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    आपका पत्र मिला 2015-08-19
    2015-08-24 08:59:45 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। समय की वजह से आज के कार्यक्रम में श्रोता के साथ हुई बातचीत नहीं सुनायी जाएगी।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम पढ़ते हैं पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    दो हजार वर्ष पुराने सूचोउ शहर के श्वेनम्याओ मंदिर के बारे मेँ विस्तृत जानकारी से अवगत कराने के लिए सी आर आई हिन्दी सेवा को बहुत बहुत धन्यवाद। इस मंदिर का पुराना नाम चनछिडं ताओ मठ था। रिपोर्ट से पता चला कि श्रेनम्याओ मंदिर का निर्माण आज से कोई 1730 वर्ष पहले पूर्वी चिन राजवंश के जमाने मेँ किया गया था। छिन राजवंश के दौरान इसे नष्ट कर दिया गया था। फिर 1264 और 1294 के बीच इसका पुननिर्माण किया गया। और नाम बदलकर श्वेनम्याओ मंदिर रख दिया गया। चीन के प्राचीन वास्तुशिल्प का एक श्रेष्ठ नमूना है। इस मंदिर के तीन गेट हैं। मुख्य गेट बहुत आलीशान है। रिपोर्ट के मुताबिक यहां का पर्यावरण बहुत खास है। सूचो चीन मेँ दस्तकारी की चीजें बनाने वाला एक प्रसिद्ध शहर है। यहां की दस्तकारी वस्तुएं, कलाकृतियॉ कसीदाकारी की कलाकृतियॉ, परम्परागत स्थानीय व्यंजन आदि के बारे में जानने से वहां जाने का मन करता है।

    मीनू:आगे बिधान चंद्र सान्याल ने लिखा है......यह जानते हुये बहुत अच्छा लगा कि भारत मेँ पूंजी लगाने से जुड़ा व्याख्यान 24 जुलाई को पेइचिंग मेँ संपन्न हुआ। 350 चीनी उद्यमी पूंजी संगठनों के प्रतिनिधियों ने चार दिवसीय व्याख्यान मेँ हिस्सा लिया। आशा है कि इससे चीनी उद्यम भारत मेँ व्यापार करने के कदम आगे बढ़ाएंगे।

    यह महत्वपूर्ण बात है कि चीन के तिब्बत मेँ सृजनात्मक विकास का बौद्धिक समर्थन किया जाएगा। पिछले 30 जुलाई को ल्हासा मेँ चीनी इंजीनियरिंग अकादमी और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने रणनीतिक सहयोग ढांचागत समझोते पर हस्ताकर किए, जिसके आधार पर तिब्बत मेँ सृजनात्मक विकास को बौद्धिक समर्थन मिलेगा। साथ ही तिब्बत मेँ स्वच्छ ऊर्जा, पारिस्थितिकी पर्यावरण, जल संसाधन के निर्माण जैसे क्षेत्रों में विकास की गति आएगी।

    5 August को कार्यक्रम मेँ देश-विदेश के ताजा समाचार सुनने के बाद आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुना, जिसके तहत श्रोताओं के पत्रों के बारे मेँ जानने को मौका मिला । अंत मेँ बिहार के श्रोता कुमार जयबर्धन के साथ अनिल पाण्डे जी के बातचीत सुनी और अच्छी लगी।

    अनिल: सान्याल जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, आगे बढ़ते हैं ओड़िशा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है......

    दिनांक 14 अगस्त को रोज़ाना की तरह मैंने आज भी सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण अपने तमाम मित्र-परिजनों के साथ मिलकर अपने निवास पर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर सुना और अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष पेश होने कम्प्यूटर के समक्ष बैठा हूँ। संचार और बिजली ने साथ दिया तो ज़ल्द ही हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" भी ध्यानपूर्वक सुना, जिसमें आज तिब्बत की विश्वप्रसिध्द थांगखा चित्रकला की चर्चा की गई। रंगीन रेशमी कपड़े पर उकेरी जाने वाली थांगखा चित्रकला का इतिहास कोई तेरह सौ साल पुराना है और यह जान कर हैरत हुई कि इसमें प्रयुक्त प्राकृतिक रंग सैंकड़ों साल तक अपनी चमक बरकरार रखते हैं। तिब्बत के लामा और बौध्द धर्म के पावन प्रतीक इस कला का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि -इसे जहाँ भी लगा दिया जाये, वह स्थान मन्दिर तुल्य बन जाता है। इस परिप्रेक्ष्य में भिक्षु कारतांग जाफ्वो (नाम जैसा समझ में आया) द्वारा प्रदत्त तमाम जानकारी थांगखा या योकुंग, जिसका शाब्दिक अर्थ "सपना पूरा करने वाली स्वर्ण घाटी" होता है, काफी ज्ञानवर्द्धक लगी। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत हंगामे की भेंट चढ़े भारतीय संसद के वर्त्तमान मॉनसून सत्र पर लाइव इण्डिया टीवी के वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी के विचार काफी महत्वपूर्ण लगे। वास्तव में, भारतीय राजनीति मूल्यविहीन हो गई है जनता द्वारा चुन कर भेजे गये नुमाइन्दे संसद में लोकतंत्र की पगड़ी उछालते हैं। उनका रवैया एक राष्ट्रविरोधी जैसा लगता है। यदि समय रहते इन्होने अपने आचरण में आवश्यक बदलाव नहीं किया, तो आने वाला वक़्त इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा। धन्यवाद एक विचारोत्तेजक प्रस्तुति के लिये।

    मीनू:आगे सुरेश अग्रवाल जी ने लिखा है.....श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की आज की कड़ी में बूढ़े दानव द्वारा वानर पर वार करने के बाद अब बारी थी दानव पर वार करने की। दानव और वानर में बीसियों चक्र युध्द चला, पर हार-जीत का फ़ैसला नहीं हुआ। फिर शूकर भी अपना पांचा लेकर बीच में कूद पड़ा, जिससे दानव भयभीत होकर वहां से भाग खड़ा हुआ और अपनी कन्दरा के पास जाकर उसने विकराल रूप धारण कर लिया। फिर शूकर डर कर भागा और वानर ने पहुँच कर मुक़ाबला किया। इस बार दानव वानर को निगल गया और अपने दानवों के पास लौट आया। उसने वानर को अपने पेट से बाहर निकालने नमकयुक्त गर्मपानी तथा औषधि मिश्रित मदिरापान किया, परन्तु वानर बाहर नहीं निकला और पेट के भीतर से उसके साथ बहस करने लगा। अब कहानी में आगे क्या होता है, देखना है। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने और अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। अगला पत्र हमें भेजा है बिहार से शंकर प्रसाद शंभू जी ने। उन्होंने लिखा है.....अनिल और मीनू जी, प्यार भरा नमस्कार।

    26 जुलाई को प्रतिदिन की तरह सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुना, देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों का ज़ायज़ा लेने बाद हमने साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" भी सुना और शुरुआत में चीनी गीत सुनवाने के बाद दूरदर्शन पर प्रसारित चन्द्रकान्ता, शान्ति एक औरत की कहानी, भारत एक खोज़, चित्रहार, बुनियाद, हम लोग, रामायण तथा महाभारत जैसे कालजेयी धारावाहिकों का ज़िक्र कर आपने हमारा दिल जीत लिया। वैसे कार्यक्रम में चीन के श्यानसी प्रान्त में थ्री-डी प्रिन्टर के ज़रिये एक कम्पनी द्वारा किया गया दो मंज़िला इमारत का निर्माण चौंकाने वाला लगा। अफ़्रीकी देश नाइजर की एक जनजाति में महिलाओं को पूरी छूट और लड़कों को पर्दे में रहने की विवशता वाली जानकारी भी कम रोचक नहीं थी। विदेश जाने की हसरत रखने वालों द्वारा पंजाब के दोआबा स्थित सन्तबाबा निहालसिंह गुरूद्वारे में जहाज़ चढ़ाये जाने की जानकारी तो आस्था की बात है। ओड़िशा के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मन्दिर के आश्चर्य पर दी गई जानकारी के लिये धन्यवाद ।

    28 जुलाई 2015 के "टी टाइम" प्रोग्राम का ताज़ा सुना। आजकल सेल्फी लेने का क्रेज लोगों के दिलों पर जबरदस्त तरीके से छा रहा है।लेकिन आज प्रोग्राम की शुरुआत में सेल्फी लेने के चक्कर में हो रहे हादसों के बारे में सुनकर मेरा दिल गाता है कि सेल्फी मत लेना । आज हॉलीवुड एक्टर जॉनी डेप और उनके हमशक्ल को लेकर समाचार भी काफी रोचक लगा । अमेरिका के इंडियाना में एक बच्‍चे के जन्‍मदिन के लिए किराये पर ली गई लिमोजिन कार को एक तेज रफ्तार वाले ट्रेन ने टक्‍कर मार दी और यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ कि वह सब बच गए। आज अमन, एकता और भाईचारे का पैगाम देने वाली सलमान खान अभिनीत 'बजरंगी भाईजान' फिल्म को लेकर चर्चा काफी अच्छा लगा !

    आज स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों में हमारे शरीर के लिए पोटेशियम कितना जरूरी है, इस बारे में जानकारी मुझे बहुत ही महत्वपूर्ण लगी । सुना कि दिल्ली की एक अदालत ने क्रिकेटर एस श्रीसंत,अंकित चव्हाण और अजीत चंदिला को आईपीएल 2013 स्पॉट फिक्सिंग केस में बरी कर दिया था। मैं आशा करता हूं कि वह सब फिर से क्रिकेट में निष्ठा के साथ अपना योगदान देंगे । इसके साथ आचार्य चाणक्य की महत्वपूर्ण वाणी आज इस दौड़ भाग वाली ज़िंदगी में काफी प्रेरणात्मक है।आज के प्रोग्राम में पेश हंसगुल्ले अच्छा लगे।

    आज एक बेहतरीन प्रोग्राम पेश करने के लिए फिर से धन्यवाद।

    मीनू:शंकर प्रसाद शंभू जी, हमें पत्र भेजने और हमारे कार्यक्रम की तारीफ करने के लिए हम आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं। आशा है कि भविष्य में आप लगातर हमें इस तरह पत्र भेजते रहेंगे। चलिए अगला पत्र मेरे पास है चीन के शानडोंग प्रदेश के जीनान शहर से हमारे श्रोता का। उन्होंने लिखा है.....आदरणीय सीआरआई प्रसारण संस्थान,

    मुझे यह पत्र लिखते हुऐ अत्यंत हर्ष हो रहा हैI मै डॉ राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शानडोंग विश्वविद्यालय की लेबोरेटरी ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हूँ I मै आपके प्रसारण का नियमित श्रोता हूँ I सीआरआई हिंदी प्रसारण संस्थान के द्वारा दी गई जानकारिया और प्रसारित कार्यक्रम सभी भारतीयों के लिए बहुत ही जानकारीपूर्ण है I यह प्रसारण केंद्र हमें गर्व का अनुभव करवाता है I मै हृद्यान्वित होकर पूरे प्रसारण संस्थान को धन्यवाद देना चाहता हूं।

    अनिल:राघवेन्द्र जी, आपका पत्र शामिल करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है कि चीन में भी हमारे भारतीय श्रोता हैं। आपका धन्यवाद। उम्मीद है कि आने वाले समय में आप हमसे यूं ही जुड़े रहेंगे। पिछले 15 अगस्त को भारत का 69वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। मैं यहां सभी श्रोताओं को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूं। और साथ ही इस मौके पर हमारे मॉनिटर पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु ने हमें एक विशेष पत्र भेजा है। आईए, सुनते हैं उन्होंने क्या लिखा है।

    सादर नमस्कार। आज यानी शनिवार,15 अगस्त को महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि महान हस्तियों के योगदान को नमन करते हुए हम अपना 69वें स्वतंत्रता दिवस पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर मैं और हमारे न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी सदस्यों की ओर से चाइना रेडियो इंटरनेशनल- हिंदी परिवार के समस्त कर्मचारियों के साथ ही सभी श्रोता मित्रों को हार्दिक बधाई देता हूं!

    15 अगस्त 1947, भारतीय इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपू्र्णं दिन था, क्योंकि इसी दिन लगभग 200 साल बाद भारत को ब्रिटिश हुकूम़त से आजादी मिली थी। अंग्रेजों से पहली लड़ाई लड़नेवाले बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला से लेकर खुदिराम बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे कई शहीदों की कुर्बानी देकर हमारे देश को 1947 में आजादी मिल पाई थी और भारत के राज और नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई। 69 वें स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर हम लोग उन सभी महान हस्तियों को याद करते है जिनके बलिदान की वजह से हम सभी आजाद भारत में सांस ले रहे हैं।स्वतंत्रता को हो गए 69 साल, पर क्या सही मायनों मे आज़ाद हुए, यह सवाल अक्सर मन में उठता है।

    'मेरा एक सपना है...', इन शब्दों से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक नए, स्वतंत्र, गणतंत्र और समृद्ध भारत की तस्वीर पेश की थी ।उन्होंने कहा था कि "रात 12 बजे जब दुनिया सो रही होगी, तब भारत जीवन और स्‍वतंत्रता पाने के लिए जागेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर कदम बढ़ाएंगे... भारत दोबारा अपनी पहचान बनाएगा।" लेकिन ये सपना केवल सपना बन कर ही रह गया। गरीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी, अन्याय, शोषण, अत्याचार,देशवासियों के जीवन की हकीकत बन गयी। समय गुज़रा,युग बीता,ब्रिटिश उपनिवेशवाद से देश स्वतंत्रता के 69 वर्ष पूरे करने जा रहा है । आज हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो चुके है और हमें संतोष है कि हम स्वतंत्र देश के नागरिक हैं । आजादी के 69 साल बाद आज हमारे पास विचारों के आदान- प्रदान से लेकर तकनीक, शिक्षा, संसाधन, विज्ञान, परिधान हर तरह की आजादी है। पर कई सवाल आज मुल्क की बहुत बड़ी आबादी के मन है कि आखिर इस 69 साल की स्वतंत्रता से हमने क्या पाया, हमारे लिए इस आजादी का क्या मतलब है, हमें कौन सी आजादी नसीब हुई। क्या हम वास्तव में स्वतंत्र है ? क्या हम स्वतंत्रता की बलिवेदी पर चढ़ने वाले अमर शहीदों के सपनों को साकार करने में सफल रहे ? क्‍या हर किसी की बुनयादी जरूरतें पूरी हो रही है ? क्या हम जनसाधारण को रोटी, कपड़ा और मकान दे पाए ? क्या हमारा लोकतंत्र सही दिशा में अग्रसर हो सका है ? न जाने ऐसे ही कितने सवाल हैं जिसका सीधा सा जवाब है- नहीं।

    मीनू:आगे बसु जी ने लिखा है....हां ,कुछ क्षेत्रों में हमारा विकास हुआ है पर वह विकास एकांगी है । सच यह है कि आज़ाद भारत में शिक्षा का स्तर बढ़ा, लेकिन बेरोजगारी भी बढ़ी। भारत का मध्यम वर्ग बड़ी तेज़ी से उभरा तो ग़रीबी रेखा में जीने वालों की तादाद में वृद्धि हुई। इस समय देश की स्थिति इतनी आश्चर्यजनक है कि देश में कई अरबपति हैं तो दूसरी ओर करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं । एक ओर विलासपूर्ण जीवन तो दूसरी ओर मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते लोग । क्या यह गांधीजी के स्वप्नों का भारत है ? क्या हमारे देश के वीर शहीदों ने इसी भारत का सपना देखा था? बिल्कुल नहीं...। महात्मा गांधी ,नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ,लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, सरदार बल्लभ भाई पटेल,मौलाना अबुल कलाम आजाद,विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद इत्यादि नेताओं ने स्वतंत्र भारत के लिए बहुत से सपने संजोए थे । देश के अमर सेनानियों ने जिस भारत की कल्पना की थी वो आत्मनिर्भर था। वह समानता और भाईचारे पर आधारित था।उन महान नेताओं ने भारतमाता का एक ऐसा चित्र प्रस्तुत किया था जो सुजला, सुफला एवं शस्य-श्यामला था।

    लेकिन आज हम क्या देख रहे है ?आज भी हर तीसरा आदमी इस मुल्क का गरीबी रेखा से नीचे है। हर तीसरा आदमी भूखा है। तो ऐसे में उनके लिए इस आज़ादी का क्या मायने है ।आर्थिक तौर पर तो इतनी अधिक कि हमारे देश के धन विदेशों की बैंकों की शोभा बढ़ा रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने नारा दिया था "जय जवान जय किसान" मगर उनका ये नारा सिर्फ नारा ही रह गया। यह सच है कि कर्ज के बोझ से दबकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अमीरी और गरीबी के बीच की खाई बढ़ती ही जा रही है। महंगाई से आम आदमी की दाल रोटी पर आफत है। दाल रोटी तो दूर घर में चूल्हा जलाना भी दुश्वार है। एक आंकड़ें के मुताबिक आज भी भारत में 60 लाख लोग फुटपाथ पर सोते है। आज उग्रवाद ,आतंकवाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपने चरम पर है। अभी हम किस बात पर दूसरे देशों के सामने गर्व करें? इसलिए की भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, रेप, लुट, चोरी डकैती,बेरोजगारी अफ़सरशाही में भारत दुनिया में सबसे आगे पहुंच चुका है। यहीं वजह है कि भारत नीचे गिरता जा रहा है। फिर भी हमें इस बात का संतोष होना चाहिए कि हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं! हर हाल मे ये सुरत बदलनी चाहिए। सही मायनों में आज़ादी के लिए भारत से अफ़सरशाही ख़त्म होनी चाहिए । हमें ऐसा लोकतंत्र चाहिए जिसमें रोज़ाना जनता का दखल हो।

    अनिल:आगे बसु जी ने यह भी लिखा है.....इस देश में आज़ादी के इतने सालों के बाद भी महिलाओं की क्या स्थिति है।आज हम देखते है कि देश के कई हिस्सों में बेटियों के साथ भेदभाव होता है जिस कारण अनेक राज्यों में लिंगानुपात का अंतर बढ़ रहा है। भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं रुक नहीं पा रही जबकि बेटियों को शिक्षा और रोजगार सुलभ कराने में सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बाधाएं बराबर कायम है । दुःख की बात यह है कि पिछले दस सालों में 5 लाख बच्चियां गर्भ में मार डाली गई। आज भी इस स्वतंत्र भार‍त में दहेज के लिए नारियों की बली दी जाती हैं। "आज के डिजिटल इंडिया" में आज भी महिलाओं को घर के बाहर न निकलने की हिदायत दी जाती है,रेप या बलात्कार होने पर आत्महत्या पर मजबूर करने वाला समाज, कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाप हमारे समाज के विकास में अवरोध पैदा कर रहे हैं। सच में यह एक विचित्र भारत -

    "जिस देश में बचपन भूखा है, जहाँ रोज जवानी बिकती है, जहाँ भीख बुढ़ापा मांगे है,यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?"

    आशा की बात यह है कि हमारी पश्चिम बंगाल सरकार ने बाल विवाह रोकने के उद्देश्य से लड़कियों के लिए 'कन्याश्री' नामक विशेष योजना शुरू की। वहीं देश में बेटियों को बचाने और उन्हें हर क्षेत्र में बराबरी का अवसर देने के लिये केंद्र सरकार ने भी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना शुरू की है।

    इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि हमारे देश की बड़ी आबादी युवाओं की है। निःसंदेह देश को महाशक्ति बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन आज भारत का युवा अपनी रोजी -रोटी के लिए दर -दर भटक रहा है। आज शिक्षित बेरोजगार युवा कुंठाग्रस्त हो जा रहा है । बेरोजगारी का यह आलम है कि पीएचडी कर चुके लोग चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं। ये शिक्षित बेरोजगार नौजवानों पंजाब और कश्मीर तथा पूर्वोत्तर भारत में आतंकवादियों और अलगाववादियों के बहकावे में आ रहे है और भारत की मुख्य धारा से धीरे धीरे कट रहे है । इसके लिए जिम्मेदार हमारी व्यवस्था भी है। आज भारत को आज़ाद 69 वर्षों का लम्बा समय व्यतीत हो चूका है ,लेकिन निर्धनता को दूर करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गए है जिससे दिन -प्रतिदिन बढ़ती निर्धनता, भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो रही है । आतंकवाद, उग्रवाद, वामपंथ- उग्रवाद सभी के जड़ में प्रमुखता से बेरोजगारी है। बंगला साहित्य जगत के क्रांतिकारी कवि नजरूल इसलाम आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे छात्रों-युवकों में जनचेतना का संचार किया।उन्होंने छात्रों-युवाओं से कहा: "जेल के इस लोहे के द्वार को तोड़ दो, उसके टुकड़े-टुकड़े कर दो, पत्थरों को रक्तरंजित कर दो, स्वतंत्रता की देवी की पूजा के लिए उठो।"

    मीनू:अंत में बसु जी ने लिखा है.....भले ही अब सरकार द्वारा रोज़गार गारंटी योजना कार्यक्रम तहत काम देने की बात की गई है ।

    हिन्‍दुस्‍तान एक्‍सप्रेस के ब्‍यूरो चीफ ए. एन. शिबली ने अपने लेख से सही सवाल खड़ा किया है: "ग़रीब आदमी एक लीटर किरॉसन के लिए तरस रहा है और अमीरों के यहां तेल भरा पड़ा है। क्या आज़ादी का यही मतलब होता है? जब भूख से लोग मरते रहें, किसान खुदकुशी करते रहें, प्रसव के दौरान मामूली दवा की कमी से महिलाओं की मौत होती रहे, बच्चे स्कूल के बजाए चाय की दुकान पर काम करते रहें,लाखों लोग ज़िंदगी भर फुटपाथ पर सोने को मजबूर हों तो ऐसे में क्‍या यह कहना उचित नहीं है की बेकार है ऐसी आज़ादी।"

    फिर भी मेरा भारत महान है और मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूं और हम सभी को गर्व है कि हम भारतीय हैं।हर वक्त मेरा दिल गरजता है कि "सारे जहाँ से अच्छा,हिन्दोस्ताँ हमारा/हम बुलबुलें हैं इसकी,यह गुलिस्ताँ हमारा"। आशा है कि हमारा भारत फिर से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मुकाम हासिल करेगा और विकास की राह पर चलेगा साथ ही हम सभी के ऊपर विकास की धारा बरसेगा। आजादी के शहीदों को मेरा नमन और देशवासियों को 69 वें स्वाधीनता दिवस की हार्दिक बधाई।

    अनिल:बसु जी के पत्र के बारे में कुछ टिप्पणी करें

    धन्यवाद बसु जी, इतना लंबा पत्र स्वतंत्रता दिवस पर हमें भेजने के लिए। बसु जी बिल्कुल सही कहा, क्या हम वाकई में आज़ाद हैं, यह हमारे सामने यक्ष प्रश्न है।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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