अखिल- वैल्कम बैक दोस्तों, आपका एक बार स्वागत हमारे इस मनोरंजन से भरे कार्यक्रम संडे की मस्ती में, मैं हूं आपका दोस्त अखिल पाराशर
दोस्तों, मैं आपका बहुत ही मजाकिया वाकया बताता हूं। कुवैत में रहने वाले एक व्यक्ति को फेसबुक पर friend request मिली। महिला का नाम देख उसने तुरंत friend request accept कर ली। दोनों में बातें होने लगी। बात होते-होते होटल में मिलने तक पहुंची। व्यक्ति बड़ा खुश था। बड़े ही जोश में वह होटल पहुंचा। पर उसकी सारी खुशी तब काफूर हो गई जब उसने देखा कि वो फ्रेंड उसकी पत्नी थी।
दरअसल उस व्यक्ति की पत्नी को यह शक था कि उसका पति किसी फेसबुक फ्रेंड से डेटिंग करना चाहता है। इसलिए उसने फेसबुक पर नकली account बना अपने पति को friend request भेजी जिसे पति ने accept कर लिया।
होटल में पत्नी को देख उस व्यक्ति की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। दोनों में झगड़ा होने लगा और मामला पुलिस स्टेशन तक पहुंच गया। अब पत्नी अपने पति से तलाक लेना चाहती है।
मीनू- हां हां हां हां... यह तो वाकई मजेदार वाकया था अखिल जी। फेसबुक फ्रेंड उसकी व्यक्ति की पत्नी निकली।
अखिल- मीनू जी, इससे भी बढ़िया और मजेदार वाकया यह सुनो.... यह किस्सा चीन के एक शहर का है।
एक व्यक्ति को अपनी पत्नी पर इस बात का शक था कि वह उससे छिपाकर किसी को मैसेज करती है। नाराज पति ने इस बात की जानकारी सीधा पत्नी से मांगने के बजाए उसका फोन चोरी करने की योजना बनाई। योजना के तहत वह नकाब पहनकर पत्नी के ऑफिस पहुंचा और चाकू की नोक पर उसका फोन छीन लिया। वह वहीं पर फोन खोलने लगा लेकिन स्क्रीन लॉक होने की वजह से जब वह नहीं खुला तो पत्नी से खुलवाया। पत्नी को शक न हो इसलिए उसने ऑफिस में मौजूद कई अन्य लोगों से भी लूटपाट की। इस बीच उसके हाव-भाव और बोलने के अंदाज से पत्नी को उस पर शक हो गया। तत्काल उसने पुलिस को सूचना देकर पति को गिरफ्तार करा दिया।
मीनू- ओह मॉय गॉड... पति ने ही चुराया अपनी पत्नी का फोन। अब क्या कहे... खैर.. मैं आपको बताती हूं एक व्यक्ति ने मिर्ची खाकर बजाया बैंड
दोस्तों, मिर्च खाने के बाद पानी के अलावा कोई और चीज दिमाग में नहीं आती। लेकिन डेनमार्क में एक ऑर्केस्ट्रा कलाकार ने लाल मिर्च खाकर लोगों के सामने अपनी कला को पेश किया। ऐसा करने की वजह प्रस्तुति को अनूठा बनाना था। लेकिन इसे करने के दौरान कलाकार को अपने वाद्ययंत्र से निकले संगीत के साथ कान से सीटियां बजती भी सुनाई दे रही थी। आंखों से बहते आंसुओं के बाद भी इस कलाकार ने अपनी प्रस्तुति को रुकने नहीं दिया। यह बात और है कि इस अदाकारी पर लोग जरूर असमंजस में पड़ गए कि वे तालियां बजाएं या उसे पानी पिलाएं।
अखिल- हां हां हां.... वाकई मजेदार बात बताई आपने लिली जी...। लोगों को यह ख़ास प्रस्तुति कैसी लगी होगी, वो तो वहां मौजूद लोग की बता सकते हैं.... चलिए.. आज हम आपको बताने जा रहे हैं चीन के प्रमुख धर्मों के बारे में.....
दोस्तों, चीन की सभ्यता संसार की पुरातन सभ्यताओं में से एक है। प्राचीन चीन की बात करें तो बौद्ध धर्म के पहले चीन में कई महान राजवंशों का धर्म प्रचलित था। उनमें से एक शा राजवंश था, जो 2070 ईसा पूर्व था। तब भारत में युधिष्ठिर-अर्जुन के वंशजों का शासन था। शा वंश से पहले चीन में तीन अधिपतियों और पांच सम्राटों का काल था। पांच सम्राटों में से अंतिम सम्राट शुन था। शुन ने अपनी गद्दी यु महान को सौंपी और उसी से शा राजवंश सत्ता में आया। इसे शिया राजवंश भी कहा जाता था जिसके बाद शांग राजवंश का दौर आया, जो 1600 ईसापूर्व से 1046 ईसापूर्व तक चला। शांग राजवंश के बाद चीन में झोऊ राजवंश सत्ता में आया।
यदि विश्वस्तर पर देखा जाए तो बुद्ध के समय में चीन में कन्फ्यूशियस विचार, भारत में वैदिक और बुद्ध के विचार तथा ईरान में जरथुस्त्र विचारधारा का बोलबाला था, बाकी दुनिया ग्रीस को छोड़कर लगभग विचारशून्य ही थी। न ईसाई धर्म था और न इस्लाम। ईसा मसीह के जन्म के पूर्व बौद्ध धर्म की गूंज येरुशलम तक पहुंच चुकी थी।
चीन में झोऊ राजवंश का काल लंबे समय तक चला। इनके ही काल में चीन में कन्फ्यूशियस के विचार और बौद्ध धर्म (बुद्ध) का विकास हुआ। बाद में ताओवाद (लाओत्से तुंग), मोहीवाद (मोजी) और न्यायवाद (हान फेईजी और ली सी) भी खूब फला-फूला। लेकिन इन सभी के बीच बौद्ध धर्म ने अपनी जड़ें जमाईं और इसने चीन की भिन्न-भिन्न विचारधाराओं को एक सूत्र में बांध दिया। बौद्ध धर्म के कारण चीन में जातिगत एकता और शक्ति का विकास हुआ। इस विचारधारा के फैलने के कारण चीन में दासप्रथा के खात्मे के साथ ही छिन राजवंश का उदय हुआ। छिन के बाद हान ने 8वीं सदी तक राज्य किया। इन सभी राजवंशों और धर्म व दर्शन के विकास के पूर्व महाभारत काल में चीन का नाम हरिवर्ष था। भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार उसे हरिवर्ष कहा जाता था।
चलिए... पहले बात करते हैं बौद्ध धर्म की...
बौद्ध धर्म चीन का प्रमुख धर्म है। बौद्ध धर्म वैसे तो भिक्षुओं के माध्यम से 200 ईसा पूर्व ही चीन में प्रवेश कर गया था। संभवत: उससे पूर्व, लेकिन राजाओं के माध्यम से यह व्यापक पैमाने पर पहली शताब्दी के आसपास चीन का राजधर्म बनने की स्थिति में आ गया था। धीरे-धीरे बौद्ध धर्म के कारण चीन में राष्ट्रीय एकता स्थापित होने लगी। राजवंशों के झगड़े कम होने लगे। आज बौद्ध धर्म चीन का प्रमुख धर्म है।
चीन में भाषा की दृष्टि से बौद्ध धर्म की 3 शाखाएं हैं यानी हान भाषा में प्रचलित बौद्ध धर्म, तिब्बती भाषी बौद्ध धर्म तथा पाली भाषी बौद्ध धर्म। तिब्बती बौद्ध धर्म चीनी बौद्ध धर्म की एक शाखा है, जो चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश तथा छिंग हाई प्रांत आदि क्षेत्रों में प्रचलित है।
तिब्बती जाति, मंगोल जाति, य्युकू जाति, मन बा जाति, लोबा जाति और थू जाति तिब्बती बौद्ध धर्म में विश्वास करती हैं जिनकी जनसंख्या लगभग 70 लाख है। पाली भाषी बौद्ध धर्म मुख्य तौर पर दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के शिश्वांगपानना ताई स्वायत्त प्रिफैक्चर, तेहोंग ताई व चिंगपो जातीय स्वायत्त प्रिफैक्चर और सी माओ आदि क्षेत्रों में प्रचलित है। ताई जाति, बुलांग जाति, आछांग जाति और वा जाति के ज्यादातर लोग भी पाली भाषा में चले बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं जिसकी संख्या 10 लाख से ज्यादा है। हान भाषी बौद्ध धर्म के अनुयायी हान (हुण) जाति के लोग हैं और पूरे देश में फैले हुए हैं। वर्तमान में मूल चीन में 13 हजार से ज्यादा बौद्ध मंदिर हैं और बौद्ध धर्म के स्कूलों व कॉलेजों की संख्या 33 और धार्मिक पत्र-पत्रिकाओं की संख्या करीब 50 है।
चलिए... अब बात करते हैं ताओ धर्म की...
ईसा की दूसरी शताब्दी में ताओ धर्म की शुरुआत हुई। ताओ धर्म में प्राकृतिक आराधना होती है और इतिहास में उसकी बहुत-सी शाखाएं थीं। अपने विकास के कालांतर में ताओ धर्म धीरे-धीरे दो प्रमुख संप्रदायों में बंट गया। एक है- आनचनताओ पंथ और दूसरा है- चड यीताओ पंथ। जिन का चीन की हान जाति में बड़ा प्रभाव होता है।
चीन में कुल 1,500 से ज्यादा ताओ विहार हैं जिनमें धार्मिक व्यक्तियों की संख्या 25 हजार है। हालांकि ताओवादियों की संख्या कितनी है, यह कह पाना मुश्किल है। हालांकि अधिकतर ताओवादी भी बौद्ध धर्म का ही पालन करते हैं।
चीन में इस्लाम धर्म भी प्रमुख धर्मों में से एक है....
चीनी ग्रंथों के अनुसार चीन में इस्लाम का आरंभ वर्ष 651 में हुआ। 651 को अरब के तीसरे खलीफा उथमान बी अफ्फान ने एक इस्लामिक मिशन चीन भेजा था। मिशन ने थांग राजवंश के सम्राट से मुलाकात के दौरान अनिश्वरवादी चीन में अपने देश के धर्म और रीति-रिवाज से चीनी सम्राट को अवगत कराकर। इसके बाद व्यापार के माध्यम से चीन-अरब का मिलन शिन्च्यांग प्रांत में रहता था जहां अरब विद्वान इस्लाम का भी प्राचार प्रसार करते थे। वर्ष 757 यानी चीन के थांग राजवंश में सैनिक विद्रोह को शांत करने के लिए थांग राजवंश के सम्राट ने अरब से सैनिक सहायता की मांग की थी। यहां व्यवस्था बनाने के बाद अरबी सैनिक चीन में ही बस गए।
शुंग राजवंश के अंत के बाद जंगेज ने पश्चिम चीन पर कब्जा करने का सैनिक अभियान आरंभ किया। इस इस्लामिक अभियान के दौरान मकबूजा जातियों को मुस्लिम धर्म अपनाना पड़ा। इन जातियों में खोरजम जाति की जनसंख्या सबसे ज्यादा थी। इन सभी जातियों के लोग बाद में चीन में ह्वेई जाति के लोग कहलाने लगे। वर्ष 1271 में मंगोल जाति ने दक्षिण शुंग राजवंश की सत्ता का तख्ता उलटकर य्वान राजवंश की सत्ता स्थापित की। य्वान राजवंश काल में संपूर्ण चीन में ह्वेई जाति के लोग फैलने लगे थे, तब ह्वेई व उइगुर जैसी 8-10 जातियों के लोग मुस्लिम बन चुके थे।
चीन की ह्वी, वेवूर, तातार, कर्कज, कजाख, उजबेक, तुंग श्यांग, सारा और पाओ आन आदि जातियों को उस काल में मुस्लिम बनना पड़ा था। आज शिन्च्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में सबसे ज्यादा मुसलमान रहते हैं तो उइगुर जाति के हैं जिनकी संख्या लगभग 1 करोड़ 80 लाख है। चीन में मुसलमान शिन्च्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश, निंग श्या ह्वी स्वायत्त प्रदेश और छिंग हाई, कान सू एवं युन्नान आदि प्रांतों में फैले हुए हैं। वर्तमान में चीन में मस्जिदों की संख्या 30 हजार है। स्वायत्त शिन्च्यांग प्रांत के मुस्लिम अब चीन से अलग होना चाहते हैं।
चीन में ईसाई लोग भी है... ईसाई धर्म भी प्रमुख धर्मों में से एक है....
वैसे तो ईसाई धर्म 7वीं शताब्दी में ही चीन में प्रवेश कर गया था। कैथोलिक पादरियों ने इसका चीन में प्रचार-प्रसार किया था। बाद में हांगकांग के रास्ते चीन में ईसाई धर्म का प्रवेश 19वीं शताब्दी में हुआ। अफीम युद्ध के बाद तो यह बड़े पैमाने पर चीन में प्रवेश कर गया।
वर्तमान चीन में क्रिश्चियन धर्म के अनुयायियों की संख्या एक-डेढ़ करोड़ से ज्यादा है। 17 हजार से ज्यादा चर्च और अन्य धार्मिक प्रतिष्ठान 12 से ज्यादा हैं।
तो दोस्तों, ये थी चीन में प्रमुख धर्मों के बारे में जानकारी... उम्मीद है कि आपको जरूर पसंद आयी होगी।
चलिए... मैं बताता हूं एक ऐसा किस्सा जिसमें डिग्रियों की कीमत का पता लगेगा।
दोस्तों, रूस के प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय को एक बार अपना काम-काज देखने के लिए एक आदमी की ज़रुरत पड़ी। इस बारे में उन्होंने अपने कुछ मित्रों से भी कह दिया कि यदि उनकी जानकारी में कोई ऐसा व्यक्ति हो तो उसे भेजें।
कुछ दिनों बाद एक मित्र ने किसी को उनके पास भेजा। वह काफी पढ़ा लिखा था और उसके पास कई प्रकार के सर्टिफिकेट और डिग्रियां थीं। वह व्यक्ति टॉलस्टॉय से मिला, लेकिन तमाम डिग्रियां होने के बावजूद टॉलस्टॉय ने उसे नौकरी पर नहीं रखा , बल्कि एक अन्य व्यक्ति जिसके पास ऐसी कोई डिग्री नहीं थी उसका चयन कर लिया…. क्या मैं इसकी वजह जान सकता हूँ ?"
टॉलस्टॉय ने बताया , "मित्र, जिस व्यक्ति का मैंने चयन किया है उसके पास तो अमूल्य प्रमाणपत्र हैं, उसने मेरे कमरे में आने के पूर्व मेरी अनुमति मांगी। दरवाजे पर रखे गए डोरमैट पर जूते साफ करके रूम में प्रवेश किया। उसके कपड़े साधारण, लेकिन साफसुथरे थे। मैंने उससे जो प्रश्न किये उसके उसने बिना घुमाए-फिराए संक्षिप्त उत्तर दिए , और अंत में मुलाकात पूरी होने पर वह मेरी इज़ाज़त लेकर नम्रतापूर्वक वापस चला गया। उसने कोई खुशामद नहीं की, ना किसी की सिफारिस लाया, अधिक पढ़ा-लिखा ना होने के बावजूद उसे अपनी काबिलियत पर विश्वास था, इतने सारे प्रमाणपत्र बहुत कम लोगों के पास होते है।
और तुमने जिसे व्यक्ति को भेजा था उसके पास इनमे से कोई भी प्रमाणपत्र नहीं था , वह सीधा ही कमरे में चला आया, बिना आज्ञा कुर्सी पर बैठ गया , और अपनी काबिलियत की जगह तुमसे जान-पहचान के बारे में बताने लगा….. तुम्ही बताओं, उसकी इन डिग्रियों की क्या कीमत है ?"
वह मित्र टॉलस्टॉय की बात समझ गया, वह भी असल प्रमाणपत्रों की महत्ता जान चुका था।
अखिल- दोस्तों, डिग्री तो केवल किसी विशेष कार्य के बारे में ज्ञान हासिल करके मिल जाती है लेकिन सबसे पहले हमें लोक व्यवहार को सीखना चाहिए क्योंकि लोक व्यवहार के बिना डिग्री बेकार है लेकिन डिग्री के बिना लोक व्यवहार बहुत काम करता है।
चलिए.. मैं आपको एक ऐसा ओडियो सुनवाने जा रहे हैं... जो हमें positive thinking यानि सकारात्म सोच के बारे में बताएगा।
(विडियो)
तो दोस्तों, यह था ओडियो, जो हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखने और सकारात्मक रवैया अपनाने की सीख दे रहा था....
चलिए.... अब हम चलते हैं हमारे हंसगुल्लों की दुनिया में... जहां आपको सुनाए जाएंगे चटपटे और मजेदार चुटकुले...