हाल के दिनों में हुए भूस्खलन से नेपाल की राजधानी काठमांडू से चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर को जोड़ने वाला अनीको राजमार्ग कुछ स्थानों पर टूट गया। जिससे दोनों देशों की सीमा पर चांगमू पोर्ट में आयात-निर्यात व्यापार अस्थाई तौर पर बंद हुआ। हाल में चीनी विज्ञान अकादमी से मिली खबर के अनुसार अकादमी द्वारा प्रस्तुत चांगमू पोर्ट में भूस्खलन की रोकथाम संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ। संबंधित रोकथाम कार्य निकट भविष्य में शुरू होगा। जो कि स्थानीय क्षेत्र में भूस्खलन से निपटने, चीन और नेपाल के बीच व्यापारिक आवाजाही बहाल करने में अहम भूमिका निभाएगा। भूस्खलन क्षेत्र चीन के छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित है, इस परियोजना को विश्व में सबसे मुश्किल भूस्खलन रोधी परियोजना माना जाएगा। वह दुनिया में आपदा की कमी और रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए आदर्श मिसाल पेश करेगी।
चांगमू पोर्ट हिमालय पर्वत के दक्षिण भाग में चीन-नेपाल सीमावर्ती चांगमू कस्बे में स्थित है, जो तिब्बत में एकमात्र राष्ट्र स्तरीय थलीय व्यापारिक पोर्ट ही नहीं, चीन व नेपाल के बीच राजमार्गों से जुड़ा सामान्य रूप से खुला एकमात्र थलीय व्यापारिक पोर्ट भी है। इस पोर्ट के जरिए चीन और नेपाल के बीच 80 प्रतिशत व्यापार किया जाता है, जिसकी सालाना व्यापारिक रकम 2 अरब अमेरिकी डॉलर है। लेकिन विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण चांगमू पोर्ट लंबे समय में भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित रहा है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेस के चांगमू पोर्ट में भूस्खलन रोधी परियोजना के प्रथम वैज्ञानिक, चीनी विज्ञान अकादमी के छंगतु मांउटेन अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता वेई फ़ांगछ्यांग ने जानकारी देते हुए कहा:
"चांगमू कस्बे में सड़क नहीं है, राजमार्ग कस्बे की सड़क ही है। अगर यह राजमार्ग टूट गया, तो पूरा मार्ग बंद हो जाता है। अगर अग्निकांड हुआ, तो राहत वाहन समेत कोई भी यहां नहीं पहुंच सकते। अगर इस क्षेत्र में कोई समस्या हुई तो अंतरराष्ट्रीय मामला बन जाएगा। चांगमू पोर्ट से आने-जाने वाले देशी विदेशी पर्यटकों की संख्या बहुत अधिक है। नेपाल, भारत और भूटान जैसे देशों के श्रद्धालु तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं, इसके अलावा अनगिनत पर्यटक भी यहां आते हैं। अगर कोई आपदा हुई, तो बड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ेगा।"
चीन सरकार ने कई बार चांगमू पोर्ट में भूस्खलन से निपटने के उपाय किए। लेकिन छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित होने की वजह से भूस्खलन से पूरी तरह निपटना मुश्किल है। इस सवाल के समाधान के लिए चीनी विज्ञान अकादमी के छंगतु मांउटेन आपदा व पर्यावरण अनुसंधान केंद्र ने एक साल से अधिक समय तक उक्त स्थल पर विस्तृत सर्वेक्षण किया और इसका गहन रूप से अनुसंधान किया। फिर चांगमू कस्बे में भूस्खलन होने की प्रमुख वजह का पता चला। केंद्र ने भूस्खलन की रोकथाम के लिए प्रस्ताव पेश किया। उम्मीद है कि इस प्रस्ताव से चांगमू पोर्ट में भूस्खलन मुद्दे का पूरी तरह हल किया जाएगा। अनुसंधानकर्ता वेई फ़ांगछ्यांग ने कहा:
"आपदा को कम करने के बारे में कहा जाए, तो बुनियादी तौर पर भूस्खलन की सक्रियता को रोका जाएगा, ताकि बड़ी संख्या में लोग हताहत न हो सकें। यह हमारे निपटारे का सबसे अहम लक्ष्य है। साथ ही इसी मार्ग के बेरोकटोक यातायात की गारंटी हो सके। क्योंकि यह चीन और नेपाल को जोड़ने वाला एकमात्र थलीय रास्ता है।"
बताया जाता है कि वर्तमान में चांगमू पोर्ट में भूस्खलन रोधी प्रस्ताव की जांच पूरी हुई। चीनी राष्ट्रीय विकास व रुपांतरण समिति ने औपचारिक तौर पर"तिब्बत के चांगमू पोर्ट में भूस्खलन रोधी परियोजना"की पुष्टि की। इस परियोजना में कुल 3 अरब 88 करोड़ 70 लाख युआन खर्च होंगे।
उल्लेखनीय बात यह है कि इस परियोजना में भूस्खलन के निपटारे के अलावा, चांगमू कस्बे में नये व्यापारिक क्षेत्र का निर्माण किया जाएगा। जिससे चांगमू पोर्ट में आयात-निर्यात व्यापार के विकास को आगे बढ़ाया जा सकेगा। अनुसंधानकर्ता वेई फ़ांगछ्यांग ने बताया :
"अब चांगमू कस्बे के विकास में रुकावट पैदा हुई है। वर्ष 2012 में इस पोर्ट के माध्यम से 1 अरब 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ। यह राशि तिब्बत के लिए बहुत बड़ी है। अगर भूस्खलन जैसी आपदा से निपटा जाय और नए व्यापारिक क्षेत्र का निर्माण किया गया, तो यहां व्यापार तेज़ गति से बढ़ेगा।"