी एक आंख से अब तक दर्जनों बार पत्थर के टुकड़े निकाले जा चुके हैं। मामला पूर्वी चीन के शैनडोन्ग प्रांत के लुफांग गांव का है। पति ने इकट्ठे कर रखे हैं पत्थर...
इस महिला के पति लियांग जिंन्चुन ने अब तक लगभग एक दर्जन पत्थर को इकट्ठा कर लिया है, ताकि वे उसे डॉक्टर्स को दिखा सके। वे कहते हैं कि शुरू में जब डिंग की आंख में दर्द हुआ तो हमें कारणों का पता नहीं चला। ऐसे में हम लोकल डॉक्टर्स को दिखाने गए, तो उसकी आंख से एक पत्थर का टुकड़ा निकला। इसके बाद से कई बार उसकी आंख से पत्थर के टुकड़े निकाले जा चुके हैं।
लियांग ने कहा कि डॉक्टर्स के पास भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। डॉक्टर्स भी हैरान हैं कि आखिर कैसे किसी महिला की आंख से पत्थर निकल सकते हैं। वहीं, पीड़ित महिला ने बताया कि कभी आंख के ऊपरी हिस्से से पत्थर निकलता है तो कभी नीचे से। इस दौरान काफी दर्द रहता है। हाल ही में इस महिला को हेजे सिटी के आइएर आई हॉस्पिटल में दिखाया गया। वहां के डॉक्टर्स ने कहा कि महिला की आंखें बिल्कुल सामान्य है, फिर भी पता नहीं कैसे पत्थर निकलते हैं।
चंद्रिमा – वैसे ये खबर हैरान कर देने वाली है हालांकि कुछ वर्ष पहले भारत में भी एक ऐसी ही खबर देखने को मिली थी जिसमें एक नन्हीं बच्ची की आंखों से खून निकलता था उसने कई जगह इलाज भी करवाया लेकिन डॉक्टर ये तक नहीं जान सके कि उस बच्ची की आंखों से खून निकलने की वजह आखिर क्या है, इसी के साथ मित्रों मैं उठा रही हूं आपका अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है मनकारा मंदिर, बीडीए कॉलोनी, कगरैना बरेली उत्तर प्रदेश से पन्नी लाल सागर, बेनी सिंह मासूम, धर्मवीर मनमौजी, ममता चौधरी, आशीष कुमार सागर, कुमारी रूबी भारती, अमर सिंह, कुमारी एकता भारती, कुमारी दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती और बहिन रामकली बेबी ने आप सभी ने सुनना चाहा है आरज़ू (1965) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं हसरत जयपुरी और संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने और गीत के बोल हैं -------
सांग नंबर 4. अजी रूठकर अब कहां जाईयेगा .....
पंकज - रेलवे प्लेटफ़ॉर्म की खूबसूरती देखिए इनकी पेंटिंग में, मोदी कर चुके हैं तारीफ़
रायपुर। साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे के टीटीई बिजय बिस्वाल अपनी पेंटिंग्स के जरिए रेलवे प्लेटफॉर्म्स की खूबसूरती दिखाते हैं। वे मानते हैं कि उनकी सबसे खूबसूरत और मशहूर पेंटिंग्स में रेलवे के दिलकश नजारे शामिल हैं। उनके हुनर की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं। ऐसे हुई शुरूआत...
बिस्वाल कहते हैं, गुजारे के लिए नौकरी जरूरी है। मैं कर भी रहा हूं। लेकिन पेंटिंग मेरी जिंदगी के लिए बेहद जरूरी है। पढ़ाई के बाद कोई भी नौकरी करने का प्रेशर फैमिली की ओर से रहा। इसलिए मैंने 1990 में रेलवे की नौकरी ज्वाइन की। रेलवे में टीटीई की नौकरी के दौरान तमाम रेलवे स्टेशनों में वक्त गुजारने का मौका मिला। मेरी सबसे ज्यादा खूबसूरत और मशहूर पेंटिंग्स में रेलवे प्लेटफार्म्स के दिलकश नजारे शामिल हैं।
कोयले से की शुरूआत
बिजय बिस्वाल बचपन में चूल्हे में बचे कोयले से खेला करते थे और आड़ी-तिरछी रेखाएं खींचा करते थे। बकौल बिजय, मेरा मानना है कि हर इंसान को भगवान कोई न कोई हुनर देता है। मुझे चित्रकारी की कला दी। अगर मैं चित्रकारी नहीं करता हूं तो भगवान के प्रति अन्याय होगा। इसलिए मैंने हर कीमत पर पेंटिंग के शौक को जिंदा रखा।
चंद्रिमा – मित्रों अब हम आपको सुनवाने जा रहे हैं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है शिवाजी चौक, कटनी, मध्यप्रदेश से निल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, रविकांत नामदेव, इनके साथ ही हमें पत्र लिख भेजा है पवन यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू, सोना, मोना, हनी, यश, सौम्या, और इनके मम्मी पापा आप सभी ने सुनना चाहा है ओपेरा हाउस (1961) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी ने संगीत दिया है चित्रगुप्त ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 5. सोना ना सितारों का है कहना ......
पंकज - बिस्वाल की कहानी
ओडिशा के अंगुल जिले के छोटे से कस्बे में 1964 में जन्में बिस्वाल का स्कूल में दाखिला लेते ही पेंटिंग में रुझान बढ़ता गया। मास्टर जी से ब्लैकबोर्ड पर लिखने से बच गई चाक को वे घर ले आते थे। घर की दीवारों को कैनवस बना वे उनमें ही पेंटिंग्स बनाया करते थे। उम्र बढ़ने के साथ उनकी पेंटिंग्स में निखार आया। पेंसिल, कलर और वॉटर कलर से होते हुए वे ऑयल पेंटिंग करने लगे। स्कूल की पढ़ाई से कॉलेज में आने तक उन्होंने साइन बोर्ड बनाने का भी काम किया। इससे उन्हें जेब खर्च लायक पैसे मिल जाते थे। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उनकी कई पेंटिंग्स मैग्जीन में पब्लिश हुईं। इसके एवज में उन्हें 500-600 रुपए मिल जाते थे।
क्या कहा था पीएम ने?
26 जुलाई 2015 को मन की बात में पीएम ने कहा था, 'पिछले दिनों रेलवे के कर्मचारी के विषय में जानकारी मिली। नागपुर डिविजन में विजय बिस्वाल नाम के टीटीई हैं। उन्होंने रेलवे को अपना आराध्य माना और रेलवे में ही नौकरी करते हैं। घूमते हुए रेलवे के दृश्यों की पेंटिंग करते रहते हैं। कर्मयोगी होकर भी अपनी कला में प्राण किस तरह फूंके जा सकते हैं, ये विजय से सीखना चाहिए।'
उपलब्धियां
- इंडोनेशिया में बुद्धा गांधी मदर टेरेसा आर्ट शो में भारत के चयन किए गए 10 कलाकारों में से एक ग्रुप में शामिल।
- मुंबई आर्ट फेस्टिवल, जयपुर आर्ट फेस्टिवल में एशियन आर्ट सबमिट में भी शिरकत कर चुके हैं।
- 2015 में गुजरात में ऑल इंडिया आर्ट कांटेस्ट में नेशनल अवॉर्ड विनर राजा रवि वर्मा आदरांजलि अवॉर्ड भी मिला।
- उनकी एक पेंटिंग तुर्की के इस्तांबुल में इस्तांबुल वॉटर कलर सोसायटी मंथली कांटेस्ट में विनर रही।
चंद्रिमा - मित्रों कार्यक्रम में हमें अगला पत्र लिख भेजा है हमारे पुराने चिर परिचित श्रोता पंडित मेवालाल परदेसी जी ने पंडित मेवालाल जी अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष हैं और आपने हमें पत्र लिखा है महात्वाना, महोबा, उत्तर प्रदेश से आपने सुनना चाहा है गुड्डी (1971) फिल्म का गाना जिसे गाया है वाणी जयराम ने गीतकार हैं गुलज़ार और संगीत दिया है वसंत देसाई ने और गीत के बोल हैं -----
सांग नंबर 6. बोले रे पपीहरा ......
पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।
चंद्रिमा – नमस्कार।
आपके विचार (0 टिप्पणियां)
![]()
कोई टिप्पणी नहीं
powered by changyan
|