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    आपका पत्र मिला 2015-08-26
    2015-08-28 09:07:58 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। समय की कमी के चलते आज के कार्यक्रम में श्रोता के साथ हुई बातचीत नहीं सुनायी जाएगी।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम पढ़ते हैं ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    23 अगस्त को सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नियमानुसार प्रतिदिन की तरह आज भी शाम साढ़े छह बजे हम सभी मित्र-परिजनों ने एकसाथ मिलकर शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर उत्साहपूर्वक सुना और कार्यक्रम का पूरा लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ । अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने अपने हरदिलअज़ीज़ साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" का भी पूरा लुत्फ़ उठाया। आज का अंक सुन कर यह बात समझ में आयी कि क्यों दादा-दादी या नाना-नानी की परवरिश में पले-बढ़े बच्चे अधिक मोटापे का शिकार हो जाते हैं। यह समस्या केवल चीन के चान फंग की नहीं, हर जगह लागू होती है। अपने भारत में कहीं शादी से पहले माँ बनने की रिवायत है और हमें उसका पता नहीं-धिक्कार है हम पर ! सचमुच, पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में रहने वाले टोटो जनजाति की यह परम्परा अनूठी है। इससे भी अनूठी है उनकी शादी तोड़ने के लिये करायी जाने वाली महापूजा ! पता नहीं कहाँ से ढूंढ-ढूंढ कर लाते हैं आप ऐसी नायाब जानकारियाँ। इंग्लैण्ड में जॉडन नाम की लड़की की बार-बार बेहोश होने की अजीबोग़रीब बीमारी तथा वहीं समन्ता नामक महिला द्वारा ग्रीन टी के इस्तेमाल से अपना वज़न 110 किलोग्राम से घटा कर 51 किलो पर पहुँचाना अभूतपूर्व सफलता कही जायेगी। शिकागो में रहने वाले भारतीय मूल के एक युगल द्वारा अधिक सामान समाहित करने वाले जैकेट की ईज़ाद भी क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगी। एक अच्छा वक्ता बनने के लिये सुझाये गये दस गुर हमारे लिये बहुत काम के सिध्द होंगे, शुक्रिया। प्रेरक कहानी "तितली का संघर्ष" तथा धारावाहिक महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की सीख भी हमने गाँठ बाँध ली है। आज प्रस्तुत तमाम जोक्स सुन कर तो दिल बाग़-बाग़ हो उठा। बस, इसी तरह आगे बढ़ते जाइये, धन्यवाद।

    मीनू:सुरेश अग्रवाल जी ने आगे लिखा है......श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयत्रा" की कड़ी में आज भांप से पकाये जाने से बचे, तो थान भिक्षु सानचांग , शूकर और रेतात्मा दीवार फांदते पकड़े गये और उन्हें मण्डप के अन्दर स्थित तिज़ोरी में बन्द कर दानवों द्वारा यह अफ़वाह भी फैला दी गई कि वे थान भिक्षु को कच्चा ही खा गये। उधर महामनीषी वानर आज भी उनकी पकड़ से बाहर रहा। अब कहानी में आगे देखना है कि वानर अपने गुरु और गुरुभाइयों को फिर से मुक्त करा पाने में कैसे सफल होता है। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए हम आपको धन्यवाद देना चाहते हैं। चलिए, आगे बढ़ते हैं पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का। उन्होंने लिखा है......

    लिखते हैं, वैसे तो चीन मेँ कई मंदिर है , लेकिन पेइचिंग का स्वर्ग मंदिर कुछ अलग है। वह पेइचिँग शहर के यांग मन द्वार के पूर्वी सीमा पर स्थित है। मंदिर के उत्तरी भाग की दीवार गोलाकार है और दक्षिणी भाग की दीवार वर्गाकार है। पेइचिंग का स्वर्ग मंदिर दोहरी दीवारॉ से घिरा हुआ है , जो भीतरी व बाहरी दोनों भागों तक है। मंदिर का कुल क्षेत्रफल 273 हेक्टेयर है। स्वर्ग मंदिर अपनी गहन संस्कृति और शानदार वास्तु कला से प्राचीन पूर्वी सभ्यता का निरूपन बन गया है। मंदिर का डिजाइन सुनियोजित है , अद्भुत वास्तु संरचना है, जो शानदार वास्तु बनावट के लिए विश्वविख्यात है। अतीत मेँ स्वर्ग मंदिर मिंग और छिंग राजवंशों के सम्राट द्वारा स्वर्ग की पूजा अर्चना व अच्छी फसलों की प्रार्थना वाली जगह था। रिपोर्ट से जो मुझे पता चला वह कल्पना से परे था। चीन के ऐतिहासिक स्थलों को जिस तरह से संवारा , संजोया और सुरक्षित किया गया है वह निश्चय ही किसी भी देश के लिए अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और सुरक्षित करने के लिए एक सबक ही तरह है। चीन का भ्रमण एक ऐसा कार्यक्रम है जो हर हप्ते महादेश जैसे चीन देश के विभिन्न स्थलों से हमें अवगत कराता है। इस कार्यक्रम से मेरा रचनात्मक जुड़ाव हो गया है, जो मुझे चीन के बारे में जानने का मौका देता है।

    मीनू:आगे सान्याल जी ने लिखा है.....म्यांमार मेँ आई गंभीर बाढ़ के कारण म्यांमार सरकार और म्यांमार की जनता आपदाग्रस्त हुई। चीन सरकार ने आपात सहायता के रूप मेँ एक करोड़ युआन की राशि और राहत सामग्री देने का निर्णय लिया है । चीन सरकार के इस कदम को देखते हुये उसे धन्यवाद देना चाहता हूं। चीन द्वारा दी जा रही सहायता सामग्री मेँ 100 राहत नौकाएं शामिल हैं, जिनका प्रयोग बाढ़ प्रभावित नागरिकों को बचाने मेँ किया जाएगा ।

    साथ ही सी आर आई के माध्यम से मैने चीनी पुरुष तैराक निंग त्सेथाओ को और चीनी महिला तैराक फु युआनइवेइ को बधाई देना चाहता हूं। ग त्सेथाओ स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एशियाई खिलाड़ी हैं। और फु युआनइवेइ ने भी चैँपियनशिप जीती। दोनों खिलाड़ियों ने एशिया का गौरव बढ़ाया।

    अनिल:बिधान जी, हमें पत्र भेजने और अपनी राय हम तक पहुंचाने के लिए आपका शुक्रिया। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रवर्ती जी का। उन्होंने लिखा है..... सादर नमस्कार।आशा है कि आप सकुशल होंगे।

    69 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं। यह हमारी भावना को समृद्ध करने का अवसर प्रदान करता है जब हम उन महान आत्माओं को याद करते हैं जिनके अदम्य साहस और बलिदान ने इस राष्ट्र को एक महान प्रभुसत्ता संपन्न गणतंत्र देश बनाया।आज हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें जिनके अथक प्रयासों एवं समर्पण से हमारा देश स्वतंत्र हुआ और हमें बहुत ही गर्व है कि हमें एक शक्तिशाली प्रभुसत्ता संपन्ने गणतंत्र देश मिला।

    "ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी/जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी..."

    3 अगस्त ,2015 सोमवार को साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक गौर से सुना । रिपोर्ट ध्यान से सुनकर पता चला कि स्वर्ग मंदिर चीन में अबतक सबसे पूर्ण रूप में सुरक्षित और सबसे बड़ा पूजा स्वरूपी स्थापत्य समूह है। स्वर्ग मंदिर का निर्माण सन 1420 में हुआ,जहां मिंग और छिंग राजवंशों के सम्राट अच्छे मौसम और शांति की प्रार्थना करने हेतु स्वर्ग की पूजा करते थे।स्वर्ग मंदिर अपनी गहन संस्कृति और शानदार वास्तु कला से प्राचीन पूर्वी सभ्यता का निरूपण बन गया है।वर्ष 1998 में विश्वविख्यात स्वर्ग मंदिर विश्व विरासत सूची में शामिल की गई। स्वर्ग मंदिर की सजावट बहुत ही सुन्दर और आकर्षणीय है।नीला आसमान स्वर्ग मंदिर की पृष्ठभूमि है। स्वर्ग मंदिर में कारीगरों ने नीले रंग का प्रयोग किया था,जो आसमानी रंग का द्योतक था। तिन स्तरों में बना स्वर्ग मंदिर सचमुच स्वर्ग जैसा सुंदर है और नील रंग इसके सुंदरता में चार चांद लगा देते है।

    4 अगस्त मंगलवार को अनिल जी एवं वेइ तुंग जी द्वारा पेश साप्ताहिक "टी टाइम" प्रोग्राम में दी गई तमाम जानकारियां काफी महत्वपूर्ण लगी। आप द्वारा पेश दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे.अब्दुल कलाम को विशेष श्रद्धांजली हृदयस्पर्शी लगी । उड़ीसा के भितर्कर्णिका नेशनल पार्क के समीप सिंगिरी गांव की सावित्री देवी का मगरमच्छ के मुंह से जीवित निकलना सौभाग्य की बात है। स्वास्थ्य संबंधी जानकारी में कोल्ड ड्रिंक शरीर को कितना नुकसान पहुंचाती हैं,हम शायद ही इसका अंदाजा लगा पाएं। यह जानकारी बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक लगी।

    मीनू:आगे देवशंकर चक्रवर्ती जी ने लिखा है......

    6 अगस्त बृहस्पतिवार को साप्ताहिक "आज का लाइफ स्टाइल" प्रोग्राम में अखिल जी ने शेनचेन स्पेशल इकोनॉमिक जोन को लेकर एक खास रिपोर्ट हमें दी जो वाकई बहुत ही सूचनाप्रद लगी। रिपोर्ट सुनकर पता चला कि दक्षिणी चीन का समुद्र तटीय शहर शेनचेन चीन का प्रथम विशेष आर्थिक क्षेत्र है। पिछले 35 सालों में शनचन एक छोटे से सीमांत मछुआ गांव से आज एक आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय महानगर बन गया है,जिसका आर्थिक स्तर चीन में चौथे स्थान पर है। शेनचेन आज चीन की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा और सबसे मजबूत इंजन है। रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही शेनचेन की अर्थव्यवस्था हांगकांग से भी बड़ी हो जाएगी। चीन को आज दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता है। इसमें एक बड़ा योगदान शेनचेन का है। वहीं खेल सेगमेंट में श्रीलंका दौरे में टीम इंडिया को लेकर आपकी चर्चा मुझे बहुत अच्छा लगी। मुझे यकीन है कि 22 साल बाद हम लंका में डंका बजायेंगे।

    9 अगस्त ,2015 रविवार को साप्ताहिक कार्यक्रम "सन्डे की मस्ती" प्रोग्राम में बुंदेलखंड के महोबा जिले में चल रही रोटी बैंक के बारे में आपने जो जानकारी दी वह सुनकर पता चला कि कुछ युवा और व्यस्क लोगों ने जरूरतमंद और भूखे लोगों को हर रोज रोटी बांटते है । मैं रोटी बैंक का इस मानविक प्रयास को अपने दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।आज और एक खबर मेरा ध्यान आकर्षित किया वह है कि चीन में रहने वाली वांग यनफंग नाम की एक वृद्धा और और उनके 5 साथियों ने सुबह उठकर आवारा कुत्तों को 400 किलो खाना खिलाती हैं।मैं उन वुर्जुग महिलाओं के इस नेक काम को सलाम करता हूं।

    अनिल:देवशंकर चक्रवर्ती जी, आपका पत्र पाकर हमें बहुत खुशी हुई, पत्र भेजने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, आगला पत्र हमें भेजा है बिहार से राम कुमार नीरज जी ने। उन्होंने लिखा है......

    ''जिन्दगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है। हम सब कठपुतलियां हैं। हम सबकी डोर उसके हाथों में बंधी हुई है। कौन कब किस समय उठे। यह किसी को नहीं पता?''

    थ्येन चिन विस्फोटों में मारे गए लोगों के लिय ये पंक्तियाँ एकदम सटीक बैठती है.वास्तव में चीन के इस हादसे ने पूरी दुनिया को हिला के रख दिया.यह अपने आप में एक बेहद दुखद घटना है.मेरी सहानुभूति इन मृतकों के साथ है.दिल को दहला देनी इस तरह की घटनाएँ भविष्य में फिर कभी ना हों,इसकी की हम कामना करते हैं.

    इस घटना से सम्बंधित आ रही लगातार मीडिया रिपोर्टों की यदि बात करें तो लगता है कि उत्तरी चीन के तियानजिन शहर में एक गोदाम में हुए दोहरे विस्फोट के बाद चीन सरकार ने आधिकारिक तौर पर गोदाम में सायनाइड रखे होने की पुष्टि की. विस्फोट के बाद आग लगने की घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर 112 हो गई है.

    एक वरिष्ठ सैनिक अधिकारी शी ल्यूज ने रविवार को बताया कि घटना स्थल पर गोदाम में सैकड़ों टन अत्यधिक विषैले सायनाइड रखे गए थे. मात्रा को लेकर यह आरंभिक अनुमान है. बचावकर्मियों ने रविवार को बचे हुए सायनाइड को हटाने का काम शुरू कर दिया. इससे पहले वहां 700 टन सोडियम सायनाइड रखे होने की खबर मीडिया में आई थी. इसके बाद रसायन की जांच के लिए विशेषज्ञ बुलाए गए थे.

    देश की ऊर्जा निगरानी संस्था ने रविवार को खतरनाक रसायनों और विस्फोटकों से संबंधित उद्योगों की सुरक्षा जांच की मांग उठाई. नेशनल एनर्जी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा जारी एक नोटिस के मुताबिक हाइड्रोजन सृजन स्टेशन, अमोनिया उत्पादक प्रणाली, ईधन टैंक, वाष्पशील रसायन और विस्फोटक, कोयला और प्राकृतिक गैस प्रणाली से जुड़े उद्योगों की सुरक्षा जांच कराए जाने की आवश्यकता है. धन्यवाद

    मीनू:राम कुमार नीरज जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अगला पत्र हम आपको सुनाते हैं उत्तराखंड से वीरेंद्र मेहता जी का। उन्होंने लिखा है.....लिखते हैं कि संडे की मस्ती प्रोग्राम में पेश जानकारी अच्छी लगी। इस प्रोग्राम को सुनकर हमें प्रेरणा मिलती है। प्रोग्राम पेश करने के लिए आपका शुक्रिया।

    अगला हमें मिला है उत्तर प्रदेश से संतोष शर्मा का। उन्होंने लिखा है....मुझे सेतु संबंध पत्रिका पाकर बहुत खुशी हुई, मैगज़ीन का डिजायन अच्छा है, पत्रकारिता में ड्रोन का इस्तेमाल कैसे होगा, यह बड़ा रोचक लगा। अगर हो सके तो इस बारे में और जानकारी दें।

    अनिल:वीरेंद्र मेहता और संतोष शर्मा जी को बहुत बहुत धन्यवाद। अंत में आपको सुनाया जा रहा है पश्चिम बंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु का पत्र। उन्होंने लिखा है.....

    गत् 14 अगस्त को पंकज जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद श्याओ थांग जी द्वारा पेश साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम बहुत ध्यान से सुना।

    आज "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम में श्याओ थांग जी द्वारा पेश पश्चिमी चीन के छिंगहाई प्रांत के तिब्बती जाति का थांगखा चित्र के बारे में एक खास रिपोर्ट सुनी जो अत्यंत महत्वपूर्ण लगी । इस रिपोर्ट में आपने हमें बताया कि थांगखा चित्र तिब्बती लामा बौद्ध धर्म से घनिष्ट रूप से जुड़ी हुई कला है, थांगखा के माध्यम से बौद्ध धार्मिक कथाओं को प्रदर्शित करना चीनी तिब्बती जाति में पुरानी परम्परा रही है। तिब्बती लोग बड़े सम्मान के साथ घर में एक थांगखा चित्र खरीदकर लटकाते हैं, इसके साथ ही हर रोज इसकी पूजा करते हैं।छिंगहाई तिब्बत पठार पर तिब्बती बहुल क्षेत्रों के तिब्बती जाति के बड़े छोटे निवास और मकानों में रंगबिरंगे और सुन्दर थांगखा चित्र रखा जाता है। आज के इस कार्यक्रम में सुना कि थांगखा चित्रकला तिब्बती संस्कृति का एक अहम अंग है। थांगखा चित्रकला का जन्म 7वीं शताब्दी ईस्वी में तत्कालीन तिब्बत यानी थूपो के राजा सोंगचान कानबू के काल में हुआ था। आजतक इसका 1 हज़ार 3 सौ से अधिक वर्ष का प्राचीन इतिहास है। तिब्बती भाषा में "रेकोंग" शब्द का अर्थ है सपना पूरा करने वाली स्वर्ण घाटी। रेकोंग कला का जन्म छिंगहाई तिब्बती पठार में स्थित छिंगहाई प्रांत के ह्वांगनान तिब्बती प्रिफेक्चर की थोंगरन कांउटी के लोंगवू नदी के तट पर स्थित रेकोंग में हुआ है। रेकोंग कला तिब्बत में ही नहीं,पुरे चीन में,कहा जाये तो विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध है। इस कला का जन्म 13वीं शताब्दी में हुआ था। यह तिब्बती बौद्ध धर्म के मठों में प्रचलित परंपरागत हस्तकला है। थांगखा चित्र रेकोंग कला का प्रतिनिधित्व माना जाता है। तिब्बती भाषा में थांगखा चित्र का मतलब है स्क्रॉल पेंटिंग (scroll painting)। यह रंगीन रेशमी कपड़े पर बनाया गया धार्मिक चित्र है,जिसका विषय मुख्य तौर पर तिब्बती बौद्ध धर्म की कहानियां,तिब्बती जाति के इतिहास में महान व्यक्ति, मिथकों,कथाओं और महाकाव्यों में पात्र और उनकी कहानियां शामिल है।वर्ष 2009 में थांगखा चित्र प्रमुख रेकोंग कला को युनेस्को की गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल किया गया है। सुना है कि आम तौर पर तिब्बती लोगों के विचार में थांगखा चित्र एक शुद्ध बौद्ध धर्म का चिन्ह है । तिब्बती लोगों के हृदय में थांगखा चित्र मंदिर के बराबर है। तिब्बती बहुल क्षेत्रों में हर तिब्बती परिवार के कमरे में थांगखा चित्र रखा जाता है। हाल की वर्ष में तिब्बती जाति के जीवन में थांगखा चित्र आय का प्रमुख स्रोत भी है। हर परिवार में मुख्य तौर पर थांगखा चित्र बनाते है और थांगखा बेचे जाते है। इस रिपोर्ट सुन कर मुझे तिब्बती जाति का परम्परागत रेकोंग थांगखा चित्र के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला।

    मीनू:आगे बसु जी ने लिखा है.....आज "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम में पंकज श्रीवास्तव जी ने वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी जी के साथ संसद के मानसून अधिवेशन में सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच जो हंगामा हुआ,उसको लेकर जो खास चर्चा की,वह मुझे समसामयिक लगा। संसद के दोनों सदनों में भाजपा और कांग्रेस नेताओं ने जिस तरीके से हाथापाई की, देश की जनता के लिए यह कोई नई बात नहीं है।एक कहावत है कि जैसा बोओगे,वैसा काटोगे।जब यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार थी, तो यही भाजपा यूपीए के दागी मंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद नहीं चलने दे रही थी।लेकिन अब ललित मोदी मामला,छत्तीसगढ़ में चावल घोटाला,मध्य प्रदेश का खूनी व्यापमं घोटाला,महाराष्ट्र का चिक्की घोटाला जैसे कई घोटालों को लेकर विपक्ष कांग्रेस देश की संसद को चलने नहीं देना चाहते हैं। ललित मोदी की मदद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया पर जो आरोप हैं,वे काफी गंभीर हैं। भाजपा को चाहिए कि वह सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे सिंधिया से इस्तीफे लेकर निष्पक्ष जांच कराए। संसद को एक दिन चलाने में देश की जनता से टैक्स के रूप में उगाहे गए करोड़ों रुपये खर्च होते हों, तो फिर उसे बाधित करना, किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता है।लेकिन दुःख की बात यह है कि देश की जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्यों ने संसद को स्थगित करने में गर्व महसूस करते हैं जबकि इससे होने वाली आर्थिक क्षति का स्रोत जनमानस द्वारा दिया गया आयकर है।यह सभी दलों की जिम्मेदारी है कि वे संसद सत्र को सुचारू रूप से चलने दें।

    अनिल:बसु जी को धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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