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    आपका पत्र मिला 2015-06-03
    2015-06-10 16:15:19 cri

    अखिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अखिल का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अखिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अखिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम पढ़ते हैं पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    आदरनीय महोदय , सी आर आई हिन्दी सेवा। महोदय , भूकंप के बार बार झटके से लोगों मेँ काफी दशहत है। भूकंप आने पर किस प्रकार से सुरक्षित रहे, इस बिषय को लेकर लोगों मेँ जागरूकता लानी जरूरी है। कई लोग भूकंप के झटके आने पर घबराकर खुद को जोखिम मेँ डाल लेते हैँ। भूकंप से बचाव को लेकर ऑल इंडिया सी आर आई लिसनार्स एसोसियेशन ने 15 मई को बालुरघाट बिद्यासागर बिद्यापीठ मेँ एक जागरूकता शिबिर का आयोजन किया। हाल ही मेँ नेपाल मेँ आये बिनाशकारी भूकंप से काफी तबाही हुई है। नेपाल मेँ गत 25 अप्रैल को आये भूकंप के बाद कई बार भूकंप के हल्के झटके बालुरघाट क्षेत्र मेँ महसूस किये गये। लोग भूकंप से अपना बचाव नहीं कर पाते हैं। इस जागरूकता शिबिर मेँ भूकंप आने पर कैसे सुरक्षित रहे, इस बिषय की जानकारी दी गयी। हमारा मानना है कि इस तरह के जागरूकता शिबिर सभी क्षेत्रों मेँ किया जाना जरूरी है, ताकि लोग भूकंप से होने वाले नुकसान से सुरक्षित रहे। इस बिषय पर जानकारी प्राप्त करना जरूरी है।

    मीनू:आगे सान्याल जी लिखते हैं.....दिनांक 21 मई को आजका लाइफ स्टाइल कारिक्रम के तहत भारतीय प्रधान मंत्री नहेन्द्र मोदीजी के चीन सफर खासकर शांघाई सफर पर सीआरआई संवाददाता अखिल पराशार जी की बिशेष रिपोर्ट बहुति अच्छी लगी। इस रिपोर्ट से बहुति जानकारी हासिल हुयी। सी आर आई हिन्दी वेबपेज पर " प्राचीन चीनी बास्तुशिल्प का महत्वपूर्ण हिस्सा : मेहराब " शीर्षक आर्टिकल पढ़ा है और यह आर्टिकल बहुत अच्छा लगा। आर्टिकल से पता चला कि मेहराब प्राचीन चीनी बास्तुशिल्प का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ईट व पत्थरों की इमारतों मेँ इसका प्रचलन आम था। चीन मेँ मेहराब का प्रयोग हान राजवंश मेँ प्रचलित हुआ। मेहराब पर इतनी सुंदर विस्तृत जानकारी देने के लिए सी आर आई हिन्दी सेवा को बहुत बहुत धन्यबाद ।

    अखिल:अंत में सान्याल जी ने लिखा है....प्राचीन पीली नदी और उनके तटीय क्षेत्र ह्वा य्वान खो को के बारे मेँ बिस्तृत जानकारी से हमे बहुत अच्छी लगी। खासकर पीली नदी के बारे मेँ इतनी जानकारी मुझे पहले मालुम नहीँ थी। रिपोर्ट से पता चला कि प्राचीन काल से ही पीली नदी को मां समान समझा जाता है। पर पीली नदी के मध्यम भाग मेँ बसी होनान प्रांतीय जनता पीली नदी के प्रति विशेष बूरा भाब रखती है, उनके मन मेँ पीली नदी माता नदी होने पर भी जान लेने वाली नदी भी है। पीली नदी के तटपर स्थित ह्वा य्वान खो नामक गांव न जाने कितनी वार इस नदी की बाढ़ का शिकार बना है, पर हर बार बाढ़ आने के बाद इस गांव का पुननिर्माण होकर नया रूप लेता है। पीली नदी के दक्षिण किनारे का एक घाट बन गया, जो ह्वा य्वान खो नाम से परिचित हुया था। ह्वा य्वान खो के चारॉ तरफ हरियाली छायी रहती है और रंगबिरंगे फुल खिले हुए दिखाई देते है जिन मेँ जनरल बांध यानी च्यांग च्युन का प्राकृतिक दृश्य उल्लेखनीय है। इतना सुंदर प्राकृतिक दृश्य और उनकी संस्कृति के बारे मेँ जानते हुए उसको अपनी आंखों से देखने का मन करता है। कभी मौका मिला तो जरूर देखने की कौशिश करूंगा। धन्यबाद ।

    मीनू:सान्याल जी, हमें पत्र भेजने और अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचाने के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद। आगला पत्र मेरे हाथ आया है बिहार से ज़ीशान नाईयर जी का। उन्होंने लिखा है....मुझे china.com की हिन्दी वेबसाइट बहुत अच्छी लगी। उसमें सभी के लिए कुछ न कुछ और दुनिया भर के समाचार मौजूद हैं और मुझे उससे बहुत फायदा होता है और आपकी यह वेबसाइट शुरू करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

    अखिल:ज़ीशान नाईयर जी, हमें बहुत खुशी है कि आपको चाइना डॉट कॉम वेबसाइट अच्छी लगी। हम उसे और बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे। आप को बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, आगे हम आप को सुनाते हैं छत्तीसगढ़ से हमारे पुराने दोस्त चुन्नीलाल कैवर्त जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....प्रिय अखिल पाराशर जी, सप्रेम नमस्तेl आशा है,आप सब सकुशल होंगेl 'सेतु संबंध' त्रैमासिक पत्रिका का मई-जुलाई,2015 अंक मिलाl इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद l पत्रिका का कलेवर एवं साज सज्जा बहुत आकर्षक हैl मुख्य पृष्ठ में प्रधानमंत्री मोदी जी और चीनी राष्ट्रपति श्री शी चिनफिंग जी की युगल तस्वीर पहली ही नज़र में पाठकों को अपनी ओर खिंच लेती हैl इस नये अंक में राजनीति,खेलकूद,चीन भारत संबंध,पर्यटन से जुड़े सभी लेख बहुत सुन्दर,रोचक और सूचनाप्रद हैंl अखिल पाराशर जी का आलेख 'चीन में चाय की संस्कृति' विस्तृत और ज्ञानवर्धक लगाl चीन में चाय के इतिहास के साथ इससे जुड़ी संस्कृति की जानकारी तथ्यात्मक और दिलचस्प हैl इसी प्रकार पंकज श्रीवास्तव जी का लेख 'भारत में विदेशी भाषा सीखने का क्रेज' भी शिक्षाप्रद और खासकर हमारे युवा विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक और मार्गदर्शक की तरह लगाl वास्तव में अब भारतीय युवा चीनी भाषा के महत्व को समझने लगे हैं और इस ओर पहले से कहीं अधिक रुझान बढ़ा हैl भारत में अब बहुत-से विश्वविद्यालयों ने चीनी भाषा का पाठ्यक्रम आरम्भ कर दिया है lविदेशी भाषा सीखने के इच्छुक विद्यार्थियों को चीनी भाषा सीखने में काफी फायदे हैं l मेरे ख़याल से चीन और भारत दोनों देशों में हिन्दी और चीनी भाषा शिक्षण की व्यापक व्यवस्था होनी चाहिये l इससे दोनों देशों को फायदा होगा और हमारे युवाओं में परस्पर आपसी समझ और दोस्ती का खूब विकास होगाl

    मीनू:आगे चुन्नीलाल कैवर्त जी ने लिखा है.....'शी के बाद अब मोदी की बारी' आलेख में श्री अनिल आज़ाद पांडे जी ने हाल ही में मोदी की चीन यात्रा का सटीक विश्लेषण किया हैl चीन और भारत के सामने सहयोग और समझौतों की असीम संभावनायें हैंl दोनों देशों को एक दूसरे का भरोसा करते हुए रिश्तों को आगे बढ़ाना होगाl'हुवावेई ने भारत में जमाए कदम' लेख से मालूम हुआ कि चीन की मोबाइल कंपनी 'हुवावेई' ने चीन के बाद अब भारत के बंगलौर में अपना बड़ा शोध केंद्र खोल दिया हैl साथ ही भारतीय युवाओं में भी हुवावेई मोबाइल का क्रेज बढ़ता जा रहा हैl पत्रिका के माध्यम से चीनी भाषा सीखाने का प्रयास उत्तम हैl पत्रिका के सभी लेखकों को बधाई एवं शुभकामनायेंl कृपया पत्रिका में पाठकों की प्रतिक्रियाओं को भी स्थान दें और उनके लिए पहेली भी प्रारम्भ करेंl चीन और भारत की यात्रा से जुड़े संस्मरणों को भी प्रकाशित करेंl 'सैलानियों की नज़र में चीन' की अथवा भारत की जानकारी देंl धन्यवाद l

    अखिल:जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया हमारे भाई चुन्नीलाल कैवर्त जी। हमें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आपको हमारी पत्रिका सेतु संबंध पसंद आई, और उसमें दिए गये तमाम लेख अच्छे लगे। हम जरूर आपकी बात पर गौर करेंगे, और पत्रिका में निखार लाने के लिए और अधिक प्रयार करेंगे। आप अपने सुझाव व राय हमें भेजते रहें। धन्यवाद आपका एक बार फिर। चलिए, अगला पत्र मेरे पास आया है पश्चिम बंगाल से हमारे मोनिटर रविशंकर बसु जी का। उन्होंने लिखा है....

    हर दिन की तरह 25 मई, 2015 सोमवार को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक आपका रेडियो प्रोग्राम खराब रिसेप्शन की वजह से बहुत ही कष्ट करके सुना। अंतर्राष्ट्रीय समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक मनोयोग से सुना। आज मैडम श्याओ यांग जी ने हमें नए चीन का प्रतीक थ्येनआनमन द्वार और इस द्वार के सामने थ्येनआनमन चौक के बारे में एक विस्तृत जानकारी दी जो सुनकर वाक़ई मेरा पुराने याद ताज़ा हो गई। यह मेरे लिए बहुत ही गर्व और ख़ुशी की बात है कि मैंने भी एकदिन इस थ्येनआनमन चौक पर कदम रखा और मेरे आँखों से 500 वर्षों से अधिक पुराना "थ्येनआनमन द्वार" को देखा।

    हम जानते हैं कि चीन की राजधानी पेइचिंग एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर है और थ्येनआनमन चौक पेइचिंग के इतिहास के बहुत जाने-माने साक्षी हैं। मेरे लिए यह बड़ी ख़ुशी की बात है कि इतिहास की पन्ने पर पढ़ा हुआ थ्येनआनमन चौक पर पैदल जाते जाते मैंने हांव फल से बनी मिठाई "थांग हु लू" का स्वाद लिया और ऐतिहासिक शाही निषिद्ध नगर का मुख्य द्वार थ्येनआनमन देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। थ्येनआनमन को पहले छंगथ्येनमन नाम से जाना जाता था,जिसका शाब्दिक अर्थ है-स्वर्ग से आदेश प्राप्ति। वह 15वीं शताब्दी के मिंग राजवंश में स्थापित हुआ। 17वीं शताब्दी में छिंग राजवंश काल में उसे थ्येनआनमन नाम दिया गया। शुरू में यह स्थान आम प्रजा के लिए निषिद्ध था। पहली अक्तूबर 1949 को स्वर्गीय माओ त्से तुंग ने इसी थ्येनआनमन चौक से दुनिया को नये चीन की स्थापना की सूचना दी थी। तब से थ्येनानमन द्वार राजधानी पेइचिंग और नए चीन का प्रतीक बन गया।

    थ्येनआनमन चौक विश्व का सब से विशाल चौक है। इसका क्षेत्रफल 4 लाख वर्गमीटर है। चौक के पूर्व में चीनी ऐतिहासिक संग्रहालय स्थित है,पश्चिम में वृहत जन सभा भवन है।थ्येनआनमन मंच की ऊंचाई 34 मीटर है। थ्येनआनमन चौक द्वार पर चीनी भाषा में दाई तरफ लिखा है "विश्व जनता की मित्रता की दीर्घायु"और दूसरी तरफ "चीन लोक गणराज्य की दीर्घायु "। इसने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। थ्येनआनमन चौक वाकई बहुत ही सुन्दर है,अत्यन्त सुन्दर है। मैं गर्व के साथ बोल सकता हूं कि मैं इतिहास की इस अमर जगह पर गया था एवं वहां पर मैंने चीन का राष्ट्रीय झंडा लेकर फोटो भी खिंच्वाया था। मैं सभी लोगों को यह कहना चाहता हूं कि अगर मौका मिले,तो आप ज़रूर वहां जाकर देखिये थ्येनआनमन चौक को और चीनी आम नागरिकों की विविधता,सामाजिक विकास,राष्ट्रीय प्रग्रति और आधुनिक शहरी जीवन शक्ति की सुन्दरता को महसूस कीजिये। मैं हर वक्त,हर पल चलते फिरते सिर्फ़ यह ही सोचता हूं कि कब मैं फिर मेरा स्वप्ने का दुनिया चीन में वापस जायुंगा जहां मेरा जहान है।

    मीनू:आगे लिखते हैं......आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम में चंद्रिमा जी द्वारा पिछले 18 मई को पेइचिंग में आयोजित तीन दिवसीय पहला चीन योग शिखर सम्मेलन का समापन समारोह को लेकर एक विशेष पेशकश की । इस विशेष प्रोग्राम सुनकर मुझे पता चला कि चीन की युवा पीढ़ी में आज के समय में भारतीय योग तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 से 16 मई तक के चीन दौर के दौरान 15 मई को पेइचिंग स्थित टेम्पल ऑफ हेवेन में ताइची-योग समारोह में भाग लिया और युन्नान युनिवर्सिटी ऑफ नेशनैलिटीज एवं इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन्स के बीच योग कॉलेज के लिए सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे।मुझे आशा है कि चीन का ताइची और भारत का योग आने वाले दिनों में चीन-भारत - दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को मज़बूत करने के लिए अहम योगदान देगी।

    अखिल:दोस्तो, बसु जी ने दूसरे पत्र में हमें एक बात बतायी। उन्होंने कहा कि मैं आपको ख़ुशी से एक बात बताना चाहता हूं कि मेरा 12 साल का बेटा उदित शंकर भी मेरे साथ रोजाना सीआरआई के हिंदी विभाग की रेडियो प्रोग्राम सुनते है। वह भी मेरे तरह सीआरआई का एक blind fan (अंधा प्रशंसक) बन गया। मैं "आपका पत्र मिला"(प्रश्न -उत्तर),"टी टाइम","आज का लाइफस्टाइल","सन्डे की मस्ती" प्रोग्राम में जो इंटरेस्टिंग जानकारियां आप देते है वह सुनने के लिए उदित शंकर हर दिन बेसब्री से इंतज़ार करता है। पिछले 31 मार्च,2015 मंगलवार को "टी टाइम" प्रोग्राम में आप ने मेरे बेटे उदित शंकर द्वारा भेजे गए एक जोक्स को शामिल किया। इसीलिए मेरा बेटा उत्साहित होकर एक बंगाली कॉमिक्स को हिंदी में ट्रैन्स्लैट किया और इसको हम दोनों ने एक साथ ऑडियो अभिनय किया। इस कॉमिक के माध्यम से हम यह वार्ता दे रहे है कि सीआरआई सचमुच हमारे पुरे परिवार की दिल में बसा हुआ है। हमारा प्यार सीआरआई। अगर आप इस ऑडियो कॉमिक को आपके प्रोग्राम में शामिल करेंगे तो मुझे लगता है वह मेरे बेटे को हौसला और भी ज्यादा कर देगा। साथ ही मैं आशा करता हूं आप इस ऑडियो को सभी प्रेज़न्टर/ उद्घोषकों को सुनाएंगे और ज़रूर यह बताएंगे कि आपको यह कैसा लगा।

    बसु जी, हमने आपके बेटे उदित शंकर का यह कॉमिक ओडियो सुना है और हमें बहुत अच्छा और दिलचस्प लगा। अब, हम हमारे सभी श्रोताओं को यह कॉमिक सुनाते हैं। आईए, सुनते हैं.....

    ---ओडियो---

    मीनू:उदित शंकर, आपका यह कॉमिक ओडियो बहुत मजेदार है और आपका अभिनय भी बहुत प्यारा है। मुझे आपका यह कॉमिक ओडियो बहुत पसंद आया। भविष्य में अगर आप और इस तरह का कॉमिक ओडियो तैयार करते हैं तो हमें जरूर भेजिएगा। हम अपने कार्यक्रम में जरूर शामिल करेंगे। तो आपको और आपके पिता जी को बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, आगे हम पढ़ते हैं बिहार से रंजु मुखिया जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....Dear Host & Dost, Good Evening !

    21 मई की रात को अपने क्लब के सदस्यों के साथ आपका रेडियो प्रोग्राम सुनने के बाद अगले दिन सुबह को भी सुना। मैंने अपनी सहेलियां सरिता देवी, मृदुला देवी, ललिता देवी और पुनम के साथ मिलकर सुना। कुछ पत्रों को पढ़ा गया और कुछ पत्रों की प्राप्ति सूचना दी गई। हमें चीनी गीत बहुत पसंद आया। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा पर विशेष प्रोग्राम बहुत पसंद आया। इसके अलावा 22 मई को रिलिज होने वाली फिल्म तनु वैड्स मनु रिटर्नस का प्रोमो सुनवाया जाना बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद।

    अखिल:RANJU MUKHIYA जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपकी शुक्रिया। आशा है कि आप भविष्य में लगातार हमसे जुड़े रहेंगे। एक बार फिर आपको धन्यवाद। चलिए, बढ़ते हैं अगले पत्र की तरफ जिसे भेजा है ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी ने। उन्होंने लिखा है.....

    आदरणीय मीनूजी एवं अखिजी, नमस्कार। केसिंगा दिनांक 29 मई । प्रतिदिन शाम साढ़े छह बजे शॉर्टवेव पर सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुनना हमारी कमज़ोरी बन चुका है। यद्यपि,शाम साढ़े छह बजे प्रसारण अन्य सभाओं के बनिस्पत कम स्पष्ट होता है, फिर भी चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद इतना धैर्य नहीं बचता कि अधिक साफ़ सुनने के लिये और प्रतीक्षा की जाये। बहरहाल, अन्य तीन सभाओं को हम इसलिए सुनते हैं कि उनके रिसैप्शन की स्थिति से आपको अवगत कराया जा सके। वर्त्तमान में यहाँ रात साढ़े आठ और साढ़े नौ बजे वाले प्रसारण शॉर्टवेव 41 मीटरबैण्ड पर अन्य सभाओं के मुक़ाबले अधिक स्पष्ट सुनाई पड़ते हैं, जब कि प्रातः साढ़े आठ बजे 19 मीटरबैन्ड तथा शाम साढ़े छह बजे 31 मीटरबैण्ड पर रिसैप्शन अपेक्षतया कमज़ोर होता है। आज का ताज़ा प्रसारण भी हमने शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर शाम ठीक साढ़े छह बजे सुना और अब मैं उस पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया लिये आपके समक्ष उपस्थित हूँ। आशा है कि कुछ ही क्षणों बाद यह रिपोर्ट आपके हाथों में होगी।

    साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के स्थान पर आज चीन के राष्ट्रीय विकलांग दिवस को समर्पित विशेष कार्यक्रम पेश किया गया, जो कि इससे पूर्व भी प्रसारित किया जा चुका था। वैसे आज के इस स्वार्थी दौर में लिउ चिनफिंग तथा युंग सुनलान के सच्चे प्रेम की कहानी विरल ही देखने-सुनने को मिलती है। हम उनके सच्चे प्रेम को नमन करते हैं। कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा कर लेने पर सपनाजी द्वारा पेश शब्दचित्र काफी सराहनीय कहा जायेगा। विशेषकर, दिनांक 25 मई को मथुरा में आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुये मोदी ने जो कुछ कहा, उसका शब्दशः विश्लेषण करना काफी अच्छा लगा। श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिये हार्दिक धन्यवाद।

    श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की कहानी पूरा होने के बजाय दिन-प्रतिदिन उलझती ही जा रही है। आज की कड़ी में थान भिक्षु सानचांग भी दोनों वानरों में असली की पहचान करने में असफल रहे। आगे की कड़ियों में यह जानने की जिज्ञासा रहेगी कि इस रहस्य का आखिर, पटाक्षेप कैसे होता है। धन्यवाद।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता जय कृष्ण कुमार के साथ हुई बातचीत।

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