हूनान डायरी
हूनान यानी पानी, मछली और चावल की भरमार
अनिल आज़ाद पांडेय
17 सितंबर की सुबह हम छांग द शहर से आगे बढ़े। हम युए यांग और छांग द शहरों की झीलों से गुजरते हुए नान श्यान गांव पहुंचे। इन शहरों में कई छोटी-बड़ी झीलें हैं, और यहां बारिश भी खूब होती है। नान श्यान गांव में लोग जमीन के नीचे से पानी खींचकर पीते हैं। हमने इस गांव में पहुंचकर पानी शोिधत करने वाले पंप को देखा। गांववासी बताते हैं कि लगभग दस साल पहले वे लोग सीधे ज़मीन का पानी पीने को मजबूर थे। इसकी वजह से लोगों को पेट संबंधी बीमारी हो जाती थी। साथ ही पथरी की शिकायत भी थी। लेिकन इस जल शोधन पंप के लग जाने से उनकी परेशानी बहुत हद तक दूर हो गई है। इस पंप से नान शयांग व आसपास के 20 हजार ग्रामीणों को साफ पानी मुहैया कराया जाता है।
इस गांव के बाद हम हूनान मिंग थाई राइस इंडस्ट्री देखने गए। जहां पर आसपास के िकसान चावल लेकर आते हैं। हमें बताया गया कि इस इंडस्ट्री से किसानों को मुफ्त में बेहतर क्वालिटी के बीज मिलते हैं। इससे चावल की पैदावार बढ़ गई है, साथ ही उनकी आय में भी इजाफा हुआ है। इस इंडस्ट्री में चावल की सफाई और बढ़िया पैकेजिंग की जाती है। फिर इसे बाहर भेजा जाता है। यहां का दौरा कर हमने तरह-तरह के चावल देखें। कहा जा सकता है कि पानी व उपजाऊ जमीन ने किसानों के जीवन में परिवर्तन ला दिया है।
यहां बता दें कि हूनान, पानी की अधिकता की वजह से मछली और चावल के लिए जाना जाता है। यहां चावल बड़ी मात्रा में उगाया जाता है। नान श्यान गांव जाते समय भी हमें सड़क किनारे धान के लहलहाते खेत दिखे।
इसके बाद हम जंगली जानवरों व पक्षियों के संरक्षण के लिए बनाए गए नेचर रिजर्व गए। यहां जाकर पता चला कि स्थानीय सरकार संरक्षण पर कितना ध्यान दे रही है। इस तरह ग्रामीण लोगों को रोजगार मिलने के अलावा पर्यावरण की भी रक्षा हो रही है।
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