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    भारत चीन मैत्री
    2014-12-22 15:12:28 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। वे लिखते हैं कि "सण्डे की मस्ती" के साथ खूब मस्ती की और कार्यक्रम में पेश अज़ाब-गज़ब किस्सों का भी खूब लुत्फ़ उठाया। दुनिया के तेज़ धावक हुसैन बोल्ट से भी कीबोर्ड पर तेज़ उंगलियां चलाने वाले ब्राज़ील के 17 वर्षीय युवक मारकल फर्नांडीस का रिकॉर्ड वास्तव में क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। आम तौर पर सांप को इन्सान के लिये ख़तरनाक माना जाता है, परन्तु कटिहार में तो सांप ही की जान पर बन आयी। गल्फ़ न्यूज़ में प्रकाशित संयुक्त अरब अमीरात में दुबई फेस्टिवल के अवसर पर बनाई जाने वाली दुनिया की सबसे लम्बी सोने की चैन का समाचार महज़ रिकॉर्ड के लिये है, व्यवहार में शायद ही यह किसी के काम आये। हाँ,चीन के वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया प्यार को रोकने वाला जीन वाला समाचार काफी रुचिकर लगा। यह भी जाना कि प्रतिवर्ष 54 अरब लीटर खपत के साथ दुनिया में सर्वाधिक बियर पीने वाले भी चीन के हैं। कार्यक्रम में महान हास्य कलाकार चार्ली चैप्लिन के जीवन के संघर्स एवं समस्याओं की विस्तृत कहानी भी प्रेरणादायक लगी। यह जानकारी हमारे लिये बिलकुल नई थी कि चार्ली महात्मा गांधी के मुरीद थे। ऑडियो "चमत्कार होते नहीं,करने पड़ते हैं" सचमुच जीवन का फ़लसफ़ा बयां करता है। हंसगुल्लों में यूँ तो आज तमाम किस्से उम्दा थे, परन्तु हरियाणवी तड़के वाले ऑडियो जोक्स का कोई मुक़ाबला नहीं। एक अच्छी पेशकश के लिये हार्दिक धन्यवाद।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि हमने अपना मनचाहा कार्यक्रम "आपका पत्र मिला" के तहत विभिन्न कार्यक्रमों पर श्रोता-मित्रों से प्राप्त तमाम प्रतिक्रियाएँ सुनी। अच्छी बात यह लगी कि आज आपने श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं पर अपनी राय भी ज़ाहिर की। हमारी गुजारिश है अपनी राय का यह क्रम आगे भी ज़ारी रखें, जिससे कार्यक्रम के प्रति श्रोताओं के आकर्षण में और वृध्दि होगी। कार्यक्रम के अगले भाग में बिहार के वरिष्ठ श्रोता भाई कृष्णमुरारी सिंह किसान से ली गई भेंटवार्ता सुन उन द्वारा अनवरत ज़ारी नये स्थितिविकास पर अहम जानकारी हासिल हुई। मुझे उनका यह कहना बिलकुल सही जान पड़ा कि समस्याओं का समाधान तो हमारे भीतर ही अन्तर्निहित है, ज़रुरत है तो बस एक सोच विकसित करने की। वैसे हम सभी कितने सौभाग्यशाली हैं कि विज्ञान के उस दौर में जी रहे हैं, जहाँ हर कल्पना साकार होती नज़र आती है और हम आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के ज़रिये घर बैठे पूरे ब्रह्माण्ड का दर्शन कर लेते हैं। धन्यवाद आज की इस ख़ास प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत ईवू शहर की मशहूर छम्पेलु सड़क स्थित सन 2004 में प्रारम्भ पहले भारतीय रेस्तरां स्वाद-ए-हिन्दुस्तान के संचालक मूलतः मुम्बई के श्री गिरीश हरियानी से भाई अखिल पाराशर द्वारा ली गई भेटवार्ता सुन लगा कि चीन के ईवू में सचमुच एक छोटा भारत बसता है। यूँ तो हम पहले भी ईवू पर कई बार जानकारी हासिल कर चुके हैं, परन्तु आज की प्रस्तुति अधिक सहज और सूचनाप्रद लगी। धन्यवाद।

    अनिलः सुरेश अग्रवाल ने आगे भी लिखा है कि साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत करायी गयी मध्य चीन स्थित खिले हुये कमल की तरह दिखने वाले सुप्रसिद्ध बौध्द पर्वत च्योहा की सैर का भी खूब मज़ा लिया। कोई 120 किलोमीटर की परिधि में फैले और कुल 94 छोटे-बड़े मन्दिरों को अपने में समेटे उक्त पर्यटन स्थल को एक रमणीय तीर्थ कहा जाये तो ग़लत न होगा। कार्यक्रम में ईस्वी सन 719 में यहाँ पधारे एक साधु का पूरे 75 वर्षों तक अध्ययन किया जाना और फिर 99 वर्ष की आयु में देहत्याग किये जाने वाला किस्सा यहाँ की पवित्रता का द्योतक है। ग्रेनाइट पत्थर की विशाल चट्टान पर बने भव्य मन्दिर की चर्चा भी बरबस मन को अपनी ओर खींच लेती है। इसी क्षेत्र के शेवी पहाड़ और उसके कोहरे में कोई एक हज़ार साल से उगाई जाने वाली खुशबूदार हरी चाय की चुस्की भी खूब रही। और हाँ, यह जान कर आश्चर्य हुआ कि सन 1745 में चीन से स्वदेश लौटते समय डूबे स्वीडिश जहाज़ गोठबर्ग में लदी हरी चाय का स्वाद आज भी पहले जैसा है। गोठबर्ग पर अब एक दस्तावेज़ी फ़िल्म बनाये जाने की जानकारी भी काफी महत्वपूर्ण लगी। घर बैठे चीन के इतने सुन्दर पर्यटन स्थल का दौरा कर मन बाग़-बाग़ हो उठा। धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है सऊदी अरब से सादिक आज़मी का। लिखते हैं कि दिनों दिन रोचकता की बुलंदी पर चढ़ता कार्यक्रम आपकी पसंद का नया अंक इसबार हमारा रेडियो के समक्ष बैठना सार्थक करागया अद्धभु बातों एवं रोचक घटनाओं से सुसज्जित प्रस्तुति पंकज जी की कार्यकुशलता एवं अथाह मेहनत का प्रणाम है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है

    पचपन में दादी नानी के किस्सों मे परियों का जिक्र सपनों मे सुहाने पल को सजोगने मे सहायक होता और अगले दिन कुछ और सुनने की मन मे लालसा जीवित हो उठती ठीक उसी प्रकार एलियन की धरती पर उतरने की बात हैरान करती है और इस ओर ईशारा भी कि मनुष्य के साथ और भी जीवों का संसार आकाश मे मौजूद है समय समय पर इनके प्रणाम भी मिलते रहते हैं और माचुपिचु पर कई बार एलियन का देखे जाने की घटना से कई प्रश्न मन मे ऊफान मार रहे हैं जिसका उत्तर नि:संदेह आनेवाला समय देगा ।

    दही के लाभकारी होने की बीतें आमतौर पर सुनने को मिलती रहती हैं पर उसके नकारात्मक और हानिकारक बातों के बारे मे जानना रोचक लगा और बहुत सी नई बातों का ज़िक्र हमारे ञान मे बृद्धि कारण बना और हमें सावधानी बरतने की प्रेरणा भी मिली ।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि आपकी वेबसाइट पर विज़िट करता रहता हूं आजकल कोई भी टिप्पणी मैसेज बाक्स मे लिखो तो पुष्टि का मैसेज नही मिलता चाइनीज भाषा मे लिखा आता है साथ मे अक्षर काफी बड़े शो करता है समस्या का निवारण करें विगत दिनों लेख पढ़ा कि रेशम मार्ग प्राचीन चीन के राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक केंद्र को एशिया, अफ़्रीका व यूरोप के साथ जोड़ने वाला प्राचीन वाणिज्य व व्यापार मार्ग था। छांग आन या ल्वो यांग से आरंभ होकर वह ह शी गलियारे से गुजरकर, यू मन क्वुन व त्वुन ह्वांग के पुरातन यांग क्वुन को पार करके पश्चिम की ओर शिनच्यांग तक पहुंचा। फिर नख्लिस्तान एवं पामीर पठार से होकर मध्य एशिया, पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ़्रीका के रास्ते से अफ़्रीका व यूरोप तक समाप्त होता था।और यह भी जानने को मिला कि रेशम चीन के बेशुमार उत्पादों में से एक है, लेकिन पश्चिमी देशों में उसे रहस्यमय प्राचीन पूर्व के देश का सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता था। यूरोप व एशिया को जोड़ने वाले इस मार्ग के जरिए सुन्दर चीनी रेशमी कपड़े लगातार यूरोपीय व पश्चिम एशियाई देशों को निर्यात किए जा रहे थे। इसलिए ग्रीस व रोमन के लोगों ने चीन को सेरिस देश की संज्ञा दी थी और चीनी लोग सेरिसवासी से संबोधित किए जाते थे। "सेरिस"का अर्थ है"रेशम"19वीं शताब्दी के अंत में जर्मनी के भूगोल वैज्ञानिक फ़ेर्डिनान्द वॉन रिच्थोफ़न ने चांग छ्यान की यात्रा से खुले इस पूर्व से पश्चिम तक फैलने वाले मार्ग को"रेशम मार्ग"का नाम दिया। वास्तव में रेशम मार्ग प्राचीन काल से एशिया, अफ़्रीका व यूरोप को जोड़ने वाले पूर्व से पश्चिम तक जाने वाले मार्गों का सामूहिक संबोधन है। वह न केवल विश्व में सब से लम्बा व्यापारिक मार्ग था, बल्कि पूर्व व पश्चिम के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का मार्ग और मानव जाति के स्थानांतरण का रास्ता भी था।आज फिर से इसे खोले जाने पर चर्चा है और अगर दुबारा इसका निर्माण सुनिश्चित होता है तो कई देश इससे लाभानवित होंगे हम इस प्रोजेक्ट के सफलता पूर्वक समाप्ति कि कामना करते हैं और हालिया दिनों की चीन सरकार द्वारा की गई कोशिश की सराहना भी।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा हैं एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा ने। वे लिखते हैं कि बहुत दिनों बाद आपकी फरमाइस के लिए पत्र लिख रहा हूँ आशा है श्रोताओ को उनके पसंदीदा गीत और संगीत सुनवाने वाली और नए नए जानकारिया देने वाली आपके पसंद आपकी फरमाइस की टीम नाराज नहीं होगा यह सी आर आई के बेहतरीन कार्यक्रमों में एक है और मेरा भी पसंदीदा है मेरे परिवार में भी इस कार्यक्रम को पसंद किया जाता है पंकज जी की टीम ने शनिवार को मधुर गानो के साथ दूसरे ग्रहो से आने वाले विचित्र रहस्य्मय जीव यानि एलियन पर विस्तार से जानकारी दी एलियन आज भी धरतीवासियों के लिए आश्चर्य चकित करने वाले जीव है हाँ इनके विषय में तरह तरह की रोचक कहानिया सुनने को मिलते है

    इसी प्रोग्राम में सुनने को मिला की आज कल कम श्रोता पत्र लिखते है , कुछ खास श्रोताओ का पत्र ही इनदिनों सी आर आई को मिलता है सी आर आई को इस पर विचार जरूर करनी चाहिए और उन कारणों को खोज कर निदान करना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रोता खत लिखे सर्दी में स्वास्थ्य रहने के लिए आपके द्वारा बताये गए सात खाना बहुत अच्छा लगा मुझे बहुत पसंद आया एक से बढ़ कर एक रोचक जानकारी देने और मधुर गाने सुनाने के लिए आपका एक बार फिर धन्यवाद।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि सी आर आई के समाचार और भारत-चीन मैत्रि की आवाज से पता चला की पिछले सप्ताह चीन और भारत के सेनाओ ने के संयुक्त प्रयास से भारतीय शहर पुणे में आओ हाथ मिलाये-२०१४ नामक आतंकवाद विरोधी संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया इस संयुक्त प्रशिक्षण के माध्यम से दोनों देशों के सेनाओं के बीच संबंध घनिष्ठ हुए हैं। चीन और भारत की सेनाएं क्षेत्रीय और विश्व शांति के लिये ज़्यादा योगदान करेंगी। इस कार्यक्रम से दोनों देशो के बीच का आपसी सम्बन्ध और मित्र और अधिक प्रगाढ़ हुआ है

    भारत चीन मैत्री को आगे बढ़ने के लिए सौ भारतीय युवाओं का दाल पेचिंग पहुंच चूका है भारत के राज दूत श्री अशोक कुमार कंठ ने इन युवाओं का स्वागत करते हुए अपना विचार रखा और भारतीय युवा दाल से कहा की "आप सभी भारत के दूत हैं और भारत के भविष्य नेता भी। आशा है कि आप चीन-भारत मैत्री को आगे विकसित करेंगे और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में योगदान देंगे।" ये शब्द भारत के विचार को इन युवाओं के दवरा चीन में फैलाना है उम्मीद है इस काम को भली भाति निभाएंगे इससे दोनों देशो के बीच नजदीकियां और दिलेरी सम्बन्ध बढ़ेंगे इस बार की यात्रा से भारतीय युवा चीन की संस्कृति को जान सकेंगे, और चीन के विकास के अनुभव से जरूर सीख लेंगे और उसे भारत लेकर चीन के साथ अपने विकाश के साथ देश के विकाश में महत्वपूर्ण योगदान करेंगे

    उधर भारत सरकार ने अजित दाभोल को चीन भारत सीमा विवाद सुलझाने के लिए अपना विशेष प्रतिनिधि बनाया है जिसका चीन सरकार ने खुले मन से स्वागत किया है सब मिला कर पिछला सप्ताह भारत चीन को और नजदीक लेन के ख़बरों से भरा रहा उम्मीद है दोनों देशो के सरकार की पहल बहुत रंग लाएगी चीन भारत भाई भाई का नारा और प्रगाढ़ होगा दोनों देशो के सम्बन्ध हर क्षेत्र में मजबूत होगा

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का खत। लिखते हैं कि सी आर आई हिन्दी कारिक्रम और वेबपेज के जरिए रेशम मार्ग का बिस्तृत परिचय पा कर बहुत अच्छा लगा । रेशम मार्ग के बारे मेँ मैने सूचित हुयी कि चीनी सभ्यता को पश्चिम तक पहुंचाना जाने का एक अहम रास्ता था , जो पूर्ब और पश्चिम के बीच आर्थिक व सांस्कृतिक एबं राजनैतिक आदान प्रदान का सेतु के नाम से बिश्वबिख्यात है। रेशम मार्ग प्राचीन चीन से मध्य एशिया से हो कर दक्षिण एशिया , पश्चिम एशिया , यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका तक जाने वाला थल ब्यापार रास्ता था। रेशम मार्ग आम तर पर वह थलीय रास्ता कहलाता है , जिसे चीन के हान राजबंश के महान यात्री चांगछयान ने खोला था, जो पश्चिम थान राजबंश की राजधानी छांग आन से पश्चिम मेँ रोम तक पहुँचता था । ब्यापार के साथ रेशम मार्ग की अहम भूमिका तो थी , ब्यापार के साथ साथ सांस्कृतिक आदान प्रदान भी बहुत क्रियाशील रहा था । वे अव बिश्व सांस्कृतिक धरोहर नामसूची मेँ शामिल किए गए है । इस पथ से बहुत से बौद्ध धर्म के भिक्षु चीन आए और उन्होने चीन के बौद्ध धर्म व संस्कृति के बिकास मेँ जीबनीशक्ति लायी । इस के साथ ही चीनी बौद्ध धर्म के बिद्वानॉ ने भी पश्चिम की तीर्थयात्रा करनी शुरु की । रेशम मार्ग से प्रतिबिबिंत खुलेपन आदान प्रदान की भाबना अभी भी जो बना रही है, उसको बिकसित करने की सकारत्मक प्रयास करना चाहिए । इतना बिस्तृत जानकारी देने के लिए सी आर आई हिन्दी सेवा को बहुत बहुत धन्यबान।

    अनिलः दोस्तो, आज का अंतिम खत पेश है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु का। लिखते हैं कि चाइना रेडियो इंटरनेशनल हिन्दी परिवार को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मैं आप का नियमित श्रोता हूं ।दिनांक 3 दिसंबर,2014 "आपका पत्र मिला" प्रोग्राम सुनकर मन प्रसन्न हो गया। अपने पत्रों के साथ साथ कई सुधी श्रोता मित्रों के अच्छे अच्छे विचार भी सुनने को मिले हैं।यह तो हम श्रोता और नेटिजनों का अत्यंत ही पसंदीदा कार्यक्रम है जिसमें हमें विभिन्न श्रोता मित्रों के विचार तथा सीआरआई के प्रोग्राम प्रस्तुतकर्ता अनिल आज़ाद पाण्डेय जी की टिप्पणी को सुनने का सुनहरा अवसर मिलता है।

    मैं सीआरआई का वेबसाईट भी रोज़ाना विज़िट करता हूं। आपकी वेबसाइट में प्रकाशित "चीनी और भारतीय युवाओं के बीच आवाजाही" शीर्षक रिपोर्ट हम श्रोताओं तथा चीन और भारत- दोनों देशों की जनता के लिए काफी उत्साहवर्धक हैl दोनों देशों के बीच जारी युवा आदान- प्रदान कार्यक्रम के तहत भारत के युवा मामलों व खेल मंत्रालय के सचिव राजीव गुप्ता के नेतृत्‍व में सौ सदस्‍यीय भारतीय युवा प्रतिनिधिमंडल 25 नवंबर से 2 दिसंबर तक चीन का दौरा किया। इस बार की 9 दिवसीय यात्रा से भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों को चीन के पेइचिंग,शानतुंग एवं शांगहाई शहरों का दौरा करने का मौका मिला था। और वहाँ पे उन लोगों को अच्छी-अच्छी जगह देखने को मिला। और उन्हें चीन की संस्कृति और विकास के बारे में प्रत्यक्ष जानकारियां मिला, ख़ासकर के चीनी युवाओं के साथ सांस्कृतिक आदान प्रदान भी हुआ। इस प्रकार से यह चीन-भारत मैत्री की दिशा में यह आयोजन को मैं महत्वपूर्ण मानता हूं। इस से दोनों देशों के युवाओं के बीच आपसी समझ बढ़ती है,मैत्री बढ़ती है। और चीन और भारत को समझने में मदद मिलती है। निश्चित रूप से हमारे भारतीय युवाओं ने,चीनी युवाओं ने एक दूसरे देश के यात्रा में जाकर के बहुत कुछ सीखा है। मुझे आशा है कि भारतीय युवा प्रतिनिधिमंडल की चीन यात्रा दोनों देशों के बीच आवाजाही और सहयोग बढ़ावा देगी।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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