Web  hindi.cri.cn
    मैं देश हूं
    2014-10-27 09:06:50 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु ने। लिखते हैं कि सबसे पहले मैं इस साल नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले जाने माने भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की 17 वर्षीय छात्रा मलाला युसुफजई को बहुत-बहुत बधाई देता हूं । यह बेहद खुशी और गर्व की बात है कि इस साल बचपन बचाओ आंदोलन के जनक और इसके अध्यक्ष कैलाश सत्यार्थी को शांति के लिए विश्व के सबसे बड़े पुरस्कार नोबेल से सम्मानित किया गया है। लड़कियों की शिक्षा के लिए पाकिस्तान के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में अभियान चलाने वाली मलाला यूसुफजई नोबेल पुरस्कार के इतिहास में सबसे कम उम्र की पुरस्कार विजेता हैं। आज एक भारतीय होने के नाते मैं गर्व का महसूस कर रहा हूं क्योंकि कैलाश सत्यार्थी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।'बचपन बचाओ आंदोलन'से भारत का लगभग हर व्यक्ति परिचित है।सन 1980 में समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी द्वारा चलाया गया 'बचपन बचाओ आंदोलन' आज तक 80 हजार मासूमों का जीवन तबाह होने से बचा चुका है।फिर एकबार समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी को नोबेल शांति पुरस्कार जीतने पर बधाई!

    वनिता:दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है बिहार से राम कुमार नीरज का। लिखते हैं कि दिल्ली से आरा प्रवास के बाद जिन्दगी अब धीरे धीरे सामान्य हो रही है और सी आर आई के साथ के संबंधों को फिर से एक नया आयाम दे पाउँगा। उम्मीद कुछ ऐसी ही है.दुनिया के ताज़ा समाचारों के लिय सी आर आई हिंदी सेवा के साईट को नियमित रूप से देखता हूँ,अच्छा लगता है.इसी कड़ी में इस बार की प्रस्तुत रिपोर्ट ओबामा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इबोला के खिलाफ करने की अपील की पर प्रस्तुत रिपोर्ट बेहद गंभीर थी.इबोला को एक तरफ अमेरिका में पहुँचने के साथ ही हाहाकार मचा हुआ है वहीँ दूसरी तरफ इबोला के मरीजों की संख्या बहुत जल्द 20,000 तक पहुंच सकती है. रिसर्चरों के मुताबिक चमगादड़ से इंसान में आई यह बीमारी कई सालों तक अपना असर दिखाती रहेगी. इससे होने वाले हाहाकार को टालने के लिए बड़ी लड़ाई की जरूरत है.

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि इस रिपोर्ट से सम्बंधित यह जानना भी बेहद दिलचस्प है कि वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसानों को यह बीमारी गिनी से लगी. गिनी में एक बच्चे ने फ्रूट बैट कहे जाने वाले चमगादड़ का अधपका मांस खाया. चमगादड़ भले ही इस विषाणु के प्रति प्रतिरोधी हो चुके हों, लेकिन इंसान के प्रतिरोधक तंत्र को इबोला ने भेद दिया. एक बार इंसान को अपनी चपेट में लेने के बाद इबोला का विषाणु मरीज के शरीर से निकलने वाले किसी भी प्रकार के द्रव में रहता है. अगर रोगी के शरीर से निकला द्रव किसी भी तरह दूसरे इंसान के शरीर में दाखिल हो गया तो इबोला फैल जाता है.

    एक खुबसूरत रिपोर्टिंग का शुक्रिया आपको धन्यवाद

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है केसिंगा ओड़िशा से, इसे भेजने वाले हैं सुरेश अग्रवाल। लिखते हैं कि कार्यक्रम का शीर्षक "चीन हुआ पैंसठ का" सुन कर लगता था कि केवल विगत पैंसठ साल की अवधि में चीन द्वारा की गई असाधारण प्रगति की ही चर्चा की जायेगी, परन्तु हम हैरान हैं कि आपने कार्यक्रम में चीन से अधिक भारत की चर्चा की। फिर चाहे वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू "मेक इन इण्डिया" अभियान हो या कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की भारत यात्रा, आप अपनी विकासयात्रा में भारत को साथ लेना नहीं भूले। मेरी राय में भारत-चीन रिश्तों में बेहतरी की इससे बड़ी कोई और मिसाल नहीं हो सकती। कार्यक्रम में सौ सदस्यीय चीनी प्रतिनिधिमण्डल के साथ दस दिवसीय भारत यात्रा पर गये श्याओ लियो (रमेशजी) के संस्मरण काफी अच्छे लगे। उन्होंने अपने दिल्ली,कोचिन तथा आगरा पड़ावों का सुरुचिपूर्ण वर्णन किया और कोचिन की तुलना हाइनान प्रान्त से की। यह जान कर भी गर्व हुआ कि यात्रा दौरान उन्होंने अनुवाद करने में अनुवादक की मदद की। भारतीय भोजन और बॉलीवुड से अपना प्रेम भी वह नहीं छुपा पाये।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि 13 अक्टूबर को ताज़ा समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत चीनी वास्तुशैली के साथ दी गई यह जानकारी अत्यन्त सूचनाप्रद लगी कि चीन में भवन निर्माण का कार्य कोई आठ हज़ार साल पूर्व ही शुरू हो चुका था। चीन में काष्ठयुक्त निर्माण वास्तुशैली मिंग और छिंग राजवंशकाल में ही शुरू हो गई थी और और कोई दो हज़ार साल पूर्व चीनी कारीगरों ने इसमें पूरी तरह महारत हासिल कर ली थी। इस परिप्रेक्ष्य में चीन में हुये अनेक ऐतिहासिक निर्माणों का भी ज़िक्र किया गया। विशेषकर, हन्नान प्रान्त में ईस्वी सन 583 में निर्मित समाधि पैगोड़े तथा सन 1139 और 1564 में बने ख़ास पैगोड़ाओं के बारे में जान कर पता चला कि चीनी वास्तुशैली वास्तव में कितनी समृध्द है। कार्यक्रम में चीन की थूजा जाति की विशेष बुनाई कला; युन्नान प्रान्त की राजधानी खुनमिंग से कोई 110 किलोमीटर दूर स्थित मिट्टी के जंगल की अद्भुत संरचना तथा दक्षिण-पश्चिम चीन के सछवान प्रान्त में वधु ढूंढने एवं उनकी शादी की विचित्र रस्मों के बारे में जान कर तो मन में कौतूहल पैदा हो गया।

    इस के अलावा कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत इन्चियोंग एशियाड में भाग लेने वाले भारतीय शूटिंग टीम के मुख्य प्रशिक्षक महेन्द्रलाल से चन्द्रिमाजी द्वारा ली गई भेंटवार्ता सुन चीन और भारत के खिलाड़ियों के दमखम पर अच्छी जानकारी हासिल हुई। सन 1961 से चीन आवाजाही करने वाले लाल ने चीन में हुई असाधारण प्रगति का भी अच्छा खाका खींचा। धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाले हैं बिधान चंद्र सान्याल। लिखते हैं कि चीन का तिब्बत कार्यक्रम मुझे बहुत पसंद है । चीन का तिब्बत की प्राचीन संस्कृति , इतिहास और विशेषता वाले पर्यटन स्थलॉ के बारे मेँ जानकारी बहुत अच्छी लगती है। कुदरत के अनमोल खजाने के हर मोती तिब्बत के इन पर्यटन स्थलॉ के पर्यटन का सफर किसी स्वप्नलोक की सैर से कम नहीँ । छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित 12 लाख वर्ग किमी. क्षेत्रफल वाले तिब्बत स्वायत्त प्रदेश मेँ सिर्फ अनोखे भूदृश्य ही नही बल्कि मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनॉ की भरमार भी है । तिब्बत के बारे मेँ इतनी जानकारी प्राप्त करने के बाद और यहां की फोटो देखने के बाद मुझ पर मैं बहुत प्रभावित हुआ। जिससे बड़ा मजा आया है । धन्यवाद।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि मंदिर अराधना और पूजा अर्चना के लिए निश्चित की हुई जगह या देवस्थान है । यानी जिस जगह किसी आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिँतन किया जाए या वहां मूर्ति इत्यादि रखकर पूजा अर्चना की जाए उसे मंदिर कहते हैं । मंदिर का शाब्दिक अर्थ घर है । वस्तुतः सही शब्द देव मंदिर । हर मंदिर पर मुझे बहुत उत्सुकता है । चाहे हिन्दू मंदिर हो और बौद्ध मंदिर । शाक्य मंदिर तो और भी आकर्षक हैं । क्योंकि ये मंदिर तिब्बत के अत्यंत विख्यात प्राचीन मंदिर मेँ एक है । धूसर रंग जैसे मिट्टी होने के कारण इसका नाम शाक्य है । तिब्बती भाषा मेँ शाक्य का अर्थ धूसर मिट्टी होता है। इस मंदिर का इतिहास , संस्कृति , अध्यात्मिक महत्व के बारे मेँ विस्तृत जानकारी देने के लिए सी आर आई हिन्दी सेवा को बहुत बहुत धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो अगला खत आया है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा का। लिखते हैं कि 12 अक्टूबर को सन्डे का मस्ती बहुत रोचक लगी। आज के एपिसोड में कई रोचक बातों को शामिल किया गया। एक घोड़े को एक बार मीठा पान खिलाया गया, उसके बाद वह घोडा पान का आदी हो गया उसे पान खाने की लत ही लग गई वाकई दिलचस्प घटना है। आपने मानव के अपने शरीर के विषय में दस रोचक जानकारियां दी। एक व्यक्ति भूखों महीनों रह सकता है, बिना सोये केवल ग्यारह दिन रह सकता है। वहीं सी आर आई की वेबसाइट में श्रोताओं के कमेंट्स को आपने लगभग दो सप्ताह बाद अपडेट किया है। उम्मीद है अब आप श्रोताओं के कमेंट बॉक्स को रेगुलर अपडेट करते रहेंगे। धन्यवाद

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि दक्षिण एशिया फोकस सी आर आई हिंदी के प्रमुख कार्यक्रमों में एक है। इस प्रोग्राम के होस्ट पंकज श्रीवास्तव में मुश्किल बातों को सरल और सुगम तरीके से समझने और समझाने का गजब का हुनर है। जिससे हम श्रोताओ को समझने में काफी सहूलियत होती है इनकी आवाज भी काफी बुलंद और स्पष्ट है। जिसके कारण श्रोता के बीच पंकज जी खासे पसंद किये जाते हैं। बंगाल-बिहार उड़ीसा और झारखण्ड के लगभग सभी श्रोताओ से मेरी बातचीत होते रहती है। वैसे तो सी आर आई में सभी होस्ट अच्छे आवाज के साथ निपुण, श्रेष्ठ पत्रकार और विश्लेषक हैं पर अभी पंकज जी के आवाज को पसंद करने वाले लोग ज्यादा हैं । अनिल पाण्डेय जी आपका पत्र मिला कार्यक्रम के अलावा टी टाइम प्रोग्राम में श्रोताओ से रूबरू होते रहते हैं। अखिल पराशर जी आज का लाइफ स्टाइल और सन्डे के मस्ती प्रोग्राम पेश करते हैं।

    अब प्रोग्राम में कुछ बदलाव होना चाहिए। आप सभी का धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो अब पेश है हमारे श्रोता मोहम्मद असलम का खत। वे लिखते हैं मैं कुछ समस्याओ के कारण मेरे पत्र ईमेल आपको नहीं मिल रहे होंगे। लेकिन यह कमी जल्द दूर करनी है। आपके साथ हमेशा के लिए जुड़ना चाहता हूं। वेबसाइट में परिवर्तन पसन्द आ रहा है। क्लब के सदस्यों की नियमित बैठक भी होती है और अन्य श्रोता मित्र दोस्तों को सी.आर.आई से अवगत भी कराया जाता है। धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है बिहार से हेमंत कुमार का। लिखते हैं कि भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास मेँ 24 सितम्बर 2014 की तारीख एक ऐसे युगांतकारी ऐतिहासिक घटना के साक्षी के रुप मेँ दर्ज हो गई है, जो विश्व स्तर पर एक सौ पचीस करोड़ की आबादी वाले देश के लिए शाश्वत गौरव और आत्मसम्मान का विषय बन चुका है। भारत के लिए यह सफलता और भी ऐतिहासिक हो जाती है, क्योँकि भारत संपूर्ण विश्व मेँ ऐसा चौथा और एशिया का पहला देश बन गया है, जो मंगल ग्रह पर अपने मिशन को भेजने मेँ सफल हुआ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस मंगलयान के साथ एक मीथेन सेँसर भी लगा हुआ है, जो इस ग्रह पर जल की उपलब्धता के साथ वायुमंडल की उस प्रकृति का भी पता लगाएगा, जो आनेवाले दशकोँ मेँ मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना के साथ बस्ती बसाने की योजना को मूर्त रुप दे पाने मेँ सफल हो पाएगा। मंगल मिशन ने हमारे देश को गौरवान्वित किया है और इसके दूरगामी सुखद परिणाम मिलने की पूरी संभावना है। लेकिन साथ मेँ अन्य समस्याओँ के समाधान के प्रति हमेँ गंभीर बने रहना पड़ेगा। लिहाजा आज यह आवश्यक हो गया है कि मंगल ग्रह पर अपनी इस सफलता मेँ देश की मूलभूत समस्या जैसे भूखमरी, गरीबी तथा भ्रष्टाचार का स्थाई निदान भी खोजना होगा।

    वनिता:दोस्तो अब पेश है हमारे श्रोता सादिक आज़मी का खत। वे लिखते हैं साप्ताहिक कार्यक्रम आपका पत्र मिला में श्रोता भाईयों की प्रतिक्रियाओं को सुनकर सुखद एहसास हुआ । न सिर्फ कार्यक्रम अपितु आपकी वेबसाइट भी सबको खूब भा रही है जिसे साक्षी सभी कार्यक्रम मे शामिल प्रशंसनीय पत्र थे ! श्रोता भाई अमीर अहमद जी से लिया गया साक्षात्कार भी बहुत अच्छा लगा । उन्होंने शी चिनफिंग जी की भारत यात्रा पर विशेष टिप्पणी की और अपने विचार को खुलकर साझा किया। बहुत सारी बातों से हम भी सहमत थे कि। इस बार जिस प्रकार दोनों नेता यानी हमारे प्रधानमंत्री जी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष जी जिस गर्मजोशी से मिले, उससे रिश्तों में सुधार के संकेत मिल रहे थे। कुल मिलाकर यह दौरा विकास के द्वार खोलने में सफल रहा।

    अनिलः दोस्तो, कार्यक्रम के अंत में पेश एक कविता, जिसे भेजा है बेलगांव कर्नाटक से डाँ. सुनील कुमार परीट ने। कविता का शीर्षक है मैं देश हूं और विषय इस प्रकार है,

    मैं देश हूँ

    सोचता हँ

    आगे बढना है

    बहुत आगे

    पीछे छोडना है

    सारे संसार को

    बहुत पीछे॥

    मैं देश हूँ

    कभी आगे था

    बहुत आगे

    राजा महाराजाओं ने

    साधू मुनिओं ने

    अग्रसर बनाया मुझे

    कई लूटेरों ने

    दहशतवादियों ने

    मुझे लूट लूटकर आगे चले गए

    बहुत आगे॥

    मैं देश हूँ

    मुझे आगे बढना है

    बहुत आगे

    पर आज भी मुझे

    कोई लूट रहा है

    ये वेषधारी लूटेरा है

    दहशतवादी से कम नहीं

    नादान मेरी जनता

    अनजान मेरी जनता

    बैठी है आस लिए

    सोचते हैं अब

    इस साल नहीं

    अगले साल

    इस सरकार में नहीं

    अब आस है

    अगले सरकार॥

    आखिर मैं देश हूँ

    मुझे कब आगे बढना है

    ये तय करना भी

    अब मेरे हाथ में नहीं

    उस सत्ताधारी के हाथ में है

    वही वेषधारी के हाथ में है

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040