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    आपका पत्र मिला 2015-03-11
    2015-03-17 11:12:31 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र आया है दिल्ली से अमीर अहमद का। उन्होंने लिखा है.....नमस्ते

    आशा है कि आप सभी लोग कुशल मंगल होंगे।

    सबसे पहले आप सभी को चीनी नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनायें। आज आपकी वेबसाइट के माध्यम से तिब्बत की संस्कृति को देखकर और सुनकर खूब आनंद उठाया। वास्तव में वीडियो देखकर बहुत अच्छा लगा। आपकी वेबसाइट पर कई वीडियो देखकर तिब्बत को बहुत करीब से जानने को मिला.....जन्म भूमि सैंच्यांगयुआन तिब्बती लोक गीत जिसको यांगचिन लानत्से ने प्रस्तुत किया है वो बहुत अच्छे लगे। जिसके बोल पहाड़ों की घाटी में सुनाई दे रहे हैं.....वास्तव में ये गीत बहुत अच्छे लगे। साथ ही नव वर्ष के आगमन पर नृत्य गान भी काफी मज़ेदार लगा। कलाकारों ने रंग बिरंगे वस्त्रों में गज़ब का नृत्य प्रस्तुत किया। दूसरे वीडियो में तिब्बती क्षेत्र के स्थानीय गांव में च्वोवू नृत्य था, वाकई मन को भाने वाला था। डांस के साथ साथ इसके इतिहास के बारे में भी जानकारी दी गयी है। जैसे हमें मालूम हुआ कि शूयू में च्वोवू नृत्य जो इसी क्षेत्र में एक विशेष प्रकार का नृत्य है। जिससे यूशू लोगों के जीवन में मानसिक शक्ति दिखाई जाती है। सच में जो कलाकार थे उनके चेहरे से ही शक्ति साफ साफ झलकती थी। गीत के क्या बोल हैं। । पर्वत देवता से प्रार्थना करते हैं हम.…। आने वाले वर्षों में मौसम अच्छा रहे.… क्या खूब बोल हैं। मन आत्मा को संतुष्टि पहुँचने वाले बोल हैं।आने वाले दिनों के लिए प्रार्थना है। …एक और वीडियो में बर्फीले क्षेत्र में योवा जिसके शुभ क्या खूब है जिसमें कलाकार निमा त्सेरन ने संस्कृति वस्त्र में बहोत प्रसन्न मुद्रा में गीत प्रस्तुत किये है। । क्या म्यूज़िक और क्या ज़बरदस्त बोल जिसको बार बार गुन गुनाने को दिल कह ता है। ।और जब परदेशियों पर आधारित बोल हो तो हम जैसे परदेशी जो घर गाव को छोड़ कर महानगर में रह रहे हो उनको ये गीत पसंद न आये ऐसा हो नही सकता। बोल। । जो बार बार दिल में रच बस गया है। … युवावस्था में बन गया था परदेसी ……परदेस में अधिक थी खुशियां …… बहुत शानदार है बर्फीले पर्वत। एक और वीडियो जिसमें पुरुष और महिला युगल गीत शुभ खांगपा लोक गीत सुना और देखा बहोत अच्छा लगा। लामू, सांगपू जा जी ने बहुत शानदार अंदाज़ में गीत प्रस्तुत किये हैं।

    मीनू:आगे लिखते हैं..... आपको बताना चाहता हूँ कि चोवू नृत्य के हवाले से जिसमें आबा तिब्बती प्रिफेक्चर की च्युचाइगो कांउटी के छाओदी जिले में गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेष प्रदर्शन मंडली की प्रस्तुति बहुत उत्तम तो थी। साथ ही बहुत आकर्षित भी कर रही थी, इसके माध्यम से यहाँ की संस्कृति को जानने का मौका मिला और आनंद भी उठाया।मालूम हुआ कि घने जंगलों में पाईमा जिसका सफेद घोड़े से तात्पर्य है जहाँ तिब्बती लोग रहते हैं। च्युचाईगो के पहाड़ों में एक हज़ार से अधिक वर्षों के भीतर वे इस प्राचीन नृत्य को विरासत के रूप में संजोते हुए हैं। डांस में हमने देखा कि कलाकार मुंह पर लकड़ी से बने हुए मुखौटे पहनकर नाचते-गाते हैं, और यहां के लोग इसी तरह ही पूजा और प्रार्थना भी करते हैं।

    तीन नदियों से गूंजती है ये आवाज़ वीडियो भी काफी अच्छा गीत लगा। इस वीडियो में कई सारे लोक गीत थे और सभी अच्छे थे। वीडियो बेहद रोचक है इनके माध्यम से हमने चीनी नव वर्ष वसंत उत्सव का आनंद तिब्बती संस्कृति के लोक गीत ,नृत्य और कलाकारों द्वारा अभिनय से आनंद खूब उठाया। ऐसा लग रहा था हम भी तिब्बती कल्चर में पूरी तरह रंग में रंग चुके हैं ,वास्तव में बेहद ज्ञानवर्धक वीडियो हैं। गीत के बोल गायिका की आवाज़ में तो नही समझ आ रहे थे लेकिन बोल न समझने के बावजूद भी धुन अच्छी थी।

    अनिल:आगे अमीर जी लिखते हैं.....श्याओथांग जी की रिपोर्ट के माध्यम से तिब्बती पंचांग के नव वर्ष पर विशेष जानकारी सुनी। इस रिपोर्ट से तिब्बत में वसंत शुरू होने पर क्या क्या गतिविधियां होती हैं, तिब्बती जनता नया वर्ष कैसे मनाती है। और क्या क्या पकवान बनते हैं और उस दिन कैसे आनंद उठाते हैं, सब कुछ जानने को मिला। 19 फरवरी का दिन तिब्बतियों के लिए दोहरी खुशी का मौका होता है। एक तो तिब्बती पंचांग का नया वर्ष और दूसरा वसंत पर्व जो पूरे चीन में वसंत पर्व में सराबोर रहता है। तिब्बती जनता नये साल के साथ साथ वसंत त्यौहार का आनंद उठाती है। वसंत उत्सव चीन की सभी जातियों के लोग एक साथ मनाते हैं, इस पर्व से चीनी जनता में एक दूसरी जाति में प्यार, एकता प्रगाढ़ होती है। तिब्बत में लोग तिब्बती पंचांग का नया वर्ष और दूसरा वसंत पर्व भिन्न भिन्न तरीके से मनाते हैं । चरवाहे आग जलाकर रात भर गाते नाचते हैं, साथ ही तिब्बती ओपेरा का आनंद उठाते हैं और प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, पटाखे जलाने का रिवाज तो पूरी दुनिया में है। क्योंकि खुशियों में पटाखे जलाकर प्रसन्नता का इजहार किया जाता है तो तिब्बती क्यों पीछे रहेंगे। नव वर्ष की तैयारी दिसंबर से ही आरंभ हो जाती है। तिब्बती धर्म के अनुसार प्रत्येक परिवार के लोग जौ का पौघा लगाते हैं और नये वर्ष की कुशलता के लिए पूजते हैं। यहां के लोग तरह तरह के खा साइ केक बनाते हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि नये वर्ष के पहले दिन तड़के महिलाएं जौ का गर्म मदिरा पलंग के सामने लाती हैं और उसे पीकर तिब्बती लोग नव वर्ष की खुशियां मनाना आरंभ कर देते है। हमें घर बैठे तिब्बती नव वर्ष के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए बहुत धन्यवाद।

    मीनू:अगला पत्र मेरे हाथ आया है छत्तीसगढ़ से हमारे पुराने दोस्त चुन्नीलाल कैवर्त जी का। उन्होंने लिखा है.....

    सीआरआई के सभी कर्मचारी भाई बहनों को सादर अभिवादन तथा य्वान श्याओ उत्सव की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें ! आशा है,आप सब सकुशल होंगे l

    चीन की झलक कार्यक्रम में य्वान श्याओ उत्सव के बारे में सचित्र एवं रोचक जानकारी मिली l य्वान श्याओ उत्सव वसंत त्योहार के तुरंत बाद शुरू होता है।मेरे ख़याल से यह विश्व का सबसे प्राचीन उत्सव है ,जो कि आज से पन्द्रह हजार साल पहले थांग राजवंश में तीन दिन और सुंग राजवंश में पांच दिन तक मनाया जाता था। य्वान श्याओ खाने की प्रथा से संबंधित दंतकथा 'य्वान श्याओ लड़की 'के साथ साथ धूमधाम से लालटेन उत्सव मनाने की परम्परा भी दिल को छू गयी l रंगबिरंगे लालटेन,लालटेन पर अंकित पहेली ,शेर नृत्य आदि की जानकारी आकर्षक और ज्ञानवर्धक लगी l पेइचिंग के यानछिंग में आइस लालटेन फेस्टीवल की तस्वीरें भी मन को मोह लिया lऐसा लगा ,मानों मैं स्वयं यानछिंग के बीच उपस्थित होकर आइस लालटेन फेस्टीवल की झलक देख रहा हूँ l

    मुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि पेइचिंग शीतकालीन ओलंपिक गेम्स- 2022 की मेजबानी के लिए मजबूत दावेदार है l वर्ष 2008 में ओलंपिक में अपने अच्छे प्रदर्शन के साथ चीन ने पूरे विश्व को यह दिखा दिया कि वह खेल के क्षेत्र में भी एक महाशक्ति है।वर्ष 2008 का ओलम्पियाड इतिहास का सर्वश्रेष्ठ ओलंपियाड साबित हुआ l मेरे ख़याल से पेइचिंग और च्रांगचियाखोउ मिलकर 2022 शीतकालीन ओलिंपिक खेलों की सफलतापूर्वक मेजबानी कर सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि 2022 शीतकालीन ओलंपिक गेम्स की मेजबानी का मौका पेइचिंग को मिलेगा और चीन एक बार फिर दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवाएगा lरंग बिरंगी तस्वीरों के साथ रोचक और सूचनाप्रद जानकारी देने के लिए चाइना रेडियो इंटरनेशनल का हार्दिक धन्यवादl

    अनिल:आगे चुन्नीलाल जी लिखते हैं.....12 वीं चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन (सीपीपीसीसी) का तीसरा पूर्णाधिवेशन पेइचिंग स्थित जन वृहद भवन में शुरू हो गया है l इस अवसर पर सभी चीनी जनता और नेताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !आशा है ,चीन लोक गणराज्य के विकास को तेज करने और चीनी जनता की खुशियाली के लिए मौजूदा अधिवेशन महत्वपूर्ण साबित होगा l साथ ही चीन और भारत की दोस्ती और प्रगाढ़ होगी l12 वीं चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन (सीपीपीसीसी) के तीसरे पूर्णाधिवेशन की सफलता की कामना करते हैं।

    मीनू:अगला पत्र आया है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का। उन्होंने लिखा है....

    सादर नमस्कार। हम सभी जानते हैं कि भारत त्योहारों का देश है। होली शीत ऋतु के अंत में बंसत के आगमन,चारों ओर रंग-बिरंगे फूलों का खिलना होली आने की ओर इशारा करता है। होली का त्यौहार प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 6 मार्च के दिन होली रंगोत्सव मनाया गया। यह मस्ती और रंग का पर्व है। होली के दिन सुबह से ही बच्चे,युवा,वृ्द्ध,स्त्री-पुरुष एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। रंगों के त्यौहार पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।

    में आपकी वेबसाइट पर 2 मार्च को जारी "शानशी प्रांत में वसंत की पहली बर्फबारी" शीर्षक रिपोर्ट पढ़कर बहुत खुशी हुई। रिपोर्ट के साथ शानशी प्रांत के दक्षिण में स्थित चियांग कांउटी में हुई पहली बर्फबारी के आठ ख़ूबसूरत फोटो देखकर मेरा मन मोहित हो गया। मैं इस दर्शनीय शानशी प्रांत को अपनी आंखों से देखना चाहता हूं।प्रकृति का ऐसा सुंदर अनुभव देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    अनिल:अगला पत्र हमें भेजा है, बिहार से राम कुमार नीरज जी का। उन्होंने लिखा है.....

    आदरणीय प्रसारक महोदय,

    सी आर आई हिंदी सेवा की साइट पर फोटो के साथ-साथ रेल बजट पर एक विस्तृत रिपोर्ट पढ़ी और खत लिखने से अपने आप को रोक नहीं पाया.बजट से पहले रेल मंत्री ने कहा- रेलवे के विकास में समय लगेगा शीर्षक इस रिपोर्ट के माध्यम से विस्तृत जानकारी - सामान्य ज्ञान बढ़ाने के साथ साथ स्वस्थ मनोरंजन करने में भी सहायक हुई। आपकी रिपोर्ट के सन्दर्भ में यदि बात करूं तो आज भारतीय रेलवे की भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है.

    प्रगति की दिशा में भारत के तेजी से बढ़ते हुए कदम देशवासियों के श्रम ओर उद्यम के कारण ही नहीं बल्कि इसका एक कारण देश की विविधतापूर्ण संस्कृतियों में व्याप्त समस्त सकारात्मक परिवर्तनों से उपजी गुणवत्ता भी है। इस सांस्कृतिक विविधता का योगदान अप्रतिम है. देश के उत्तरी भाग में विविधता के इस लघु रूप को साकार करने में उत्तर रेलवे ने बड़ी ही दृढ़ता और धैर्य के साथ कार्य किया है। इसके लिए देश के विभिन्न भागों से यहाँ तक विशाल रेल नेटवर्क का निर्माण किया गया है. रेल सेवाओं को बड़ी ही दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता के साथ इस प्रकार के मार्गों से चलाया जाता है कि भारत की सांस्कृतिक झाँकी को देखने की इच्छा रखने वाले रेलयात्रियों के लिए भारत-भ्रमण सुगम हो सके।

    भारतीय रेलवे ने अतीत में तकनीकी ज्ञान और दक्षता के लिए प्रयास किया है और आज भी अपनी व्यापारिक प्रक्रिया में सभी तकनीकी परिवर्तनों को अपनाते हुए कार्य करने का प्रयास कर रही है. हम आज भी तकनीक में आने वाले बदलावों साथ तालमेल बैठाने तथा देश की अर्थव्यवस्था में आए अवरोध को दूर करने के प्रति प्रयासरत हैं।

    बेहतर विकास के लिए अपने आधारभूत ढाँचे को मजबूत करना आज प्रत्येक संगठन की आवश्यकता बन गई है. इस क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर रेलवे ने सुनियोजित एवं चरणबद्ध तरीके से कार्य किया है और इसके चलते स्वत: ही पर्यटन का भी विस्तार हुआ है।

    रेलवे पर सिग्नल के विकास कार्य में यांत्रिक सिग्नल प्रणाली के स्थान पर इलैक्ट्रो मैकेनिकल रिले और माइक्रोप्रोसेसर आधारित इण्टरलॉकिंग को अवस्थापित किया गया है। इसी प्रकार रेलवे पर टेलीकम्यूनिकेशन के क्षेत्र में इलैक्ट्रोमैकेनिकल एक्सचेंजों और ओवर हैड लाइनों के स्थान पर धीरे-धीरे अत्‍याधुनिक ऑप्टिकल फाइबर और डिजिटल इलैक्ट्रॉनिक तकनीक पर आधारित प्रणाली को लगाया जा रहा है।

    मीनूःआगे लिखते हैं.....उत्तर रेलवे पर कुल 40 रूट रिले इण्टर लॉकिंग प्रणालियां कार्य कर रही हैं, जिनमें दिल्ली मेन पर लगाई गयी रूट रिले इंटरलॉकिंग को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में विश्व की सबसे बड़ी रूट रिले प्रणाली के रूप में मान्यता दी गयी है। उत्तर रेलवे पर स्थित कारखानों ने विभिन्न सिग्नल गियरों के निर्माण में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।

    कुछ परियोजनाओं को समय पर पूरा कर लेने के लिए उत्तर रेलवे ने कई जगहों पर एक साथ कार्य करने की एक नयी प्रणाली का उपयोग किया है. यह प्रणाली पैदल उपरिगामी पुलों के साथ-साथ व्यस्त सेक्शन पर ट्रैफिक ब्लॉक की समस्या से निपटने में भी सक्षम है। रेलवे के विभिन्न कारखानों में कुछ अत्‍याधुनिक कार्य जैसे एआरटी परिवर्तन, वैक्यूम प्रेशर इम्प्रेग्नेशन प्लाण्टस किए जा रहे हैं। तुगलकाबाद कारखाने ने लोको फेलियर एवं कभी-कभी एचपी कम्प्रेसर पाइप में अत्याधिक ऊष्मा के कारण लोको में आग लगने की घटनाओं में कमी लाने के लिए एक आधुनिक पद्धति का विकास किया है। कारखाने द्वारा एक्सप्रेसर कम्पार्टमेण्ट में एअर सर्कुलेशन सुधारने के लिए कुछ परिवर्तन किए गए हैं. इस समस्या से निपटने के लिए साइड पैनल से कार बॉडी फिल्टर लगाया गया है। बेहतर शीतलता प्रदान करने के साथ-साथ यह एक्सप्रेसर कम्पार्टमेण्ट को अनुरक्षण सहायक बनाता है.

    अर्थव्यवस्था में आये गतिरोध को दूर करने के साथ-साथ भारतीय रेलवे ने महसूस किया है कि तकनीकी उन्नति अपने आप में एक बेहद दिलचस्प चुनौती है . विकास के इस कार्य में पूरी प्रतिबद्धता के साथ जुटी रेलवे सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों के अनुरूप स्वयं को तैयार कर रही है.

    एक खूबसूरत रिपोर्ट का शुक्रिया.उम्मीद है इस तरह के रिपोर्टों का सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा.धन्यवाद

    अनिल:अगला पत्र हमें भेजा है पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रवर्त्ती जी ने। उन्होंने लिखा है....उम्मीद है कि आप सभी सकुशल होंगे।

    हमारे देश में एक कहावत है कि बंगाल जो आज सोचता है,वो बाक़ी देश कल सोचता है। कम से कम एक त्यौहार होली के मामले में भी यही कहावत चरितार्थ होती है। यहां देश के बाक़ी हिस्सों के मुक़ाबले,एक दिन पहले ही होली मना ली जाती है। देश के बाक़ी हिस्सों में रंगों का त्यौहार होली 6 मार्च के दिन मनाया गया।लेकिन पश्चिम बंगाल में " 5 मार्च को होली रंगोत्सव था। पश्चिम बंगाल में त्यौहार को "दोल उत्सव या दोलयात्रा" के नाम से जाना जाता है। इस दौरान रंगों के साथ पूरे पश्चिम बंगाल की समृद्ध संस्‍कृति की झलक देखने को मिलती है। दोल शब्द का मतलब झूला होता है। झूले पर राधा-कृष्ण की मूर्ति रखकर महिलाएं भक्ति गीत गाती है और उनकी पूजा करती हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने होली के ही दिन शांतिनिकेतन मे वसंत उत्सव का आयोजन किया था,तब से आज तक इसे वहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।होली के रंग हमारे उत्साह को दोगुना करते हैं।होली का मतलब चमकीले रंगों से सराबोर होकर एक हो जाने और खुश होने का त्यौहार है।इस दिन सुबह से ही अबीर और रंगों से होली खेली जाती है। छोटे-छोटे बच्चे, वयस्क व वृद्ध सभी एक-दूसरे पर गुलाल बरसाते हैं तथा पिचकारियों से लाल, हरे, नीले, बैंगनी तथा काले रंग लगाते हैं।इसके साथ ही नाच गाना तो होता ही है। होली में रंग-बिरंगे चेहरे देख कर बहुत मजा आता है।

    मीनू:आगे लिखते हैं.....मैं न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी साथियों की ओर से सीआरआई हिंदी विभाग की सभी उद्घोषक एवं उद्घोषिका एवं सभी श्रोता मित्रों एवं नेट पाठकों को होली की बहुत-बहुत मुबारकबाद देता हूं।

    होली का त्यौहार मेरे जीवन में बहुत महत्व रखता है।मैंने अपने परिवार,दोस्तों और पड़ोसियों के साथ होली खेली है।मैं होली के त्योहार पर कुछ फोटों आपके पास भेज रहा हूं।अगर ये फोटो आपको पसंद आएं,तो कृपा करके कुछ फोटों आपकी वेबसाईट पर अपलोड करेंगे। इसी आशा के साथ मैं यह खत यहीं पर समाप्त कर रहा हूं।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता bimlendu vikal के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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