विविधतापूर्ण सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में पारंपरिक संस्कृति का कैसे लगातार विकास किया जाता है?विकसित हुई संस्कृति में अपने मन के विश्वास को कैसे बरकरार रखा जाता है?इस पर तिब्बती लेखक लोंग रनछिंग हमेशा ध्यान देते हैं। तो आज के इस कार्यक्रम में हम आपको इस लेखक की कहानी से रूबरू कराएंगे।
हमारे संवाददाता की मुलाकात छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग में स्थित चीनी केंद्रीय जन रेडियो यानी चाइना नेशनल रेडियो (सीएनआर) के ऑफिस में तिब्बती लेखक लोंग रनछिंग से हुई। बातचीत में उन्होंने कहा कि इधर के दो सालों में वे शहरों में रह रहे अल्पसंख्यक लोगों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। शीनिंग शहर में जीवन बिताते हुए 20 से अधिक साल हो चुके हैं। उन्हें लगता है कि इस शहर में रहने वाले अधिकतर अल्पसंख्यक जातीय लोग अपनी जातीय हैसियत छिपाने की कोशिश करते हैं। इसकी चर्चा करते हुए लेखक लोंग रनछिंग ने कहा:
"चीनी शहरों में हान जातीय संस्कृति लोकप्रिय है। शहरों में रहने वाले अल्पसंख्यक लोगों की शक्ति कमजोर है। उनकी जातीय हैसियत और चिह्न किसी न किसी संस्कृति से प्रभावित होता है। अल्पसंख्यक जाति के लोग वस्त्र और भाषा जैसे पहलुओं में अपनी हैसियत छिपाने की कोशिश करते हैं। लेकिन दूसरी तरफ़ वे अपनी संस्कृति दिखाना भी चाहते हैं।"
तिब्बती लेखक लोंग रनछिंग का जन्म वर्ष 1967 में छिंगहाई प्रांत में चीनी हान और तिब्बती मिश्रित घुमंतू चरवाहे परिवार में हुआ, जो छिंगहाई झील के आसपास थ्येपचा घास के मैदान में स्थित है। एक तरफ़ तिब्बती संस्कृति मन में बैठी है। उनकी अधिकतर रचनाएं तिब्बती संस्कृति से संबंधित हैं। लेकिन दूसरी तरफ़ भू-मंडलीकरण पृष्ठभूमि में स्वयं और परंपरा, पश्चिम तथा आधुनिक काल में मौजूद संबंध टूट नहीं सकता। इस तरह अपनी रचनाओं में लोंग रनछिंग ज्यादा तौर पर पारंपरिक संस्कृति और आधुनिक औद्योगिक सभ्यता में बदलाव पर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि जन्मस्थान के प्रति गहरा प्यार पारंपरिक संस्कृति के प्रति उसकी दृढ़ता दिखाता है। उनका कहना है:
"राजनीतिक और आर्थिक तरीके से कम समय में संस्कृति को एकीकृत करना असंभव है। लेकिन मैं अपने इरादे पर डटा रहूंगा। शायद दूसरे लोगों की नज़र में मैं एक पिछड़ा व्यक्ति हूँ। लेकिन मैं इस प्रकार का पिछड़ा व्यक्ति बनना चाहता हूँ। मेरा विचार है कि यह बहुत अच्छी स्थिति है।"
आधुनिकता और परंपरा के बीच अंतर्विरोध लेखक लोंग रनछिंग की रचनाओं में एक प्रतीकात्मक चिह्न है। उनके उपन्यास《गर्व घास के मैदान》में सफेद खुर वाले घोड़े और मोटर साइकिल,《प्रेम गीत गायक》 में घास के मैदान में गायक और रेडियो रिकॉर्डर,《ओलंपिक की खबर》में घास के मैदान में लड़का और टेलीस्कोप, छिंगहाई झील में ह्वांगयू मछलियों का शिकार, घास के मैदान को खेती योग्य भूमि तक बदलना, पर्यटन के अति विकास से घास-मैदान संस्कृति में पैदा हुए अनुचित विषय ......ये चीज़ें उनकी रचनाओं में कभी कभार सामने आती हैं। लोंग रनछिंग ने कहा कि वे अलग-थलग पड़ी घास-मैदान संस्कृति में घास-मैदान जाति की जीवन स्थिति और मूल्य पर ज्यादा ख्याल रखते हैं। उनका कहना है:
"उदाहरण के लिए टीवी और अखबार आदि की पहुंच घास के मैदानों में हो चुकी है। यहां को लोग बिना आश्चर्य के इन्हें स्वीकार करते हैं। औद्योगिक सभ्यता, सूचना सभ्यता के घास के मैदान में प्रवेश से चरवाहों के पास अनुचित स्थिति पैदा हुई, इस संदर्भ में मैं अपनी रचनाओं में ज्यादा लिखता हूँ।"
बचपन से ही लोंग रनछिंग ने चीनी और तिब्बती दोनों भाषा की शिक्षा ली। उन्होंने छिंगहाई प्रांत के हाईनान तिब्बत स्वायत्त प्रिफेक्चर के जातीय नार्मल कॉलेज में तिब्बती भाषा साहित्य कोर्स में अध्ययन किया। इस तरह वे चीनी हान और तिब्बती भाषा से लेख लिखने में सक्षम हैं। उन्हें छिंगहाई प्रांतीय युवा साहित्य पुरस्कार मिला। वे क्रमशः रेडियो, टीवी, अखबार में कार्यरत थे और पत्रकार, ऐडिटर, फिल्म निर्देशक बने। विभिन्न प्रकार के कैरियर से उन्हें कई जीवन अनुभव प्राप्त हुआ। वर्तमान में लोंग रनछिंग तिब्बती लेखकों की क्लासिकल कविताओं के संग्रह और उपन्यास के संग्रह का चीनी भाषा में अनुवाद के कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने तिब्बती महाकाव्य《राजा गेसार》को दो अंगों का चीनी भाषा में अनुवाद किया था। लेकिन लोंग रनछिंग हमेशा खुद को एक तिब्बती लेखक मानते हैं। उन्होंने कहा:
"मुझे आशा है कि अपनी रचनाओं में तिब्बतियों की नज़र और तिब्बती तरीके से दुनिया के साथ व्यवहार किया जाता है। मैं लेख लिखने के माध्यम से दुनिया के साथ बातचीत करता हूँ। मुझे लगता है कि यह अधिक सार्थक है और खुद को ज्यादा तौर पर दिखा सकता हूं।"