क्या आपको चीनी पर्वतारोहण दल के वो सदस्य याद हैं, जिन्होंने 2008 पेइचिंग ओलंपिक मशाल की पवित्र अग्नि को विश्व की सबसे ऊंची जगह स्थित चुमुलांग्मा चोटी तक पहुंचाया था। वे सब तिब्बत पर्वतारोहण स्कूल से आते हैं, जिसका नया नाम है हिमालय क्लाइम्बिंग गाईड स्कूल। वर्ष 1999 में स्थापित होने के बाद से अब तक 300 से अधिक छात्र स्कूल से स्नातक होने के बाद शिक्षित क्लाइम्बिंग गाइड बन चुके हैं। उन्हें अंग्रेजी भाषा आती है और वो पर्वतारोहण में कौशल हैं।
20 वर्षीय ताशी केम्पोट तिब्बत की न्यालाम काउंटी का रहने वाला है। वो पर्वतारोहण स्कूल में तीन वर्षों तक पढ़ाई कर चुका है। अपनी शिक्षा के बारे में उसने कहाः
"मैं न्यालाम काउंटी से आता हूं और बर्फ़ीले पहाड़ों में रहता हूं। मैं बचपन से गाय का पालन करता हूं और पहाड़ पर चढ़ाई करना पसंद करता हूं। मुझे पता है कि चुमुलांग्मा चोटी विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत है। गांव वासियों से मैंने सुना है कि तिब्बत पर्वतारोहण स्कूल उन छात्रों को भरती करता है, जो 8000 मीटर से ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ाई कर सकता है। इसलिए मैंने यहां पढ़ाई करने का निर्णय लिया।"
तिब्बत में अद्वितीय पहाड़ संसाधन उपलब्ध हैं और ताशी केम्पोट जैसे पर्वतारोहण सपना संपन्न बच्चे भी बहुत हैं। वर्ष 1999 में वही सपना देखने वाले न्यीमा त्सेरिंग ने तिब्बत पर्वतारोहण स्कूल की स्थापना की। उसने कहा कि चुमुलांग्मा चोटी और शिशापेंगमा पर्वत बेहतरीन प्राकृतिक परिस्थिति है, लेकिन स्कूल स्थापित करने का उसका अन्य विचार भी है। उसने कहाः
"एक तो चीन में पर्वतारोहण से जुड़े कर्मियों की कमी पूरी करना है और दूसरा, चुमुलांग्मा चोटी स्थित क्षेत्र, विशेषकर न्यालाम, तिंगरी, तिंगये और ग्यीरोंग चार काउंटियों के लिए रोजगार के मुद्दे को सुलझाना भी है। इससे पहले पर्वतारोहण से जुड़े सभी काम विदेशी लोग करते थे, जबकि हम सिर्फ परिवहन और बर्तन मांजने जैसे आसान काम करते थे। इसलिए मैं क्लाइम्बिंग स्कूल खोलना चाहता हूं।"
इस समय कुल 42 छात्र स्कूल में पढ़ाई करते हैं, जिनमें 5 लड़कियां भी शामिल हैं और सबसे छोटे छात्र की उम्र सिर्फ 15 साल है। वे सब तिब्बत के रहने वाले हैं। अध्यापक त्सेरिंग तेंता ने कहा कि पर्वतारोहण तकनीक के अलावा, अकादमिक पढ़ाई भी करवाई जाती है। हम आशा करते हैं कि सभी छात्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी बनेंगे। उनका कहना हैः
"अकादमिक कक्षा में तिब्बती भाषा, हान भाषा, अंग्रेजी, भूगोल, इतिहास, राजनीति और पर्वतारोहण विज्ञान आदि शामिल हैं। इसके अलावा, रॉक क्लाइंबिंग और रस्सी बांधने का तरीका जैसे विषय भी सिखाये जाते हैं।"
20 वर्षीय ताशी केम्पोट ने कहा कि कुछ कक्षाएं मुश्किल हैं, लेकिन उसकी बड़ी रुचि है। उसने कहाः
"स्कूल में हम रोज सुबह 6 बजे उठते हैं और बाद में व्यायाम करते हैं। 8 बजे हम नाश्ता करते हैं, फिर कक्षा शुरू होती है। कक्षा में हम सब कुछ सीखते हैं। आज सुबह तिब्बती भाषा और इतिहास की कक्षाएं होंगी और दोपहर बाद पर्वतारोहण का प्रशिक्षण होगा। मेरी पसंदीदा कक्षा अंग्रेजी है।"
त्सेरिंग वांगतू भी न्यालाम काउंटी से आते हैं और उसकी उम्र भी 20 साल की है। उसने कहा कि कक्षा में उसे बहुत ज्ञान मिला है। उसका कहना हैः
"मेरे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। स्कूल आने से पहले मैं हान भाषा भी अच्छी तरह नहीं बोल सकता था, लेकिन अब बहुत बढ़िया तरीके से बोल सकता हूं।"