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    आपका पत्र मिला 2015-03-04
    2015-03-05 19:35:14 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में (सबसे पहले सीपीपीसीसी के बारे में जानकारी, जो 3 मार्च को उद्घाटित हुआ) इस के बाद श्रोताओं के ई-मेल और पत्र का वक्त होगा। अंत में पेश किए जाएंगे एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश

    चलिए, सीपीपीसीसी के बारे में सवाल-जवाब

    A.सीपीपीसीसी क्या हैः

    सीपीपीसीसी चीनी जनता के देशभक्ति एकता मोर्चे की संस्था है, जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में बहुदलीय सहयोग व राजनीतिक सलाहकार की प्रमुख संस्था है। वह चीन के राजनीतिक जीवन में समाजवादी लोकतंत्र का प्रसार करने का अहम तरीका है।

    B.सीपीपीसीसी की कमेटियां:

    सीपीपीसीसी राष्ट्रीय व स्थानीय कमेटियों से गठित है। सीपीपीसीसी की राष्ट्रीय कमेटी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी, विभिन्न लोकतांत्रिक पार्टियों, निर्दलीय सूत्रों, जन संगठनों, विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों व तबकों के प्रतिनिधियों, हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र, मकाओ विशेष प्रशासनिक क्षेत्र व थाईवान के देशबंधुओं और प्रवासी चीनियों से बनी होती हैं।

    C.सीपीपीसीसी के प्रमुख अधिकारः

    राजनीतिक सलाहकार, लोकतांत्रिक निगरानी और राजनीति में भागीदारी सीपीपीसीसी के प्रमुख अधिकार व कर्तव्य हैं।

    D.सीपीपीसीसी के सदस्यों के अधिकार व कर्तव्यः

    सीपीपीसीसी के सदस्यों का कार्यकाल पांच साल का होता है। उनके निम्न अधिकार हैं:

    1, मतदान करना, चुनाव करना और चुनाव किया जाने का अधिकार।

    2, आलोचना व सुझाव पेश करने का अधिकार।

    3, राष्ट्रीय उसूलों व विभिन्न स्थलों के महत्वपूर्ण मामलों पर विचार विमर्श करने का अधिकार।

    4, राष्ट्रीय संस्थाओं व कर्चचारियों के कार्यों का सुझाव व आलोचना करने का अधिकार।

    5, कानून विरोधी कार्यवाइयों की जांच का अधिकार।

    6, सीपीपीसीसी से स्वतंत्र रूप से हटने का अधिकार।

    7, सदस्य की योग्यता को छीनने की चेतावनी या सजा मिलने के बाद पुनः जांच करके सुनवाई देने का अधिकार।

    उनके निम्न कर्तव्य हैं:

    1, सीपीपीसीसी के चार्टर का पालन करने का कर्तव्य।

    2, स्थायी कमेटी या अपनी कमेटी के प्रस्ताव का पालन करने का कर्तव्य।

    3, सीपीपीसीसी के स्थानीय सदस्यों को राष्ट्रीय कमेटी या उच्च स्तरीय स्थानीय कमेटी के प्रस्तावों का पालन करना होता है।

    E.इस साल के केंद्रित विषयः

    1, चीनी अर्थव्यवस्था कैसे उचित गति से आगे चल सकती है?

    2, विदेशों के लिए कैसे खुलेपन का विस्तार किया जा सकता है?

    3, सुधार को कैसे गहन किया जाय?

    4, कानून के अनुसार देश के प्रशासन की नीति को कैसे लागू किया जा सकेगा?

    5, भ्रष्टाचार विरोधी कार्य को कैसे आगे बढ़ाया जाय?

    6, जन-जीवन की गारंटी के लिए कौन कौन नयी नीतियां होंगी?

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र आया है बिहार से राम कुमार नीरज जी का। उन्होंने लिखा है.....

    आदरणीय प्रसारक महोदय,

    दुनिया के तमाम ज्वलंत मुद्दों को करीब से जानने और पढ़ने में सी आर आई की भूमिका अहम रही है.ताजा रिपोर्टों की कड़ी में भारत में स्वाइन फ्लू से 500 लोगों की मौत पर विस्तृत रिपोर्ट ने खत लिखने को मजबूर कर दिया.आपके द्वारा प्रस्तुत इस रिपोर्ट के आधार पर यदि बात करें तो स्पष्ट है कि भारत में स्वाइन फ्लू खतरनाक रूप अख्तियार करता जा रहा है. इसकी भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देशभर में अब तक इससे मरने वालों की संख्या 500 तक पहुंच चुकी है. जबकि इससे प्रभावित लोगों की संख्या हजारों में है. स्वाइन फ्लू के मरीजों का इलाज कर रहे है स्वास्थ्य कर्मियों को इस बीमारी की चपेट में आने से बचाने के लिए सरकार ने इन्हें टीका लगाने का निर्देश दिया है.

    स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव अंशु प्रकाश ने बताया कि 12 फरवरी तक स्वाइन फ्लू से पीड़ित लगभग 485 लोगों की जान चुकी है. फरवरी माह में अब तक 279 इसके शिकार हो चुके हैं.इसी सन्दर्भ में आ रही लगातार मीडिया रिपोर्टों से स्पष्ट है कि समीक्षा बैठक में विशेषज्ञों की राय के बाद सभी राज्य सरकारों को स्वाइन फ्लू के मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने का निर्देश दिया गया है. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही एडवाइजरी और दिशा-निर्देश जारी करेगा. वैश्विक स्तर पर लोगों के बीमार पड़ने और उनकी मौतों के बाद 2009 में एच1एन1 वायरस को स्वाइन फ्लू नाम दिया गया था. इसने देश के पर्यटन और विमानन उद्योग पर भी खासा असर डाला है.

    हाल के घटनाक्रम पर यदि एक नजर डालें तो एसोचैम के आकलन के मुताबिक, राजस्थान और महाराष्ट्र में अब तक 5500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.

    स्‍वाइन फ्लू के बारे में 2009 में पता चला था. उस वक्‍त इस बीमारी के मरीज कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका में थे. 13500 लोग इससे प्रभावित थे और 95 की मृत्‍यु हुई थी. उस वर्ष भारत में स्‍वाइन फ्लू का एक ही मामला सामने आया था.

    मीनू:आगे लिखते हैं.....वैसे इस बीमारी के सन्दर्भ में यह जानना भी जरुरी है कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार एच1एन1 वायरस भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में काफी तेजी से फैला है. यह बीमारी हवा की वजह से फैलती है. और एक मरीज से दूसरे मरीज तक भी इसका संक्रमण होता है.स्‍वाइन फ्लू से बचने के लिए सावधानी और समझदारी दोनों ही जरूरी हैं.

    वास्तव में यह टाइप-ए प्रकार का इन्‍फ्लुएंजा वायरस है. इसे स्‍वाइन फ्लू इसलिए कहा जाता है, क्‍योंकि यह सूअरों में पाया जाता है. यह बीमारी अधिकांशत: उन्‍हीं लोगों को होती थी, जिनका संपर्क सूअरों से होता था. कई देशों में सूअर पाले और खाए भी जाते हैं. इस वजह से यह बीमारी इंसानों में पहुंची है. यही वजह है कि यह इंसानों के जरिये तेजी से फैली.

    स्‍वाइन फ्लू से बचने के कुछ आसान तरीके भी हैं जिन्हें अपना कर बचा भी जा सकता है.स्‍वाइन फ्लू से बचने के लिए स्‍वच्‍छता बहुत जरूरी है. कोशिश करें कि किसी भी खुली और सार्वजानिक चीज को छूने के बाद और किसी से हाथ मिलाने के बाद हाथों को अच्‍छी तरह से धोएं.यदि आप सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं तो नाक और मुंह को ढंककर रखें.

    दफ्तर में फोन, प्रिंटर और दरवाजों को छूने के बाद हाथ धोना हितकर रहेगा। जो लोग खांस रहे हों या छींक रहे हों, उनसे दूरी बनाकर रखें.

    संभव हो तो ऐसे लोगों से छह फीट की दूरी बनाए रखें. इसी तरह से यदि किसी सार्वजनिक स्‍थल पर आपको छींक आए या खांसी आए तो मुंह और नाक को रूमाल से ढंक लें. बिना धुले हाथों से अपनी आंख, नाक तथा मुंह को न छुएं.

    एक खूबसूरत रिपोर्ट के लिए सी आर आई को तहे दिल से शुक्रिया.

    अनिल:अगला पत्र आया है ओड़िशा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। वे लिखते हैं..... दिनांक 19 फ़रवरी को आपकी वेबसाइट पर तिब्बत से संबंधित दो वीडियो देखे। पहले वीडियो में शिनचाई गाँव में च्योवू नृत्य, जिसे यूशू शहर की लोक नृत्य मण्डली द्वारा पेश किया गया, प्रस्तुति बेहद लाज़वाब लगी। नृत्य करते समय लोग पर्वत देवता से प्रार्थना करते हैं कि आने वाले वर्षों में मौसम अच्छा रहे और लोग अमन-चैन से जीवन बसर कर सकें। हाँ, नृत्य के दौरान जो परिधान पहना गए थे, उसे समझना हमारे लिये ज़रा मुश्किल था, क्योंकि परिधान में बाहें काफी लम्बी और भिन्न-भिन्न रंगों में दिखलायी पड़ रहीं थीं। हाँ, सिर पर लाल टोपी काफी खिल रही थी। एक बात और, वह यह कि इस नृत्य में भारत की पूर्वोत्तर संस्कृति की झलक भी मिलती है। दूसरे वीडियो में तानबा काउन्टी के च्याच्यू गाँव में पहाड़ी ढ़लान पर बने तिब्बती विशेषता वाले सुन्दर मकान और वहां "च्याच्यू तीन बहन" नामक होटल की बॉस के बारे में प्रदत्त जानकारी से इस बात का पता भी चलता है कि तिब्बत का विकास कितना द्रुतगति से हो रहा है और वहां पर्यटन की सम्भावनाएं कितनी उज्जवल हैं। लोगों में जोश इतना कि अपने घरों को ही होटल में तब्दील कर देते हैं। यह जान कर लगा कि कहीं न कहीं उनमें अतिथि सत्कार की भावना भी प्रबल है। धन्यवाद।

    मीनू:अगला पत्र आया है उत्तर प्रदेश से सादिक आजमी का। उन्होंने लिखा है.....नमस्कार,

    आज आपके द्वारा कार्यक्रम आपका पत्र मिला के अंतर्गत वसंत त्यौहार और चीन मे नए साल के आगमन पर विशेष रिपोर्ट सुनकर मन प्रसन्न हो उठा. हालाँकि पूर्व में इससे संबंधित कार्यक्रम आपके माध्यम से कई बार सुनते आए हैं। पर हर बार हर साल नए साल के आगमन पर चीनी लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार की तैयारियों और इससे सम्बंधित परिवर्तनों तथा बदलाव की जानकारी मिलती है, भारतीय संस्कृति से मिलती जुलती प्रथा को तमाम चीनी भाई पूरे जोश के साथ मनाते हैं। नए नए कपड़े बनवाते हैं, अच्छे अच्छे पकवान बनते हैं, तमाम परिजन इस मौके पर एकत्रित होते हैं, मित्रों को एवं सगे संबंधियों को न्योता दिया जाता है। साथ ही पारम्परिक भोजन जो मांस को आटे मे रखकर तैयार किया जाता है सभी चाव से विशेष तौर पर खाते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है और सबसे बड़ी बात कि आज के दिन आपसी गिले शिकवे दूर किये जाते है, 4000साल से चले आरहे इस प्रकार के त्यौहार इस बात का ठोस प्रमाण है कि तमाम चीनी भाई अपने देश और अपनी संस्कृति से बेहद लगाव रखते हैं। जो नि:संदेह पूरे विश्व में उनको पहचान प्रदान करती आई है,

    हालाँकि कुछ युवा पश्चिमी सभ्यता में दिलचस्पी अवश्य दिखा रहे हैं मगर उनको भी इस बात का ज्ञान है कि यही संस्कृति हमारी विरासत है जो भविष्य में पीढ़ी दर पीढ़ी हमको दुनिया के समक्ष अलग रूप मे पेश करती रहेगी, मैं पड़ोसी देश का वासी हूं पर मुझे गर्व है भारत की भांति चीन के लोग भी अपनी सभ्यता और संस्कृति से प्रेम करते हैं, एशिया यूरोप और अमेरिका से न सिर्फ हमारी सीमाएं अलग हैं अपितु हमारी संस्कृति, और रीतिरिवाज, एवं सोच भी भिन्न है। हमेशा से एशिया महाद्वीप पर भगवान की कृपा दृष्टि रही है जो शायद हमारे पूर्वजों की धर्म और ईमानदारी तथा मानवता को वरीयता दिये जाने के कारण रहा है, मैं अपनी ओर से और सभी क्लब मित्रों की ओर से आप सब उद्घोषकों एवं समस्त चीनी भाईयों को वसंत पर्व एवं नए साल की हार्दिक शुभकामना पेश करता हूं. नया वर्ष मंगलमय हो यही कामना है।

    अनिल:आगे लिखते हैं.....आज के कार्यक्रम में श्रोता भाई सुरेश अग्रवाल जी का चिंतन सटीक लगा वाकई cri हिन्दी श्रोताओं की गिरती संख्या चिन्ता का विषय है मेरे विचार से इसमें cri प्रबंधक की सुस्ती भी मुख्य कारण रहा है। श्रोताओं के प्रोत्साहन हेतु न तो बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन होता है न ही पूर्व की तरह उन्हें चीन की सैर करने काअवसर प्रदान किया जाता है, ऩ ही हर तीन महीने पर सक्रिय श्रोता को पुरस्कृत्त किया जाता है ऩ ही भारत स्थित अपने सक्रिय मॉनीटरों से उनके स्वर में हर रोज़ रिपोर्टिंग करवाई जाती है , एक जिम्मेदार श्रोता होने के नाते मैने आपका ध्यान आपकी कमज़ोरियों की ओर केन्द्रित करवाया है। अमल करना न करना आपके हाथ में है, हां अलबत्ता आज श्रोता भाई कृष्ण मुरारी जी से अनिल जी द्वारा करायी गई भेंटवार्ता के लिये हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

    मीनू:अगला पत्र हमें भेजा है झारखंड से एसबी शर्मा जी ने । उन्होंने लिखा है....

    सी आर आई के सभी दोस्तों के साथ चीनी जनता को चीनी वसंत उत्सव और नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं। 2015 का वसंत उत्सव आपके जीवन में खुशियां , बेहतर स्वास्थ्य, धन वैभव और समृद्धि लेकर आये I यही हमारी कामना है I

    इस अवसर पर आपकी वेबसाईट पर एक वीडियो डाला गया है, जिसमें चीनी लोगों को वसंत त्यौहार की खुशियां मानते दिखाया गया है I लोग अपने दरवाजों पर लाल रंग के रंगीन कागज से कटे विभिन्न आकृतियां लगा रहे हैं I बच्चे नाच गान कर रहे हैं I चीनी ड्रैगन डांस तो सबको नचा रहा है घरों में भिन्न भिन्न तरह के पकवान बनाये जा रहे है I डम्पलिंग तो हर जगह दिखाई दे रहा है I परंपरा के अनुसार बुजुर्ग लोग बच्चों को लाल लिफाफे में गिफ्ट दे रहे हैं I खूब पटाखे जलाए जा रहे हैं, सभी लोग पारम्परिक पूजा में भाग लेकर एक दूसरे को गले लगाकर शुभकामना दे रहे हैं I ख़ुशी और मस्ती से भरा पारिवारिक मिलन का यह समारोह लोगों को जोड़ने का सन्देश देता है I परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर वसंत त्यौहार पर बने पकवानों का लुफ्त उठाते हैं I वैसे तो चीन में नॉनवेज ज्यादा खाया जाता है पर इस अवसर पर तरह तरह के वेज पकवान भी परोसे जाते हैं I नए कपड़े, मस्ती और उमंग से भरा वातावरण सबको मदमस्त किये रहता है I इस अवसर पर शराब का भी सेवन होता है I वसंत त्यौहार, यानि चीनी नव वर्ष पर आपका वीडियो बहुत पसंद आया। इसके लिए धन्यवाद

    अनिल:अगला पत्र बहुत लंबा है, जो पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी ने भेजा है। लेख का विषय है चीन की कूटनीति पर मेरा अनुभव एवं " 12 वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा (एनपीसी) का तीसरा पूर्णाधिवेशन और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन (सीपीपीसीसी) की 12वीं राष्ट्रीय समिति के तीसरे पूर्णाधिवेशन के बारे में मत सर्वेक्षण है। आइए, सुनिये बसु जी ने क्या लिखा है।

    सादर नमस्कार। इस साल मार्च महीने में 12वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा(एनपीसी) का तीसरा पूर्णाधिवेशन और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन(सीपीपीसीसी)की 12वीं राष्ट्रीय समिति का तीसरा पूर्णाधिवेशन पेइचिंग में आयोजित होगा। इन दो महत्वपूर्ण सम्मेलनों के बारे में वेबसाइट पर एक मत सर्वेक्षण करने के लिए सीआरआई को हार्दिक धन्यवाद। आशा है कि श्रोता और नेटिज़न इस मत सर्वेक्षण में बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे और इसमें भाग लेने वाले सभी श्रोताओं व नेटिजनों को उपहार भी दिया जायेगा।

    इस सर्वेक्षण में आपने पूछा है कि "पिछले साल चीन की कूटनीति पर आपका अनुभव कैसा रहा ?इस प्रश्न के जवाब में मैं यह बोलना चाहूंगा कि मैं वर्ष 1985 साल से सीआरआई की हिन्दी सेवा से जुड़ा हुआ हूं। काफी लम्बे समय से हिन्दी कार्यक्रमों के माध्यम से चीन को काफी नजदीक से देखा है। हम सभी जानते है कि एक अक्टूबर,1949 को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई और भारत ही पहला गैर कम्युनिस्ट देश था जिसने इसे मान्यता दी। एक अप्रैल,1950 को दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई।उल्लेखनीय है कि दक्षिण एशिया में चीन- पाकिस्तान राजनयिक संबंध 21 मई 1951 को,चीन- नेपाल राजनयिक संबंध 1 अगस्त 1955 को, चीन- श्रीलंका राजनयिक संबंध 7 फरवरी 1957 को और चीन-बांगलादेश राजनयिक संबंध 3 अक्तूबर 1975 को कायम हुए। चीन-भारत दोनों के बीच संयुक्त रूप से पंचशील पर समझौता 1954 में हुआ। पंचशील यानी शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत वर्तमान युग में शांति,सुरक्षा और सहयोग के शक्ति स्तंभ है। 15 जून,1954 को चीन के प्रथम प्रधानमंत्री चो अनलेई जहां भारत दौरे पर आए वहीं, तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अक्टूबर,1954 में चीन का दौरा किया। पंचशील सिद्धांत का विषय है देशों के बीच एक दूसरे की प्रभुसत्ता व प्रादेशिक अखंडता का सम्मान,एक दूसरे का अनाक्रमण,एक दूसरे के घरेलू मामलों में अहस्तक्षेप और आपसी लाभ तथा शांतिपूर्ण सहजीवन। इन सभी विषयों को जोड़कर देखा जाए तो मैं यह बताना चाहूंगा कि बीते छह दशकों में चीन की विदेश नीति पंचशील यानी शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिंद्धातों पर आधारित है।

    मीनू:आगे लिखते हैं.....मेरे विचार से चीन एक शांतिप्रिय देश है और चीन हमेशा दुनिया में शांति तथा भाईचारे के पक्ष में खड़ा रहा है। दक्षिण एशिया हो या मध्य एशिया या फिर पूर्वी एशिया,पड़ोसी देशों को लेकर अपनी कूटनीति को बेहतर बनाने के मामले में चीन निष्ठावान और समर्पित है।हमने देखा है कि चीन ने हमेशा भारत,पाकिस्तान,बांग्लादेश,नेपाल,श्रीलंका,मालदीव आदि पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण दोस्ती की विदेश नीति का पालन किया है। मैं यहां पर उल्लेख करना चाहूंगा कि पिछले वर्ष सितंबर में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने दक्षिण एशिया और मध्य एशिया से चीन के रिश्ते प्रगाढ़ करने के लिए भारत सहित श्रीलंका, मालदीव और ताजिकिस्तान की यात्रा की जो एशियाई देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत की ऐतिहासिक यात्रा करके चीन-भारत संबंधों के विकास को नए स्तर पर पहुंचाया। मैं मानता हूं कि चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा न सिर्फ दोनों देशों की,बल्कि एशिया,यहां तक कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।

    यह बात तो सही है कि चीन भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी देश है,जिसके साथ हमारे रिश्ते सदियों पुराने हैं। चीन में सुधार व खुले द्वार की नीति लागू होने के बाद आज चीन दुनिया का दूसरा बड़ा आर्थिक समुदाय बन चुका है। साथ ही विश्वव्यापी अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है । आपकी न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार अब चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जबकि भारत दक्षिण एशिया में चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पिछले साल दोनों देशों के बीच 65.5 अरब अमेरिकी डॉलर का कुल व्यापार हुआ था।वर्तमान दुनिया में विश्व वित्तीय संकट गहराता जा रहा है और ऐसी स्थिति में हमारे दोनों देश साथ मिलकर वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास को बनाये रखने में जुटे हुए हैं।

    अनिल:अगे बसु लिखते हैं....मैं एक आम आदमी हूं। हम साधारण भारतवासी चाहते हैं कि दोनों देश के नेता भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे ।भारत और चीन के बीच व्यापक समान हित मौजूद हैं।इस साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापना की 65वीं वर्षगांठ है। हमारा देश चीन के साथ संबंधों के विकास को महत्व देता है। दोनों देशों के नेताओं के बीच आपसी यात्राओं एवं वार्ताओं के जरिये राजनीतिक आपसी विश्वास लगातार मजबूत होगा हुआ हौ और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग भी दिन ब दिन विस्तृत हुआ है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल मई महीने में चीन की यात्रा करेंगे। मुझे यकीन है कि इस यात्रा से भारत- चीन संबंध नए स्तर पर पहुंचेंगे और हिमालय के दोनों तरफ रहने वाले तीन अरब लोग शांति,मित्रता,स्थिरता एवं समृद्धि का आनंद ले सकेंगे। मैं हृदय से कामना करता हूं कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के लोगों की प्रगति एवं समृद्धि के लिए मददगार हों। "हिंदी- चीनी भाई-भाई।भारत-चीन मैत्री जिंदाबाद"।

    बसु जी ने आगे लिखते हुए हमें होली की शुभकानाएं दीं।

    हम सभी ने जानते है कि हमारे देश भारत त्योहारों का देश है। होली शीत ऋतु के अंत में बंसत के आगमन,चारों और रंग-बिरंगे फूलों का खिलना होली आने की ओर इशारा करता है। होली का त्यौहार प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2015 में 6 मार्च के दिन होली रंगोत्सव मनाया जाएगा।इस त्योहार मस्ती और रंग का पर्व है। होली के दिन प्रात:से बाल,युवा,वृ्द्ध,स्त्री-पुरुष एक-दूसरे पर रंग डालते है। इस रंगों का त्यौहार के आगमन पर सबसे पहले मैं और हमारे न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी सदस्यों की ओर से चाइना रेडियो इंटरनेशनल-हिन्दी परिवार के समस्त कर्मचारियों को साथ ही सभी श्रोता मित्रों को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई देता हूं!

    में आपके वेबसाइट पर आज यानि 2 मार्च को प्रकाशित वनिताजी द्वारा सम्पादित "शानशी प्रांत में वसंत की पहली बर्फबारी" शीर्षक रिपोर्ट पढ़कर बहुत खुशी हुई। रिपोर्ट के साथ शानशी प्रांत के दक्षिण में स्थित चियांग कांउटी में हुई पहली बर्फबारी का आठ ख़ूबसूरत फोटो देखकर मेरा मन मोहित हो गया। मैं इस दर्शनीय शानशी प्रांत को अपनी आंखों से देखना चाहता हूं।प्रकृति का ऐसा सुंदर अनुभव देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    मीनू:अंत में लीजिए पेश है, दिल्ली से अमीर अहमद का पत्र। उन्होंने लिखा है।.....नमस्ते

    चीन का तिब्बत कार्यक्रम के माध्यम से तिब्बत की गैर सार्वजनिक आर्थिक स्थिति पर श्याओ थांग जी की रिपोर्ट से मालूम हुआ कि वर्ष 2014 तक तिब्बत में गैर सार्वजनिक आर्थिक समुदायों की संख्या तेरह हजार से अधिक पहुंच गई है। साथ ही यह भी मालूम हुआ कि वर्ष 2014 में यहां से गैर सार्वजनिक आर्थिक समुदायों से 16 अरब 30 करोड़ 50 लाख युआन कर हासिल हुआ। जिससे तिब्बत के विकास में स्थानीय लोगों के कर भुकतान से एक बड़ी भागीदारी हुई है। इससे यहां के विकास की रफ्तार अवश्य तेज हुई होगी ऐसी आशा है। तिब्बत के उद्योग और वाणिज्य संघ के अध्यक्ष न्गापो जी से मालूम हुआ कि आजकल गैर सार्वजनिक अर्थव्यवस्था तिब्बत के बाजारों में प्रमुख स्थान बना चुकी है। जिससे तेज विकास हुआ है। मालूम हुआ कि गैर सार्वजनिक अर्थ अर्थव्यवस्था तिब्बत के आर्थिक विकास का महत्व पूर्ण स्तंभ ही नहीं वित्तीय कर वसूली का अहम माध्यम और रोजगार बढ़ाने का प्रमुख रास्ता बन चुका है। जिससे तिब्बत में सुधार विकास और शांति में अहम भूमिका निभाई है।

    अनिल:आगे लिखते हैं.....हाल में तिब्बती संस्कृति पर प्रदर्शनी थाईपे में उद्घाटित हुई जिसमें बर्फीली बुद्ध मूर्ति का प्रदर्शन किया गया। हिमालय हिम नदी और थाईवान के पहाड़ी स्प्रिंग वाटर के बर्फ से बनी मूर्ति प्रदर्शित हुई। पता चला कि बर्फीली मूर्ति के शुभकामना जल को दान के रूप में आर्शिवाद के लिए स्थानीय नागरिकों को दिया जाता है। बर्फीली बुद्ध मूर्ति पहले तिब्बती कलाकार गादे ने 2006 में तैयार की थी। उन्होंने ल्हासा नदी के पानी को जमाकर मूर्ति बनायी फिर मूर्ति को नदी में रखा। थाईपे में प्रदर्शित मूर्तियों की ऊंचाई 180 सेमी है। आपकी वेबसाइट पर हिमपात के बाद ल्हासा के सुंदर फोटो देखने को मिले। जिसमें चोरवान मठ का दृश्य और बर्फ में पोटाला महल बहुत सुंदर लग रहा था। बार बार आंखें बंद कर बर्फ की चादर में लिपटे पोटाला महल को महसूस कर रहा था। बर्फ में खेलते तिब्बती बच्चों की तसवीरें अच्छी लगी। विकसित होता चीन शीर्षक पर आधारित रिपोर्टें बहुत अच्छी है। घर बैठे जानकारी हम तक देने के लिए आप सभी को धन्यवाद।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता कुमार जय बर्द्धन के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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