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    चीन में तिब्बती भाषा के मानकीकरण का विस्तार
    2014-11-14 08:58:40 cri

    तिब्बती भाषा की स्थापना 7वीं शताब्दी में हुई, जिसका प्रयोग मुख्य तौर पर चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, सछ्वान प्रांत के आबा तिब्बती और छ्यांग स्वायत्त प्रिफेक्चर, कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर, कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर, छिंगहाई और युन्नान प्रांत के तिब्बती बहुल क्षेत्रों में किया जाता है। इसके साथ ही पाकिस्तान, भारत, नेपाल और भूटान जैसे देशों में भी कुछ लोग तिब्बती भाषा का इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान में तिब्बती भाषा बोलने वालों की संख्या करीब 80 लाख हैं।

    तिब्बती भाषा का प्रचार-प्रसार और इस्तेमाल करने वाले अधिक हैं। लेकिन विभिन्न स्थानों में तिब्बती भाषा की बोली भिन्न-भिन्न है। इस तरह तिब्बती भाषा के प्रयोग से जुड़े मानकीकरण कार्य अपरिहार्य है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के तिब्बती भाषा कार्य समिति के कार्यालय के मुताबिक वर्ष 2013 के अंत तक इस संस्था ने तिब्बती भाषा से संबंधित नए शब्दों के अलावा विज्ञान व तकनीक से संबंधित 60 हज़ार शब्दों और कंप्यूटर प्रयोग वाले 1 लाख 20 हज़ार शब्दों को भी रिलीज किया।

    चीन में तिब्बती भाषा की मानकीकरण कार्य समिति का सम्मेलन कुछ समय पूर्व आयोजित हुआ, जिसमें राष्ट्रीय तिब्बती भाषा मानकीकरण कार्य मार्गदर्शन कमेटी की स्थापना हुई, जो देश भर में तिब्बती भाषा के मानकीकरण कार्य का समन्वय करती है।

    दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत स्थित दक्षिण-पश्चिम जातीय विश्वविद्यालय (Southwest University for Nationalities) के अधीन तिब्बती शास्त्र कॉलेज के प्रोफेसर, तिब्बती भाषा की मानकीकरण कार्य समिति के सदस्य थूतन फङत्सो ने सीआरआई संवाददाता को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि तिब्बती भाषा के मानकीकरण कार्य देश भर के पांच तिब्बती बहुल क्षेत्रों में तिब्बती भाषा से जुड़े शिक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके विचार में तिब्बती भाषा के मानकीकरण कार्य के दौरान भाषा के एकीकरण का ख्याल रखते हुए स्थानीय विशेषता पर भी ध्यान देना जरूरी है। थूतन फङत्सो ने कहा:

    "तिब्बती भाषा को मानक बनाने के दौरान 60 से 70 प्रतिशत भाषा छिंगहाई तिब्बत पठार में प्रचलित तिब्बती भाषा होनी चाहिए। संबंधित मानक बनाए जाने के बाद प्रकाशन और न्यूज़ जगतों में इसके अनुसार तिब्बती भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए। बाकी 20 प्रतिशत से अधिक भाग में स्थानीय विशेषता सुरक्षित होनी चाहिए। स्थानीय परंपरा और विशेषता के मुताबिक उन क्षेत्र में प्रचलित तिब्बती भाषा का इस्तेमाल करने के तरीके को बरकरार रखा जाए। मुझे लगता है कि मानक बनाए जाने के बाद भविष्य में भाषा व अक्षर से जुड़े कार्य करने के दौरान सुविधा मिलेगी, साथ ही तिब्बती भाषा से जुड़ी संस्कृति के विकास में भी मददगार साबित होगा।"

    प्रोफेसर थूतन फङत्सो दक्षिण-पश्चिम जातीय विश्वविद्यालय के अधीन तिब्बती शास्त्र कॉलेज में विशेष रूप से पढ़ाई और अनुसंधान कार्य में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पेइचिंग स्थित केंद्रीय जातीय विश्वविद्यालय, सछ्वान प्रांत में स्थित दक्षिण-पश्चिम जातीय विश्वविद्यालय में तिब्बती भाषा और चीनी हान भाषा की पढ़ाई एक साथ होती है। अंडरग्रेजुएट, मास्टर और पीएचडी छात्रों के दाखिला, शिक्षा, परिक्षा और डॉक्टरेट करने के दौरान तिब्बती और चीनी हान भाषा दोनों का प्रयोग किया जा सकता है।

    थूतन फङत्सो के नेतृत्व वाले कार्यदल ने 8 वर्षों के भीतर 80 हज़ार तिब्बती शब्दों और वाक्यों का संग्रह कर चीन में पहला तिब्बती भाषा वाला 《संपूर्ण शब्दकोश》प्रकाशित किया। तिब्बती भाषा में लगातार उत्पन्न होने वाले नए-नए शब्दों व वाक्यों की चर्चा करते हुए प्रोफेसर थूतन फङत्सो ने कहा:

    "इन दिनों रेडियो, अखबार, पत्रिका और टीवी में कभी कभार नए-नए शब्द सामने आते रहते हैं। नए शब्द आने के बाद हम शीघ्र ही तिब्बती भाषा में इसका संबंधित अनुवाद करते हैं। यदि तिब्बती भाषा में इन शब्दों का सिर्फ़ चीनी भाषा या अंग्रेज़ी भाषा के उच्चारण का प्रयोग किया जाए, तो आम लोगों के समझ में नहीं आएगा। इसलिए मुझे लगता है कि यह तिब्बती भाषा के मानकीकरण कार्य का बहुत बड़ा महत्व है।"

    वहीं चीनी जातीय भाषा अनुवाद ब्यूरो के तिब्बती भाषा कार्यालय के प्रधान त्सेरिन लोबू ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में तिब्बती भाषा के प्रयोग में अलग-अलग प्रवृत्ति हैं, जिसके कारण अनुवाद में एकीकृत मापदंड अपनाना मुश्किल है। मसलन् लोगों के नाम का लिखित अनुवाद भिन्न-भिन्न जगहों पर अलग-अलग होता है। यदि एक ही नाम व उच्चारण के लिए एकीकृत मापदंड निश्चित किया जाए, तो दूसरे स्थानों में रहने वाले लोगों को इस विधि की आदत नहीं पड़ेगी। दूसरी तरफ़, आज के समय में सामने आने वाले नए शब्दों के अनुवाद में एकीकृत मापदंड स्थापित करना भी मुश्किल है। विशेषज्ञों ने नए शब्दों के अनुवाद को लेकर संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें गहन रूप से विचार-विमर्श के बाद नए शब्दों के अनुवाद को निश्चित किया गया, लेकिन आम लोग इन लिखित शब्दों को स्वीकार नहीं करते हैं या इनका प्रयोग कम करते हैं। इसके विपरित, कुछ नए शब्दों के अनुवाद के दौरान आम लोगों की व्याख्या अधिक समझदार है। ऐसी स्थिति में आम लोगों के स्वीकृत अनुवाद का प्रयोग किया जाता है। त्सेरिन लोबू के मुताबिक लोगों के आम स्वीकृत शब्दों का प्रयोग किया जाना तिब्बती भाषा के मापदंड के लिए बनना चाहिए।

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