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    आपका पत्र मिला 2015-07-08
    2015-07-09 08:59:48 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम शामिल करने जा रहे हैं, ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    3 जुलाई को प्रतिदिन शाम साढ़े छह बजे शॉर्टवेव पर अपने तमाम मित्र-परिजनों के साथ मिलकर सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुनना मेरे लिये नित्य की संध्या-आरती जैसा बन गया है और जब तक इसे सुन आप तक रोज़ अपनी बात नहीं भेज देता, मन को चैन नहीं मिलता। इसी क्रम में हमने आज भी ताज़ा प्रसारण शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर सुना और अब मैं उस पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। बहरहाल, आज के ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों में यह जान कर चिन्ता हुई कि चीन के शिनच्यांग बेवूर प्रदेश में आये भूकम्प से छह लोगों की जानें गयीं हैं और अनेक घायल हुये हैं। हमारी तमाम समवेदनाएं पीड़ित लोगों के साथ हैं।

    साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत दक्षिण-पश्चिमी चीन के सछवान प्रान्त स्थित छयोनि ज़िले की लुतिंग काउन्टी में लाल चेरी के उत्पादन से वहां के किसान लेइ येन छा के जीवन में आयी समृध्दि की दास्ताँ सुन कर उस क्षेत्र की खुशहाली का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। जहाँ पहले यातायात असुविधापूर्ण होने के कारण उस क्षेत्र में पहुँच मुश्किल थी, वहीं सरकारी प्रयासों के फलस्वरूप अब वहां जीवन आसान हो गया है। यह जान कर अच्छा लगा कि सन 2011 से वहां प्रतिवर्ष "लाल चेरी" उत्सव भी आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी तादाद में पर्यटक भी वहां पहुँचते हैं और चेरी के साथ-साथ पर्यटन भी वहां आय का एक साधन बन गया है। स्थानीय सरकार फार्महाउस खोलने लोगों को आवश्यक आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराती है और अब तक कोई दो सौ हेक्टेयर क्षेत्र में लाखों टन चेरी हर साल वहां उत्पादित हो रही है। कार्यक्रम में छयोनि ज़िले के प्रधान लो चेन के विचार भी काफी महत्वपूर्ण प्रतीत हुये। कार्यक्रम के अन्त में तिब्बती गायिका के स्वर में "उस दिन" शीर्षक गीत भी कानों में मिस्री सी घोल गया। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत आज प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी डिज़िटल इण्डिया परियोजना पर लाइव इण्डिया के वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी के विचार परियोजना को समझने में काफी मददगार लगे। कोई साढ़े चार करोड़ लाख के निवेश और अठारह लाख लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराती परियोजना प्रशंसनीय है, परन्तु उस पर चतुर्वेदीजी का यह कहना बिलकुल दुरुस्त लगा कि उद्योग जगत और नौकरशाही को नियंत्रित करने के उपाय करना भी बहुत ज़रूरी है। वास्तव में, दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति के बिना सब कुछ बेमानी होगा। धन्यवाद इस विचारोत्तेजक विश्लेषण के लिये।

    मीनू:आगे सुरेश जी लिखते हैं....श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की आज की कड़ी में चलते-चलते सानचांग आदि चारों गुरु-शिष्य पेड़ों के झुरमुट के बीच बने एक मकान के पास पहुंचे और वहां के वृध्द से वहां रात्रि-विश्राम हेतु आग्रह किया। बातचीत में वृध्द व्यक्ति ने सानचांग को बतलाया कि इस क्षेत्र को लघु पश्चिमी स्वर्ग कहा जाता है और इसे पार पर पश्चिमी स्वर्ग जाना अत्यन्त कठिन है। इस पर वानर वृध्द पर गुस्से में आ जाता है, पर बाद में वृद्ध उन्हें अपने यहाँ ठहरने की अनुमति और भोजन उपलब्ध कराता है। वानर के पूछने पर अपना कुलनाम ली बतलाने वाले वृध्द ने वहां उत्पात मचाने वाले एक दैत्य से निज़ात दिलाने का आग्रह किया है। अब आगे कहानी में क्या होता है, देखना है। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं। चलिए हम आगे बढ़ते हैं। आपको सुनाते हैं बिहार से शंकर प्रसाद शंभू का पत्र। उन्होंने लिखा है.....

    25 June 2015 ko Mere saath mere club ke sadasya Amit Kumat, Manoj Sahu, Ranju Mukhiya, Deepak aur Ravindra ke saath-saath meri beti Archana Alok, Alpana Alok, Kalpana, Arpana aur chhota beta Ajit Kumar Alok bhi dhyanpurbak aaj ka programme sune !

    Kul 7 patr0n ko short cut me padha gaya jisme mere club ke 3 patra padhi gayee iske liye dhanyabaad ! 21 June ko manaye gaye pahla Antarrashtriya Yoga Divas sambandhi vishesh karyakram prasaaran ki gayi jisme 21 June hi iss divas ke liye kyon chuni gayee ? Bhartiya raajdoot Ashok Kumar Kanth aur bhartiya pradhanmanti Narendra Modi ke aawaz me yoga ka vishleshan behad pasand aaya ! Is divas ke liye 193 me se 175 deshon ne samarthan diye aur 90 dino ke andar united nation dwara paas ho gaya bhartiyon ke liye bahut bari uplabdhi hai ! Vishwa ke liye Narendra Modi ka sandesh unhi ki aawaz me behad pasand aaya !

    Swami Vivekanand ne shikago me 1893 me duniya ko yoga ke sambandh me bataaye aur pichhle 50 varshon me yoga ek antarrashtriya pahchaan ban gayee aur laakhon logon ke liye jana pahchana shabd ban gaya !

    Ye karyakram gyaanbardhak thee, kul milaakar sabhi ne programme ki prasanshaa kiye ! 26 June ko release hone wali film Miss Tanakpur Haajir Ho ka promo sabhi ne pasand kiyaa !

    मीनू:शंकर प्रसाद शंभू जी। हमें पत्र भेजने और अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आगे हम आपको सुनाएंगे दो बहुत शॉर्ट मेसेज (Message), जिन्हें हमें भेजा है दो नये नये श्रोताओं ने। आइए, सुनते हैं....

    कहते हैं मेरा नाम,मुकेश चौहान है, मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हूं। आपका टी टाईम कार्यक्रम अच्छा लगता है, मै रौज cri सुनता हु आप अच्छी खबरें देते हैं। मुझे आपके प्रोग्राम में पेश होने वाले जोक पसंद आते हैं। यह मेरा पहला ई-मेल है, अगर कोई गलती हो तो माफ करना।

    मुकेश जी। सबसे पहले आपका ई-मेल मिलने पर हमें बहुत खुशी हुई हालांकि वह बहुत छोटा मैसेज है। क्योंकि यह आपका पहला पत्र है। आप जैसे नये नये श्रोताओं पर हम बहुत ध्यान देते हैं।आगे भी हमारे कार्यक्रम के बारे में अपने सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो, हमें भेजिएगा। आशा है कि भविष्य में आप लगातार हमारा रेडियो कार्यक्रम सुनेंगे। एक बार फिर धन्यवाद।

    दूसरा मैसेज है मोहम्मद असलम जी का। लेकिन उन्होंने अपना पता नहीं बताया है, फिर भी हम शामिल कर रहे हैं। उन्होंने लिखा है....आजकल प्रोग्राम पसंद आ रहा है और बहुत स्पष्ट सुनाई देता है। प्रतियोगिता आयोजित करवाने के लिए भी धन्यवाद।

    असलम जी, हमसे ई-मेल के जरिए संपर्क करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अगर आप और ज्यादा कुछ कहना चाहते हैं तो आगे भी लगातार हमें पत्र भेजते रहिए। एक बार फिर आपका शुक्रिया।

    अनिल:चलिए, अगला पत्र मेरे पास है बिहार से राम कुमार नीरज जी का। उन्होंने लिखा है आदरणीय प्रसारक महोदय, नमस्कार

    गत 21 जून 2015 को आरा स्थित अरुणोदय आर्ट ग्रुप द्वारा एक सांस्कृतिक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमे कुछ मित्रों ने अपने संगीत के माध्यम से भारत चीन संबंधों के सकारात्मक पहलुओं को रेखांकित किया तो दूसरी तरफ सेतु सम्बन्ध पत्रिका का एक अवलोकन का भी कार्यक्रम भी संपन्न किया गया.

    इस के अलावा नीरज जी लिखते हैं......बड़े लोगों के साथ साथ छोटे उम्र के बच्चों में सेतु सम्बन्ध को लेकर गहरी दिलचस्पी है।प्रस्तुत तस्वीर में मेरा 3 वर्षीय पुत्र मंत्रम गुप्ता सेतु सम्बन्ध के हर अंक को बड़ी ही रूचि के साथ देखता और पढ़ता है। उम्मीद है इन संबंधों का सिलसिला आगे भी चलता रहेगा.धन्यवाद

    राम कुमार नीरज जी, आपका पत्र और फोटो हमें मिला है। और फोटो भेजने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। आपका पुत्र हमने देखा है और वह बहुत प्यारा लगता है। हमने उन फोटो अपनी वेबसाइट पर डाला है। और साथ ही हम आशा करते हैं कि भविष्य में हमारे श्रोताओं की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो जाएगी।

    मीनू:आगे लीजिए पेश है, पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है......

    लिखते हैं, दिनांक 28 जून सण्डे की मस्ती कार्यक्रम के तहत महाभारत सीरियल पर खास रिपोर्ट बहुत अच्छी लगी। श्रीकान्त के पाइलट बनने की कहानी काफी उत्साहप्रद और प्रेरणादायक लगी। सुन्दर कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए सण्डे की मस्ती टीम को बहुत बहुत धन्यबाद।

    दिनांक तीन जुलाई को दक्षिण एशिया फोकस के तहत डिजिटल भारत शीर्षक बिषय पर पंकज श्रीबास्तब जी के साथ बरिष्ठ पत्रकार उमेश जी की बातचीत बहुत रोचक , सूचनाप्रद लगी। सुंदर प्रस्तुति के लिए पंकज जी को बहुत बहुत धन्यबाद।

    अनिल:बिधान चंद्र सान्याल जी, हमें पत्र भेजने और हमारे कार्यक्रम की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अंत में पेश है हमारे मोनिटर रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है।

    29 जून, सोमवार को पंकज जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा अंतर्राष्ट्रीय समाचार सुनने के बाद "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक सुना । आज "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम में मैडम रूपा जी द्वारा पेश चीन की राजधानी पेइचिंग की खूबसूरत गलियों के बारे में खास चर्चा शानदार लगी। रिपोर्ट से पता चला कि छोटी-बड़ी असंख्य गलियां जाल की तरह समूचे पेइचिंग को घेरे हुए हैं, जो पेइचिंग शहर की विशेषता बताती हैं। पेइचिंग की प्राचीन संस्कृति का मनोरम अहसास करवाती हैं। ये गलियां पेइचिंग की ऐतिहासिक व वर्तमान स्थिति की प्रत्यक्ष जानकारी दिलाती हैं। पेइचिंग शहर की गलियां मुझे आम चीनियों के वास्तविक जीवन को नजदीक से देखने के लिए आकर्षित करती हैं।

    प्रोग्राम में सुना कि पेइचिंग शहर की सबसे पुरानी गली 13 वीं शताब्दी में य्वान राजवंश में बनी थी । शुरुआत में पेइचिंग की गलियां कुओं को केंद्र बनाकर बनाई गयी थी । बाद में चीन के य्वान, मिंग व छिंग राजवंशों में बड़ी संख्या में इस प्रकार की गलियों का एक के बाद एक तेजी से विकास हुआ। पेइचिंग में अधिकतर गलियां लगभग नौ मीटर चौड़ी हैं और अतीत में उसके दोनों ओर चार दिवारी वाले घर थे । आज आपके प्रोग्राम सुनने के बाद मुझे मालूम हुआ कि गली देखे बिना पेइचिंग को जाना नहीं जा सकता है , गली में प्रवेश किये बिना पेइचिंग आना कोई मायने नहीं रखता। पर्यटक इन गलियों में घूमते हुए पेइचिंग की ऐतिहासिक व वर्तमान स्थिति की प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और आम चीनियों का वास्तविक जीवन भी नजदीक से देख सकते हैं । पेइचिंग की हर गली की अलग अलग पहचान है और ये गलियां पेइचिंग वासियों की जान भी हैं । मुझे लगता है कि जो मजा पेइचिंग की गलियों में है, वह मजा दुनिया के किसी कोने में नहीं है।"तेरी गलियां…गलियां तेरी, गलियां मुझको भावें गलियां, तेरी गलियां..."

    आज का प्रोग्राम सुनकर मुझे कलकत्ता की गलियों के बारे में याद आया। हम कलकत्ता,बम्बई, दिल्ली,बनारस की गलियों से वाकिफ हैं। हमारे यहां कलकत्ता की अधिकांश गलियां ऐसी हैं जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती। कुछ गलियां ऐसी हैं जिनमें से दो आदमी एक साथ गुजर नहीं सकते। इन गलियों की बनावट देखकर कई विदेशी इंजीनियरों की बुद्धि गोल हो जाएगी। यहां पर मुझे हमारे विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर के एक उपन्यास "गोरा" की कुछ लाइनें याद आई :

    "वर्षाराज श्रावण मास की सुबह है,बादल बरसकर छँट चुके थे,निखरी चटक धूप से कलकत्ता का आकाश चमक उठा है। सड़कों पर घोड़े-गाड़ियाँ लगातार दौड़ रही हैं,फेरी वाले रुक-रुककर पुकार रहे हैं। जिन्हें दफ़्तर, कॉलेज और अदालत जाना है उनके लिए घर-घर मछली-भात-रोटी तैयार की जा रही है। रसोई घरों से अंगीठी जलने का धुआँ उठ रहा है। किंतु तब भी इस इतने बड़े,पाषाण-हृदय, कामकाजी शहर कलकत्ता की सैकडों सड़कों-गलियों के भीतर स्वर्ण-रश्मियाँ आज मानो एक अपूर्व यौवन का प्रवाह लिए मचल रही है।"

    इस प्रोग्राम के दूसरी हिस्से में मैडम रूपा जी ने चीन की महान लंबी दीवार के बारे में एक विस्तृत जानकारी दी। इसे सुनकर वाक़ई मेरी पुरानी याद ताज़ा हो गई। यह मेरे लिए बहुत ही गर्व और ख़ुशी की बात है कि मैंने भी एक दिन इस लंबी दीवार पर कदम रखा जो मैं जिंदगी भर याद रखूँगा ।

    मीनू:आगे रविशंकर बसु ने लिखा है......

    चीन की महान दीवार का दौरा करना मुझे सुखद अनुभव का एहसास कराता है । बचपन में मैं जब प्राइमरी स्कूल का छात्र था तब से लंबी दीवार को देखने के लिए तरस रहा था । चीन की यात्रा के दौरान, जो यात्री इस महान दीवार पर नहीं चढ़ा, उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है। अंतरिक्ष से पृथ्वी की तरफ देखने पर जल के अलावा सिर्फ चीन की विशाल दीवार ही साफ दिखाई देती है। मैंने हिंदी विभाग के कर्मचारी रमेश जी के साथ विश्वविख्यात पा ता लिंग लम्बी दीवार का दौरा किया एवं पृथ्वी पर मानव द्वारा बनाये गए इस महान निर्माण को देखकर बड़ा आश्चर्य हो गया था । चीन की यह लंबी दीवार जितनी बड़ी है, उतनी ही पुरानी इसकी कहानी भी है। इस दीवार का मूल नाम है "वान ली छांग छंग" जिसका शाब्दिक अर्थ है-चीन की महान दीवार । विश्व प्रसिद्ध इस चीनी लम्बी दीवार का निर्माण चीन के प्रथम सामंत सम्राट छीन शी हुआंग के शासन काल में किया गया था और मिंग राजवंश के काल में इसका पुनर्निर्माण किया गया, जिसकी लंबाई लगभग 6700 किलोमीटर है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार छिन राजवंश से मिंग राजवंश तक कुल 20 से ज्यादा राजवंशों ने इसका निर्माण किया है। लंबी दीवार की ऊंचाई व चौड़ाई भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न है। दीवार के ऊपर आम तौर पर चार घोड़े एक साथ चल सकते थे, इसलिये इसकी चौड़ाई लगभग चार या पांच मीटर है। ताकि युद्ध के समय अनाज व हथियार आदि सामान भेजा जा सके। दीवार के दोनों किनारों पर लोहे की रेलिंग लगी है और उसका सहारा लेकर मैं महान दीवार की सबसे ऊंचाई वाली जगह पर भी चढ़ा। महान दीवार से आप अपनी नज़र जहां भी दौड़ाएंगे आपको हर जगह हरे भरे पहाड़ दिखाई देंगे। साथ ही आपको दूर तक महान दीवार भी दिखाई देगी। मेरे लिए यह बड़ी ख़ुशी की बात है, मैं चीन की लम्बी दीवार पर चढ़ सका और वहां जाकर मुझे सुखद सा अनुभव हुआ। लम्बी दीवार के ऊपर सीडियां में मैंने काफी "Lovers' Lock" देखे। चीन के प्रेमी -प्रेमिका विश्वास करते हैं कि दीवार के ऊपर "Lovers' Lock" बांधने से उनका प्रेम ओर भी गहरा और दीर्घायु होता है। मेरे लिए यह बड़ी ख़ुशी की बात है, इतिहास की पन्ने पर पढ़ी हुई चीन की महान दीवार के टॉप पर चढ़ सका। यह अनुभव मैं कभी भूल नहीं सकता । मैं हर वक्त,हर पल चलते फिरते सिर्फ़ यह ही सोचता हूं कि कब मैं फिर चीन जाऊंगा।

    अनिल:अंत में बसु ने लिखा है.....

    आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम में पेइचिंग में चीन के योग संगठन "योगी योग" द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पहला चीन योग शिखर सम्मेलन को लेकर एक खास इंटरव्यू हमें सुनाया । अखिल पाराशर जी द्वारा लिए गए चीनी योगी योग सेंटर के योगी मोहन के साथ विशेष साक्षात्कार किया। इस साक्षात्कार सुनकर मुझे पता चला कि चीन की युवा पीढ़ी में आज के समय में भारतीय योग तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।सुना है कि चीन के योगी योग संस्थान में लगभग 7000 चीनी लोगों को भारतीय योग सिखाया जाता है। मुझे आशा है कि भारत का योग आने वाले दिनों में चीन-भारत - दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को मज़बूत करने के लिए अहम योगदान देगा ।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता आलोक चंद्रा के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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