लिली- दोस्तों, यह था हमारा संडे स्पेशल। चलिए... दोस्तों, अभी हम चलते हैं अजीबोगरीब और चटपटी बातों की तरफ।
लिली- दोस्तों, अजीबोगरीब और चटपटी बातों के सेगमेंट में मैं आपको बताने जा रही हूं कि जर्मनी में बर्फ से बना है एक चर्च।
जर्मनी में स्थित यह अद्भुत चर्च ईंट, पत्थरों, शीशे या कंक्रीट की मदद से नहीं बनाया गया है, बल्कि यह बर्फ से बना हुआ चर्च है.
दोस्तों, व्यक्ति जब भी परेशान या दुखी होता है तो वह हमेशा ईश्वर की शरण में ही जाता है. ईश्वर के नाम व रूप अलग-अलग हो सकते हैं, परंतु वह इंसान को सुख व शांति ही प्रदान करते हैं. जहां दुनिया भर में लाखों मंदिर, मस्जिद व चर्च मौजूद हैं. इन चर्चों में एक चर्च ऐसा भी है, जो न सिर्फ ईश्वर की भक्ति के लिए मशहूर है, बल्कि इसका रंग-रूप भी अनूठा ही है.
यह चर्च पूरे विश्व में अपने इस अनूठेपन के कारण ही मशहूर है. जी हां, जर्मनी में स्थित यह अद्भुत चर्च ईंट, पत्थरों, शीशे या कंक्रीट की मदद से नहीं बनाया गया है, बल्कि यह बर्फ से बना हुआ चर्च है.
जर्मनी में चेक सीमा के पास बवेरिया में एक स्थित यह अनूठा चर्च पूरी तरह से बर्फ की मदद से बनाया गया है. इस चर्च की लंबाई तकरीबन 20 मीटर है तथा इस चर्च को बनाने का श्रेय वहां के स्थानीय निवासियों को ही जाता है. दरअसल, कुछ समय पूर्व यहां के स्थानीय निवासियों ने शहर के अधिकारियों ने यहां पर चर्च बनाने का आग्रह किया था, जिसे अधिकारियों ने मना कर दिया.
इसके बाद यहां के निवासियों ने स्वयं ही बर्फ की मदद से एक चर्च के निर्माण का फैसला लिया. चर्च में उपासना यहां के लोगों की सौ सालों की परंपरा का हिस्सा है, जिसे वह किसी भी रूप में तोड़ना नहीं चाहते थे. उनकी इस दृढ़ आस्था का परिणाम ही है बर्फ से बना यह अनोखा चर्च. इस चर्च को वहां के लोग गॉड्स इग्लू के नाम से भी पुकारते हैं.
वैसे इससे पहले भी इनके पूर्वजों ने 1911 में पहले बर्फ से बने चर्च का निर्माण किया था लेकिन उस समय उनका इरादा किसी प्रकार की आर्किटेक्चरल एचीवमेंट पाना नहीं था. वह तो केवल ईर के प्रति आस्था दर्शाना चाहते थे। इस चर्च को बनाने में करीबन 200000 डॉलर व 49000 क्यूबिक फीट बर्फ का इस्तेमाल किया गया.
इस चर्च में एक बार में 200 लोग आराम से प्रार्थना कर सकते हैं तथा इसमें बहुत से इवेंट्स आर्गनाइज करने की योजना भी बनाई गई है.
गॉड्स इग्लू बेहद ही सुंदर व अद्भुत है. इसे दूर से देखने पर ऐसा लगता है मानो वह पूरी तरह नीली रोशनी में नहाया हुआ हो. चूंकि यह इमारत बेहद ही परतदार है, इसलिए इसे बरकरार रखने के लिए स्थानीय निवासी पूरी कोशिश करते हैं कि इसे आग से पूर्ण रूप से दूर रखा जाए.
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