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    मध्य शरद त्योहार
    2014-09-29 09:21:24 cri

     


    वनिता:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वनिता का नमस्कार। आज का प्रोग्राम अनिल जी की जगह अखिल पाराशर पेश करेंगे।

    अखिल:सभी श्रोताओं को अखिल का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अखिल: आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु। वे लिखते हैं कि सीआरआई-हिंदी सेवा के सभी कर्मचारियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। 8 सितम्बर को चीन का परंपरागत त्योहार मिड ऑटम फेस्टिवल या चीनी भाषा में चोंग छयोव त्योहार,यानि मध्य शरद त्योहार मनाया गया। इस मौके पर अभी चीन में खुशियों का माहौल छाया रहा। इस अवसर पर मैं सीआरआई के सभी श्रोता-दोस्तों के साथ मध्य शरद त्योहार के बारे में अपने अनुभव शेयर करना चाहता हूं। भारत की तरह चीन में भी कई उत्सव होते हैं। वसंत त्योहार,मध्य शरद त्योहार,ड्रेगन बोट उत्सव और छिंगमिंग उत्सव चीन के चार परंपरागत त्योहार है। चीनी कैलेंडर के अनुसार हर साल 8वें महीने के 15वें दिन मध्य शरद त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार के इस समय मनाने की वजह यह है कि क्योंकि इस दौरान पूर्ण चंद्र रहता है और वह बहुत चमकीला लगता है। इस वर्ष यह त्योहार 8 सितंबर को था और चीन में 6 से 8 सितंबर –इन तीन दिनों में चंद्र महोत्सव मनाने के लिए अवकाश रहा। मध्य शरद त्योहार को पुनःमिलन का त्योहार भी कहते है क्योंकि घर के बाहर काम करने वाले सभी चीनी लोग इस त्योहार पर घर वापस आते है। त्योहार चाहे कोई भी हो या कहीं का भी हो उनके साथ कोई-न-कोई कथा जुड़ी रहती है और साथ में होता है खास किस्म का भोजन जो उस त्योहार के मौके पर ही खाया और पकाया जाता है। इस चंद्र त्योहार पर पारंपरिक मून केक खाया जाता है जिसका आकार गोल होता है तथा जो पूर्ण चंद्र व पुनर्मिलन का प्रतीक है।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि इस त्योहार के दौरान खाए जाने वाले मून केक बहुत स्वादिष्ट होते हैं तथा उनकी कई वैराइटी भी मिलती है। मून केक चावल का बना होता है तथा इसके अंदर विभिन्न प्रकार का मीठा पदार्थ डाला जाता है। इसका स्वाद मीठा होता है तथा आकार बिल्कुल चांद की तरह गोल होता है शायद इसी कारण से इसे मून केक कहते है। मून केक के ऊपर चीनी भाषा में इस त्योहार के बारे में कुछ लिखा भी होता है।इस अवसर पर सभी चीनी बंधु अपने परिवारजनों के साथ यह त्योहार मनाते है और सब मिलकर एक साथ मून केक खाते हैं। लोग अक्सर अपने सगे-संबंधियों को मून केक भेंट करते है।

    अखिल: आज के प्रोग्राम में दूसरा पत्र हमें भेजा है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि 10 सितम्बर को प्रस्तुत "चीन-भारत मैत्री पुल के निर्माता" विशेष श्रृंखला की तीसरी कड़ी में आज प्राचीनकाल में हुये एक महान अनुवादक और दार्शनिक कुमारजीव पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई। ईस्वी सन 344 में जन्में और आधा चीनी एवं आधा भारतीय समझे जाने वाले कुमारजीव ने महज़ सात साल की अल्पायु में बौध्द-धर्म की दीक्षा ले ली थी और उन्होंने अपने महान अनुवाद कार्य के ज़रिये चीन-भारत के बीच एक मज़बूत सेतु का निर्माण किया। मैं अपने इस महान पूर्वज को हार्दिक नमन करता हूँ।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि श्रोताओं के अपने मंच साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" की शुरुआत दिनांक 5 सितम्बर को भारत में मनाये जाने वाले शिक्षक दिवस की चर्चा के साथ किया जाना और चीन सहित विश्व के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न तिथियों को यह दिवस मनाये जाने सम्बन्धी जानकारी दिया जाना ज्ञानवर्धक लगा। तत्पश्चात कार्यक्रमों सम्बन्धी तमाम श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी आज काफी उम्दा रहीं। श्रोताओं से बातचीत क्रम में छपरा, बिहार के श्रोता श्री अजय कुमार सिंह से हुई बातचीत पर कैसे और क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करूँ, समझ में नहीं आता। बातचीत से उनकी मेधा स्वतः ही झलक रही थी और यह भी पता चलता था कि वह अपने विद्यार्थियों को विज्ञान का विषय कितनी निपुणता से पढाते होंगे ! रस्मी बातचीत सुनवाने हेतु हार्दिक धन्यवाद।

    अखिल:दोस्तो, अगला खत भेजा है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल ने। लिखते हैं कि वर्ष 2014 को भारत और चीन के बीच मैत्री आदान -प्रदान वर्ष के तहत भारतीय उत्सव की झलक के तहत चीन के युन्नान प्रांत के ताली शहर मेँ छह दिवसीय योग शिविर आयोजित हुआ । बहुत खुशी कि बात है कि शिविर मेँ सभी चीनी लोगॉ ने भारत के साथ चीन को जोड़ने वाली चीजॉ की संख्या बढ़ती हुई महसूस की । जैसे हम जानते है कि अतीत मेँ बौद्ध धर्म के जरिए चीन ने भारत को जाना , और अब 21 वीं सदी मेँ योग के जरिए चीन फिर से भारत को जानेगा ।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि दोस्ती की डोर मजबूत करने के लिए भारत और चीन व्यापक प्रयास कर रहे हैं । दक्षिण पूर्व एशिया मेँ शांति और स्थिरता कायम करने के उद्देश्य से वर्ष 2014 को भारत -चीन मैत्री वर्ष घोषित किया । इसको आगे बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक महोत्सव - भारतीय उत्सव की झलक शुरु करने का एक अहम फैसला लिया । चीन मेँ भारतीय फिल्म महोत्सव मनाना एक अहम बात है । इस फिल्म महोत्सव से चीन मेँ भारतीय फिल्मॉ को बढ़ावा मिलेगा । आशा है कि फिल्मॉ के माध्यम से भी भारत चीन संबंध को बेहतर और मजबूत होंगे।

    अखिल:दोस्तो, अगला खत भेजा है पश्चिम बंगाल से ही देवशंकर चक्रवर्त्ती ने। उन्होंने "आपकी नज़र में चीन" शीर्षक मत सर्वेक्षण के बारे में विचार पेश किया। उनके खत में लिखा गया है कि सबसे पहले मैं सीआरआई-हिन्दी विभाग को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं क्योंकि आपने हम श्रोताओं और नेटिज़नों के लिए "आपकी नज़र में चीन" शीर्षक एक मत सर्वेक्षण जारी किया है। यह एक स्वागत योग्य आयोजन है । मैं आशा करता हूं कि इस मत सर्वेक्षण में अधिक से अधिक श्रोता दोस्तों अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।

    मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं सीआरआई-हिन्दी विभाग ने अपने रेडियो प्रसारण और वेबसाइट के माध्यम से जिस तरीके से श्रोताओं को प्यार दिया है, वह बेमिसाल है और यह दुनिया के किसी भी रेडियो स्टेशन ने नहीं किया है। यह सच है कि मैं कभी चीन नही गया पर आप लोगों का प्रोग्राम मुझे हर हमेशा चीन की तरफ खीचता है । चीन को देखने के लिए मेरी प्यास बढ़ती जा रही है। आपके द्वारा पूछे गए सवालों के जो विकल्प आपने दिए, मुझे लगा कि वह ठीक नहीं है। चार नंबर सवाल के जवाब में मैं बोलना चाहूंगा अगर आपकी बदौलत मुझे कभी चीन जाने का मौका मिला तो मैं पेइचिंग की सड़क पर खड़ा होकर आम लोगों से पूछूंगा कि चीन ने किस तरीके से आर्थिक विकास मज़बूत किया। जिससे चीनी आम जनता कम्फ़र्टेबल /सुखद जीवन बिताती है ? चीन का कृषि के विकास में चीनी जनता को क्या लाभ मिला है ?

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि पांचवे प्रश्न के जवाब में मैं सिर्फ यह बोलना चाहूंगा कि मैं अच्छी तरह चानता हूं कि चीन को प्रकृति से बहुत तोहफे मिले है ;चीन में दुनिया की बेमिसाल कुछ खास ऐसी जगह है जिसे देखकर हम हैरान हो जाते हैं और चीन की सुंदरता में खो जाते हैं । बचपन से ही मैंने दुनिया की सबसे लंबी दीवार ग्रेट वाल ऑफ चाइना के बारे में बहुत कुछ सुना है; मैंने सुना है कि चांद से भी विशाल दीवार को देखा जा सकता है।अगर मुझे मौका मिलेगा तो मैं इस पृथ्वी पर मानव द्वारा निर्मित इस अदभुत कला को खुद आँखों से देखना चाहता हूं। मैं आशा करता हूं कि एक न एकदिन मैं चीन जाऊंगा। यह मेरा सपना नहीं है,मेरा जीवन का लक्ष्य भी है।और अंत में विश्वास करता हूं कि आप मुझे यह मौका एकदिन ज़रूर देंगे । इसी आशा के साथ यह खत मैं आपको भेज रहा हूं।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा का खत| वे लिखते हैं कि चीन का भ्रमण कार्यक्रम में पेइचिंग शहर के आसपास के पुराने मंदिर थान चेह मंदिर पर विशेष रूप से विस्तार से सरल भाषा में प्रकाश डाला गया जो बहुत पसंद आया। सभी जानकारिया नायाब और रोचक थी आगे का वर्णन सुनने के लिए मन अत्सूक है। कार्यक्रम में कभी भी बोरियत महसूस नहीं हुई। इसके लिए चीन का भ्रमण कार्यक्रम बनाने वाली टीम को हार्दिक धन्यवाद। नौ ऊंची -ऊंची चोटियों से घिरा, थान चेह मंदिर एक हजार सात सौ पुराना मंदिर है। इसका निर्माण ईस्वी 307 में हुआ था थान चेह मंदिर की स्थापना के बाद बहुत से राजा यहां पूजा करने के लिये आते थे। कुछ राजा राजगद्दी पर बैठने के तुरंत बाद धूपबत्ती जलाने और भगवान की पूजा करने के लिये विशेष तौर पर इस मंदिर में आते थे यह मंदिर की पूजा की विधि से यह पता चलता है कि यहां भारत के मंदिरो में पूजा की विधि की तरह धूपबत्ती जलायी जाती थी। और पूजा की जाती थी। समूचे मंदिर का कुल क्षेत्रफल करीब 2.5 हैक्टर है थान चेह मंदिर में खाना बनाने का एक कांस्य बर्तन बहुत चर्चित है और वह थान चेह मंदिर की एक धरोहर भी जानी जाती है। थान चेह मंदिर में भीमकाय कांस्य बर्तन के अलावा और एक धरोहर भी है और वह है विख्यात पत्थर मछली . पत्थर मछली की लम्बाई 1.7 मीटर है और वजन 150 किलोग्राम भारी है तथा उस का रंग गहरे हरा है। स्थानीय वासियों की मान्यता में यह पत्थर मछली रोगों का इलाज करने व संकट को दूर करने में सक्षम है।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि मंदिर परिसर में शाह के विशाल पेड़ है जो पर्यटकों का मन मोह लेते है शाह पेड़ की ऊंचाई चालीस मीटर से भी अधिक है , जबकि उस की मोटाई सात आठ व्यक्तियों की बांहों जितनी लम्बी है इस छाया दार पेड़ की छायादार क्षेत्रफल कोई 6 सौ वर्गमीटर विशाल है जो गर्मियों में पर्यटकों को शीतलता प्रदान करता है इस मंदिर पर विस्तार से जानकारी दे ने के लिए आपका पुनः एक बार धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है अखिल द्विवेदी का खत। लिखते हैं कि चीन की झलक सी आर आई की वेब साईट और रेडियो पर बहुत बढ़िया स्रोत है। चीन के भीतर की जगहों के बारे में में बहुत ही रोचक जानकारी यहां दी जाती है। विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक सांस्कृतिक खानपान रीति- रिवाज रहन-सहन पर्यटन और विकास की सारी जानकारी एक ही जगह पर मिल जाती है। रेडियो पर यह बहुत बढ़िया काम कर रहा है। श्यायो थांग जी और श्यायो यांग जी की टीम मेहनत से सारे अनछुए अनजाने नयाब जानकारी को यहाँ श्रोताओं को उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए सी आर टीम को बहुत बहुत धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है जमशेदपुर झारखण्ड से सागरिका का खत। लिखती हैं कि "आपकी नज़र में चीन" शीर्षक मत सर्वेक्षण आयोजन करने के लिए सीआरआई-हिंदी विभाग को बहुत बहुत धन्यवाद। आशा है श्रोता इस मत सर्वेक्षण में बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे। मैंने भी सभी पांचों प्रश्नो के माध्यम से अपनी राय भेज दी है। इस मत सर्वेक्षण से श्रोताओं के चीन के विषय में सोच जाने का सी आर आई को मौका मिलेगा। इसका उपयोग किस काम के लिए किया जायेगा और इसका निष्कर्ष क्या होगा। अपने कार्यक्रम में इसकी जानकारी जरूर दीजिएगा।

    अखिल:वे आगे लिखते हैं कि इस साल चीन और भारत आपसी आदान प्रदान वर्ष मना रहे हैं। ताकि चीन और भारत के बीच मित्रता और बढे और आपसी रिश्ते मजबूत हो। इस मौके पर चीन के विभिन्न शहरों में भारतीय संस्कृति पर आधारित भारत महोत्स्व नामक विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। जिसे चीन की जनता खूब पसंद कर रही है। इसी क्रम में चीन में भारतीय फिल्मों को भी प्रदर्शीत किया गया जिसका उद्घाटन समारोह में चीन में भारतीय राजदूत अशोक कंठ भी मौजूद थे इस प्रोग्राम का पूरा वीडियो सी आर आई की वेव साईट पर अपलोड किया गया है। आपके रेडियो कार्यक्रमों से पता चला की इन दिनों चीन में हिंदी फिल्में धूम मचाई हुई हैं। चीनी जनता इन्हें खूब पसंद कर रही है।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत हमें भेजा है बिहार से हेमंत कुमार ने। लिखते हैं कि कुछ लोगोँ को किसी खास खाद्य पदार्थ से एलर्जी होती है। वैज्ञानिकोँ ने बैक्टीरिया श्रेणी के एक सामान्य क्लोस्ट्रिडिया की खोज की है, जो ऐसे लोगोँ को खाद्य एलर्जी से बचाएगा। इस खोज से प्रोबायटिक थेरेपी की दिशा मेँ आगे बढ़ते हुए कुछ ऐसी बीमारियोँ के इलाज मेँ भी सहायता मिल सकती है, जिनका अभी ठीक से इलाज नहीँ हो पाता है। चूहोँ पर किये गये एक नये अध्ययन मेँ यह बात सामने आयी है कि प्रतिरक्षा उत्प्रेरण के द्वारा शरीर मेँ उन तत्वोँ को जाने से रोका जा सकता है, जो एलर्जी पैदा करने के वाहक बनते हैँ और उसे बढ़ावा देते है।

    अखिल:दोस्तो, आज का अंतिम खत भेजा है आशीष ने। लिखते हैं कि 28 अगस्त को साप्ताहिक "आज का लाइफ़ स्टाइल" कार्यक्रम सुना कार्यक्रम काफी अच्छा लगा। चीन में विगत कई वर्षों से लाइटिंग का व्यवसाय करने वाले अलौकिक शर्मा तथा गुडगांव स्थित मेदान्ता मेडिसिटी के अध्यक्ष और हृदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरेश त्रेहन से बहुत काफी अच्छी लगी। डॉक्टर त्रेहन ने हृदयरोग चिकित्सा में हुई असाधारण प्रगति की जानकारी के साथ-साथ दिल को स्वस्थ रखने के सरल उपाय भी सुझाये। सेहत से जुडी इतनी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कराने हेतु हार्दिक साधुवाद। अनुवाद कार्य में कॅरियर के बेशुमार अवसरों के बारे में बताया गया जो अच्छा लगा। बॉलीवुड हंगामा में सलमान खान अपनी फ़िल्म "किक" का सिकवेल बनाना चाहते हैं। सीक्वल तथा मशहूर फ़िल्म बैजू बावरा, मदर इण्डिया, गंगा जमुना जैसी फ़िल्मों के निर्माण में इस्तेमाल सामान की नीलामी के अलावा इस शुक्रवार रिलीज़ होने वाली इमरान हाशमी की फ़िल्म "राज़ा नटवरलाल" का प्रोमो सुनवाये जाने से कार्यक्रम ओर भी रोचक हो गया।

    अखिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अखिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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