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    आप की पसंद 140830
    2014-09-05 16:30:57 cri

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    दिनेश:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म .... हमजोली से जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने, संगीतकार हैं लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. टिक टिक टिक मेरा दिल ....

    पंकज: हालांकि कई लोगों को अजब-गजब काम करने का शौक होता है, लेकिन क्या किसी इंसान को चिकन से बना सूट पहनने का भी शौक हो सकता है, लेकिन यह सच है, क्योंकि दुनिया में एक ऎसा शख्स भी है जिसने ये कारनामा कर दिखाया है। इसने न कि चिकन से बना सूट पहना बल्कि उसे पहनकर सड़कों पर घूमने भी निकल गया। ऎसा करते हुए जब लोगों ने इसे देखा तो दंग रह गए कि भला क्या कोई इंसान ऎसा भी कर सकता है।

    मेट्रो के अनुसार लंदन में रहने वाले और पेशे से आर्टिस्ट विक्टर इवानोव को नई चीजें बनाना बेहद पसंद है। उन्होंने ने चिकन से ऎसा सूट बनाया है और इसका प्रयोग किसी और पर नहीं बल्कि खुद पर ही कर डाला। इसें पहनकर वो लंदन की सड़कों पर घूमने निकल गए जिसे देखने वाले भी उन्हें हैरत भरी नज़रों से देखते रह गए।

    चिकन से बना सूट पहनकर सबको आश्चर्य में डालने वाले विक्टर का कहना है कि ये एक आर्ट है जिसको उन्होंने जन्म दिया है। वो इस ड्रेस को पहनकर बड़ी शान से लंदन की सड़कों पर घूमे। इतना ही नहीं बल्कि, विक्टर ने अपने इस प्रोजेक्ट को "फ्लेश" नाम भी दिया है। उनका मानना है कि चिकन को वैसे भी खरीद-बेच के काम के काम में लाया जाता है, इसलिए उसका आर्टिस्टिक चेहरा बनाकर उसे पब्लिक में लाना चाहिए।

    दिनेश: वैसे भी मैंने भी कई अजीबो गरीब ड्रेस पहनकर घर से बाहर लोगों को निकलते सुना और देखा है लेकिन विक्टर इवानोव ने तो कमाल ही कर दिया लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि चिकन की खाल से बने कपड़े को इन्होंने अपने शरीर पर ही नहीं पहना बल्कि अपना सिर और पूरा चेहरा भी इन्होंने चिकन की खाल से ढंक लिया था। पता नहीं कि चिकन की खाल से निकलने वाली बदबू से इन्हें उबकाई क्यों नहीं आई, हो सकता है कि चिकन की खाल से सूट बनाते बनाते ये उसकी गंध के आदि हो गए हों। लेकिन वाकई ये बात है बहुत हैरतअंगेज़, खैर अब मैं अपने श्रोताओं का पत्र उठाने जा रहा हूं ये पत्र हमें लिखा है मुबारकपुर, ऊंची तकिया, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश से दिलशाद हुसैन, फातेमा सोगरा, वकार हैदर, हसीना दिलशाद और इनके ढेर सारे साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है समन तेरी कसम फिल्म का गाना जिसे गाया है राहुल देव बर्मन ने संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. जाना ओ मेरी जाना .....

    पंकज: मित्रों इस जानकारी और इस फड़कते हुए गाने के बाद अब हम आपको एक और जानकारी देने जा रहे हैं जो हमारे पास आई है हरियाणआ से, हरियाणा के छात्र ने बनाई अनोखी मशीन, बोल न पाने वाले भी कर सकते हैं बात

    हरियाणा के 16 वर्षीय छात्र अर्श शाह ने एक ऎसी मशीन बनाई है जिससें बोल ना पाने वाले इंसान भी बात कर सकते हैं। शाह ने अपनी इस मशीन को "टॉक" नाम दिया है जो कि एक रोबोट है।

    टॉक रोबोट की सबसे खास बात ये है कि इसके जरिए बोल न पाने वाले लकवाग्रस्त से लेकर पार्किन्सन, एएलएस जैसी बीमारियों से ग्रस्त है लोगा भी बातचीत कर सकते हैं। शाह की इस मशीने के लिए उन्हें बहुचर्चित गूगल साइंस फेयर में फाइनलिस्ट भी चुना गया है।

    दिनेश: इस तरह के छोटे बड़े आविष्कार करने से ही हम धीरे धीरे करके प्रगतिशील बनते हैं, हालांकि कहने में ये एक छोटी सी मशीन है जिससे वो लोग अब बोल पाने में सक्षम होंगे जिन्हें इस काम में दिक्कत पेश आती थी लेकिन ऐसे आविष्कार भविष्य के लिये एक नया मार्ग भी बनाते हैं, धीरे धीरे किसी भी आविष्कार में बेहतरी की तरफ़ किया गया परिवर्तन उस उत्पाद को बहुत उन्नत बना देता है। ये छोटे छोटे कदम ही हमें भविष्य में एक बड़ा वक्ष्य प्राप्त करने में मदद करते हैं। क्या आप जानते हैं कि आज हम जो अंतरिक्ष में उपग्रहों को भेजते हैं इसकी शुरुआत भी ऐसे ही छोटे छोटे प्रयोगों और आविष्कारों से ही हुई थी, उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिये जिन रॉकेटों का प्रयोग किया जाता है उसका आविष्कार प्राचीन चीन में हुआ था, गंधक, पोटाश और कुछ अन्य रासायनों के गलत मिश्रण से रॉकेट का ईंधन तैयार हुआ था, जिसका इस्तेमाल प्रक्षेपास्त्र को शत्रु के क्षेत्र में भेजने के लिये किया जाने लगा, इस प्रक्षेपास्त्र के अग्रिम भाग में विस्फोटक सामग्री होती थी जो शत्रु के क्षेत्र में विध्वंस मचाती थी, रक्षा के लिये इस्तेमाल होने वाले रॉकेट का वैज्ञानिकों ने मानव कल्याण के लिये इस्तेमाल किया और आज हम ढेर सारे उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ रहे हैं जिनसे हमें मौसम की सटीक जानकारी मिलती है जो हमारे किसान भाईयों के बहुत काम आती है। खैर अब मैं उठाता हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है पावन रेडियो श्रोता संघ डिलियां रोड कोआथ बिहार से प्रमोद कुमार केशरी, सनोज कुमार केशरी, विनय कुमार केशरी, प्रशांत कुमार केशरी और इनके मम्मी पापा ने आप सभी ने सुनना चाहा है, फिल्म छोटी सी बात का गाना जिसे गाया है मुकेश और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं योगेश, संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. ना जाने क्यों होता है ये जिंदगी के साथ ....

    पंकज: अर्श शाह पानीपत में बारहवीं कक्षा के छात्र है और रोबोटिक्स के शौकीन है। उनका कहना है कि अक्षम लोगों को सस्ता विकल्प उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने पॉकेट डिवाइस "टॉक" बनाई है। बीमारी के चलतते बोल न पाने वाले लोग संवाद के लिए अपनी सांसों के इशारे को समझने वाली मशीनों पर निर्भर रहते हैं जो बहुत ही महंगी और आकार में बड़ी होती है। लेकिन शाह की बनाई हुई टॉक मशीन सस्ती और छोटी है।

    साइज में छोटी और सस्ती भी है-

    अर्श का बनाई टॉक मशीन साइज में इतनी छोटी है कि पॉकेट में फिट हो जाती है और इसकी कीमत से 4-5 हजार रूपए के बीच में ही है, जबकि ऎसी ही दूसरी डिवाइसों के लिए लाखों रूपए चुकाने पड़ते है।

    टॉक मशीन ऎसे करती है काम-

    टॉक मशीन के एक ब्रेथ सेंसर के साथ जुड़ी होती है जो मरीज के कान पर फिट होता होता है और उसका सेंसर ठीक नाक के नीचे पहुंचता है। इसमें मीरज मोर्स कोड के आधार पर अपनी सांसों की तीव्रता और पैटर्न के जरिए इनपुट दर्ज क रते हैं। यह मशीन इन इशारों को ऑडियो संदेशों में बदल देती है। जिन वाक्यों का प्रयोग अक्सर किया जाता हो उनके लिए शॉर्टकोड भी दिए गए है।

    2015 तक बाजार में होगी उपलब्ध-

    अर्श की बनाई हुई टॉक मशीन 2015 तक बाजार में उपलब्ध होगी। उन्होंने इस मशीन को लोगों तक पहुंचाने के लिए "क्राउड फंडिंग" का रास्ता चुना है।

    दिनेश: आप हमारे श्रोताओं को कुछ नई जानकारी दें इससे पहले मैं कुछ कहना चाहता हूं। मैं अपने श्रोताओं से कहना चाहता हूं कि आप लोग हमें पत्र में या फिर हमारी वेबसाईट पर जाकर हमें अपनी फर्माईश ज़रूर भेजें लेकिन साथ में आप जिस भी शहर के रहने वाले हैं वहां के बारे में हमें कोई जानकारी भी लिख भेजें जैसे कि आपके शहर में कौन सी चीज़ मशहूर है, शहर का कोई ऐतिहासिक स्थल, नदी, पहाड़ी, धार्मिक स्थान या आपके शहर का कोई ऐतिहासिक पुरुष, साहित्यकार, कवि, कलाकार जो मशहूर हो उसके बारे में थोड़ी जानकारी हमें लिख भेजें साथ ही अपने शहर की किसी कलाकृति के बारे में हमें लिख भेजें जिसे हम अपने कार्यक्रम के माध्यम में शामिल करें, अगर आपके शहर में कोई मशहूर मिठाई बनती है या फिर कोई खाने पीने का ऐसा सामान जिसके लिये आपका शहर मशहूर है उसके बारे में भी हमें ज़रूर लिख भेजें जिससे हम अपने बाकी श्रोताओं से इस जानकारी को साझा करें। अब मैं अपने श्रोताओं के पत्र पढ़ता हूं, अगला पत्र हमें लिख भेजा है मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज, आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके मित्रजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है गंगा मईया तोहें पियरी चढ़ईबों फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है चित्रगुप्त ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. सोनवा के पिंजरा में ....

    पंकज: मित्रों इस मधुर प्रादेशिक गाने के बाद अब हम आपको एक और महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं, ये जानकारी जुड़ी है कम्प्यूटर के क्षेत्र से, और हमारे पास आई है लंदन से। यदि आप अपने कम्प्यूटर पर होने वाले साइबर अटैक के खतरे से परेशान हैं तो अब चिंता की कोई बात नहीं, क्योंकि अब एक ऎसा सॉफ्टवेयर आ चुका है जो इस पूरी तरह से सुरक्षित रख सकता है।

    इसमें खुशी की एक बात यह भी है टीसीपी नाम का यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से मुफ्त में मिलने वाला है, यानि इसका कोई चार्ज नहीं देना है।

    साइबर अटैक से बचाने वाले इस फ्री सॉफ्टवेयर को जर्मनी की टेक्नीके यूनिवर्सिटाट मून्खेन के वैज्ञानिकों ने बनाया है। यह सॉफ्टवेयर वुलेरेबल सर्वर को केप्चर करते हुए कम्प्यूटर को उस पर होने वाले साइबर अटैक से बचाने में सक्षम है।

    इस अनोखे सॉफ्टवेयर को जीएनयू और लीनक्स जैसे पर्टिकूलर एक्सपर्टाइज के लिए काम में लिया जा सकता है। इसमें प्रोग्राम्स के तौर पर दिए गए पोर्ट स्कैनर्स सिस्टम के लिए पॉटेंशियल वूलनेरेबल एग्जिबिट करने वाला इंटरनेट सर्च करते हैं।

    दिनेश : ये तो बहुत अच्छी खबर है आमतौर पर साईबर अटैक की घटनाओं से लोग परेशान रहते हैं, यानी आपके कम्प्यूटर में वायरस छोड़े जाने की घटनाएं बहुत आम है जिससे हमारे कम्प्यूटर की गति कम हो जाती है और कई बार हमारे कम्प्यूटर में जो सुरक्षित डेटा है वो चोरी हो जाता है, कई बड़े संस्थान साईबर अटैक से अपने कम्प्यूटर सिस्टम को बचाने के लिये लाखों करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, और हमेशा उन्हें सतर्क रहना पड़ता है। इस सॉफ्टवेयर के आ जाने के बाद बड़े छोटे संस्थानों को अपने कम्प्यूटर डेटा के चोरी होने का खतरा नहीं रहेगा और वो बेखौफ़ अपना काम आसानी से कर सकेंगे। व्यक्तिगत कम्प्यूटरों पर भी ऐसे साईबर हमले होते रहते हैं, इस केस में भी ये सॉफ्टवेयर बहुत उपयोगी रहेगा, अब ना तो आपका कम्प्यूटर धीमा होगा और ना ही उसका डेटा कभी चोरी होगा, इसी के साथ मैं अपने अगले श्रोता का पत्र उठाता हूं जिसे हमें लिख भेजा है नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा, प्रेमलता शर्मा, सुजाता, हिमांशु, नवनीत और आपके सभी मित्रजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है लम्हे फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर, मोहिउद्दीन और इला अरुण ने गीतकार हैं आनंद बख्शी, संगीत दिया है शिव हरि ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. चूड़ियां खनक गईं ....

    पंकज : इस सॉफ्टवेयर के तहत कम्प्यूटर होने वाले साइबर अटैक की जानकारी के लिए एक ऑनर के कम्प्यूटर और सर्वर को एक टोकन नम्बर दिया जाता है। इस नम्बर के बाद एक कोड जनरेट होता है जिसकी बाद में इस सॉफ्टवेयर द्वारा स्कैनिंग के तहत जानकारी ली जाती है। इसके बाद किसी अनजान व्यक्ति द्वारा सेंध लगाने पर सही कोड नहीं दिया गया तो सिस्टम किसी भी तरह की जानकारी देने में असमर्थ हो जाता है।

    हैंसी ऑनलाइन के मुताबिक इस सॉफ्टवेयर को यूएस, कनाड़ा, यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलेंड की सिक्रेट फेडरेशन में प्रयोग में भ्भी लिया जा चुका है।

    दिनेश: चलते चलते अब मैं कार्यक्रम का अगला पत्र उठा रहा हूं जिसे हमें लिख भेजा है हमारे पुराने और चिर परिचित श्रोता अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष पंडित मेवालाल परदेशी और इनके मित्रजनों ने आप सभी ने हमें पत्र लिखा है महात्वाना, माहोबा, उत्तरप्रदेश से, और आपने सुनना चाहा है ज्वेल थीफ फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी संगीत दिया है सचिन देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. ये दिल ना होता बेचारा ....

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश : नमस्कार।

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