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    चीनी-तिब्बत विकास मंच की बैठक
    2014-09-01 09:15:03 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    वनिता:दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रवर्त्ती । वे लिखते हैं कि सीआरआई-हिंदी ने अपनी वेबसाइट पर "आपकी नज़र में चीन" शीर्षक मत सर्वेक्षण जारी किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस सर्वेक्षण में अधिक से अधिक श्रोता-मित्र अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।मैं इस सर्वेक्षण में ज़रूर भाग लूंगा।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में दूसरा पत्र हमें भेजा है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि 10 अगस्त को ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत ल्हासा में सम्पन्न चीनी-तिब्बत विकास मंच की बैठक पर अहम रिपोर्टें सुनने को मिलीं। हमें तिब्बत की प्रगति पर "द हिन्दू" अख़बार के महानिदेशक एन राम तथा स्विटरज़रलैण्ड के विशेषज्ञ के विचार सर्वाधिक उपयुक्त लगे। वैसे उक्त मंच में कोई तीस देशों के सैंकड़ों प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने महत्वपूर्ण विचार भी रखे। रिपोर्ट में सन 1959 से पूर्व भूदासता वाले तिब्बत और आज के तिब्बत का अन्तर स्पष्ट तौर पर समझ में आया। फिर भी यह बात बिलकुल सही प्रतीत हुई कि बाहर के लोग, विशेषकर,पश्चिमी विश्व तिब्बत में हुई प्रगति को तब तक नहेीं समझ सकता, जब तक कि उसे इसकी प्रत्यक्ष झलक नहीं दिखाई जाती। चीन की केन्द्रीय सरकार ने तिब्बत के बुनियादी ढ़ांचे पर बड़ी रक़म खर्च की है और वहां छिंगहाई-तिब्बत जैसा रेलमार्ग विकसित किया है, जो कि अपने आप में एक मिसाल है। मुझे विशेषज्ञों का यह कहना बिलकुल सही जान पड़ता है कि तिब्बत के पहाड़ स्विटज़रलैण्ड से भी सुन्दर हैं और यदि तिब्बत में एक सही माउन्टेन कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई जाये, तो यहाँ पर्यटन को एक नया आयाम मिल सकता है।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि बहरहाल, साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत चीन के राजधानी शहर बीजिंग के त्यान आन मान चौक से दक्षिण-पश्चिम में स्थित प्राचीन सड़क लिउलि छान पर घूमते हुये हमें बहुत मज़ा आया। सत्रहवीं सदी में छिंग राजवंशकाल में निर्मित इस सांस्कृतिक सड़क का इतिहास बेहद दिलचस्प लगा। साढ़े सात सौ मीटर लम्बी उक्त सड़क क्षेत्र में एक पत्थर की भट्ठी थी और वहां लाल खपरैल बनाये जाते थे, जिससे सड़क का नामकरण हुआ। सड़क के किनारे प्राचीन वास्तुशैली की बनीं सौ ख़ास दुकानें और उनमें बिकने वाला असल के नक़ल वाले सामान के बारे में जान कर उत्कण्ठा जगी कि तुरन्त दुकानों का अवलोकन किया जाये। कार्यक्रम में अनाज के प्राचीन शाही गोदामों के इतिहास पर भी रोचक जानकारी दी गई। हमारे ज्ञान में इजाफा करने हेतु हृदय से आपका आभार।

    अनिलः इस के साथ साथ उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" अन्तर्गत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक बी.आर.दीपक से भाई अखिल पाराशर द्वारा ली गई भेंटवार्ता सुन कर पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत-चीन सम्बन्धों में दरार डालने के प्रयासों पर महती जानकारी प्राप्त हुई। भारत और चीन भी अब इसे अच्छी तरह जानने लगे हैं कि बौखलाया पश्चिम उनकी प्रगति में रोड़े डालने की कोशिश कर रहा है। वास्तव में, भारत-चीन को परस्पर प्रतिद्वंद्वी नहीं, सहयोगी मानना चाहिये और एक-दूसरे के अनुभवों साझा करना चाहिये। और कार्यक्रम "आपका पत्र मिला" के तहत आज भी विभिन्न कार्यक्रमों पर नये-पुराने श्रोताओं की बेशक़ीमती राय सुन कर मुझे अपने ज्ञान में इज़ाफ़ा करने का मौक़ा मिला। तत्पश्चात श्रोताओं से बातचीत क्रम में मित्रवर रामकुमार नीरज से लिया गया साक्षात्कार भी सुना। कहावत है कि "हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती" और यही सिध्द किया भाई नीरज ने भारत में कुकुरमुत्तों की तरह पनपने वाले बीपीओज् के कड़वे सच को उजागर कर के। बातचीत सुनने के बाद हमने भी बीपीओज् की उस साज़िश को महसूस किया, जिसके तहत बीपीओज् द्वारा न केवल अत्यधिक काम लेकर युवाओं का शोषण किया जाता है। अपितु उनकी स्थिति इतनी दयनीय बना दी जाती है कि उनके पास काम के अलावा देश-दुनिया के बारे में सोचने के लिये कुछ भी नहीं रह जाता। भला हुआ नीरज ने चांदी के चंद सिक्कों के लिये अपना ज़मीर नहीं बेचा और बीपीओ संस्कृति को समय रहते बाय-बाय कह दिया। मैं भाई नीरज के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ। धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है पश्चिम बंगाल से मनीषा चक्रवर्ती ने। वे लिखती हैं कि सबसे पहले मैं सीआरआई-हिंदी विभाग के सभी कार्यकर्ताओं को ह्रदय से धन्यवाद दे रही हूं क्योंकि बहुत व्यस्त होने के बावजूद पिछले 5 अगस्त को आपने मुझे फ़ोन किया। बहुत दिनों बाद आपका फ़ोन मिलने पर मेरा दिल मोर की तरह नाचा। मैं एक अहिन्दी भाषी श्रोता हूं, लेकिन सीआरआई-हिंदी विभाग के प्रति मेरा प्यार हिन्दी भाषी श्रोताओं से कम नहीं है। मैंने जो भी गलती बोलने में की हो, उसके लिए माफी चाहती हूं। आपका व्यवहार मेरे दिल को छू गया। आपने फोन पर मेरे साथ एक बड़े भाई की तरह बात की। आपके साथ यह बातचीत मैं हमेशा याद रखूंगी। मेरा यह साक्षात्कार मेरे पूरे परिवार और न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब की सभी सदस्यों ने रेडियो पर सुना। मुझे आशा है कि भविष्य में फिर एक बार आपके साथ बात कर पाऊंगी।

    अनिलः अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। नेक्स्ट खत हमें भेजा है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा ने। वे लिखते हैं कि

    चीन के नानचिंग शहर में दूसरे युवा ओलंपिक खेल 16 अगस्त को शुरू हुए। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने इस खेल प्रतियोगिता का उद्घाटन किया इस समारोह में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाख, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मानद अध्यक्ष जैक्स रोगे, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी मौजूद थे । इसकी सुन्दर तस्वीरें सी आर आई के वेव साईट पर भी देखी। भव्य उद्घाटन समारोह में "भविष्य पर रोशनी डालें" नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया। इसमें 4 हजार अभिनेताओं, स्वयंसेवकों ने भाग लिया और चीन, द.कोरिया और रूस के 4 गायकों ने थीम सौंग पेश किया। चीन की ओलिंपिक डाइविंग चैंपियन छन रुओलिन ने मशाल प्रज्जवलित की। स्टेडियम अनुपम जगमगाती रोशनी में अद्भुत लग रहा है। जानकारी के अनुसार वर्तमान युवा ओलंपिक में कुल 28 बड़ी प्रतिस्पर्धाएं और 222 छोटी प्रतिस्पर्धाएं होंगी। 204 देशों व क्षेत्रों के 3 हजार 8 सौ से ज्यादा 15 से 18 साल की उम्र के एथलीट प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं। मेज़बान के रूप में 123 चीन खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। सैकड़ों मेडल विजेता खिलाड़ियों के बीच बांटे जाएंगे। यह युवा ओलंपिक खेल 16 अगस्त से 28 अगस्त तक चलेगा। उम्मीद है कि चीनी खिलाड़ी इसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे और ज्यादा मेडल जीतेंगे।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि "मैत्री की आवाज़" कार्यक्रम में प्रोफेसर बी.आर.दीपक से ली गई भेंटवार्ता सुनी। भारत और भारत की जनता बहुत अच्छी तरह से जानती है कि पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत-चीन सम्बन्धों में दरार डालने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए भ्रामक लेख और टिप्पणी प्रकाशित की जाती है। भारत और चीन भी अब इसे अच्छी तरह जानने लगे हैं इसका एक मात्र कारण चीन और भारत की उन्नति है, जिसमे पश्चिमी देशों के हितों की अनदेखी दिख रही है। इसके चलते भारत और चीन की प्रगति में रोड़े डालने की कोशिश की जा रही है। वास्तव में, भारत-चीन परस्पर प्रतिद्वंद्वी नहीं, दोनों देश एक दूसरे के सहयोगी हैं। धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है पश्चिम बंगाल से उदित शंकर बसु ने। वे लिखते हैं कि सादर नमस्कार। मैं उदितशंकर बसु। मैं Class-6 में पढ़ता हूं। मेरा उम्र 11 साल हैं। आप लोगों के हिंदी प्रोग्राम,मैं अपने माता-पिता के साथ सुनता हूं।मैंने आज आप लोगों की वेबसाइट में "आपकी नज़र में चीन" शीर्षक सर्वेक्षण में हिस्सा लिया। मुझे चाउमिन का स्वाद बहुत अच्छा लगता है। जब कभी "चीनी" शब्द मेरी नजर में आता है,तो मेरे दिमाग में सबसे पहले विश्वविख्यात चीन की लम्बी दीवार की तस्वीर सामने आती हैं। मेरे पापा ने मुझे लम्बी दीवार के बारे में बहुत सी दिलचस्प कहानी सुनाई। मैं बहुत छोटा हूं। चीन के बारे में विस्तृत एवं सजीव जानकारी मुझे सिर्फ सीआरआई के रेडियो प्रसारण से ही मिल पाती है।मैं आप लोगों के तीन-चार प्रोग्राम नियमित रूप से सुनता हूं। सभी प्रोग्राम अच्छे लगते हैं। इसमें चीन का भ्रमण,चीन का तिब्बत,टी टाईम एवं आपका पत्र मिला दिलचस्प लगते हैं। चीन भारत मैत्री जिंदाबाद। सी आर आई-हिंदी विभाग के सभी लोगों को मेरा प्रणाम।

    वनिता: वहीं राम कुमार नीरज ने एक खत भेजकर कहा कि दुनिया के ताजा समाचारों के क्रम में 16 अगस्त को आपकी साइट पर प्रकाशित एक खास रिपोर्ट 2015 से पूर्व नहीं आएगा विश्वसनीय एबोला टीका। लिली द्वारा प्रस्तुत इस रिपोर्ट से एबोला जैसी खतरनाक बीमारी को करीब से जानने का मौका मिलता है, तो दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अगले साल तक इसके टीके के आने की खबर थोड़ी राहत भी देती है। विदित है कि एबोला वायरस एक संक्रमित और घातक बीमारी है। इसमें बुखार और अंदरुनी रक्तस्राव की समस्या हो जाती है। यह बीमारी शरीर के संक्रमित तरल पदार्थों के संपर्क के कारण होती है। दुर्भाग्यवश इस बीमारी में मृत्यु की आशंका 90 प्रतिशत तक होती है। आम तौर पर यह बीमारी अफ्रीका के सहारा क्षेत्र में अधिक देखने को मिलती है। दुखद है कि इस बीमारी का कोई पक्का इलाज अभी तक नहीं निकला जा सका है।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि वैसे इस बीमारी से सम्बंधित यह जान लेना भी जरुरी है कि यह एक दुर्लभ किन्तु संक्रामक रोग है। खासतौर पर रोगी के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे स्टाफ और परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने का खतरा काफी अधिक होता है। अन्य लोगों में किसी संक्रमित व्यक्ति या पशु से इस रोग का संचरण,वायरस के रक्त या शरीर के तरल पदार्थ जैसे लार या मूत्र के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से हो सकता है।

    एक ज्ञानवर्धक रिपोर्ट के लिए शुक्रिया।

    वनिता:दोस्तो, आज का अंतिम खत भेजे वाले हैं सऊदी अरब से मुहम्मद सादिक आजमी। लिखते हैं कि नमस्कार, सर्वप्रथम cri हिन्दी विभाग को रक्षाबंधन की अनेकों अनेक बधाई। इसके बाद हिन्दी विभाग की दिनों दिन बढती लोकप्रीयता पर बधाई। वहीं वर्तमान मे कार्यक्रम आपकी पसंद, संडे की मस्ती , टी टाईम , आज का लाईफ स्टाइल , काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि दिनांक 9 अगस्त के साप्ताहिक कार्यक्रम आपकी पसंद मे पंकज जी द्वारा मंगल गृह पर आक्सीज़न के निर्माण से लेकर जीवन व्यापन की मूल सुविधाओं की नासा द्वारा योजनाओं पर विस्तार से बताया जाना अच्छा लगा । दिनांक 10 अगस्त को कार्यक्रम सण्डे की मस्ती मे राखी स्पेशल से रक्षाबंधन के इतिहास और वर्तमान मे आधुनिक तरीकों से इसे मनाने की गतिविधि का खुलासा भी अच्छा लगा। वहीं 11 अगस्त को चन्द्रिमा जी द्वारा संचालित साप्ताहिक कार्यक्रम मैत्री की आवाज़ में बी आर दीपक जी से साक्षात्कार बहुत उम्दा लगा। दीपक जी ने वर्तमान मे चीन भारत रिश्तों पर विश्व समुदाय विशेषकर पश्चिमी देशों की नीति पर बहुत सटीक टिप्पणी की। उनके विचार कई मायने मे बेहतर थे कि चीन और भारत के मैत्री वर्ष से दोनों देशों के परस्पर संबंध मजबूत हो रहे हैं। और भारत के मुक़ाबले चीन का मूल ढाँचा वाकई मज़बूत होने की उनकी वकालत दुरुस्त लगी और भविष्य में भारत चीन से इस क्षेत्र में सहयोग लेगा, ऐसी आशा की जा सकती है।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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