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    मां की कहानी
    2014-11-20 08:47:14 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत आज दक्षिण पेइचिंग स्थित हु क़्वांग सोसायटी और वहां बने पेइचिंग ऑपेरा थिएटर एवं ऑपेरा म्यूजियम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने का मौक़ा मिला। यह जान कर आश्चर्य हुआ कि छिंग राजवंशकाल में बने थिएटर में सन् 1830 से केवल वसन्त त्यौहार को छोड़ वर्ष के शेष 365 दिन पेइचिंग ऑपेरा का प्रदर्शन किया जाता है। यह जान कर भी हैरत हुई कि सोसायटी परिसर में बने प्राचीन कुएँ में पानी का स्वाद अलग-अलग होता था, परन्तु अब वह सूखा पड़ा है। इसके अलावा कार्यक्रम में सन 1916 में निर्मित भूतत्वीय म्यूजियम और उसमें रखे हज़ारो-लाखों वर्ष पुराने जीवाश्मों पर दी गई जानकारी भी चौंकाने वाली लगी। विशेषकर, कोई 3.5 टन भारी एवं 1.7 मीटर ऊँचे क्रिस्टल रॉक और आठ मीटर लम्बे डायनासॉर के कंकाल के बारे में जान कर मन में काफी कौतूहल जगा और उसे तुरन्त देखने की इच्छा हुई। आपने बिलकुल सही फ़रमाया कि भौतिकी में रूचि रखने वालों के लिये यह भूतात्विक म्यूजियम एक ज्ञान-उद्यान जैसा है। इस दुर्लभ जानकारी को सुलभ कराने हेतु हार्दिक धन्यवाद।

    कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत इंचियोन एशियाड में भाग लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों से चन्द्रिमाजी द्वारा की गई बातचीत सुनवाने के लिये भी हार्दिक साधुवाद। आज के अंक में सेलिंग टीम के कमाण्डर के.डी.सिंह, भारोत्तोलक के.रविकुमार, जो कि भारत में मेरे अपने प्रान्त ओड़िशा से हैं, शूटर हिना सिद्धू तथा रौनक पण्डित के अलावा एशियाड में भाग लेने गये चेन्नई के बारह वर्षीय चित्रेश से ली गई भेंटवार्ता क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगी। धन्यवाद।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत तिब्बत में एकमात्र कैथोलिक चर्च का दौरा शीर्षक रिपोर्ट सुन कर पता चला कि तिब्बत में तिब्बती बौध्द-धर्म के अलावा अन्य धर्मों के प्रति भी लोगों में कितना सहिष्णुता का भाव है। छिंगहाई-तिब्बत पठार में तीन नदियों के पावन क्षेत्र में स्थित छान्तु प्रीफ़ेक्चर के शेनयेनचिन गाँव के एकमात्र सुरक्षित येनचिंग कैथोलिक चर्च के इतिहास एवं उसकी विशेष गोथिक वास्तुशैली की चर्चा भी काफी सूचनाप्रद लगी। यह जान कर बहुत अच्छा लगा कि गाँव में एक ही परिवार के सदस्य अलग-अलग धर्म के अनुयायी हो सकते हैं। कार्यक्रम के अगले भाग में उत्तर-पश्चिम चीन के पठारीय पशुपालन क्षेत्र में रहने वाले फंसो की चरवाहे से अध्यापक बनने की कहानी काफी प्रेरक लगी। नेपाल में रहने वाले अपने चचेरे भाई की मदद से सात साल नेपाल में रह कर एक कल्याण संस्था द्वारा संचालित स्कूल में उसने न केवल अंग्रेज़ी भाषा का अध्ययन किया, अपितु तिब्बत लौट कर अपने ज्ञान को उसने लोगों के साथ भी बांटा। मैं सलाम करता हूँ फंसो के ज़ज़्बे को।

    अनिलः दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है सऊदी अरब से सादिक आज़मी का। लिखते हैं कि मैंने सण्डे की मस्ती का नया अंक सुना जो अपेक्षा के अनुरूप मोहक रोचक मनोरंजक और ञानवर्धक लगा ।जिसे प्रस्तुत किया प्रिय अखिल जी ने और उनका साथ दिया लिली जी ने। पर एक परिवर्तन समझ से परे रहा एक तरफ समय के अभाव की बात कर आपने श्रोता भाईयों की प्रतिक्रियाओं को कार्यक्रम मे न शामिल करने का निर्णय लिया तो दूसरी ओर तीन गानों का कार्यक्रम में स्थान पक्का किया। मेरे विचार से अगर कार्यक्रम मे दो गानों को जगह दी जाती तो श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं से अनुभव प्राप्त किया जा सकता था । रिपोर्ट में ऊंट के दूध की विशेषता का पता चला और इसके गुणों को बहुत सुंदर और विस्तार से बताया गया। मैं यहां सऊदी अरब में कार्यरत हूं और सौभाग्यवश यह दूध पीने को मिलता रहता है और यह सामान्य दूध के मुकाबले गाढ़ा होता है। पर गाय या भैंस की तरह स्वादिष्ट नहीं थोड़ा नमकीन होता है। इसके लाभ सुनकर इसके सेवन मे हमारी रूचि और बढ़ गई। आज की दूसरी रिपोर्ट से एहसास हुआ कि असल खुशी तो दूसरों को लाभ पहुंचा कर प्राप्त होती है और जो इस कार्य को अंजाम दे वह महान होता है। कुछ इसी प्रकार किया मुम्बई की नीलाम्बलि ने । जिसने एक नई नवेली दुल्हन की खुशी हेतु उसकी आंखों के समक्ष अपने बेवफा को माफ कर दिया ।वाकई उसके इस महान कार्य को सलाम और साथ में धित्कार है उस युवक पर जिसने इसकी मुहब्बत की कदर नही की ।

    अब पेश है, अगला खत है, जिसे भेजा है, राजस्थान से राजीव शर्मा ने। उन्होंने इसे कहानी के रूप में भेजा है।

    इस वक्त मेरे हाथ में एक बहुत पुरानी कॉपी है जिसमें एक बच्चे ने अपनी बेहद खराब हैंडराइटिंग में कुछ अक्षर लिखने की कोशिश की है। शायद उसे 'क' अक्षर लिखने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन 'क्ष' और 'ज्ञ' उसे बहुत भयानक लगते थे। अगर उसका बस चलता तो वह फौरन इन दोनों अक्षरों को वर्णमाला से बाहर निकाल देता। उसने कुछ पृष्ठों पर आम और सेब जैसे फलों के चित्र बनाने की कोशिश की है लेकिन इन्हें देखकर हंसी आती है क्योंकि ये किसी भी नजरिए से आम या सेब जैसे नहीं लगते। यह एक ऐसे बच्चे की कॉपी है जिसने कुछ दिन पहले ही स्कूल जाना शुरू किया था। माफ कीजिए, वह बच्चा मैं हूं। तब मेरी मां गायत्री देवी मुझे हाथ पकड़कर उन अक्षरों को लिखना सिखाती थी जो मुझे बहुत कठिन लगते थे।

    वनिता: शायद अब मैं भी बड़ा हो गया हूं क्योंकि अब मां मुझसे कुछ नहीं लिखवाती। मुझे उसके हाथों की हल्की-फुल्की मार खाए भी कई वर्ष हो गए। इन वर्षों में उसकी तकनीकी योग्यता बस इतनी ही बढ़ी है कि जब मोबाइल पर किसी का फोन आता है तो वह बात कर सकती है। उसे नंबर डायल करने की ज्यादा जानकारी नहीं है। और एसएमएस की तो बात ही छोड़ दीजिए। आज मैंने इनबॉक्स में 50 से ज्यादा मैसेज डिलीट किए हैं जो कंपनी वाले समय निकालकर हमें भेजते रहते हैं। उसे अपने मनपसंद टीवी चैनल का नंबर याद नहीं लेकिन वह इतना जानती है कि उस पर किस रंग का कैसा निशान है।

    कुछ दिनों पहले मैंने और मेरी मां ने एक समझौता किया था। मां ने मुझे कहा कि मैं रोज 10 रुपए उस गुल्लक में डालूं जो वह इस साल के शुरुआती दिनों में लेकर आई थी और वह अभी भी खाली है। मैं इस बात के लिए तैयार हो गया लेकिन एक शर्त के साथ। वह शर्त थी - मैं रोज गुल्लक में 10 रुपए डाल दूंगा, बस आपको इसके लिए शाम को टीवी सीरियल देखने के समय में कटौती करनी होगी और उस समय मुझसे कम्प्यूटर सीखना होगा।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि मां के लिए यह शर्त संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी समझौते से भी ज्यादा कठिन थी। उसने शुरुआत में आनाकानी की .... मैं कैसे सीख सकती हूं .... उम्र देखी है मेरी .... यह कम्प्यूटर सीखने का वक्त थोड़े ही है ... मुझे तो मोबाइल फोन भी नहीं चलाना आता और तू बात कर रहा है कम्प्यूटर की ... तुझे पैसे डालने हैं तो डाल या फिर साफ मना कर दे। लेकिन मैंने हार नहीं मानी और किसी तरह मां को मना ही लिया। मैं रोज थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर कम्प्यूटर सिखाने लगा और गुल्लक में पैसे भी डालने लगा। मैं दुनिया का पहला 'टीचर' हूं जिसे अपने 'स्टूडेंट' को पढ़ाने के साथ ही उसे पैसे भी देने पड़ते हैं।

    इस दौरान मुझे कम्प्यूटर की कई फाइल और फोल्डर के नाम यूनीकोड के जरिए हिंदी में लिखने पड़े, क्योंकि मेरी मां सिर्फ हिंदी पढ़ सकती है। उसकी मेहनत का नतीजा है कि अब वह आसानी से खुद कम्प्यूटर स्टार्ट कर सकती है, फोल्डर से भजन और धार्मिक फिल्में देख सकती है और उसे क्रमबद्ध ढंग से बंद भी कर सकती है। उसे बुनियादी जानकारी हासिल हो गई है। उसके मुताबिक डेस्कटॉप शब्द सबसे ज्यादा कठिन है। इसका कोई और आसान-सा नाम होना चाहिए। इसी तरह हमने रिसाइकल बिन का भी मारवाड़ी भाषा में दूसरा नाम रखा है। कुल मिलाकर नतीजा यह कि मेरी स्टूडेंट श्रीमती गायत्री देवी शर्मा कम्प्यूटर साक्षरता विषय में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हो गई हैं। और इस दीपावली तक उनकी गुल्लक भी पूरी भर जाएगी।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाले हैं रविशंकर बसु । लिखते हैं कि सीआरआई-हिन्दी सेवा के सभी कर्मचारियों को मेरा सादर नमस्कार। मैं 1985 साल से चाइना रेडियो इन्टरनेशनल का श्रोता हूं। सीआरआ कार्यक्रमों को सुनना और वेबसाइट पर विजिट करना,मेरे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है l सीआरआई हमारे लिए चीन को जानने की एक विशिष्ट खि़ड़की है।वेबसाइट पर "टॉप न्यूज़", "चीन का भ्रमण","चीन का तिब्बत","चीन की झलक","टी टाइम" और "आपका पत्र मिला" मुझे बहुत पसंद है। चीन के विभिन्न क्षेत्रों के सांस्कृतिक विविधता,खानपान,रीति-रिवाज, रहन-सहन, पर्यटन विकास की सारी जानकारी चीन की झलक में विस्तार से मिलती है । आपकी वेबसाइट पर "आपकी नज़र में चीन" शीर्षक आनलाइन मत सर्वेक्षण में आपने पूछा है कि "यदि आपको चीन आने का मौका मिले,तो आप कहां जाना चाहेंगे? और,क्यों?"

    इस प्रश्न के जवाब में मैं यह बोलना चाहूंगा कि मैं अच्छी तरह जानता हूं कि चीनी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति शानदार और लम्बी पुरानी है। चीन की विशाल भूमि में जो अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलता है। वह सब विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर बरबस आकर्षित करता है।चीन में दुनिया की बेमिसाल कुछ खास ऐसी जगह है जिसे देखकर हम हैरान हो जाते हैं और चीन की सुंदरता में खो जाते है।चीन के पेईचिंग, क्वांगचो, छंग तु, तिब्बत, शांघाई, खुनमिंग, सानया, छिंगहाई - चीन के ये सभी शहर मेरे सपनों के शहर हैं और ये पर्यटकों के लिए स्वर्ग से कम आनंददायक नहीं हैं। इन सभी शहरों की अलग अलग भौतिक विशेषता और उन की लम्बी ऐतिहासिक संस्कृति लोगों को विविधता का अनुभव प्रदान करती है।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि यदि मुझे एक बार फिर चीन जाने का मौका मिला, तो मैं स्छ्वान प्रांत की राजधानी छंग तु का दौरा करना चाहूंगा।यह शहर दक्षिण-पश्चिम चीन में स्थित है,जो चीन के सब से श्रेष्ठ पर्यटन शहरों में से एक है। छंगतु सुहावने मौसम,लंबे इतिहास और प्रचुर उपज से एक शांत,खुशनुमा और आरामदेह शहर है। थांग राजवंश के सबसे मशहूर कवि ली पाइ और तु फू ने छंग तु पर अनेक कविताएं लिखी थीं। वर्तमान में यह शहर दक्षिण-पश्चिम चीन का वैज्ञानिक केंद्र,वित्तीय केंद्र,वाणिज्य केंद्र और यातायात और दूर संचार जंक्शन हैं। यहां की सार्वजनिक यातायात व्यवस्था बहुत ही सुविधाजनक है। यह शहर आधुनिक पर्यटन सुविधाओं से सुसज्जित है। इस के अलावा छंग तु का प्राकृतिक दृश्य रंगबिरंगा और दिलकश है। यहां के विशाल पांडा बेस में सफेद और काले रंग के जायंट पांडा रहते हैं जो दुनिया भर सभी लोगों को आकर्षित करते है। छंगतु में सबसे अधिक संख्या में पांडा पाया जाता है।वहां की पांडा बेस 1987 में स्थापित हुआ जो करीब 106 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला है। अगर मुझे मौका मिलेगा तो मैं इस आलसी और गोल-मटोल पांडा को करीब से देखना चाहूंगा और साथ ही वहां का भोजन भी खाना चाहूंगा।

    वनिता:दोस्तो अब पेश है बिहार से अशोक पासवान का खत। वे लिखते हैं मैं सी आर आई का पुराना स्रोता हूँ और आज भी रेडियो पर सुनता हूँ। मुझे इसके सारे प्रोग्राम अच्छे लगते हैं,विशेषकर अन्तर्राष्ट्रीय समाचार,"सण्डे की मस्ती" आपके द्वारा बीच बीच में सुनाए गये गानों का कहना ही क्या। सचमुच मज़ा आ जाता है. जोक्स भी काफ़ी अच्छे लगते हैं. चीन के बारे में दी गई जानकारी भी ज्ञान से भरपूर होती है. श्रोता मित्रों के पत्रों के उत्तर सुनना भी अच्छा लगता है. अभी झारखंड तथा जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा हो चुकी है इसलिए उसके बारे में कृपया विस्तृत कवरेज प्रसारित करने का कष्ट करें.

    अनिलः दोस्तो अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का। लिखते हैं कि बहुत खुशी की बात है कि भारत और चीन समेत 21 देशॉ ने जैसे भारत , चीन , वियतनाम , उज्वेकिस्तान , थाइलेँड , श्रीलंका , सिंगापुर , केतर , ओमान , फिलीपीन्स , पाकिस्तान , नेपाल , बांग्लादेश , लाओस , मलेशिया , मंगोलिया और म्यांमार ने एशियन इंफ्रास्ट्रकचर इन्वेस्टमेँट बैँक शीर्षक एक बड़ा बैँक बनाया । आशा है कि इसके चालू होने के बाद एशियाई देशॉ की पश्चिम के प्रभुत्व वाले बिश्व बैंक व मुद्राकोष पर निर्भरता कम हो सकेगी । जीडीपी और पीपीपी दोनॉ को ही आधार पर जो फॉर्मूले बनाया जाएगा इस फॉर्मूले के आधार पर चीन के बाद भारत ये बैंक का दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक होगा । आशा है कि नया बैंक बुनियादी ढांचे ते बित्तपोषण के लिए संसाधन के रूप मेँ जबरदस्त पूंजी आधार मुहैया कराएगा जो क्षेत्रीय बिकास के लिए अच्छी बात है ।

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है डाँ. सुनील कुमार परीट की एक कविता, जिसका शीर्षक है भटके राह।

    अनिलः

    दिल कोई पराया नहीं तोडता।

    पराया कोई अपना नहीं होता॥

    पराया कोई दिल में नहीं रहता।

    कहीं दूर कभी देहमन जा बसता॥

    अपना ही कोई दिल में रहता है।

    जरा सी बात पर गुस्ताखी करता है॥

    जरा सी बात पर खो गया सब।

    लगता है यारों अब रूठ गया है रब॥

    दिल को कहीं नहीं लगती सादगी।

    अब जरा सी बात पर है नाराजगी॥

    ये दुनिया की रीत है हम गुमराह है।

    नाकाम बनके अब हम भटके राह है॥

    किस किस को दिल में जगह दिया है।

    आत्मा परमात्मा को अब भुला दिया है॥

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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