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    गेसार कथा वाचक तानचङ चिह्वा की कहानी
    2014-09-29 08:58:06 cri

    गेसार कथा वाचक तानचङ चीह्वा

    तिब्बती संस्कृति में महाकाव्य《राजा गेसार》का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 2009 में इसे युनेस्को के गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूचि में शामिल किया गया था। महाकाव्य《राजा गेसार》में कुल 10 लाख से अधिक वाक्य और 2 करोड़ से अधिक शब्द समाहित हैं। आज तक यह महाकाव्य विभिन्न किस्मों वाले तरीके से तिब्बती और मंगोलियाई लोगों की जुबान पर है।

    महाकाव्य《राजा गेसार》को विरासत में लेते हुए विकसित किए जाने के दौरान गेसार के गायन कथा-वाचकों ने अहम योगदान किया। गेसार कथा वाचक गायन शैली से राजा गेसार की कहानी सुनाते हैं और महाकाव्य का प्रसार करते हैं। हमारे संवाददाता की भेंट उत्तर-पश्चिमी चीन के छिंगहाई प्रांत के क्वोलो तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की च्युची कांउटी में गेसार कथा वाचक वूचिन तानचङ चिह्वा से हुई, जो लम्बे समय तक महाकाव्य《राजा गेसार》की खुदाई, संग्रहण और अनुसंधान में लगे हुए हैं।

    दूसरे गेसार कथा वाचक की तुलना में तानचङ चिह्वा मुख्य तौर पर अपने आप द्वारा रची गई कविता से राजा सेगार से संबंधित काव्य की प्रस्तुति करते हैं। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा:

    "बचपन से ही मुझे कुछ लिखने की रूचि थी। मेरी जो रचना है, वह अपने अनुभव और आत्मा के आधार पर थी। लगता है कि यह जीवन में मेरा पहला अनुभव था।"

    तिब्बती बौद्ध धर्म में आत्मा के अवतार वाला नियम मौजूद है। चीन में 《गेसार》के कई कथा वाचकों को विश्वास है कि अपने पहले जीवन में वे स्वयं राजा गेसार के समान काल में रहते थे, या उस दौरान उनका वीर राजा के साथ कोई न कई संबंध था, या फिर वे राजा से संबंधित कोई व्यक्ति या पशु थे। आज वे उन लोगों या जानवरों का अवतार बने। वूचिन तानचङ चीह्वा के पास इस प्रकार के विचार भी हैं। उन्होंने कहा:

    "बहुत छोटी सी उम्र से ही मेरे अवचेतन में यह विचार आया कि मैं मंत्र-गुरु ची गादेह के तीसरे पुत्र श्यांगलोंग चानपो का अवतार था। ची गादेह तो राजा गेसार के 30 वीरों में से एक थे, जो बहुत शक्तिशाली थे। मुझे याद है कि बचपन में मां के साथ पूजा के लिए मैं ल्हासा गया था। रास्ते में कुछ स्थलों पर पहुंचने के बाद मुझे लगा कि यहां मैं पहले भी आ चुका हूं, वहां मौजूद मुझे सबकुछ एकदम परिचित सा लगता था। मानो में सपने में हूं।"

    तानचङ चीह्वा ने कहा कि उनके मन में"इन्स्पीरेशन यानी उत्प्रेरणा"आसानी से नहीं आती, आम तौर पर कुछ परिचित स्थल जाकर उत्प्रेरणा आती है। या कोई विशेष सपने में आभास हो सकता है। हर बार नई पुस्तक लिखने के पूर्व तानचङ चीह्वा पूजा करते थे। उन्होंने कहा:

    "हर बार कुछ लिखने से पूर्व मैं राजा गेसार की पूजा करता हूँ। मेरी कल्पना में राजा गेसार एक स्वर्ण प्रकाश की तरह मेरे शरीर में प्रवेश कर गए। राजा द्वारा मुझे दी गई उत्प्रेरणा को स्वीकार करने के लिए मैं रोज़ सुबह सूत्र पढ़ता हूँ और पूजा करता हूँ।"

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