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    आपका पत्र मिला 2015-05-13
    2015-05-18 14:54:57 cri

    अखिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अखिल का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अखिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद चीन स्थित भारतीय राजदूत श्री अशोक कंठ के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अखिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र मेरे हाथ आया है झारखंड से एसबी शर्मा जी का। उन्होंने लिखा है.....सर्वप्रथम मैं चाइना रेडिओ इंटरनेशनल का आभार व्यक्त करता हू की आपने भारत सहित नेपाल में आये भयानक त्रासदी और विनाशकारी भूकम्प पर विशेष नजर बनाये रखी। इस शोक के घडी में हम सभी नेपाल और भारत के पीड़ितों के साथ है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते है की ईश्वर उन्हें भरपूर साहस दें की वे इस त्रासदी से निबट सके वैसे तो दुनिया भर से नेपाल को राहत और बचाव कार्य में सहायता मिल रही है पर नेपाल के लोग खुद इस त्रासदी से निबटने में सक्षम है। पूरा चाइना रेडिओ परिवार अपने समस्त श्रोताओ के साथ इनके साथ हैं। अखिल जी और मीनू जी द्वारा प्रस्तुत २९ अप्रैल का आपका पत्र मिला कार्यक्रम हमेशा की तरह पूरे पारिवारिक सदस्यों के साथ सुना और बढ़िया लगा। कार्यक्रम में नेपाल के बिराटनगर के श्रोता उमेश जी की वार्ता सुनी जिससे महा विनाशकारी भूकम्प के आने के बाद से आज के स्थिति के विषय में जानकारी मिली। इस भयानक स्थिति की कल्पना मात्र से जी सिहर उठता है, वैसे जमशेदपुर में भी भूकम्प के १३ झटके आये जिसमें से तीन का अनुभव मुझे भी हुआ। ज्यादा जान-माल की हानि तो नहीं हुई पर अनुभव बहुत डरावना रहा। उम्मीद है इस तरह की त्रासदी अब नहीं आएगी। आपने सी आर आई द्वारा चाइनीज ब्रांड किये जाने वाले प्रश्नोत्तर की भी चर्चा की। उम्मीद है कि सभी श्रोता अपना अनुभव आपसे जल्द शेयर करेंगे धन्यवाद।

    मीनू:आपका बहुत बहुत धन्यवाद एस.बी शर्मा जी हमें पत्र भेजने और अपनी प्रतिक्रिया पहुंचाने के लिए। चलिए, अगला पत्र हमें भेजा है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी ने। उन्होंने लिखा है.....

    आदरनीय महोदय , सी आर आई हिन्दी सेवा । महोदय , प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी इस महीने चीन की अपनी प्रथम यात्रा करेंगे क्योकि दोनों देश उच्च स्तरीय वार्ता में गति लाने पर विचार कर रहे है। मोदी जी की यात्रा तैयारी मेँ विदेश मंत्री सुषमाजी ने चीन की यात्रा की। मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप मेँ कई बार चीन की यात्रा की है और चीन के सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी नेतृत्व के साथ एक संबंध कायम किया। ये अटकलेँ जोरो पर है कि मोदी जब प्रधानमंत्री के रूप मेँ अपनी प्रथम यात्रा पर चीन जाएंगे तो वह नये मार्ग से कैलाश मानसरोबर जाएंगे। पिछले सितंबर में भारत यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा था कि चीन मित्रवत बातचीत और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति तथा स्थिरता बनाए रखते हुए भारत के साथ मिलकर सीमा मुद्दे को सुलझाने के प्रति आश्वस्त है। वास्तबिक मेँ सीमा विवाद मुद्दे पर काफी प्रगति हुई है। इसको आगे बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर और काम करना होगा। मोदी के दौरे से भारत-चीन कारोबार में भी बढ़ोत्तरी होगी। सांस्कृतिक विनिमय में भी गति आएगी। कहा जाए तो ते कहना बिलकुल गलत नहीँ होगा कि मोदी के चीन दौरे से उम्मीद बहुत अधिक है और हम उम्मीद ले कर मोदी जी की सफल चीन यात्रा पर प्रतीक्षा कर रहा हुँ ।

    अखिल:आगे सान्याल जी लिखते हैं....... सी आर आई से पता चला कि नेपाल के प्रथम निर्बाचित प्रधानमंत्री बी पी कोईराला की पोती तथा नेपाल मूल की बॉलीवुड अभिनेत्री मनीषा कोईराला ने अपने टिवटर पेज पर लिखा , " भारत सरकार ने तुरंत मदद भेजने का सराहनीय काम किया । जितना शुक्रिया कहुं उतना कम है " । मनीषा जी के इस बात पर हमे भारतबासी होने की नाते गर्व है। नेपाल को सहायता करने के लिए केवल भारत सरकार ने नही , बहु भारतीय संस्था भी मदद के लिए सराहनीय काम कर रही है । बॉलीवुड अभिनेता अभिनेत्री भी भूकंपग्रस्त नेपाल की मदद करने के लिए आगे आए हैं। हमारे अल इंडिया सी आर आई लिसनार्स एसोसियेशन की ओर से 1500 रुपये Etv फांड मेँ भेजा गया। हमारे इस दान की खबर Etv पर पिछले 29 अप्रैल को प्रचारित हुआ जिससे सी आर आई हिन्दी सेवा की नाम भी उज्ज्वल हुआ है। और सी आर आई हिन्दी सेवा के नाम को उज्ज्वल करने का हमारा प्रयास हमशा रहेगा। धन्यबाद

    दिनांक 1 मई को दक्षिण एशिया फोकास कारिक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गंगा सफाई अभियान पर उमेश चर्तुबेदी जी के साथ पंकज श्रीबास्तब जी की बातचीत बहुत अच्छी लगी। भारतीय संस्कारों मेँ गंगा केवल एक नदी नहीँ है बल्कि आत्मा के परमात्मा से मिलन का माध्यम है। ऐसा माध्यम जिसे मृत्युलोक पर मोक्ष दायिनी बनाने के लिए कठोर तप कर भागीरथ जमीन पर उतार लाए थे। सदियों तक करोड़ों लोगों को मोक्ष का अहसास दिलाने वाली गंगा आज खुद अपनी ही संतानॉ से अपने वजुद को बचाने की गुहार लगा रही है। यह बिड़ंबना सिर्फ गंगा की नहीं बल्कि यमुना और देश के तमाम भागों मेँ अपना आंचल खोलकर करोड़ॉ जीबन संवार रही है। यह अभियान तब सफल होगी जब गंगा सफाई अभियान को जीबन से जोड़ेंगे। धन्यबाद

    मीनू:सान्याल जी, (धन्यवाद प्रकट करें), आगे हम आपको सुनाते हैं उत्तर प्रदेश से सादिक आज़मी जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....नमस्कार,विगत दिनों आए भूकम्प से नैपाल की दशा पर कुछ कहने से पहले आंखे नम हो जाती हैं, पर यह भी सच है प्रकृति के आगे हर कोई विवश है, चाहे मनुष्य हो, पशु हों, पक्षी हो, पर्वत, सागर, या वृक्ष धरती से लेकर आकाश की हर शैय उसके अधीन हैं, वह जब चाहे सबकुछ नष्ट कर सकता है, ऩैपाल के जनता के दुख की इस घड़ी में समूचा विश्व मानवता का परिचय देते हुए वहां के जनता की सेवा की और और उनके पुनरवास में सहयोग किया जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है, cri ने भी इस अवसर पर लगातार अच्छी कवरिज कर हमें पल पल की खबरें मुहय्या करवाइं जिसके लिये हम हृदय भाव से आभार पेश करते हैं, धन्यवाद

    अखिल:सादिक आजमी जी, (धन्यवाद प्रकट करें), अगला पत्र मेरे पास आया है पश्चिम बंगाल से हमारे मोनिटर रविशंकर बसु जी का। हम जानते हैं कि 14 मई को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यात्रा पर चीन आएंगे। इस से पहले बसु जी ने हमें एक विशेष पत्र भेजा है, जिसका विषय है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से हमारी प्रत्याशा। आईए, सुनते हैं। बसु जी ने क्या लिखा।

    माननीय महोदय/महोदया, सादर नमस्कार।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 14 मई को तीन दिवसीय यात्रा पर चीन जा रहे है,जिस को लेकर अभी दुनिया भर में काफी चर्चा चल रही है। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी का यह पहला चीन दौरा होगा। प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग के गृहनगर प्राचीन शीआन शहर से उनका दौरा शुरू करेंगे। मैं 1985 साल से चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिन्दी सेवा से जुड़ा हुआ हूं। इसीलिए सीआरआई के एक पुराने श्रोता होने के नाते मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आने वाले चीन यात्रा को लेकर मेरा कुछ अभिमत व्यक्त कर रहा हूं ।

    इस साल भारत और चीन - दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापना की 65वीं वर्षगांठ है।यह बात तो सही है कि आज चीन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक शक्ति बन चुका है और भारत के सबसे बड़े पड़ोसी देश भी है,जिसके साथ हमारे रिश्ते सदियों से पुराने हैं। लेकिन यह भी सही है कि बीते छह दशकों में चीन-भारत द्विपक्षीय संबंधों में काफी उतार चढाव हो रही है। वर्त्तमान अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में एक समतापूर्ण दुनिया के लिए भारत और चीन को साथ मिलकर द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाना चाहिए । हाल ही में चीन और भारत के रिश्तों में वांछित सुधार हुआ है। मेरा मानना है कि भारत और चीन के बीच सहयोग और विकास एशिया, यहां तक की विश्व की समृद्धि और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के नेताओं के बीच बेहतर द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने का दृढ़ संकल्प और इच्छा भी हम लोग देखा है ।

    मीनू:आगे बसु जी ने लिखा है....हमने देखा है कि दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और संबंधों को मज़बूत करने के लिए पिछले 2013 साल के मई माह में चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग भारत दौरे पर आए वहीं, हमारे देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अक्तूबर 22 तारीख से 24 तारीख तक चीन की यात्रा पर गये थे। वर्ष 1954 के बाद से दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने पहली बार एक ही वर्ष में एक दूसरे देशों की यात्रा किया था। इस के बाद पिछले साल यानी 2014 के सितंबर महीने में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत की ऐतिहासिक यात्रा करके चीन-भारत संबंध के विकास को नए स्तर पर पहुंच दिया। मैं मानता हूं कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की भारत यात्रा न सिर्फ दोनों देशों की,बल्कि एशिया,यहां तक कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।

    मीडिया विश्लेषकों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर चर्चा होना चाहिए क्योंकि चीन के साथ शांतिपूर्ण संबंध कायम रखने के लिए यह ही एक बेहतरीन मौका है। और इस से चीन भारत संबंधों में सचमुच सुधार आएंगे। मैं उन विश्लेषकों के साथ एकमत नहीं हूं क्योंकि मुझे नहीं लगता है कि सीमा संबंधी विवाद दोनों देशों के बीच उन्नति की एक मात्र तरीका है। यह विवाद जल्दबाजी में नहीं सुलझाया जा सकते है । हमने देखा है कि दोनों देशों ने सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं सौहार्द कायम रखने के लिए उच्च स्तरीय गतिविधि आयोजन किया जैसा पिछले मार्च महीने( 23 और 24 मार्च )में नई दिल्ली में चीनी स्टेट कांसुलर यांग च्येछी ने हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ सीमा मुद्दे पर 18वें दौर की वार्ता की । मुझे लगता है कि चीन और भारत को मतभेदों को धैर्यपूर्वक निपटने की जरूरत है और यही एक उपाय भी है जिससे की दोंनों ही देशों में शांति बनी रह सकती है।

    अखिल:आगे लिखते हैं.....पर यह तो रही दोनों देशों की विदेश नीति की बात जिस में हम जैसा आम आदमियों का भावना का कोई स्थान नहीं है। फिर भी हम साधारण भारतवासी चाहते है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस तीन दिन के चीन यात्रा के दौरान चीनी कंपनियों ने भारत में ज्यादा से ज्यादा निवेश करेंगे साथ ही चीन और भारत के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान प्रदान लगातार वृद्धि होंगे जिस में दोनों देशों की आम आदमी कुछ न कुछ लाभ उठा पाएंगे । संवाद मीडिया के मुताबिक ,भारत में चीनी कंपनियों के द्वारा निवेश में लगातार वृद्धि भी हो रही है। हमने देखा है कि चीन के सबसे धनी व्यवसायी अलीबाबा भारत में निवेश करना चाहते है । न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार अब चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जबकि भारत दक्षिण एशिया में चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पिछले साल दोनों देशों के बीच 65.5 अरब अमेरिकी डॉलर का कुल व्यापार हुआ था। दोनों देशों नें वर्ष 2015 तक यह आंकड़ां 100 बिलियन अमरिकी डॉलर पहुंचाने का अनुमान लगाया है।

    चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने वर्ष 2013 के सितंबर और अक्तूबर में "एक पट्टी एक मार्ग " यानी One Belt One Road की रणनीतिक अवधारणा पेश की,जिसका मुख्य उद्देश्य है वहां स्थित विभिन्न देशों की समृद्धि और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को मजबूत करना । मैं आशा करता हूं कि संशयों को छोड़कर इस नए रेशम मार्ग की पहल पर भारत भी सक्रिय रूप से भागीदार होंगे ताकि चीन के साथ हमारे देश के संपर्क और समन्वय मज़बूत हो सकें । चीन की वृहद सिल्क रोड परियोजनाओं में हमारे देश की भागीदारी के माध्यम से न केवल हमारे दोनों देशों के जनता को बल्कि एशिया और पूरे विश्व को सकारात्मक लाभ मिलेगी ।

    हाल में,चीन और भारत के बीच विभिन्न क्षेत्रों में आवाजाही दिन-व-दिन प्रगाढ़ हो रही है । वर्तमान में शिक्षा क्षेत्रीय शिक्षा के वजह से भूमंडलीय शिक्षा है। आज के समय में विदेशी छात्रों के लिए यूएस और यूके के बाद चीन ही पसंदीदा देश है।अंतर्राष्टीय मार्केट में चीन ने अपनी काबिलियत के दम पर विदेशी छात्रों का तीसरा एजुकेशन हब बन गया है । वर्तमान में भारतीय छात्रों के हायर एजुकेशन के लिए चीन एक आकर्षणीय देश बन गया है। सांस्कृतिक क्षेत्रों में आवाजाही के फलस्वरूप भारत में छात्रों को चीनी भाषा के प्रति रूझान बढ़ गया है। भारत में पंद्रह से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों में चीनी भाषा का पठन-पाठन चल रहा है।इसी साल के अप्रैल माह में (6 से 13 अप्रैल तक) पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के चीनी भवन में पेइचिंग विश्वविद्यालय के चार विद्वानों द्वारा 50 से अधिक स्थानीय चीनी शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं पिछले 23 से 24 अप्रैल तक दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग में खुनमिंग कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक "भूमंडलीय स्कूली शिक्षा" अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ था। मेरा मानना है कि यह सभी गतिविधियां एक प्रशंसनीय प्रयास है। इस तरह प्रशिक्षण गतिविधि से चीन-भारत द्विपक्षीय संपर्क और भी मजबूत होगा।

    मीनू:अंत में बसु जी ने लिखा है.....यह सच बात है कि हम दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और साथ ही यह भी बोला जा सकता है कि हम चीन से बहुत क्षेत्र में पीछे रहते है। मुझे लगता है कि अगर भारत सीमा विवाद को भूलकर चीन के आर्थिक विकास को सामने रखकर आगे बढ़ेंगे तो भारत विभिन्न क्षेत्र में चीन की तकनीक और विशेषज्ञता का सहयोग लेकर देश में सचमुच एक अच्छे दिन ला पाएंगे । हमने देखा है कि भारतीय आर्थिक विकास में विदेशी पूंजी को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का विदेश डिप्लोमेसी पूर्ववर्ती सरोकारों से काफी बेहतरीन है।इसीलिए आशा की जा सकती है कि प्रधानमंत्री मोदी का इस चीन यात्रा से भारत- चीन संबंध नए स्तर पर पहुंचेंगे और हिमालय के दोनों तरफ रहने वाले तीन अरब लोग शांति, मित्रता, स्थिरता एवं समृद्धि का आनंद ले सकेंगे। मैं हृदय से कामना करता हूं कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के लोगों की प्रगति एवं समृद्धि के लिए मददगार होंगे। "हिंदी- चीनी भाई-भाई।भारत-चीन मैत्री जिंदाबाद"।

    अखिल:रविशंकर बसु जी, (धन्यवाद प्रकट करें), अंत में आप को सुनाया जाएगा ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....केसिंगा दिनांक 4 मई। तीन दिन के प्रवास के बाद घर लौट कर आज जब सीआरआई हिन्दी को फिर से सुना, तो लगा कि मानो अपनी खोई सम्पदा मुझे पुनः हासिल हो गई। फिर प्रतिदिन की भांति सीआरआई हिन्दी के ताज़ा प्रसारण का रसास्वादन हम सभी मित्र-परिजनों ने एकसाथ मिलकर शाम साढ़े छह बजे पूरे मनोयोग से किया और अब मैं रोज़ाना की तरह उस पर हम सभी की मिली-जुली राय लेकर आपके सामने हाज़िर हूँ। उम्मीद है कि हमारा यह प्रयास आपको पसन्द आता होगा। बहरहाल, ताज़ा अन्तराष्ट्रीय समाचारों में देश-दुनिया के हालात का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत दक्षिणी चीन के छोर पर स्थित हाइनान प्रान्त के सुन्दर पर्यटन स्थल सनया शहर के उष्णकटिबध्दीय वातावरण में सैर का खूब लुत्फ़ उठाया। हाइनान की सैर का मज़ा तो हम पहले भी हाइनान पर सीआरआई द्वारा करायी गई ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लेकर ले चुके हैं। बहरहाल, वहां की नर्म धूप, स्वच्छ पानी, यालुंग सहित उन्नीस छोटी-बड़ी खाड़ियों, दस मीटर की गहराई तक देखा जा सकने वाला पारदर्शी स्वच्छ समुद्र जल तथा उसमें मूंगे की चट्टानें, भला यह सब कौन नहीं देखना चाहेगा ! और हाँ, वहां चायघर जाने की ख़ास संस्कृति भी तो बरबस अपनी ओर आकृष्ट करती है।

    कार्यक्रम में चीन की चार प्राचीन राजधानियों में से एक चान्सू प्रान्त की राजधानी नानचिंग भी चीन की संस्कृति और इतिहास का एक निचोड़ पेश करता है। वहां की एक हज़ार साल पुरानी शहरी दीवार, कन्फ़यूशियस का मन्दिर, काली दीवार के साथ कटोरेनुमा खपरैल से बने सुन्दर मक़ान तथा सर्वोपरि पवित्र छिनह्वाय नदी की सैर भला किसे आकृष्ट नहीं करते। इसी प्रकार हाइनान के मशहूर इशिन्ग कस्बे के स्याहीचित्र, चाय बागान, मशहूर बांस समुद्र, चार-पांच हज़ार साल पुरानी चीनी-मिट्टी बर्तनकला, वहां की ख़ास केतली के अलावा चार हज़ार साल पुराने शूचो शहर और वहां के बग़ीचानुमा निवास, सचमुच सब कुछ अलौकिक सा प्रतीत होता है। इस सुन्दर सैर का हार्दिक साधुवाद।

    कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत भारत में मोदी सरकार के छह माह के कार्यक्रम का सुन्दर आंकलन पेश करती संवाददाता देवजी द्वारा श्रोता भाई योगेश्वर त्यागी से ली गई भेंटवार्ता तथा कार्यक्रम "पश्चिम की तीर्थयात्रा" में महान सुनउखुन द्वारा खूनखराबा रोकने रची गई मिथ्या परिणय जाल योजना की जितनी भी प्रशंसा की जाये, कम है। धन्यवाद।

    मीनू:दोस्तों, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 से 16 मई तक चीन की राजकीय यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की यह पहली चीन यात्रा होगी। मोदी की यात्रा से पहले चीन स्थित भारतीय राजदूत अशोक कंठ ने हमारे अखिल पाराशर जी को दिए एक विशेष इन्टरव्यू में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदा यात्रा से भारत-चीन संबंध के भविष्य के लिए दूरगामी असर पड़ेगा और द्विपक्षीय संबंध के विकास में एक नए मील का पत्थर साबित होगा। आइए.. सुनते हैं राजदूत अशोक कंठ जी के इंटरव्यू के मुख्य अंश

    (इंटरव्यू)

    अखिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अखिल और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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