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    आपका पत्र मिला 2015-06-24
    2015-06-29 10:41:11 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र लीजिए पेश है, राजस्थान से राजेश कुमार मेहारा जी का। वे लिखते हैं मैं साल 2001 से रेडियो से जुड़ा हुआ हूं। इधर आपका पत्र मिला कार्यक्रम कई दिनों से सुन रहा हूं। पिछले दिनों श्रोताओं से बातचीत मैंने ऑनलाइन सुनी। इस पर मेरी भी ख्वाहिश थी कि मेरा भी नंबर आए और मेरी भी बातचीत सीआरआई से प्रसारित हो। पिछली बार जब अनिल पांडे जी से बातचीत हुई तो मन की इच्छा पूरी हो गई। 17 जून को कार्यक्रम का प्रसारण हुआ, जैसे ही मैने अपनी आवाज सुनी, खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने चायना रेडियो को तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहता हूं।

    मीनू:राजेश जी, आप से बातचीत हुई अच्छा लगा। कार्यक्रम सुनने और अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए आपका शुक्रिया। चलिए, अगला पत्र हमें भेजा है उत्तर प्रदेश से सादिक आज़मी जी ने। उन्होंने लिखा है....नमस्कार, दिनांक 7जून को कार्यक्रम आपका पत्र.मिला सुनने का अवसर मिला। श्रोता मित्रो की प्रतिक्रिया एवं बुझावों के साथ भाई रवि शंकर बसु जी और उनके 12वर्षीय उदित शंकर जी के हास्य ऑडियो का भी आनंद लिया। वाकई उनकी यह अभिनय प्रस्तुति मन मोह गई एक मंझे हुए कलाकार की भॉति उनका अभिनय लाजवाब रहा मैं आपके माध्यम से उनको बधाई पेश करता हूं। उम्मीद कि आने वाले समय मे उनके अभिनय की और अधिक झलक देखने को मिलती रहेगी, धन्यवाद

    अनिल:(सादिक आज़मी को धन्यवाद), अगला पत्र मेरे पास है, ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है.....दिनांक 15 जून को सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नियमानुसार प्रतिदिन की तरह आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर हम सभी मित्र-परिजनों ने एकसाथ मिलकर उत्साहपूर्वक सुना और कार्यक्रम का पूरा लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" भी हमने ध्यानपूर्वक सुना। प्यारे पाण्डा की जन्मभूमि सछवान प्रान्त के पृथ्वी का स्वर्ग कहे जाने वाले पर्यटन स्थल जोजायको पर दी गई जानकारी अत्यन्त मनोरम लगी, परन्तु उच्चारण सम्बन्धी कठिनाई के चलते अनेक शब्द समझ से बाहर रहे। आपसे गुज़ारिश है कि ऐसी ख़ास जानकारियां देते समय किसी भारतीय सहयोगी के स्वर का इस्तेमाल भी कर लिया कीजिये। इस नौ गाँवों वाली घाटी में पानी तो मानों इसकी आत्मा है, इसलिये इतनी ऊँचाई पर स्थित होने के बावजूद पारदर्शी और रंग बदलते पानी वाले तालाबों की श्रृंखला का वहां होना, कुदरत का करिश्मा ही कहा जायेगा। कार्यक्रम में जोजायको से महज़ 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐसे ही एक अन्य पर्यटन स्थल की जानकारी भी प्रदान के गई, परन्तु उच्चारण समझ में न आने के कारण उसका नाम नोट न कर पाने का मुझे खेद है। समुद्रतल से कोई चार हज़ार मीटर की ऊँचाई पर स्थित हज़ारो तालाबों की मनमोहक श्रृंखला और उनमें से विशेषकर, पांच रंगीन तालाबों के बारे में जान कर वहां पहुँचने को मन उतावला हो गया। कार्यक्रम के अगले भाग में चीन में चीनीमिट्टी के बर्तनों के लिये मशहूर स्यांसी प्रान्त के शहर चिन्तोजन (नाम जैसा समझ में आया) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ करायी गई वहां की सैर भी काफी मनभावन लगी। विशेषकर, सन 1436 -49 में मिंग राजवंशकाल में बने भीमकाय ड्रेगन पात्र के बारे में जाना, तो तुरन्त मन में उसे देखने कौतूहल जगा। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत प्रधानमन्त्री मोदी की चीन यात्रा से कुछ दिन पूर्व पेइचिंग में आयोजित गोलमेज़ बैठक में पधारे ई-वैल्यू नामक भारतीय कम्पनी के जिन महानुभाव से बातचीत की गई, वह अच्छी थी, परन्तु अब उसमें कुछ बासीपन महसूस होने लगा था। आशा है कि आगे इस बात पर ग़ौर फ़रमाएंगे। धन्यवाद।

    श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की कड़ी में आज आख़िर, तथागत के आदेश पर तमाम पुण्यात्माओं की मदद से वृषभ दानवराज का खेल ख़त्म हो गया और महामनीषी ने कदली व्यजन पंखा हाथ आते ही उसे झल कर अग्निपर्वतों की अग्नि शान्त कर सान चांग की पश्चिम की आगे की यात्रा का मार्ग प्रशस्त कर दिया। धन्यवाद।

    मीनू:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए हम आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं। चलिए, आगे बढ़ते हैं बिहार से डॉ हेमंत कुमार जी का पत्र शामिल करते हैं। वे कहते हैं कि रेडियो प्रोग्राम के साथ-साथ आपकी वेबसाइट, ट्विटर, यूट्यूब एवं फेसबुक पेज भी अच्छे लगते हैँ। 17 जून को शाम की तीसरी सभा में कार्यक्रम-'आपका पत्र मिला' में राजस्थान के श्रोता- राजेश कुमार मेहरा का अनिल जी द्वारा लिए गए साक्षात्कार का प्रसारण पसंद आया। बेहतर प्रस्तुति के लिए सीआरआई हिंदी परिवार को हार्दिक धन्यवाद!!

    अनिल: हेमंत जी, हमारे प्रोग्राम की सराहना करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। चलिए, अब वक्त हो गया है, अगले पत्र का। जो हमें भेजा है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी ने। उन्होंने लिखा है.....सादर नमस्कार।

    चीन को नज़दीक से देखने के लिए सीआरआई - हिंदी रेडियो प्रसारण सुनना और उसकी वेबसाइट पढ़ना मेरा शौक है। आपकी वेबसाइट पर अखिल पाराशर जी द्वारा सम्पादित "विदेशियों की नजर में शानशी" नामक गतिविधि का आयोजन शीर्षक एक विशेष प्रतिवेदन मैंने बहुत मनोयोग से पढ़ा। साथ ही इस लेख के साथ फोटो भी देखे।

    गत् 25 से 29 मई तक अखिल जी ने शानशी प्रांत की यात्रा के बारे में बताया। मैंने भी इसके जरिए मजा लिया। आपकी वेबसाइट ने मुझे पश्चिमी चीन के शानशी प्रांत में स्थित चिन-स मंदिर,प्राचीन नगर फिंगयाओ, चिनछंग नगर, थाईहांग पर्वत, वांगमांग पर्वत, छिजी पर्वत और शियाकोउ पर्वत आदि के बारे में जानकारी दी है। रिपोर्ट में बताया गया कि चिन-स मंदिर को 400 ईस्वी में च्रोउ राजवंश के राजकुमार सू यू की याद में बनवाया गया।चीन का सबसे पहला बैंक फिंगयाओ प्राचीन नगर में स्थापित हुआ था।

    अगर साफतौर पर कहा जाए तो पश्चिमी चीन का शानशी प्रांत चीनी सभ्यता की उत्पतियों में से एक है और चीनी इतिहास में शानशी प्रांत का महत्वपूर्ण स्थान है। इस प्रांत के चिनछंग नगर में छिंग राजवंश (1644-1911) के प्रधानमंत्री छन यानचिंग का शाही महल है। यह शाही महल बहुत ही शानदार और अद्भुत है। यह शाही महल पेइचिंग के अंदर शाही निषिद्ध नगर का छोटा रूप कहा जाता है।मैं जानता हूं कि चीन के वर्तमान राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग का जन्म जून 1953 में शानशी प्रांत के फ़ू फिंग जिले में हुआ था। यह ऐसी जगह है जिसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है ।

    मेरे विचार में शानशी प्रांत की अलग अलग जगहों की अपनी विशेषता है । जिसमें झूलता मंदिर,पर्वत,आंगन,उद्यान,झरने,तालाब,साफ पानी,युनकांग की गुफ़ाएं ,काष्ठ-पगोडा विशेषताओं से भरपूर है। मुझे विश्वास है कि पर्यटक एक बार इस जगह का दौरा करने के बाद यहां की सुंदरता में खो जाएंगे। अंत में मैं आशा करता हूं कि मुझे भी एक दिन इस जगह का दौरा करने का अवसर दिया जाएगा।

    मीनू:रविशंकर बसु जी। हमें बहुत खुशी हुई कि आपने "विदेशियों की नजर में शानशी" नामक गतिविधि पर ध्यान दिया और अच्छा लगा। दोस्तों, आगे आप सुनेंगे उत्तर प्रदेश से राजेश कुमार मिश्र का पत्र। वे लिखते हैं, सीआरआई को सफल प्रसारण के लिए धन्यवाद। मुझे टी-टाइम, आपका पत्र मिला, पश्चिम की तीर्थ यात्रा और गीत संगीत के कार्यक्रम बहुत अच्छे लगते हैं। 16 जून को अनिल जी और ललिता जी द्वारा पेश टी-टाइम प्रोग्राम बहुत ही ज्ञानवर्धक लगा। शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई। दस जून को आपका पत्र मिला कार्यक्रम में मेरा इंटरव्यू प्रसारित करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

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    अनिल:(अब सुनिए पहले चीन-भारत अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के बारे में एक विशेष रिपोर्ट श्याओ थांग की आवाज में)

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    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता दीपक a कुमार के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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