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    क्वाडंतुडं प्रांत में नानऔ द्वीप
    2014-11-26 09:08:27 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत तिब्बत में एकमात्र कैथोलिक चर्च का दौरा शीर्षक रिपोर्ट सुन कर पता चला कि तिब्बत में तिब्बती बौध्द-धर्म के अलावा अन्य धर्मों के प्रति भी लोगों में कितना सहिष्णुता का भाव है। छिंगहाई-तिब्बत पठार में तीन नदियों के पावन क्षेत्र में स्थित छान्तु प्रीफ़ेक्चर के शेनयेनचिन गाँव के एकमात्र सुरक्षित येनचिंग कैथोलिक चर्च के इतिहास एवं उसकी विशेष गोथिक वास्तुशैली की चर्चा भी काफी सूचनाप्रद लगी। यह जान कर बहुत अच्छा लगा कि गाँव में एक ही परिवार के सदस्य अलग-अलग धर्म के अनुयायी हो सकते हैं। कार्यक्रम के अगले भाग में उत्तर-पश्चिम चीन के पठारीय पशुपालन क्षेत्र में रहने वाले फंसो की चरवाहे से अध्यापक बनने की कहानी काफी प्रेरक लगी। नेपाल में रहने वाले अपने चचेरे भाई की मदद से सात साल नेपाल में रह कर एक कल्याण संस्था द्वारा संचालित स्कूल में उसने न केवल अंग्रेज़ी भाषा का अध्ययन किया, अपितु तिब्बत लौट कर अपने ज्ञान को उसने लोगों के साथ भी बांटा। मैं सलाम करता हूँ फंसो के ज़ज़्बे को।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत आज चीन के कवांतुंग प्रान्त स्थित कोई दो हज़ार वर्ष पुराने और 106 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में फैले सुरम्य द्वीप की सैर काफी मनभावन लगी। कोहरे से घिरी ऊँची पहाड़ियां और उन पर खिले तरह-तरह के फूल, खट्टे-मीठे अनार और नारंगी, सचमुच, यह सब बरबस ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। एक ऐसा कुआँ, जो कि समुद्रतट पर होने के बावजूद उसका पानी मीठा है, जानकारी आश्चर्यजनक लगी। यह भी पता चला कि यह सुरम्य स्थल थायवान से मात्र 160 समुद्रीमील की दूरी पर स्थित है। कार्यक्रम के अगले भाग में पारम्पारिक चीनी वास्तुकला का ज़िक्र करते हुये दक्षिणी चीन के बांस और काष्ठ से बने मक़ानों की विशिष्ट वास्तुशैली, जो कि प्राचीनकाल में मानव के गुफाओं में रहने से प्रेरित है, के बारे में जान कर महसूस हुआ कि प्रेरणा कैसे-कैसे ली जा सकती है। दक्षिण चीन में ही महिलाओं में बुनाई और कसीदाकारी के विशेष हुनर की बात भी काफी सूचनाप्रद लगी। चीन के ऐसे स्थल, जहाँ कि वर्ष में 260 दिन बर्फबारी होती और पारा पचास डिग्री से भी नीचे चला जाता है, जानकारी भी चीन की पारिस्थितिकी का अच्छा ज्ञान कराती है।

    अनिलः दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है सऊदी अरब से सादिक आज़मी का। लिखते हैं कि हमारा पसंदीदा कार्यक्रम आजका लाईफ स्टाइल दीपावली के बारे में है। आपने आरम्भ मे इस पर्व की विशेषता और इतिहास पर अच्छा प्रकाश डाला साथ मे कार्यक्रम के मध्य मे कुछ उप्योगी सुझाव भी दिये सच कहूं तो इनपर अमल करके हम दो तरह से इस पर्व का लाभ उठा सकते हैं एक तो दुर्घटना से बच सकेंगे और दूजा पर्यावरण को दूषित होने के साथ ध्वनि प्रदूषण से बच सकेंगे हम इस बार ही नहीं हर बार इस पर्व पर आप द्वारा बताई बातों पर अमल कर दीपावली का पूरी तरह आनंद ऊठाएंगे ।16 से 18 अक्तूबर के बीच चीन के सांगशू प्रान्त में आयोजित बौद्ध धर्म के अनुयायियों की महा सभा की स्थापना और इसके इतिहास पर दी गई जानकारी उम्दा लगी पर श्री लक्षमी जी से अखिल जी द्वारा लिया गया साक्षात्कार ज़रुरत से अधिक लम्बा था जिसके कारण हर बार की तरह जीवन से सम्बंधित कुछ अहम बातों को जानने से वंचित रह गये ।हां रंगोली की सजावट और इसकी विशेषता के बारे में विस्तार से बताया जाना बहुत अच्छा लगा । पर आप सभी उद्घोषकों द्वारा हिन्दी विभाग मे दीपाली कैसे मनाई गई इसका उत्तर अवश्य दीजियेगा।

    इस शुक्रवार शाहरुख खान की फिल्म हैप्पी न्यू इयर का प्रोमो सुनकर एहसास हुआ कि चाहे भले ही सलमान और शाहरूख के बीच इस फिल्म के प्रमोशन को लेकर वाद विवाद भरे शब्दों के वांण चले हों लेकिन फिल्म मे कुछ नया देखने को मिलेगा ।

    सवाल जवाब सेक्शन में विजेता घोषित करने से पूर्व आपका नया शोध हमारी समझ से परे लगा फोन पर जवाब तत्काल देने के आधार पर प्वाइंट मे कमी या बढ़ोत्री करना उचित नही लगता जिसपर आपको फिर से विचार करना चाहिये ।हां इस प्रकार की एक प्रतियोगिता का अलग से आयोजन कर विजेता को सम्मानित करना और अच्छी बात है जिसका हर कोई समर्थन करेगा ।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि 5 नवम्बर का साप्ताहिक कार्यक्रम आपका पत्र मिला का नया रूप अच्छा लगा । कई महीने के बाद आज इसमे श्रोता भाईयों की प्रतिकृयाओं पर अनिल जी ने cri का पक्ष रखा जो अत्यंत आवश्यक था और जिसकी मांग मैं और कई श्रोता लगातार करते आरहे थे ।आशा करता हूं यह क्रम जारी रखा जाएगा ।आज इसमे भाई शाहिद आज़मी जी के विचार भी सुनवाए गए जो वर्तमान मे कई बदलाव की ओर ईशारा कर रहे थे मैं उनी बातों का समर्थन करते हुए आपसे अपील करता हूं वेबसाइट अटडेट को और सक्रीय बनाया जाए और श्रोताओं के उत्साहवर्धन पर ध्यान दिया जाए हर महीने प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए । पिछले क्रम को बहाल करते हुए सक्रीय पाठकों को सम्मानित किया जाए और उपहार प्रदान किये जाएं आशा है आप इनपर विचार करेंगे धन्यवाद

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है अगला खत , जिसे भेजा है आरा बिहार से राम कुमार नीरच ने। वे लिखते हैं कि 26 अक्टूबर 2014 को श्रोताओं से मिलने के बहाने एक सम्मेलन का आयोजन पटना में किया गया.बिहार के कोने कोने से सी आर आई के श्रोताओं की उपस्थिति रही.उनसे बातचीत के आधार पर कुछ श्रोताओं की राय आपतक भेज रहा हूँ.मेरे साथ साथ श्रोताओं को बेहद ख़ुशी होगी यदि इस कार्यक्रम का प्रसारण अपने कार्यक्रम में करें.

    आजकल सी आर आई के पते पर भेजा जाने वाला ई मेल वापस आ रहा है,इसकी भी शिकायत कई लोगों ने की है.कृपा करके इसका भी कोई समाधान निकाल सकें तो कृपा होगी.

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाले हैं रविशंकर बसु । लिखते हैं कि सादर नमस्कार। 22 अक्टूबर,2014 बुधवार को रात साढ़े नौ बजे मैंने रेडियो पर अनिल जी एवं वनिता जी द्वारा प्रस्तुत साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" प्रोग्राम ध्यान से सुना। इस प्रोग्राम के दूसरा भाग में सीआरआई हिंदी विभाग के नियमित श्रोता श्री एस बी शर्मा जी(झारखंड)के साथ अनिल जी की इन्टरव्यू काफी बढ़िया लगा। लम्बे समय के बाद आपका पत्र मिला कार्यक्रम में एस बी शर्मा जी का साक्षात्कार प्रसारित करने के लिए मैं हिंदी विभाग को धन्यवाद देता हूं।

    देश-दुनिया के ताज़ा समाचारों के अलावा चीन को करीब से जानने के लिय मैं सीआरआई हिंदी सेवा के वेबसाइट को नियमित रूप से विजिट करता हूं,अच्छा लगता है।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि मैं आपके वेबसाइट पर 24 अक्तूबर को प्रकाशित मैडम श्याओयांग द्वारा सम्पादित "चीनी चंद्र अन्वेषण परियोजना का परीक्षण तंत्र सफल" शीर्षक रिपोर्ट पढ़ा,जो अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी। रिपोर्ट के अनुसार यह मिशन चीनी चंद्र अन्वेषण परियोजना के तीसरे चरण में एक महत्वपूर्ण परीक्षण उड़ान है,जिसका मुख्य उद्देश्य "छांग अ 5" के मिशन के लिए तकनीकी समर्थन देना है। मैं यहां पर उल्लेख करना चाहूंगा कि चीनी चंद्रमा-अन्वेषण परियोजना की वापसी उड़ान का परीक्षण के माध्यम से चीनी चंद्रयान मानवरहित एवं स्वचालित नमूना एकत्रित करके पृथ्वी को भेज सकेगा।गौरतलब है कि 2013 साल में चीन द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान "छांग अ-3" की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग चंद्र अन्वेषण में एक युगांतकारी ऐतिहासिक घटना है।

    वनिता:दोस्तो अब पेश है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा का खत। वे लिखते हैं चीन की झलक कार्यक्रम में चीन के क्वाडंतुडं प्रांत में १०६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले खूबसूरत नानऔ द्वीप के विषय में विस्तार से बताया गया यह एक रमणीक पर्यटन केंद्र है पहाड़ की तलहटी में युवतियां धान रोपती हैं और युवक खेत में हल चलाते हैं। कर्क रेखा इसी द्वीप से गुजरता है लगभग दो हजार वर्ष पुराना नानऔ द्वीप समूह एक विख्यात यातायात-केंद्र माना जाता है, जिसे लोग"छाओचओ व शानथो का गढ़ और फूच्येन व क्वाडंतुडं का गला" भी कहते हैं। यह द्वीप थाएवान देशबंधुओं की जन्मभूमि के लिए मशहूर है। यहां का सुहावना मौसम, बेहतर जल-तत्व, विविध प्रकार की समुद्री भूस्थिति व समृद्ध जल-जीवों की प्राकृतिक स्थिति मछली, झींगा, सीप व जलीय घास की जीवन वृद्धि व पालन-पोषण के अत्यन्त अनुकूल है। यहां कुल मिलाकर 700 किस्मों के जल-जीव मिलते हैं, इन में समुद्रीय मछलियों की 470 किस्में हैं।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि स्क्विड, ग्रुपर, बड़ा झींगा व क्रोकर आदि मूल्यवान समुद्रीय जीव भी हर साल बड़ी मात्रा में मिलते हैं। नानऔ काउन्टी ने सरकार की मदद में मछुओं द्वारा पूंजी निवेशित जल-जीवों के अनेक प्रोसेसिंग कारखानों की स्थापना की है गर्मियों में लोग यहां सिर्फ मशहूर मूल्यवान समुद्रीय व्यंजन खाने ही नहीं, बल्कि समुद्र में तैरने का आनन्द भी उठाते हैं। शरद में यहां के स्थानीय रसदार खट्टे-मीठे अनार व नारंगी आदि फल देखते ही लोगों के मुंह में पानी भर आता है। समुद्र के किनारे पर स्थित एक प्राचीन कुआं है , कहा जाता है की सुडं राजवंश के सम्राट ने इस कुवें का प्रयोग किया था, इस आलेख से यह भी पता चला की यह कुवां पिछले सात सौ वर्षों में समुद्र की लहरों में डूबता-उभरता रहा है। लगभग समुद्री लहरों को झेलने के बाद भी इस कुएं का पानी मीठा है, लंबे समय तक रखने पर भी इसकी मिठास नहीं जाती। यह अपने आप में अनोखा पर गुणवान कुवां कहा जा सकता है चीन के नानाओं द्वीप और इस क्षेत्र के विषय में विस्तार से वर्णन करने के लिए चीन की झलक के इस कड़ी के निर्माण टीम कोटि कोटि कोटि धन्यवाद

    वनिता:दोस्तो एस बी शर्मा जी ने यह भी कहा कि चीन के हेलुच्याडं प्रान्त के उत्तरी भाग में फैली हुई विशाल शिडंआन पर्वतमाला के विषय में रोचक और आकर्षक जानकारी देने के लिए आपने धन्यवाद।

    अनिलः इस आलेख के जरिये आपने बताया की यह क्षेत्र साल में 7-8 महीने बर्फ़ से ढका रहता है। यहाँ बर्फ़बारी का मौसम 230 दिन तक रहता है और तुषारहीन अवधि 60 दिन से अधिक नहीं रहती है। गरमी का मौसम छोटा होता है। यानि यहाँ जाड़ा ज्यादा दिनों तक रहता है दिन में 16 घंटे तक सूरज का प्रकाश रहता है। यह जंगलात-क्षेत्र चीड़ के पेड़ के जंगलों का एक विशाल सागर है। जंगल में काम करने वाले मजदूरों तथा ओलुनछुन, ओवेनक व ताहूर जातियों के शिकारियों के लिए जाड़े का मौसम सुनहरा काल होता है। यहाँ की जनता काफी मेहनती है जनता जंगल के बीच खुले मैदानों में अनाज, सब्ज़ियां और फल के पेड़ उगाती है। उनकी मेहनत से पर्वतमाला पहले से भी समृद्ध हो गई है और इसकी सुन्दरता में चार चांद लग गए हैं।चीन की झलक का यह अंक पसंद आया

    वनिता:दोस्तो अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का। लिखते हैं कि दो हजार बर्ष पुराना 106 बर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला सुरम्य नानऔ द्वीप के बारे मेँ बिस्तृत जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यबाद । यहां का सुहावना मौसम बेहतर जल तत्व , बिबिध प्रकार की समुद्री भूस्थिति व समृद्ध जल जीबॉ की प्राकृतिक स्थिति बहुति आकर्षक लगा । बसंत और शरद यहां की मनोहर दृश्य की परिचय पा कर अच्छा लगा । साथ हि साथ यहां का ऐतिहासिक अबशेषो का तथ्य भी काफी आकर्षक लगा ।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि 6 नवम्बर को आजका लाइफ स्टाइल बहुति अच्छा लगा । इस कारिक्रम के तहत Cantonese Opera द्वारा प्रस्तुत भारतीय संस्कृत नाटक प्रयोजना पर रिपोर्ट काफी रोचक और अच्छा लगा । इसके बाद संजय गौतम के साथ बातचीत सुनि । जीबन को ऊर्जा लेने के लिए टिपस सुनि जो सभीको कामयाबी लगी । सवाल जबाब का परिणाम के कारण आजके कारिक्रम काफी आकर्षक था । इस प्रतियोगिता के बिजेता सुरेशजी को बधाई देना चाहता हुँ । दीर्घदिन से जुड़े इस प्रतियोगिता के लेकर कारिक्रम को आकर्षक बना दिया था । प्रतियोगिता के नये ढं सभीको पसंद आयी । लेकिन दीर्घदिन से जुड़े इस प्रतियोगिता से केबल एक बिजयी को चुना शायेद सही नही लगा । कमसे कम 1st , 2nd और 3rd चुनना होता तो सही बिचार होता । कोई बात नहीँ । लेकिन कारिक्रम पर कमेँटस इमेल के जरिए भेजना काफी मुशकिल हो गया । मेल भेज रहा हुँ तो वापस आये रही है । वेबपेज पर टिपन्नी करने लेति हुँ तो customs error हो जाती है । इस पर ध्यान देँगी तो अच्छा होगी।

    वनिता:दोस्तो, कार्यक्रम के अंत में पेश है एक कविता, जिसे भेजनेवाले हैं कर्नाटक से डाँ. सुनील कुमार परीट । कविता का शीर्षक है अंतिम संसार।

    अनिलः कविता का विषय इस प्रकार है,

    किसी ने

    गागर में सागर भर दिया

    किसी ने

    समाज में पाप भर दिया

    एक दिन

    पाप का गागर भर जायेगा

    शायद अब भर गया होगा

    'विनाशकाले विपरित बुद्धि'

    जैसा व्यवहार है अब

    अंत समीप सा पहुँच गया है

    कोई हिचकिचाहट नहीं

    कोई इंकार नहीं

    शायद

    सबको मंजूर है फैसला

    यह फैसला नहीं

    अपने क्रियाकर्मों का फल है

    अब जीना भी है दुश्वार

    अब मरना भी असहाय

    जटिल काल में अब

    जीना मरना है समान

    कहे अंतिम चरण

    कहे अंतिम दौर

    कहे अंतिम संसार

    अब सबको मानना है

    चाहे स्वीकार या अस्विकार

    निश्चित तो है

    अंतिम संसार।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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