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    आपका पत्र मिला 2015-07-22
    2015-07-23 09:38:02 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें भेजा है ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल ने। उन्होंने लिखा है.......19 जुलाई को रोज़ाना की तरह मैंने आज भी सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण अपने तमाम मित्र-परिजनों के साथ मिलकर अपने निवास पर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर सुना और अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष पेश होने अपने कम्प्यूटर के समक्ष बैठा हूँ। संचार और बिजली ने साथ दिया तो ज़ल्द ही हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" का भी खूब मज़ा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में सपनाजी द्वारा पेश ख़ास रिपोर्ट सुन कर लगा कि अब चीन ने सन 2022 के शीतकालीन ऑलम्पिक अपने यहाँ कराने कमर पूरी तरह कस ली है, कमर क्यों न कसे आखिर उसने सन 2008 में बीजिंग ग्रीष्मकालीन ऑलम्पिक का सफल आयोजन कर प्रशंसा बटोरने के बाद अब 2022 के शीतकालीन ऑलम्पिक में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करने की ठान जो ली है। वैसे तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाये, तो ऑलम्पिक के लिये आवश्यक मूलभूत सुविधाओं के बारे में चीन अलमाटी से कहीं बेहतर स्थिति में है। मेरी राय में अन्तर्राष्ट्रीय ऑलम्पिक समिति अपना निर्णय चीन के पक्ष में ही देगी। स्मार्टफ़ोन एप्प के ज़रिये घर के तमाम काम निपटाने सम्बन्धी तकनीक भी गज़ब की लगी। वहीं ट्रैफ़िक ज़ाम से बचने हेतु एक चीनी युवक द्वारा घुड़सवारी कर कार्यालय जाने-आने की बात भी अपने आप में अनूठी लगी। उत्तराखण्ड के अनूठे पेड़ का किस्सा तो मन में ऐसा कौतूहल जगा गया कि उसे तुरन्त देखने की उत्कण्ठा पैदा हो गई। कृपया सम्भव हो तो पूर्ण विवरण सहित उक्त पेड़ की तस्वीर अपनी वेबसाइट पर डाल दें। पहाड़ों पर चढ़ाई करते-करते दाम्पत्य-सूत्र में बंधने वाले लन्दन के जैकब और बोनविन को हमारी हार्दिक बधाई। बैंक से लेन-देन करते समय होने वाली सामान्य ग़लतियों से सावधान करने हेतु आपका साधुवाद। प्रेरक कहानी हाथी का रस्सी में बंधा होना, वास्तव में प्रेरक लगी। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की सीख काफी महत्वपूर्ण लगी। वास्तव में,संस्कार और शिक्षा से हे मनुष्य का चरित्र निर्माण होता है। हंसगुल्लों के क्रम में आज -'हम कटे पर नमक नहीं छिड़कते' जोक काफी अच्छा लगा। धन्यवाद फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    मीनू:आगे सुरेश अग्रवाल जी ने लिखा है.....

    श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की कड़ी में आज गमनागमन का रूप धरे वानर आख़िरकार, अन्तःपुर पहुँच महारानी स्वर्ण प्रासाद के पास पहुँचने में सफल हो ही गया। फिर उसने सबूत के तौर पर महारानी को वह दोनों कंगन, जो कि कुरकुरिया नरेश द्वारा निशानी के तौर पर वानर को दिये गये थे, महारानी को सौंपते हुये वहां से निकलने की युक्ति उन्हें समझा दी। महारानी ने वानर को उन तीन स्वर्ण घण्टियों का राज़ बतला दिया, जिनके बूते दानवराज भयंकर आग, धूल और धुएँ का गुब्बार खड़ा कर देता था। अब कहानी में आगे क्या होगा, देखना है। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश अग्रवाल जी, हमें रोजाना पत्र भेजने पर आपको बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र हम पढ़ते हैं दिल्ली से MANJUR ALAM जी का। उन्होंने लिखा है.....

    Mai Shankar Prasad Shambhu ke aagrah par pahli baar CRI ka karyakram sunaa aur behad pasand aayaa ! Itne achchhe Radio Station se parichay karaane ke liye unhe bahut bahut dhanyabad ! Unhone mujhe phone call karke raat ko short wave ke 41 metre band par CRI lagaane bolte the kaee din parishram karne ke baad aap ki aawaz pahchaan sakaa !

    मीनू:MANJUR ALAM जी, हमें पत्र भेजने और हमारा कार्यक्रम सराहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे पास है पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    लुशान पर्वत के अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य के बारे में सुनकर मैं चकित हो गया। चीन की सबसे बड़ी नदी यांगत्सी नदी यानी छांगच्यांग नदी के मध्य भाग मेँ स्थित है लुशान पर्वत । खासकर बसंत मेँ पूरा पर्वत जब फूलों से भर जाता है तब उसकी अनुपम छटा सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। लुशान पर्वत के बगल मेँ मीठे पानी वाली बड़ी झील पो यांग झील मौजूद है । इसलिये लुशान पर्वत का मौसम साल भर नमी वाला और सुहावना रहता है और बारिश भी यहां खूब होती है। लुशान पर्वतीय क्षेत्र साल भर बादल और कोहरे से घिरा रहता है । इसलिये यहां पर उपलब्ध चाय को बादल कोहरा नाम दिया गया है । गुणवत्ता के लिहाज से देखें तो बादल कोहरा चाय बहुत अच्छी होती है। 1934 मेँ निर्मित लुशान पर्वत से जुड़ी बहुत दिलचस्प ऐतिहासिक कहानियां भी हैं, आशा है कि किसी अन्य प्रोग्राम में इस पर चर्चा की जाएगी।

    अनिल:आगे विधान चंद्र सान्याल ने लिखा है....

    13 July को सी आर आई हिन्दी वेबपेज पर 'शे जाति का विवाह समारोह' शीर्षक एक दिलचस्प रिपोर्ट पढ़ने को मिली। इससे पता चला कि शे जाति के विवाह समारोह की एक अनोखी विशेषता है । दूल्हा छिंग राजवंश की शैली के रेशमी कपड़े पहनता है और दुल्हन अमरपक्षी मुकुट पहनती है । विवाह से पहले दुल्हन की मां अपनी बेटी के अमरपक्षी बाल बनाती है, जिसमे यह प्रकट होता है कि लड़की महिला बन गयी है । बेटी यह बहाना करती है कि वह अनिच्छा से दुल्हन बन रही है , पर अंत मे वह एक अमरपक्षी बन जाती है । पालकी चढ़ने से पहले लड़की अपनी आंखें बन्द कर चॉपस्टिक से मछली , मांस और चावल तीन चीजे पकड़ती है । फिर वह चावल जमीन पर फेंकती है , यह इस बात का प्रतीक है कि वह विवाह के बाद मेहनत व किफायत से घर का काम संभालेगी । जब पालकी दूल्हे के घर पहुचंती है , तब दुल्हन रिश्तेदारों की मदद से बाहर निकलती है और घर के अंदर जाती है । इसके बाद दूल्हा लाल पट्टी बांधे विवाह के विशेष कपड़े पहनकर होल के अंदर जाता है । दूल्हा -दुल्हन के पहुँचने के बाद विवाह समारोह आरंभ होता है । जिसमें परंपरागत रीति रिवाज के अनुसार मेहमानों को मीठी चाय पिलायी जाती है । भोज के बाद गीत प्रतियोगिता होती है । यहां कहना चाहूंगा कि हर जाति की अपनी अपनी अलग रीति रिवाज होती है लेकिन शेजाति के विवाह समारोह से परिचित कराने के लिए धन्यवाद।

    मीनू:विधान चंद्र सान्याल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपको धन्यवाद देना चाहते हैं। चलिए, आगे पेश है नेपाल से उमेश रेग्मी जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....नमस्कार /

    मै आपका रेडियो प्रोग्राम नियमित रूप से सुन रहा हूं और आपकी वेबसाइट भी देखता हूं। 22 जून के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में रूपा जी ने छंगतु के महा ता छी मंदिर के बारे में जानकारी दी। जो कि बहुत अच्छी लगी। वहीं आपकी वेबसाइट पर दक्षिण पश्चिम चीन के बांस समुद्र का दौरा विषय पर रिपोर्ट पढ़ी, बहुत पसंद आई।

    वेबसाइट में उमेश रेग्मी की चीनी ब्रांड प्रश्नावली का उत्तर और 10 फोटो रखने के लिए सी आर आई हिंदी विभाग को विशेष धन्यवाद। चीनी ब्रांड के बारे में प्रश्नावली प्रतियोगिता की परिणाम आपका पत्र मिला कार्यक्रम में घोषित किया गया। इससे मैं बहुत खुश हुआ।

    अनिल:उमेश रेग्मी जी, हमें पत्र भेजने और हमारी गतिविधि में भाग लेने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, पढ़ते हैं पश्चिम बंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु का पत्र, जिसका शीर्षक है मैं पेईचिंग का मशहूर व्यंजन पेइचिंग डक का स्वाद चखना चाहता हूं । आईए, सुनते हैं, उन्होंने क्या लिखा....

    सादर नमस्कार। हर दिन की तरह 13 जुलाई ,2015 सोमवार को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक आपका रेडियो प्रोग्राम सुना।

    दुनिया भर के ताज़ा अंतर्राष्ट्रीय समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक सुना। आज "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम में मैडम रूपा जी ने चीन के शाही व्यंजन पेकिंग रोस्टेड डक यानी भुनी हुई पेइचिंग बतख के बारे में जिक्र किया । पेइचिंग रॉस्ट डक का नाम सुनकर तो मेरे मुंह में पानी आ गया!

    चीनी व्यंजन विश्व भर में मशहूर हैं। चीन में तमाम प्रसिद्ध व्यंजन हैं ।मेरी राय में पेकिंग डक चीनी फूड का प्रतिनिधित्व कर सकता है। रिपोर्ट से पता चला कि पेइचिंग रॉस्ट डक देश-विदेश में प्रसिद्ध है। आज से कोई सात सौ वर्ष से पहले से ही भुनी हुई पेइचिंग बतख पेइचिंग के खानदानी परिवारों के पसंदीदा व्यंजनों में से एक रही है । विशेष मसालों के साथ वसादार बतख को भट्टी में देर तक भुनने से रॉस्ट डक तैयार होती है। जिससे डक का मांस मुलायम और जायकेदार लगता है और चमड़े कुरकुरे और खुशबूदार होते हैं। खाते समय लोग बतख के मांस को मीठे सोयाबीन सॉस,ककड़ी व हरे चीनी प्याज के साथ पतली पतली रोटी से लपेट कर खाते हैं।

    पेंकिग डक चीन के राष्ट्रीय व्यंजनों में से एक है। ये डिश पेइचिंग के किसी भी रेस्टोरेंट में मिल जाएगी। पेइचिंग शहर में डक परोसने वाले तमाम रेस्टोरेंट हैं। इनमें छ्वान च्यु तह रेस्टोरेंट और प्येन ई फांग रेस्टोरेंट सबसे मशहूर है। सुना है शेफ यानी रसोइये आम तौर पर एक भुनी हुए पेइचिंग बतख को एक सौ आठ टुकड़ों में काट कर ग्राहकों के सामने परोसते है,फिर ग्राहक आटे से बने मीठे जैम के साथ खाने का मज़ा उठाते हैं । कुछ रेस्टोरेंट ने तो बत्तखों के अपने फार्म खोल रखे हैं और इस डिश को स्पेशल बनाने के लिए कुछ खास तरह की बत्तखों का ही इस्तेमाल करते हैं। पेइचिंग की भुनी हुई बतख का स्वाद शब्दों में बयां करना कठिन है । विदेशी मेहमानों समेत सेलिब्रिटीज और नेता सभी छ्वान च्यु तह रेस्टोरेंट में पेइचिंग रॉस्ट डक का स्वाद चखने पहुंचते हैं।

    मेरी चीन यात्रा के दौरान एकदिन चीन के एक होटल में सीआरआई हिंदी विभाग की चंद्रिमाजी और लिलीजी ने "पेइचिंग रोस्ट डक" डिश ऑफर की। मैं जानता था कि पेइचिंग में आकर अगर किसी ने "पेइचिंग रॉस्ट डक" का मजा नहीं लिया तो उनका पेईचिंग आना बेकार है। लेकिन मैं एक हिन्दू हूं । मैं अपने धर्म का अनुयायी हूं और अन्य सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। हिंदू विद्या देवी मां सरस्वती का वाहन हंस होने के कारण मैंने इसका स्वाद नहीं लिया। मेरे सामने बैठकर जब चंद्रिमाजी, लिलीजी,रमेशजी "पेइचिंग रॉस्ट डक" का मजा ले रहे थे और तब मैं पेइचिंग की ठंडी हवा में हॉट पानी पी रहा था । सीआरआई श्रीलंका की एक महिला रिपोर्टर ने हंसते हुए मुझसे कहा - "Mr. Basu,you're missing the real taste of China." मैंने तब उनसे कहा कि भारत तथा बंग्लादेश की खान-पान की संस्कृति धर्म से काफी नियंत्रित है। मुझे अगर फिर चीन आने का मौका मिला तो साथ में जरूर गंगा नदी का पानी आऊंगा और "पेइचिंग रॉस्ट डक" का स्वाद मीठे सोयाबीन सॉस,ककड़ी व हरे चीनी प्याज के साथ लूंगा । मैं दूसरे श्रोता दोस्तों को बोलना चाहूंगा कि अगर आप लोगों को "पेइचिंग रॉस्ट डक" का स्वाद लेने का मौका मिले तो कभी मेरी तरह मिस मत कीजिएगा।

    मीनू:आगे बसु जी लिखते हैं......इस प्रोग्राम की दूसरे भाग में मैडम रूपा जी हमें पेइचिंग शहर के कई पुराने शाही उद्यानों के दौरे पर ले गई है। पेइहाई पार्क सबसे मशहूर है। इस पार्क की विशाल झील में तीन पर्वतों की वास्तु कला बेहद दिलचस्प है। इस पार्क का क्षेत्रफल करीब 70 हैक्टेयर है । चमकदार भवन और प्राचीन मठ बड़े सामंजस्य के साथ पार्क में हैं।सुना है कि 13 वीं शताब्दी में युआन राजवंश के संस्थापक राजा हू पी लेइ को यह रमणीक स्थल पसंद आया,फिर उनके आदेश के अनुसार यहां पर युआन राज्य की राजधानी स्थापित की गयी। पेइहाई पार्क की बड़ी झील के बीचों बीच एक छुनह्वा टापू दिखाई देता है । एक झील में तीन टापुओं ने भी पेइहाई पार्क की अलग पहचान बनाई है।

    पेइहाई पार्क घूमने के बाद हम रूपा जी के साथ पश्चिमी पेइचिंग शहर में स्थित समर पैलेस घूमने गए। समर पेलेस सचमुच ही चीनी रमणीक बागान का नमूना कहा जा सकता है। इसका निर्माण 1750 में हुआ था। इसका क्षेत्रफल करीब तीन सौ हैक्टेयर है। उसमें भवनों और मंडपों के अतिरिक्त बहुत सुंदर मंदिर और साफ-सुथरे प्राकृतिक दृश्य भी देखने को मिलते हैं। समर पैलेस के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र में वान शाओ शान पर्वत और खुन मिंग झील हैं। समर पैलेस पेइचिंग शहर के शाही बागानों में सबसे बढ़िया है जहां दुनिया के तमाम सौंदर्य को एक ही बागान में जोड़ने की कोशिश की गयी है। समर पैलेस का लम्बा गलियारा सबसे ध्यानाकर्षक है। यह गलियारा 725 मीटर लम्बा है और वह विश्व में सबसे लम्बा होने की वजह से गिनीज विश्व रिकार्ड सूची में शामिल भी हो चुका है। समर पैलेस के बाद य्वान मिंग य्वान पार्क के खण्डहर के बारे में विस्तृत जानकारी से मैंने पेइचिंग शहर के शाही पर्यावरण को महसूस किया। एक सुंदर रिपोर्ट पेश करने के लिए के लिए धन्यवाद।

    आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम में पिछले 12 मई को पेइचिंग में आयोजित चीन-भारत गोलमेज बैठक के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव जी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आर बी एन सिंह के बीच बातचीत का दूसरा भाग हमें सुनने को मिला। यह बातचीत बहुत पुरानी लगी। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव जी की बातचीत सुनते हुए मुझे लगा कि वे अपनी पार्टी का ढोलक बजा रहे थे। प्रोग्राम होस्ट को यह ध्यान में रखना चाहिए कि सी आर आई भारत की किसी राजनैतिक पार्टी का रंग मंच नहीं है।

    अनिल:रविशंकर बसु जी, आप बड़े ध्यान से प्रोग्राम सुनते है, इसके लिए आपका शुक्रिया। चलिए आगे आप सुनेंगे बिहार से राम सागर शर्मा जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....

    मैंने अपने दोस्त शौकत, बैजनाथ, सुशीला के साथ 2 जुलाई का आज का लाइफ स्टाइल सुना। कुल सात पत्र पढ़े गए, जिसमें मेरा पत्र भी शामिल किया गया। इसके लिए आपको तहे दिल से धन्यवाद। प्रोग्राम में पेश सभी जानकारी पसंद आई, साथ ही फिल्म का प्रोमो भी अच्छा लगा।

    मीनू:दोस्तो, अंत में आपको सुनायी जा रही है हमारी वेबसाइट पर दी गयी कुछ टिप्पणियां। पहली चुन्नीलाल कैवर्त जी की। उन्होंने ईरानी परमाणु मुद्दे के समग्र समझौते पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया शीर्षक समाचार पर टिप्पणी की है कि परमाणु मुद्दे का समग्र समझौते स्वागत योग्य है l इससे ईरान और पश्चिमी देशों के बीच अविश्वास की दीवार टूट जाएगी। ईरान और मध्य पूर्व क्षेत्र के दूसरे देशों के बीच संबंध नए युग में प्रवेश कर सकेंगे।

    इसके अलावा, उदित शंकर बसु का फोटो भी लोकप्रिय हो रहा है। सुभ्रजीत रॉय ने लिखा है....Thanks to Uditsankar Bosu for your sincere love to CRI Hindi Service.

    अच्छा, दोस्तो, आने वाले समय में हम आपका पत्र मिला कार्यक्रम में वेबसाइट पर की टिप्पणियों में से कुछ अच्छे मैसेज चुनकर कार्यक्रम में शामिल करेंगे। अगर आपके पास हमें पत्र या ई-मेल भेजने का समय नहीं है, तो हमारी वेबसाइट पर छोटा मैसेज भी लिख सकते हैं। एक बार फिर हमें मैसेज लिखने और अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता रवीन्द्र कात्यायन के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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