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    आपका पत्र मिला 2015-01-28
    2015-02-05 15:42:38 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला खत हमें भेजा है, बिहार से राम कुमार नीरज ने। लिखते हैं....

    आदरणीय प्रसारक महोदय,

    हाल ही में फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुए आतंकी हमले ने दुनिया में एक नई तरह के बहस को जन्म दिया है.फ्रांस के इस घटनाक्रम पर सी आर आई हिंदी सेवा की साइट पर श्याओयांग द्वारा सम्पादित "चार्ली हेब्डो पर जवाबी कार्रवाई करेंगे आतंकी संगठन" पर एक रिपोर्ट पढ़ी.निश्चय ही प्रस्तुत रिपोर्ट उक्त हमले की विवेचना के साथ साथ यथास्थिति को भी बताती है.यदि इस रिपोर्ट के सन्दर्भ में ध्यान से देखें तो लगता है कि ऐसा नहीं है कि फ्रांसीसी साप्ताहिक अखबार चार्ली हेब्डो को लोग उसकी व्यंग्यात्मक शैली की वजह से सिर्फ पसंद ही करते हों, इसे गालियां देने वालों की भी कमी नहीं है. उसके पन्ने अश्लील कैरीकेचर और कार्टूनों से अटे पडे़ होते हैं, जो लोगों को भड़काने का काम करते हैं. धार्मिकता पर चोट करने में तो उसे महारत हासिल है.

    उसके निशाने पर राजनीतिज्ञ से लेकर अभिनेता और मीडिया जगत की बड़ी हस्तियां अक्सर रहती ही हैं. अखबार को अक्सर पेरिस की अदालतों में देखा जाता है, जहां उस पर लोगों की छवि खराब करने और समाज में वैमनस्यता फैलाने के आरोप लगाए जाते हैं.

    यही नहीं अखबार पर अभिव्यक्ति की आजादी का बेजा इस्तेमाल करने का भी आरोप समय-समय पर लगता रहा है. इस अखबार के निशाने पर दुनिया भर के तमाम धर्म रहे हैं. फ्रांस एक धर्म निरपेक्ष देश है, जहां हर समुदाय को अपने धर्म को मानने की आजादी मिली हुई है.

    हाल की मीडिया में आ रही रिपोर्टों पर यदि एक नजर डालें तो स्पष्ट पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने भारत में रह रहे अपने नागरिकों को चेतावनी दी है कि आतंकवादी भारत में हमला करने की योजना बना रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों से भारत भ्रमण के दौरान अत्यधिक सतर्कता बरतने का भी आग्रह किया है. सरकार की स्मार्ट ट्रैवलर्स वेबसाइट पर जारी एक बयान के अनुसार, ""हमें लगातार सूचनाएं मिल रही हैं कि आतंकवादी भारत में हमले की साजिश रच रहे हैं और ये हमले देश के अंदर कहीं भी और कभी भी बिना चेतावनी दिए हो सकते हैं. हमले भारत के उन क्षेत्रों में भी हो सकते हैं, जहां ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक आकर ठहरते हैं।""

    एक खूबसूरत रिपोर्ट के लिए सी आर आई का तहे दिल से शुक्रिया.

    मीनू:आगे लिखते हैं.... सी आर आई हिंदी सेवा की साइट मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण साइट है.सचित्र चित्रों से सुस्सजित यह साइट अपने आप में ज्ञान के एक अपार महसागर को समेटे हुए है.सचर संकलन की इसी ताजा कड़ी में भारत में गणतंत्र दिवस परेड के पूर्वाभ्यास पर सचित्र रिपोर्ट पढ़ा और देखा.इस रिपोर्ट से सम्बंधित यह जानना भी बेहद दिलचस्प है कि 26 जनवरी 1950 वह दिन था जब भारतीय गणतंत्र और इसका संविधान प्रभावी हुआ. यही वह दिन था जब 1965 में हिन्‍दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया.

    वास्तव में इस अवसर के महत्‍व को दर्शाने के लिए हर वर्ष गणतंत्र दिवस पूरे देश में बड़े उत्‍साह के साथ मनाया जाता है, और राजधानी, नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रपति भवन के समीप रायसीना हिल से राजपथ पर गुजरते हुए इंडिया गेट तक और बाद में ऐतिहासिक लाल किले तक शानदार परेड का आयोजन किया जाता है.

    यह आयोजन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट पर अमर जवान ज्‍योति पर पुष्‍प अर्पित करने के साथ आरंभ होता है, जो उन सभी सैनिकों की स्‍मृति में है जिन्‍होंने देश के लिए अपने जीवन कुर्बान कर दिए. इसे शीघ्र बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है, राष्‍ट्रपति महोदय द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया जाता है और राष्‍ट्रीय गान होता है. इस प्रकार परेड आरंभ होती है.

    अनिल:आगे नीरज भाई लिखते हैं...महामहिम राष्‍ट्रपति के साथ एक उल्‍लेखनीय विदेशी राष्‍ट्र प्रमुख आते हैं, जिन्‍हें आयोजन के मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है.

    राष्‍ट्रपति महोदय के सामने से खुली जीपों में वीर सैनिक गुजरते हैं. भारत के राष्‍ट्रपति, जो भारतीय सशस्‍त्र बल, के मुख्‍य कमांडर हैं, विशाल परेड की सलामी लेते हैं. भारतीय सेना द्वारा इसके नवीनतम हथियारों और बलों का प्रदर्शन किया जाता है जैसे टैंक, मिसाइल, रडार आदि.

    इसके शीघ्र बाद राष्‍ट्रपति द्वारा सशस्‍त्र सेना के सैनिकों को बहादुरी के पुरस्‍कार और मेडल दिए जाते हैं जिन्‍होंने अपने क्षेत्र में अभूतपूर्व साहस दिखाया और ऐसे नागरिकों को भी सम्‍मानित किया जाता है जिन्‍होंने विभिन्‍न परिस्थितियों में वीरता के अलग-अलग कारनामे किए.

    इसके बाद सशस्‍त्र सेना के हेलिकॉप्‍टर दर्शकों पर गुलाब की पंखुडियों की बारिश करते हुए फ्लाई पास्‍ट करते हैं.

    सेना की परेड के बाद रंगारंग सांस्‍कृतिक परेड होती है. विभिन्‍न राज्‍यों से आई झांकियों के रूप में भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को दर्शाया जाता है. प्रत्‍येक राज्‍य अपने अनोखे त्‍यौहारों, ऐतिहासिक स्‍थलों और कला का प्रदर्शन करते है. यह प्रदर्शनी भारत की संस्‍कृति की विविधता और समृद्धि को एक त्‍यौहार का रंग देती है.

    वैसे इस विस्तृत रिपोर्ट के माध्यम से आपसे आग्रह करूँगा कि कृपा करके चीन में भी होने वाले इस तरह के राष्ट्रिय आयोजनों को केंद्रित कर एक विस्तृत कार्यक्रम तैयार करें.इस तरह के कार्यक्रम एक तरफ हमारा ज्ञान तो बढ़ाएंगे ही दूसरी तरफ चीन राष्ट्र को भी करीब से जानने और समझने मे मौका भी मिलेगा.धन्यवाद

    मीनू:अगला पत्र हमें भेजा है, उत्तर प्रदेश से मोहम्मद सादिक आजमी जी ने। उन्होंने लिखा है....नमस्कार,

    पूर्व की भाँति इस बार भी दिनांक 17 जनवरी का साप्ताहिक कार्यक्रम आपकी पसंद सुनना सार्थक हुआ जिसे पेश किया पंकज जी और दिनेश जी ने । रोचक, आश्चर्यजनक, और ज्ञानवर्धक बातों के बीच मधुर हिंदी गीत दिल जीत लेते हैं. यही कारण है हम हर शनिवार रेडियो के पास बैठ जाते हैं आज की पहली रिपोर्ट मे जीवन का एक हिस्सा बन चुके इन्टरनेट पर सभी कुछ फ्री प्रदान करने वाली साइट टोरेंट पर विस्तार से बताया जाना रोचक लगा वाकई यह बड़ी अजीब बात है कि इसके जनक का कोई पता नही है पर विञान के इस युग में कुछ भी सम्भव हो सकता है । कापीराइट प्रोफेसर लॉरर लिज़िक के योगदान पर चर्चा ञानवर्धक लगी साथ मे कापीराइट के विषय पर भारत की योजनाओं का जिक्र सटीक एवं आवश्यक लगा इस रोचक जानकारी के लिये एक बार और धन्यवाद

    अनिल:आगे लिखते हैं...19 जनवरी को ताज़ा समाचारों के उपरांत कार्यक्रम मैत्री की आवाज़ के अंतर्गत CIAM के सदस्य गोएल जी और राकेश जी के विचार जानने का अवसर मिला एडवटाइज़ के संदर्भ मे चीन और भारत में मौजूद विकल्पों पर उनके विचार सटीक लगे और इससे सम्बंधित हर पहलू पर पंकज जी ने कई सवाल पूछे । भारत और चीन दोनों विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश हैं और दोनों देशों की संस्कृति हमें एक सूत्र में बांधने में सहायक है। जिस पर पिछले वर्ष से गंभीरता से कार्य किया जा रहा है और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। दोनों देशों के बीच युवादल का आवागमन इसका उदाहरण है और कई संस्कृति कार्यक्रम के आयोजन भी लगातार होते आये हैं। cri भी इसपर लगातार दृष्टि बनाए हुए है जो हमें गतिविधियों से अवगत होने का अवसर प्रदान करता है ।

    धन्यवाद स्वीकार करें एक अच्छे विषय पर जानकारी प्रदान करने हेतु

    मीनू:चलिए, अब शामिल करते हैं अगला खत, जो आया है, बिहार से हेमंत कुमार का उन्होंने लिखा है...

    आपके द्वारा प्रसारित सभी कार्यक्रम तथा प्रसारण गुणवत्ता उच्च स्तर के हैँ। कार्यक्रम सुनकर नियमित समीक्षात्मक पत्र लिखने का प्रयास करता हूं। आपके वेबसाइट एवं फेसबुक पेज भी अच्छे लगते हैँ। 10 जनवरी को शाम की सभा में पंकज श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम 'आपकी पसंद' में त्वचा केंसर को पहचानने वाला स्मार्ट फोन, माउथ वाश के अधिक इस्तेमाल से होने वाला खतरा, वसा से होने वाले फायदे तथा शरीर में कॉलेस्टॉल की मात्रा बढ़ने से होने वाले नुकसान पर दिया गया जानकारी रोचक तथा उपयोगी लगी। साथ ही सुनवाये गए सभी फिल्मी गीत मनोरंजक लगा। बेहतर प्रस्तुति के लिए पंकज जी को हार्दिक धन्यवाद!!

    अनिल:अगला पत्र हम शामिल कर रहे हैं, झारखंड से एस बी शर्मा का। वे लिखते हैं...

    दिनाक 16 जनवरी को चीन का तिब्बत कार्यक्रम में एक आलेख सुनने को मिला। जिसमें श्याओ थांग जी, रमेश जी पंकज जी और अनिल जी की आवाज में पूरा ब्यौरा सुनाया गया। इस आलेख में तिब्बत के तमांग गाव में गाये जाने वाला गीत भी सुनाया गया जिसमें उदास भावना महसूस होती है। पर तमांग गाव में जो प्रगति हुई उसके लिए लोग इस गीत के माध्यम से सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का धन्यवाद करते हैं जिससे उनकी ख़ुशी जाहिर होती है। आगे आपने तिब्बती अक्षर के संस्थापक बिद्वान टोमेश के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वे उन 16 विद्वानो की टीम में से एक थे जिन्हें तिब्बती अक्षर सीखने के लिए भारत भेजा गया था। लेकिन टोमेश के अलावा सभी लोग मर गये, और टोमेश तीन साल भारत में रहे और भाषा का पूरी ज्ञान लेकर स्वदेश लौट गाये I उसी तिब्बती अक्षर को आगे बढ़ाया गया और जो आज तक चल रहा है I

    दक्षिण एशिया फोकस में भारत के विकास जी के बारे में जानकर अच्छा लगा, वे चीनी भाषा अच्छी तरह बोलते हैं, अब वे चीनी भाषा में डॉक्टरेट कर चीन में अपनी सेवा दे रहे हैं। धन्यवाद।

    मीनू:आज के प्रोग्राम के आखिरी खत के रूप में शामिल है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल का पत्र। वे हर रोज हमारे कार्यक्रमों के बारे में रिपोर्ट भेजते रहते हैं। लगातार मेहनत के साथ टिप्पणी भेजने के लिए आपका शुक्रिया। चलिए, अब सुनते हैं, सुरेश जी ने क्या लिखा ई-मेल में।

    दिनांक 16 जनवरी को ताज़ा समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" को भी पूरे ध्यान से सुना। गत 18 वीं शताब्दी छिंग राजवंश काल और कोई छह-सात पीढ़ियों से चीन-नेपाल सीमान्त क्षेत्र शिकाजे प्रिफ़ेक्चर की चिलोंग काउन्टी के दामान गाँव में रहने वाले लोगों की दर्दभरी दास्तान सुनी। लम्बे समय तक नागरिकता विहीन जीवन व्यतीत करने वाले तामाल लोगों को सन 2003 में मिली चीनी नागरिकता के बाद उनके जीवन में आयी खुशहाली के बारे में जान कर हमें भी अच्छा लगा। पहले लोहार का काम कर किसी तरह अपनी आजीविका चलाने वाले तामाल लोगों का जीवन अब काफी सुखमय हो गया है और उन्हें वह तमाम अधिकार हासिल हैं, जो कि किसी अन्य चीनी नागरिक को हैं। कार्यक्रम में दामान गाँव के मुखिया लोसान की बात तथा मधुर गीत मन में एक नया भाव जगाने में कामयाब रहा। कार्यक्रम के अगले भाग में तिब्बती अक्षर संस्थापक तोम्बे साम्बोजा और राज़ा सुन्जान काम्बू के तिब्बती भाषा सम्बन्धी महत्वपूर्ण कार्य पर दी गई जानकारी भी हमारे लिये काफी सूचनाप्रद थी। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश आगे लिखते हैं...कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत दक्षिण एशिया क्षेत्र की तमाम बड़ी ख़बरों के बाद चीन में अपना सपना पूरा करने गये भारतीय छात्र विकास कुमार सिंह, जिनका चीनी नाम वेइहन बतलाया गया, पर दी गई जानकारी काफी उत्साहवर्धक लगी। विकास का धाराप्रवाह चीनी बोलना हमें मंत्रमुग्ध कर गया। कहीं यह विकास वही तो नहीं, जो कि सीआरआई हिन्दी में काम कर चुके हैं कृपया आगे भी हमें ऐसे ही और लोगों से मिलवाते रहिये।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता जसीम अहमद के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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