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    आपका पत्र मिला 2015-02-25
    2015-02-26 09:35:16 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र आया है ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    दिनांक 9 फ़रवरी को बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत आज चीन की पारम्परिक वास्तुकला पर दी गई जानकारी काफी महत्वपूर्ण लगी। चारदीवारी वाले वर्गाकार एवं आयताकार भवन निर्माण सम्बन्धी जानकारी पूरी तरह विज्ञानसम्मत प्रतीत हुई। वास्तुकला के डिज़ाइन और संरचना में एकान्त, पर्यावरण, शांति, स्वास्थ्य, ख़ुशी आदि तमाम बातों का ख्याल रखा जाना विशुध्द विज्ञान नहीं तो और क्या है ! तीन हज़ार साल पुरानी चीन की यह वास्तुशैली उसके ज्ञान और समृध्द अतीत को दर्शाती है। कार्यक्रम में पेइचिंग की विशेषता वाले तथा अन्य राज्यों के शु ख़ येन आवासों पर भी अच्छी जानकारी हासिल हुई। कार्यक्रम के अगले भाग में दक्षिण-पश्चिम चीन की हान जाति की महिलाओं द्वारा काष्ठतकली पर सूत कातने के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में बांस से बने उपकरण एवं चरखे से सूत कातने की चीनी परम्परा पर भी महती जानकारी हासिल करने का मौक़ा मिला। धन्यवाद स्वीकार करें।

    कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत 26 जनवरी को भारत के छियासठवें गणतन्त्र दिवस के उपलक्ष्य में पेइचिंग स्थित भारतीय दूतावास में आयोजित भव्य सत्कार समारोह पर श्याओ थांगजी की रिपोर्ट में दूतावास के एक अधिकारी की पत्नी पूनम सूरी तथा सन 1991 से चीन में रेस्तरां व्यवसाय कर एक से तीन रेस्तरां खड़े करने वाले एक भारतीय, जिनका नाम नोट करना सम्भव नहीं हुआ, से बातचीत सुनवाया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। धन्यवाद।

    मीनू:आगे सुरेश जी लिखते हैं......

    दिनांक 13 फ़रवरी को अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत मध्य चीन स्थित हुबे प्रान्त के फान थी नामक एक ऐसे वक़ील की कहानी सुनी, जो कि अगस्त 2013 में तिब्बती लोगों को क़ानूनी सहायता प्रदान करने उहान से लोका प्रिफैक्चर की च्या छ्या काउन्टी पहुँचे और निःस्वार्थ भाव से लोगों का मार्गदर्शन किया। इतना ही नहीं, एक साल की अवधि पूरी होने पर उन्हें अपने घर लौटना था, परन्तु काउन्टी प्रमुख कुंजुए दोर्जे के आग्रह पर वह एक और साल वहां ठहरने को राजी हो गये। यदि वह अपने घर लौट प्रैक्टिस करते हो उन्हें कोई चालीस लाख युआन की आय हो सकती थी, परन्तु उन्होंने तिब्बत के लोगों को तरज़ीह दी और वहां ठहरने का निश्चय किया। कार्यक्रम में फान थी की सेवाओं का लाभ उठा चुके एक अनपढ़ किसान तसरीन छिनजोन के विचार सुन कर भी अच्छा लगा। सेवा और त्याग की मूर्ति उन वक़ील साहेब को हमारा हार्दिक साधुवाद।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत आज सबसे पहले मैं उस त्रुटि की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा, जिसमें वेइतुंगजी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप को मिली सीटों की संख्या 77 बतलाई। जब कि वास्तविक संख्या 67 है। बहरहाल, दिल्ली विधानसभा चुनावों में केजरीवाल की अभूतपूर्व विजय और भाजपा की करारी हार पर लाइव इण्डिया के वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी द्वारा यूँ तो स्थिति का सूक्ष्म विवेचन किया गया, जो कि क़ाबिल-ए-तारीफ़ भी था, परन्तु मुझे भाजपा की पराजय के प्रमुख कारण के तौर पर उनका यह कहना सर्वथा उचित जान पड़ा कि-भाजपा अपने असमंजस एवं अहंकार के कारण हारी। धन्यवाद।

    अनिल:अगला पत्र मेरे हाथ आया है झारखंड से एसबी शर्मा जी का। उन्होंने लिखा है.....इस सप्ताह के दक्षिण एशिया फोकस में वेइतुंग जी ने जहां दक्षिण एशिया के महत्वपूर्ण खबरों पर प्रकाश डाला वहीँ पंकज जी ने उमेश चतुर्वेदी जी के वार्ता कर यह समझाने की कोशिश कि की कैसे दिल्ली में भाजपा की शर्मनाक हार हुई। इसके कारण क्या क्या थे, आप पार्टी को इतनी बड़ी जीत कैसे मिली और सबसे बढ़कर भारतीय जनता पार्टी पर इस हार का प्रभाव क्या पड़ेगा। अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य में बीजेपी की इस हार का असर भारत और भाजपा पर कैसे पड़ रहा है आदि। हमेशा की तरह इस घटना का बहुत ही बारीक़ विश्लेषण किया गया। इससे पता चला की अंदरूनी गुटबाजी, पार्टी नेतृत्व द्वारा नए मुख्यमंत्री के उम्मीदवार को थोपना, मोदी सहित भाजपा के बड़े नेताओ का अहम और सरकार का विजनेस बिरादरी की तरफ झुकाव और भाजपा द्वारा द्वारा हवाई किले बनाना पार्टी की हार के मुख्य कारण रहे।

    इस हार के बाद भाजपा संभल जाएगी, पर इसका दूरगामी असर होगा और मलेशिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश जो भारत में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद डर रहे थे वो बीजेपी और भारत को आँख दिखाएंगे। बीजेपी के सत्ता में आने से भारत की राजनीतिक शक्ति मजबूत हुई थी पर हार के बाद स्थिति पहले जैसी नहीं होगी। कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।

    मीनू:शर्मा जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, आगे पढ़ते हैं पश्चिम बंगाल से मनीषा चक्रवर्ती का पत्र। उन्होंने लिखा है......

    सादर नमस्कार। इस महीने की 19 फरवरी को पारंपरिक चीनी भेड़ वर्ष का वसंत त्योहार था। वसंत त्योहार चीन का सबसे महत्वपूर्ण परंपरागत त्योहार है।इस मौके पर मैं बहुत खुशी के साथ सीआरआई हिंदी विभाग के सभी उद्घोषक-उद्घोषिका एवं सभी कार्यकर्तायों व सभी श्रोताओं को को बहुत बहुत बधाइयां एवं ढेर सारी शुभकामनाएं देती हूं।

    अनिल:अगला पत्र हम तक पहुंचा है बिहार से राम कुमार नीरज का। उन्होंने लिखा है.....आज सुबह सुबह आपकी साइट पर पेइचिंग में शुनयी की स्ट्रॉबेरी सबसे अच्छी विषय पर रिपोर्ट देख और पढ़कर मन गदगद हो गया। इस रिपोर्ट के माध्यम से यह जानना सचमुच बेहद दिलचस्प लगा कि पेइचिंग के शुनयी जिले में बिना किसी कीटनाशक और रासायनिक खाद के स्ट्रॉबेरी तैयार होती है, जो खूबसूरत देखने के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है।

    यह जानना भी सचमुच बेहद दिलचस्प है कि लाल रंग का रसीला स्ट्रॉबेरी अपनी मनमोहक सुगंध व स्वाद के कारण विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय फल माना जाता है। स्‍ट्रॉबेरी का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. कई लोग इसे बहुत पसंद करते हैं मगर कुछ लोगों को यह बिल्‍कुल भी पसंद नहीं। इसका कई रूपों में उपयोग किया जाता है. स्ट्रॉबेरी का मिल्क शेक हो या फिर आइसक्रीम अथवा स्ट्रॉबेरी का मीठा दही या फिर जैम, किसी भी रूप में क्यों न हो, स्ट्रॉबेरी लोकप्रिय फल है. अब लगभग पूरे भारत में स्ट्रॉबेरी उपलब्ध होता है और ताजे फल से लेकर विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जाता है.भारत के हिसाब से यदि हम इस फल की उपलब्धता की बात करें तो जो फल केवल महाबलेश्वर, ऊटी जैसे पर्वतीय प्रदेशों में उपलब्ध था, अब गर्म रेगिस्तानी क्षेत्रों को छोड़कर सभी जगहों पर इसकी खेती होती है.

    स्‍ट्रॉबेरी ना केवल स्‍वाद में ही लाजवाब होता है मगर इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी हैं. दरअसल हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि स्ट्रॉबेरी हमारे भीतर हृदय रोगों और मधुमेह की बीमारियों को रोकती है। धन्यवाद।

    मीनू:अगला पत्र लीजिए पेश है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का। वे लिखते हैं..... मुझे "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम बहुत पसंद है। गत् 9 फरवरी को रात 9:30 से 10:30 बजे यह प्रोग्राम सुना। श्याओ यांग जी द्वारा प्रस्तुत इस प्रोग्राम के माध्यम से उत्तरी चीन के नागरिक आवासों की वास्तु निर्माण शैली "सीहय्वान" के बारे में दी गई जानकारी काफ़ी रोचक लगी। एक अच्छा प्रोग्राम पेश करने के लिए धन्यवाद। इसे सुनने के बाद मेरे मन में एक सवाल आया कि पेइचिंग में दक्षिण मुखी आवास को किस नाम से पुकारते हैं? What is the name of the south-facing room of a traditional Beijing courtyard? मैं आपके जवाब की प्रतीक्षा में हूं ।

    बसु जी, हमें पत्र भेजने पर आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपने पूछा है कि पेइचिंग में दक्षिण मुखी आवास को क्या कहा जाता है, इसका जवाब अब मैं बताती हूं। पेइचिंग के सीहय्वान में दक्षिण मुखी आवास को चेंग फांग कहते हैं, जिसका मतलब है मुख्य कमरा। अच्छा, एक बार फिर हमें पत्र भेजने और हम तक अपनी प्रतिक्रिया पहुंचाने के लिए शुक्रिया।

    अनिल:आगे बसु जी ने लिखा है.....

    सादर नमस्कार।चीनी पंचांग के अनुसार,इस वर्ष की 19 फरवरी को चीन का वसंत त्योहार मनाया गया। इसलिए इस त्योहार के मौके पर सबसे पहले मैं चाइना रेडियो इंटरनेशनल-हिन्दी परिवार के समस्त कर्मचारियों को साथ ही सभी श्रोता मित्रों को ढेर सारी शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई देता हूं!

    इस अवसर पर मैं सभी श्रोता-दोस्तों के साथ वसंत त्योहार के बारे में मेरा अनुभव शेयर करना चाहता हूं। चीनी लोगों के जीवन और संस्कृति में वसंत त्यौहार का अहम स्थान है।इस खुशी के मौके पर पूरे चीन में कम से कम सप्ताह भर का अवकाश रहता है। वसंत त्यौहार पर रंग-बिरंगे कार्यक्रम होते हैं। चारों ओर हंसी-खुशी का वातावरण दिखाई देता है।वसंत त्योहार के दौरान हर चीनी व्यक्ति वसंत उत्सव की पूर्व संध्या में अपने परिवार के साथ भोजन करने के लिए हजारों मील की यात्रा कर के भी घर वापस आना चाहता है। 15 दिनों तक इस त्योहार की खुशियां मनायी जाती हैं और हर एक दिन विशेष रस्म पूरी की जाती है। इस अवसर पर चीनी लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तो के घर जाकर उन्हें मुबारकबाद देते हैं। इसे बाय नियन कहा जाता है। वसंत त्योहार को चीनी भाषा में "न्येन" कहलाता है। इसका इतिहास लगभग 4 हज़ार साल पुराना है। वसंत उत्सव की शुरुआत चीनी कैलेंडर के अनुसार पहले माह की पहली तारीख से होती है और अंत इसी माह के 15वें दिन "लालटेन उत्सव" से समाप्त होती है। 15वां दिन पूर्णिमा का दिन होता है। यह नए साल की प्रथम पूर्णिमा होती है। इस रात चांदनी बहुत स्वच्छ एवं चमकीला लगती है। लालटेन चीन की परम्परागत कला है। लालटेनों पर विभिन्न किस्मों के जीव जन्तु,सुहावने दृश्य और वीरों के चित्र आदि बनाये जाते हैं।इस दिन लोग चावल के मीठे डंपलिंग खाते है। चीन में ऐसी मान्यता है कि मिठाई खाने से नया साल अच्छा होगा। रात को आत्माएं घर का रास्ता न भटक जाएं इस लिए घर के बाहर मोमबत्तियां जला कर रखी जाती है और रास्तों पर लालटेन टांगी जाती हैं। इस तरह चीनी नए साल का सब से बड़ा पारंपरिक त्योहार मनाया जाता है।यहां पर मैं उल्लेख करना चाहता हूं कि गत 2010 साल में हमारा कोलकाता महानगर के पूर्वी हिस्से में बसा चाइना टाउन में चीनी नव वर्ष पर चीनी लोगों द्वारा सड़क पर ड्रैगन नृत्य देखने का मौका मिला और वह ड्रैगन डान्स मेरा दिल को छू गया।

    चीनी नव वर्ष पर यह ग्रीटिंग्स कार्ड हमारे न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब के सांस्कृतिक संपादक देवशंकर चक्रवर्त्ती ने सिर्फ सीआरआई-हिन्दी विभाग के लिए तैयार किया। अगर आप इस कार्ड को आपकी वेब साईट पर अपलोड करेंगे तो हमें बड़ी खुशी होगी।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता रिजवानुर सज्जाद के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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