चीनी तिब्बती सांस्कृतिक आदान-प्रदान मंडल ने हाल ही में रूस की यात्रा की। इसी दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने रूसी विज्ञान अकादमी के सुदूर पूर्व अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों के साथ संगोष्ठी आयोजित की। इस अवसर पर उन्होंने चीन का तिब्बत, तिब्बती बहुल क्षेत्रों में आर्थिक, सामाजिक और मानविकी विकास, धार्मिक विश्वास की स्थिति, रूस में धार्मिक विश्वास और अल्पसंख्यक जातीय नीति जैसे मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया। संगोष्ठी में रूसी विशेषज्ञों ने चीन में लागू की जा रही जातीय स्वायत्त व्यवस्था, धार्मिक प्रबंधन प्रणाली और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के बाद पिछले 50 वर्षों में प्राप्त बड़ा विकास और उपलब्धियों का उच्च मुल्यांकन किया।
संगोष्ठी में रूसी विज्ञान अकादमी के सुदूर पूर्व अनुसंधान केंद्र में चीनी तिब्बती सांस्कृतिक आदान-प्रदान मंडल के सदस्यों ने रूसी विशेषज्ञों को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के बाद पिछले 50 वर्षों में प्राप्त उपलब्धियों, केंद्र सरकार के छठे तिब्बत कार्य सम्मेलन की भावनाओं और रूसी विद्वानों के रूचि वाले मुद्दों से अवगत कराया। और उनके साथ विचारों का आदान प्रदान किया। रूसी इतिहास शास्त्र की डॉक्टर, उच्च अनुसंधाकर्ता ताटियाना लज़ारेवा ने कहा कि बुनियादी कानून के रूप में जातीय स्वशासन व्यवस्था चीन में एक सृजन है। जिसने जातीयता के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा:
"मेरा विचार है कि चीन में अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति के मद्देनज़र इन क्षेत्रों में विकास के लिए अनुकूल व्यवस्था बनाई गई है। उदाहरण के तौर पर, तिब्बत में स्थानीय विशेषता और हाल के वर्षों में आए परिवर्तन पर पूर्ण रूप से विचार करते हुए अनुकूल स्थिति को ध्यान में रखकर स्थानीय कानून और नियमावली बनाई गई। जैसा कि तिब्बती भाषा की पढ़ाई, प्रयोग और विकास से संबंधित निमय। यह जाहिर है कि चीन सही रास्ते पर जातीय नीति लागू कर रहा है। इससे स्थानीय स्थिरता बनाई जा सकती है।"
लज़ारेवा ने कहा कि हाल के वर्षों में तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है। तिब्बत के नागरिकों की औसत आयु 50 साल पहले की तुलना में एक गुना बढ़ी है। यह बहुत उल्लेखनीय बात है। उन्होंने कहा:
"चीन सरकार ने तिब्बती क्षेत्रों में जन जीवन में सुधार के लिए कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। गरीब समुदायों की यथासंभव सहायता की जाती है। उदाहरण के लिये तिब्बती क्षेत्रों में परोपकारी लॉटरी टिकट जारी किया जाना और पूंजी एकत्र करना शामिल हैं। त्योहारों के दौरान नागरिकों की संवेदनाओं के लिए वस्तुएं भेंट की जाती हैं। हमने देखा है कि तिब्बती बहुल क्षेत्रों में गरीब जनसंख्या लगातार कम हो रही है। स्थानीय तिब्बीत बौद्ध धर्म के भिक्षुओं के जीवन में भी सुधार आया है। मठों के आसपास मार्गों की मरम्मत हुई और सुरक्षित पेयजल के मुद्दे का पूरी तरह समाधान किया गया है।"
रूसी विज्ञान अकादमी के सुदूर पूर्व अनुसंधान केंद्र के राजनीतिक विश्लेषण और अनुमान विभाग के प्रधान अंद्रेइ विनोग्रादोव ने कहा कि इस वर्ष तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ है। इस अवसर पर चीनी तिब्बती सांस्कृतिक आदान प्रदान मंडल की रूस यात्रा दोनों देशों के विद्वानों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिए सार्थक है। रूसी विद्वान चीन के अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों में सरकार द्वारा उठायी गई स्वशासन नीति के प्रशंसक हैं। उनके विचार में वैज्ञानिक प्रबंधन से चीनी अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों में नागरिकों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन आया है। विनोग्रादोव का कहना है:
"हाल के वर्षों में चीन के अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों में वास्तविक तौर पर जमीन आसमान का परिवर्तन आया है। इसका प्रतिबिंब आर्थिक विकास और सामाजिक सवाल के समाधान में ही केंद्रित नहीं है, बल्कि जातीय संबंधों के समन्वयन क्षेत्र से भी जाहिर हुआ है। हालांकि वर्तमान में कुछ सवाल फिर भी मौजूद हैं, लेकिन विश्वास है कि चीन सरकार इनका समाधान करने में सक्षम होगी।"
चीनी तिब्बती सांस्कृतिक आदान प्रदान मंडल के अध्यक्ष, चीनी तिब्बती शास्त्र अनुसंधान केंद्र के इतिहास अनुसंधान विभाग के प्रधान चांग युन ने रूसी विद्वानों के साथ आयोजित संगोष्ठी के बाद कहा कि रूस के तीन गणराज्यों में तिब्बती बौद्ध धर्म का विश्वास प्रचलित है। चीनी और रूसी विद्वानों के बीच आदान प्रदान का अकादमिक अर्थ ही नहीं, बल्कि दूरगामी वास्तविक महत्व भी है। चांग युन ने कहा:
"रूसी विद्वान चीन की स्थिति के प्रति बहुत परिचित हैं। उन्होंने तिब्बत में लागू की जा रही जातीय नीति जैसे क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों का उच्च मूल्यांकन किया। दूरगामी दृष्टि से देखा जाए, तो हमें दोनों पक्षों के बीच आपसी समझ, एक दूसरे से सीखने से जाति और धार्मिक मुद्दे समेत अंतरारष्ट्रीय विषयों के समाधान के लिए मददगार सिद्ध होगा।"
गौरतलब है कि चीनी तिब्बती सांस्कृतिक आदान-प्रदान मंडल ने रूस की यात्रा समाप्त कर मंगोलिया का दौरा भी किया।