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    आपका पत्र मिला 2015-12-09
    2015-12-11 14:23:18 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम पढ़ते हैं ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने हमारे पत्रिका सेतु संबंध के बारे में एक पत्र भेजा है। आईए, सुनते हैं.....

    त्रैमासिक पत्रिका "सेतु सम्बन्ध" अंक नवम्बर-जनवरी, 2015 प्राप्त हुआ, काफी चित्ताकर्षक लगा। मुखपृष्ठ पर चीन की भव्य परेड़ से लेकर "भारतीय क्रिकेट की सफ़ाई कर पायेंगे शशांक मनोहर ? तक तमाम लेख सूचनाप्रद लगे। चीन की भव्य परेड़ वास्तव में, चीन की ताक़त का अहसास कराती है। बिहार विधानसभा चुनाओं पर किया गया विश्लेषण भी लगभग खरा उतरा। पत्रिका में चीन की अर्थव्यवस्था का भी सही आंकलन किया गया है। भारत में दादरी की घटना के बाद कुछ लेखकों और बुध्दिजीवियों द्वारा अवॉर्ड लौटाया जाना कुछ सोचने पर विवश अवश्य करता है, पर इसे सांप्रदायिक हिंसा से जोड़ कर देखना उचित नहीं जान पड़ता। मुझे अनिल आज़ाद पाण्डेय के लेख "चीन ने दिखाई ताक़त" तथा अखिल पाराशर के लेख "चीन कैसे चला विकास की राह पर" को पढ़ कर चीन की आज की वास्तविक स्थिति को समझने में काफी मदद मिली। हिन्दी की चुनौतियों वाला लेख भी कुछ सोचने पर मज़बूर करता है, परन्तु इस पर मैं इतना अवश्य कहूँगा कि हिन्दी एक सशक्त भाषा है और इसके वज़ूद को कोई ख़तरा नहीं है। जिस तरह चीनियों के दिल में टैगोर और कोटनिस बसते हैं, हम भारतीय भी प्रोफ़ेसर चिन दिंग हान जैसे चीनी हिन्दी विद्वान को उतना ही सम्मान देते हैं। कुल मिला कर पत्रिका में प्रकाशित तमाम लेख और सामग्री उच्चकोटि के प्रतीत हुये। कमी है तो बस यह कि इसमें पाठकों की प्रतिक्रिया के लिये कोई स्थान नहीं दिया गया है। एक बात और कि यदि इसे त्रैमासिक की बजाय मासिक कर दिया जाये, तो यह "श्रोता-वाटिका" की कमी भी महसूस नहीं होने देगी। धन्यवाद।

    मीनू:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपको धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र झारखंड से एसबी शर्मा जी का। उन्होंने भी सेतु संबंध के बारे में कुछ लिखा है।

    बड़ी खुशी हो रही है कि नवंबर- जनवरी 2016 के सेतु सम्बन्ध पत्रिका की कॉपी हमें प्राप्त हो गई है। पत्रिका पहले की तरह सुन्दर और बढ़िया है इसमें चीन और भारत से सम्बंधित विषयो का सुन्दर समावेश है, विषय रुचिकर और बेहतरीन हैं। इसके लिए मैनेजिंग एडिटर अनिल पाण्डेय जी , एडिटर अखिल परासर जी और एसोसिएट एडिटर चंद्रिमा जी को बहुत बहुत धन्यवाद।

    मुख्य पृष्ठ पर चीन की भव्य परेड की बेहतरीन आकृति सुशोभित है। जिसमें चीन की भव्यता साफ़ दिखाई देती है। तीन सितम्बर को बीजिंग में आयोजित भव्य परेड के लेख और फोटो के माध्यम से बताया गया है। यह मुझे बहुत पसंद आया दुनिया के मंच पर नई ताकत आगाज साफ़ झलक रहा है। वहीं कल्लोल चक्रवर्ती द्वारा लिखित किधर जा रही है चीन की अर्थव्यवस्था से मजबूत अर्थव्यवस्था को सरलता से समझा जा सकता है। अनिल आजाद पाण्डेय जी चीन ने दिखाई ताकत शीर्षक लेख के माध्यम से चीन के वर्तमान और भविष्य की शक्ति संचरण को विस्तार से बताया है। चीन के विकास की कहानी अखिल पराशर जी ने अपनी कलम से लिखी हैं। इस लेख में उन सारे पहलुओं को बताया गया है जिसे अपनाकर चीन आज विकसित देशों की श्रेणी में शुमार हो गया है। दिल्ली डेंगू से त्रस्त है जनता परेशान, सरकार सगज है पर मुश्किलें काम नहीं होती दिख रही है। इस बारे में पंकज श्रीवास्तव ने बहुत सुन्दर सरल शब्दों में वर्णन किया। रमेश जी ने तिब्बत के विकास की कहानी के माध्यम से तिब्बत के विकसित जीवन स्तर के विषय में बारीकी से प्रकाश डाला है। अंत में दिल्ली स्थित टीम को मैं धन्यवाद दूंगा। जिसके प्रयास से यह पत्रिका सुरक्षित हम श्रोताओं के पास पहुंच सकी है।

    अनिल:एसबी शर्मा जी, पत्रिका के बारे में अपनी टिप्पणी हम तक पहुंचाने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र उत्तर प्रदेश से बद्री प्रसाद वर्मा अनजान ने भेजा है। उन्होंने भी सेतु संबंध के बारे में अपना विचार हमें बताया। उन्होंने लिखा है.....

    सीआरआई द्वारा प्रकाशित सेतु संबंघ पत्रिका एक बेहतरीन सूचनाप्रद शिक्षा ज्ञानवर्धक पत्रिका है। आज मुझे नवंबर जनवरी 2016 का अंक मिला। मुख्य पृष्ठ पर चीन की सेना परेड का चित्र अति प्रिय लगा। मैंने पूरी पत्रिका पढ़ी- कवरस्टोरी, चीन की भव्य परेड पर जानकारी अति सूचना प्रद लगी। यह परेड हर दस साल बाद आयोजित होती है इसके लेख से पता चला। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के संदेश भी अच्छे थे। राजदूत ल यूछन की बात भी सराहनीय थी। चीन जापान युद्ध के बारे में इस लेख से काफी जानकारी मिली। चीन की अर्थव्यवस्था के बारे में लेख भी पसंद आया। अखिल पाराशर की रिपोर्ट चीन कैसे चला विकास की राह पर जानकारी पूर्ण लगी। पत्रिका में चीनी प्रोफेसर-हिंदी शिक्षक चीन दिंग हान के बारे में बहुत अच्छी जानकारी पूर्ण लगी। तिब्बत के विकास के बारे में तथा शिनच्यांग शहर की जानकारी अति महत्वपूर्ण लगी। सेतु संबंध पत्रिका में संपादकीय पाठकों के पत्र तथा कहानी कविताएं तथा चाइना रेडियो के बारे में कोई सामग्री नहीं है। इन सबकी बड़ी कमी है। इसकी शुरूआत की जाय। पत्रिका में आप चीनी समाचार भी दें।

    मीनू:पत्रिका के अलावा बद्री प्रसाद वर्मा अनजान ने हमारे कार्यक्रमों पर भी कुछ टिप्पणी भेजी है। उन्होंने लिखा है......20 नवंबर को आज का तिब्बत प्रोग्राम में चीन की तिब्बत में रहने वाली डॉ. आमचों की ग्रामीण सेवा कार्यक्रम के बारे में जानकारी पा कर मन खुश हो गया। साथ ही उमेश चतुर्वेदी से पंकज श्रीवास्तव की दक्षिण एशिया फोकस प्रोग्राम में तुर्की के शहर अंतालिया में संपन्न हुई जी-20 के शिखर सम्मेलन पर चर्चा भेंट वार्ता बहुत ही पसंद आई। आतंकवाद से आज सारा विश्व परेशान है। सीरिया, इराक, आदि देश आतंकवाद के गढ़ बन गये हैं। इन देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। चीन भी कुछ वर्षों से आतंकवाद से जुझ रहा है। जो सोचनिय बात है। आतंकवाद के जड़ से खात्मा होना चाहिए। 22 नवंबर को अखिल और लिली जी की संडे की मस्ती प्रोग्राम की प्रस्तुति मन भावन लगती है। आज के प्रोग्राम में मोनिटर सुरेश अग्रवाल के साथ भेंटवार्ता सुनी अच्छा लगा। चटपती बातों में जापानी रूसी जानने वाले शब्द की जानकारी पसंद आई। चीन की सबसे मोटी महिला के बारे में जानकारी खूब पसंद आई। यह भी जाना की उसने प्लास्टीक सरजरी से अपना वजनकम किया। बंगाल में जन्मे दो सीर वाले बच्चों के जन्म के बारे में जानकारी भी खूब रोचक लगी। यह बालक तो भगवान होगा। कहानी गधे का रास्ता सुना कहानी खूब पसंद आई। मन भाई। महाभारत प्रसंग भी पसंद आया। अरूण जेमीनी की कविता अच्छी नहीं थी। लंबी बकवास थी कविता। सबकुछ हमें संडे की मस्ती में पसंद आई। 23 नवंबर को मैत्री की आवाज प्रोग्राम में चीन में काम कर रहे भारत के इंजिनियर विजय कुमार के साथ पंकज श्रीवास्तव की बात खूब पसंद आई। यह प्रोग्राम हमें अच्छा लगता है।

    अनिल:बद्री प्रसाद वर्मा अनजान जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया। चलिए, अगला पत्र हमें भेजा है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी ने। उन्होंने लिखा है.....

    दिनांक 18 नबंवर को देश-विदेश के ताजा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुना। इसमेँ श्रोताओं के पत्रों के अलावा फेसबुक गतिविधि के विजेता सुरेशजी के साथ अखिलजी की बातचीत सुनी और अच्छी भी लगा। दिनांक 25 नवंबर को कार्यक्रम में देश-विदेश की ताजा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुना। जिसके तहत श्रोताओं के पत्रों के साथ परिचित होने का मौका मिला। अंत मेँ दिल्ली के श्रोता दोस्त भूपेन्द्रजी की बातचीत सुनी और अच्छी लगी। 27 नवंबर को तिब्बत की राजधानी ल्हासा के बारे में वर्णन अच्छा लगा। इसके बाद दक्षिण एशिया फोकस प्रोग्राम के तहत सुरक्षा और आतंकवाद विषय पर भारत चीन सहयोग के बारे मेँ चर्चा एवं भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत बहुत महत्वपूर्ण लगी। शानदार प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    पेरिस मेँ हुए वीभत्स हमलों और चीन समेत बिभिन्न देशों के नागरिकों की आईएस द्वारा हत्या किए जाने की निंदा करता हूं। मेरे विचार में आतंकी संगठनों के मन मेँ मानव जीवन के प्रति कोई सम्मान नहीं है। वे अब भी हिंसा के अपने बर्बर कृत्यों को जारी रखे हुए हैं। हमेँ इन सब अपराधियों को न्याय के कठघरे मेँ लाना चाहिए। आतंकवाद से निपटने के लिए एक वैश्विक समाधान की जरूरत है।

    बालुरघाट पौरसभा स्थित साहेब काछारी मार्केट और दिपाली नगर क्षेत्र मेँ 22 नवंबर ऑल इंडिया सी आर आई लिसनर्स एसोसियेशन द्वारा सफाई अभियान चलाया गया। इसके तहत साहेब काछारी मार्केट और दिपाली नगर इलाकों की सफाई की गई। स्वच्छ माहौल में ही स्वच्छ समाज का निर्माण संभव है। लोगों में जागरुकता लाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। एसोसियेशन की ओर से आयोजित सफाई कार्यक्रम मेँ अधिकांश सदस्यों ने काफी उत्साह के साथ भाग लिया। हमने लोगॉ को यही बताने की कोशिश की कि गंदगी विभिन्न बीमारियॉ को दावत देती है। सफाई के प्रति सभी को सचेत होना जरुरी है। धन्यवाद।

    मीनू:बिधान चंद्र सान्याल जी, हमें नियमित रूप से पत्र भेजने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, आगे पेश है उत्तर प्रदेश से सादिक आज़मी जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....

    दिनांक 22 नवम्बर की सुबह की सभा में कार्यक्रम सण्डे की मस्ती का भरपूर तरीके से आनंद लिया जिसे प्रस्तुत किया अखिल जी एवं लिली जी ने। आरम्भ में श्रोताओं की प्रतिक्रिया का कार्यक्रम शामिल न किया जाना बड़ा अजीब लगा, क्या श्रोताओं की चिट्ठी आपको नहीं मिली?

    इस बार कुछ स्पेशल सुनने को मिला, मेरा इशारा हमारे प्रिय श्रोता भाई सुरेश अग्रवाल जी से है उनके विचार और प्रतिक्रिया उनके पत्रों के माध्यम से सुनते आये हैं। पर उनकी ज़ुबानी सुनना एक अलग ही प्रकार का अनुभव करा रहा था। उन्होंने पूर्व की भॉति निष्पक्षता के साथ कुछ सुझाव दिये जो सराहनीय थे। यकीनन उस पर अमल करके cri ،को नई बुलंदी पर पहुंचाया जा सकता है, अमेरिका में 5 साल के बच्चे को 7 भाषा का ञान होना वाकई हैरान करने योग्य है। चीन मे सबसे मोटी महिला ने मोटापे से निजात पाकर जो नमूना पेश किया वह सबके लिये प्रेरणादायी है। और बंगलादेश में 2 सिर वाले बच्चे पर रिपोर्ट लाजवाब लगी। सच है कुदरत के खेल विराले हैं और चीनी महिलाओं में प्रेम की अभिव्यक्ति पर आपकी समीक्षा ञानवर्धक लगी। तथा धुएं को सोखने वाली लालटेन पर जानकारी अचम्भित करने वाली लगी। हर बार की तरह अखिल जी की प्रेरित करने वाली कहानी से हमको ञान मिला, और हकीकत है हमें जीवन में कुछ न कुछ नया करने के लिये सदैव कटिबद्ध रहना चाहिये। हास्य कवि अरूण जी की सेब वाली कविता और हरियाणा के लोगों के उल्टे जवाब सुनकर जो हंसी छूटी उसे शब्दों मे बताना हमारे बस के बाहर है। और इस बार भी जोक्स हमको गुदगुदाने मे कामयाब रहे पर आखिरी जोक्स डॉक्टर वाला हम आपके वहां से सुन चुके थे, कृपा इसकी पुनरावृत्ति से बचें, धन्यवाद

    अनिल:सादिक आज़मी जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपको धन्यवाद। दोस्तो, संडे की मस्ती कार्यक्रम में कुछ समय पहले से परिवर्तन किया गया है, अब इसमें श्रोताओं का पत्र शामिल नहीं किए जा रहे हैं। लेकिन जो पत्र आप लोगों ने संडे की मस्ती के बारे में भेजे हैं, हम आपका पत्र मिला कार्यक्रम में शामिल करते रहेंगे। इसलिए, आप लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर संडे की मस्ती या किसी कार्यक्रम पर कुछ टिप्पणी हो तो जरूर हमें भेजें। हम अपने कार्यक्रम में जरूर शामिल करेंगे। एक बार फिर धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे पास आया है बिहार से राम कुमार नीरज जी का। उन्होंने लिखा है.....

    सी आर आई हिंदी साइट पर ताजा रिपोर्टों की कड़ी में चीन की राजकीय यात्रा पर भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से सीआरआई की खास भेंट पर विस्तृत रिपोर्ट पढ़कर आपको लिखने से अपने आप को रोक नहीं पाया।चीन यात्रा के समय भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि "मुझे अपनी चीन यात्रा का इंतजार है. उम्मीद है कि यह आपसी समझ और विश्वास को गहरा करने में मददगार साबित होगी. उन्होंने कहा, "चीन यात्रा के दौरान मैं परस्पर सीखने और बेहतर ढंग से एक दूसरे को समझने की परंपरा को मजबूत करना चाहता हूं.पंकज श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत इस विस्तृत रिपोर्ट में भारत चीन के भावी समबन्धों का ऐसा खाका खिंचा गया है जो मुझ जैसे भारतीय को दोनों देशों के संबंधों को लेकर बेहद आशान्वित करता है.यह जानना सचमुच अच्छा लगा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी, साईबर अपराध और मानव तस्करी के विरुद्ध भी एक कार्य योजना बनाने की ज़रूरत पर विचार किया जा रहा है.

    मीनू:राम कुमार नीरज जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। अगला पत्र आपको सुनाया जा रहा है पश्चिम बंगाल से धीरेन बसाक जी का। उन्होंने लिखा है, आपके द्वारा भेजी गयी सेतु संबंध पत्रिका मुझे मिल चुकी है। वहीं आपके कार्यक्रम भी अच्छे लगते हैं। 9 नवंबर को चीन का भ्रमण कार्यक्रम में थाइशान पर्वत का भ्रमण, 16 नवंबर को चीन का भ्रमण में हाइनान प्रान्त में सान्या शहर पर कार्यक्रम, 23 नवंबर को चीन का भ्रमण में , उत्तर चीन का हपेई प्रान्त में लुंग शिंग बौद्ध मन्दिर, पाइय़ मठ के इतिहास व संस्कृति के बारे में जानकर अच्छा लगा।

    अनिल:धीरेन बसाक जी, हमें पत्र भेजते हुए अपनी राय हम तक पहुंचाने के लिए आपको धन्यवाद। अंत में आप सुनेंगे पश्चिम बंगाल से हमारे मोनिटर रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....

    30 नवंबर,2015 को समाचार आदि सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक सुना। जो बेहद पसंद आया।

    आज चीन का भ्रमण कार्यक्रम की पहली रिपोर्ट में मैडम रूपा जी शेनशी प्रांत की राजधानी शिआन शहर के पश्चिम भाग में स्थित एक हजार सात सौ वर्ष पुराना फामन मठ के दौरे पर ले गई। वर्ष 1985 से आज तक यानी 30 वर्षों तक मुझे आपके कार्यक्रम के जरिए चीनी बौद्ध मठों को बारे में बहुत सारी जानकारी हासिल हुई। यह सच है कि चीन में मंदिर और मठ वास्तु कला इतिहास का मूक साक्ष्य होती है।चीन का इतिहास कोई पांच हज़ार वर्ष पुराना है। चीन के इतिहास में हान राजवंश के अलावा, श्वे राजवंश और थांग राजवंश की राजधानी तत्कालीन छांगआन यानी आज के शीआन शहर ही थी। पश्चिमी चीन स्थित शीआन शहर इतिहास में 13 राजवंशों की राजधानी रह चुका हैं। शीआन में पर्याप्त ऐतिहासिक अवशेष धरोहर हैं।पुराने इतिहास और पर्याप्त सांस्कृतिक अवशेषों से शीआन को प्राकृतिक ऐतिहासिक संग्रहालय माना जाता है। शीआन में सुरक्षित महत्वपूर्ण अवशेषों की संख्या 600 से अधिक है। शीआन शहर से दसेक किलोमीटर की दूरी पर स्थित छिन राजवंश के सम्राट के टेराकोटा, सिपाही अश्व मूर्ति सेना को विश्व का आठवां करिश्मा माना जाता है। थांग राजवंश में महाचार्य ह्वेनसांग बौद्ध सूत्र की प्राप्ति के लिए भारत जाने के लिये शीआन से रवाना हुए थे।शीआन शहर में स्थित महा छीएन मंदिर में आजतक महाचार्य ह्वेनसांग द्वारा भारत से लाए गए बौद्ध सूत्र सुरक्षित हैं। इस साल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 से 16 मई तक चीन की राजकीय यात्रा ऐतिहासिक शीआन शहर से ही शुरू किया ।

    शेनशी प्रांत की राजधानी शीआन में अनगिनत प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों में एक हजार सात सौ वर्ष पुराना फामन मठ विश्वविख्यात है । फामन मठ शीआन शहर के पश्चिम भाग में स्थित पाओ ची शहर में स्थित है ।रिपोर्ट ध्यान से सुनकर मुझे पता चला कि कुल सात हैक्टर भूमि पर स्थापित फामन मठ चौबीस आंगनों से घिरा हुआ है। बौद्ध धर्म ग्रन्थ के अनुसार भगवान बुद्ध के निर्वांण के बाद दाहकर्म से प्राप्त उन के शरीरों को 84 हजार अंगों में बांटकर विश्व के तमाम बौद्ध धार्मिक मठों में सुरक्षित रखा गया, फामन मठ का बुद्ध स्तूप उन में से एक है। फामन मठ के इस स्तूप का आकार-प्रकार आठ कोनों वाला है और वह पत्थरों से निर्मित 13 मंजिला स्तूप है। वर्ष 1987 के अप्रैल माह में चीनी पुरातत्व कार्यकर्ताओं ने फामन मठ के पुनर्निर्माण के दौरान मठ के शिलाधार के नीचे एक भूमिगत इमारत का पता चला , जिस में सुरक्षित अनमोल सांस्कृतिक अवशेषों ने विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया ।फामन मठ का भूमिगत भवन 21.4 मीटर लम्बा है और क्षेत्रफल 314.8 वर्गमीटर है। पुरातत्वविदों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस भूमिगत भवन में सुरक्षित भगवान बुद्ध की ऊंगली की उपलब्धि चीन में छिन राजवंश के सम्राट छिनशहुंग के मकबरे के बाद दूसरी अहम पुरातत्व खोज माना जाता है और विश्व बौद्ध जगत तथा विश्व संस्कृति इतिहास की एक अहम घटना है। फामन मठ के अनमोल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अवशेष बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते है। हर वर्ष अप्रैल में फामन मठ में अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति व पर्यटन उत्सव मनाया जाता है। इस मौके पर फामन मठ में भव्य प्रार्थना समारोह और महा थांग राज्य की दुर्लभ मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी लगायी जाती है।

    मीनू:आगे बसु जी लिखते हैं......आज इस प्रोग्राम की दूसरी भाग में मैडम रूपा जी ने हमें राजधानी पेइचिंग शहर के पश्चिमी उपनगर में स्थित हजार वर्ष पुराने थान चेह मंदिर के कुछ क्षेत्रों के दौरे पर ले गई। नौ ऊंची -ऊंची चोटियों से घिरा, थान चेह मंदिर एक हजार सात सौ साल पुराना मंदिर है। यह उल्लेखनीय बात है कि थान चेह मठ देखने में बड़ा भव्य और गांभीर्य होता है,साथ ही उस में असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य और गहन चेत भाव व्यक्त होता है। इस की संरचना चतुर्कोण है। मैं यहां पर हजार वर्ष पुराना प्राचीन थान चेह मठ के बारे में दो चार बात बोलना चाहता हूं।

    थान चेह मंदिर का इतिहास पेइचिंग शहर से भी पुराना है। उत्तरी राज्य के शासक वांग चुन की पत्नी ह्वा फांग का देहांत होने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी और राज्य के अमन चैन के लिये पेइचिंग शहर के पश्चिमी उपनगर में ईस्वी 307 में चा फू मंदिर का निर्माण किया। बाद में इस चा फू मंदिर का नाम थान चेह मंदिर में बदल गया। उस का कुल क्षेत्रफल 2.5 हैक्टर है। थान चेह मंदिर की स्थापना के बाद बहुत से राजा यहां पूजा करने के लिये आते थे। कुछ राजा राजगद्दी पर बैठने के तुरंत बाद धूपबत्ती जलाने और भगवान की पूजा करने के लिये विशेष तौर पर इस मंदिर में आते थे। यह मंदिर की पूजा की विधि से यह पता चलता है कि यहां भारत के मंदिरो में पूजा की विधि की तरह धूपबत्ती जलायी जाती थी और पूजा की जाती थी।

    थान चेह मंदिर में खाना बनाने का एक कांस्य बर्तन थान चेह मंदिर की एक धरोहर भी जानी जाती है। इस भीमकाय बर्तन का व्यास चार मीटर है और उस की गहराई दो मीटर है। थान चेह मंदिर में भीमकाय कांस्य बर्तन के अलावा और एक धरोहर भी है और वह है विख्यात पत्थर मछली। पत्थर मछली की लम्बाई 1.7 मीटर है और वजन 150 किलोग्राम भारी है तथा उस का रंग गहरे हरा है। स्थानीय वासियों की मान्यता में यह पत्थर मछली रोगों का इलाज करने व संकट को दूर करने में सक्षम है। थान चेह मदिर परिसर में भिन्न-भिन्न किस्म वाले प्राचीन छायादार पेड़ों की भरमार है, जिन में शाह पेड़ नामक पेड़ पर्यटकों को मोह लेते हैं। इस पेड़ की ऊंचाई चालीस मीटर से भी अधिक है, जबकि उस की मोटाई सात आठ व्यक्तियों की बांहों जितनी लम्बी है जो गर्मियों में पर्यटकों को शीतलता प्रदान करता है। रिपोर्ट सुनकर पता चला कि थान चेह मंदिर में दो बैगनी माग्नोलिया पेड़ों की उम्र कोई चार सौ साल है। हर वर्ष वसंत में पेड़ों पर खिलते हुए सुंदर बैगनी माग्नोलिया फूल देखने के लिए लाखों करोड़ों देशी विदेशी पर्यटक वहां जाते हैं। अगर सच कहूं तो थान चेह मदिर की समूची वास्तु शैली और सुंदरता के बारे में इतनी मनमोहक रिपोर्ट सुनकर मुझे वहां जाने का दिल कर रहा है। प्राचीन फामन मठ और थान चेह मंदिर के बारे में तमाम जानकारी मुहैया कराने के लिए धन्यवाद।

    अनिल:अंत में बसु जी लिखते हैं....... इसके के बाद आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम में भारतीय नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगड़िया के साथ अखिल पराशर जी की बातचीत के मुख्य अंश हमें सुनने को मिले। वे हाल ही में आयोजित भारत के नीति आयोग और चीनी राज्य परिषद के विकास अनुसंधान केंद्र के बीच पहले संवाद सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पेइचिंग दौरे पर गए। बातचीत से पता चला कि यह संवाद सम्मेलन इस साल 14 मई से 16 मई तक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मैत्रीपूर्ण चीन यात्रा के दौरान एमओयू पर हुए हस्ताक्षर का परिणाम है। सुना है कि इस सम्मेलन में भारत और चीन के बीच आर्थिक मुद्दों के अलावा जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गयी। मुझे विश्वास है कि यह संवाद सम्मेलन भारत-चीन दोनों देशों के संबंधों के विकास के लिए लाभदायक होगा।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता वीरेंद्र मेहता के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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