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    भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की सुन्दरता
    2014-08-18 10:39:35 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, दिल्ली से राम कुमार नीरज। वे लिखते हैं कि एक तरफ जहां सी आर आई जैसे अंतर्राष्ट्रीय प्रसारक संस्था आधुनिक पत्रकारिता की दुनिया में नए-नए कीर्तिमान बना रहा है। वहीँ दूसरी तरफ यह हिंदी भाषा के प्रचार के साथ साथ हिंदी प्रेमी तमाम लोगों का सिर भी ऊँचा करता है। आज के इस आधुनिक पत्रकारिता के आलोक में यह भी जरुरी हो जाता है कि इसके इतिहास पर भी गौर फरमाएं और बीते दिनों को याद करने की कोशिश करें।भारत से जुड़े पत्रकारिता के इतिहास को देखें तो - जेम्स अगस्टस हिक्की ने 29 जनवरी 1780 में पहला भारतीय समाचार पत्र बंगाल गजट कलकत्ता से अंग्रजी में निकला। इसका आदर्श वाक्य था - सभी के लिये खुला फिर भी किसी से प्रभावित नहीं।

    अपने निर्भीक आचरण और विवेक पर अड़े रहने के कारण हिक्की को ईस्ट इंडिया कंपनी का कोपभाजन बनना पड़ा। हेस्टिंगस सरकार की शासन शैली की कटु आलोचना का पुरस्कार हिक्की को जेल यातना के रूप में मिला।

    हिक्की ने अपना उद्देश्य ही घोषित किया था - अपने मन और आत्मा की स्वतंत्रता के लिये अपने शरीर को बंधन में डालने में मुझे मजा आता है. समाचार पत्र की शुरूआत विद्रोह की घोषणा से हुई. हिक्की भारत के प्रथम पत्रकार थे जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता के लिये ब्रिटिश सरकार से संघर्ष किया.

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि सजेम्स बकिंघम को प्रेस की स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता था। सन् 1823 में उन्हें देश निकाला दे दिया गया। हालांकि इंगलैंड जाकर उन्होंने आरियंटल हेराल्ड निकाला। जिसमें वह भारतीय समस्याओं और कंपनी के हाथों में भारत का शासन बनाये रखने के खिलाफ लगातार अभियान चलाता रहा। 1961 के इंडियन कांउसिल एक्ट के बाद समाज के उपरी तबकों में उभरी राजनीतिक चेतना से भारतीय व गैरभारतीय दोनों भाषा के पत्रों की संख्या बढ़ी। 1861 में बंबई में टाइम्स आफ इंडिया की, 1865 में इलाहाबाद में पायनियर, 1868 में मद्रास मेल की, 1875 में कलकत्ता स्टेटसमैन की, और 1876 में लाहौर में सिविल ऐंड मिलटरी गजट की स्थापना हुई। ये सभी अंग्रेजी दैनिक ब्रिटिश शासनकाल में जारी रहे। उम्मीद है यह जानकारी सभी के लिए उपयोगी होगी।

    अनिलः दोस्तो आज का दूसरा खत आया है केसिंगा ओड़िशा से, इसे भेजने वाला हैं, सुरेश अग्रवाल। लिखते हैं कि 27 जुलाई को पेश साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" का मेरे अलावा तमाम मित्रों और परिजनों को भी बेताबी से इन्तज़ार था और कार्यक्रम सुन कर सभी बेहद खुश हैं। वैसे भी आज के अंक में पेश तमाम जानकारी काफी उम्दास्तर की है। दुलार से अपनी बेटी को सभी राजकुमारी कहते हैं,परन्तु वर्जीनिया के एक पिता द्वारा अपनी बेटी को सचमुच की राजकुमारी बनाया जाना अत्यन्त रोमांचक और हृदयस्पर्शी लगा। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में दिल्ली जलबोर्ड द्वारा लगाये गये जल-एटीएम भले ही भारत में पहले हों, पेइचिंग में तो ऐसी वाटर वेंडिंग मशीनें पहले से विद्यमान हैं, आपको पहले उनका ज़िक्र करना चाहिए था। शुभ-अशुभ पर स्वामी विवेकानंद का चिन्तन बिलकुल व्यावहारिक लगा, वास्तव में हमें शुभ-अशुभ की चिंता किये बिना नेककार्य करते रहना चाहिये। और हाँ, इन दिनों हाइवे पर सक्रिय शातिर आपराधिक गिरोहों द्वारा रात के समय चलती कार के स्क्रीन पर अण्डा फेंक कर लूटने की वारदातों को अंज़ाम देने जैसी घटनाओं से सावधान करने हेतु हार्दिक साधुवाद।हंसगुल्लों के दौर में आज आपने इतना हंसाया कि हँसते-हँसते पेट में बल पड़ गये। फिर चाहे वह लड़की द्वारा लड़के से चाँद लाने का आग्रह किया गया हो या कि ट्रेन में मिश्राजी द्वारा टैप बन्द न करने का किस्सा, सब कुछ बुरी तरह गुदगुदा गया। पिता द्वारा बेटे को ग़लत ढंग से करवाये गये होमवर्क के ऑडियो के तो कहने ही क्या ! चीन और रूस के बावर्चियो द्वारा कुल 112 मीटर लम्बा कबाब बनाये जाने का किस्सा रिकॉर्ड बनाने वालों के लिये ही अच्छा है। वैसे न्यूयॉर्क की हवालात में एक कैदी द्वारा पुलिस अधिकारी के नाम पिज़्ज़ा मंगवाया जाना और इटली में एक गाँव को ऑनलाइन बेचने की पहल काफी रुचिकर लगी। हाँ, अखिलजी की दरिया और झरने की कहानी में तो मानों जीवन का फ़लसफ़ा छुपा हुआ था। रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है बिहार से हेमंत कुमार ने। वे लिखते

    हैं कि सूचना और मनोरंजन का खजाना 'टी-टाइम' कार्यक्रम प्रत्येक मंगलवार को निश्चित रुप से सुनता हूं। प्रत्येक कड़ी मेँ सूचनाप्रद तथा उपयोगी जानकारी देने का सफलतम प्रयास किया जाता है। 22 जुलाई को शाम की सभा मेँ प्रस्तुत 'टी टाइम' मेँ फीफा वर्ल्ड कप 2014 के विजेता जर्मन टीम के सफलता का राज तथा 2018 मेँ रुस मेँ आयोजित होने वाले फीफा वर्ल्ड के बारे मेँ दिया गया जानकारी रोचक तथा सूचनाप्रद लगी। तथा ये बात जानकर खुशी हुई कि जनवरी से जून तक मेँ चीन मेँ फिल्मोँ का बॉक्स ऑफिस व्यापार 13 अरब 74 करोड़ 30 लाख युआन तक जा पहुंचा। चीन मेँ बढ़ते इंटरनेट के उपयोग तथा ऑनलाइन किताबेँ पढ़ने की चलन पर दिया गया जानकारी पसंद आया। 'हेल्थ टिप्स' मेँ दर्द से निजात पाने के घरेलू नुस्खे बहुत ही उपयोगी लगा।

    अनिलः साथ ही कई चुटकुले की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को और भी मजेदार बना दिया। उधर भारतीय संस्कृति की धरोहर जीवनदायिनी गंगा हम सब के मन प्राणोँ मेँ बसी है। कहते है स्वर्ग मेँ बहती थी गंगा। भागीरथ मुनि के कठिन तप से धरती पर आई है। अनेक देवताओँ की इन पर कृपा रही इस कारण यह देवनदी कहलाती है। हम गर्व से कहते हैँ- हम उस देश के वासी है, जिस देश मेँ गंगा बहती है। यानि गंगा हमारी राष्ट्रीय पहचान है। किँतु हम इतने धर्मभीरु हो गए है कि मिथ्या धारणा मेँ पड़कर यह सोचते है कि गंगा हमारे सारे पापोँ को धो डालेगी। इसी क्रम मेँ हम गंगा को प्रदूषित कर रहे हैँ। विकास के नाम पर हम गंगा का दोहन कर रहे है। नतीजा यह हमसे रुठ जाती है। हमारा कर्त्तव्य है कि गंगा के प्रति सच्चे मन, वचन व कर्म से इसे स्वच्छ बनाएं। ताकि मोक्षदायिनी पुनः पवित्र होकर अपनी कल-कल धारां मेँ अविराम बहती रहे। हमारे जीवन मेँ आनंद का संचार हो।

    वनिता:अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। नेक्स्ट खत हमें भेजा है, पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल ने। वे लिखते हैं कि 28 जुलाई के कार्यक्रम मेँ ताजा समाचार सुनने के बाद चीन का भ्रमण सुना। इसके तहत भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश मेँ विशाल हरे भरे घास के मैदान का दौरा और मंगोल जाति के विशेष रीति रिवाजॉ का नया अनुभव महसूस करने का मौका मिला । मुझे यह जानकर अच्छा लगा कि नीला आसमान, सफेद बादल , विशाल घास के मैदान और घोड़ॉ के झुंड यहां का पूरा मनमोहक दृश्य नही है। यहां के पश्चिमी भाग मेँ ऊंट की जन्मभूमि नाम से प्रसिद्ध अराशान और अरडोस पठार असीमित गोरीस्थान व विशाल रेगिस्तान ने भी अपनी विशेष पहचान बना रखी है। चीन का भ्रमण कार्यक्रम के माध्यम से यहां की सुंदरता के बारे मेँ जो सुना है, उसको अपनी आंखों से देखना चाहता हूं।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है हमारे पुराना श्रोता चुन्नीलाल कैवर्त ने। वे लिखते हैं कि कार्यक्रम 'चीन का भ्रमण' मुझे और मेरे क्लब सदस्यों को बेहद पसंद है l सी आर आई द्वारा प्रसारित इस लोकप्रिय कार्यक्रम को सुनना हम कभी नहीं भूलते l चीन के पर्यटन और संस्कृति के विषय में सही सही और प्रमाणिक जानकारी इसी कार्यक्रम से हमें मिलती है l प्रस्तुति काफी रोचक और सजीव लगती है l कार्यक्रम सुनते समय ऐसा लगता है ,मानों हम स्वयं चीन का भ्रमण कर रहे हों l इस हफ्ते हमें भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की सैर करवायी,जो काफी सूचनाप्रद और मनमोहक लगी l जितने आकर्षक भीतरी मंगोलिया के हरे भरे घास के विशाल मैदान हैं,उनसे कहीं अधिक लुभावने मंगोल जाति के विशेष रीति रिवाज़ और मेहमानवाज़ी है l मंगोल जाति के लोग मेहमानों का बहुत सम्मान करते हैं और पर्यटकों को अपने घर में जगह देते हैं l मेहमानों को मक्खन और पनीर जैसे परम्परागत पकवानों के अतिरिक्त वे खुशबूदार भुना हुआ बकरा खिलाते हैं ।पर्यटक स्वतंत्र रूप से हरे-भरे घास मैदान में अपनी रूचि के साथ जा सकते हैं , दूध दुह सकते हैं और चरवाहों से पनीर बनाने का तरीका सीख सकते हैं । इतना ही नहीं , वे स्थानीय चरवाहों से नाना प्रकार के दुग्ध पकवान , सूखा बीफ व मटन जैसे बहुत से स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ तैयार करने के तरीके भी सीख सकते हैं ।नीला आसमान,सफेद बादल,विशाल घास मैदान और घोड़ों के झुंड के मनमोहक दृश्यों को देखकर पर्यटक खुशी से झूम उठते होंगे l कुल मिलाकर भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश पर्यटकों का स्वर्ग है l कार्यक्रम में मंगोल स्वायत्त प्रदेश में हर वर्ष आयोजित नादाम समारोह की झलक मिली ,जो मंगोल जाति के परम्परागत सांस्कृतिक जीवन की अलग पहचान है l सी आर आई की वेब साइट में इन रमणीक स्थानों की सुन्दर तस्वीरों को देखकर हमारे दिलोदिमाग तरोताजा हो जाते हैं l बेहतरीन कार्यक्रम 'चीन का भ्रमण ' प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें !

    वनिता:अब मेरे हाथ में अगला खत है, इसे भेजा है पश्चिम बंगाल से श्रीकान्त नन्दी ने। वे लिखते हैं कि सादर नमस्कार।भारत के दुर्गम क्षेत्र और हिन्दू तीर्थ अमरनाथ की यात्रा के दौरान भारत के विभिन्न प्रान्तों से आये तीर्थ यात्रियों के बीच पश्चिम बंगाल के रवि शंकर बसु द्वारा परिचालित न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब की सांस्कृतिक संपादक देवशंकर चक्रवर्त्ती के नेतृत्व में विशेष प्रचार अभियान प्रशंसनीय है। इससे बहुत से लोग सीआरआई से परिचित होंगे। इस तरह की प्रचार अभियान कार्य भारत के किसी भी श्रोता क्लबों ने कर नहीं दिखाया। मैं सीआरआई और न्यू हराइज़न रेडियो क्लब को,साथ ही इस क्लब के सांस्कृतिक संपादक देवशंकर चक्रबर्ती को धन्यवाद देता हूं।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है, अगला खत, जिसे भेजने वाले हैं एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा। लिखते हैं कि यह जानकार बहुत दुःख हुआ की चीन के दक्षिण पश्चिमी चीन का युन्नान प्रांत में रविवार 3 अगस्त को आए शक्तिशाली भूकंप में सैकड़ों लोग मारे गए। 1800 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जबकि कुछ लापता हैं। 57,200 लोग बेघर हो गये हैं। भूकंप से बड़ी संख्या में मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं और यातायात व दूरसंचार भी ठप पड़ गये हैं। चीन का आपदा प्रबंधन बहुत मजबूत है और वे अपने काम में लग गए है चीन के प्रधानमंत्री बचाव कार्य को देखने युन्नान पहुंचे। हमारी संवेदना पीड़ित परिवारों के साथ है।

    वनिता:वहीं अमीर भारती ने एक खत भेजकर कहा कि जैसे ही हमें यह समाचार मिला कि दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में भूकंप आया है तो सभी को ठेस पहुंची। हम लोग इस बारे में जानने के लिए वेबसाइट और रेडियो के माध्यम से सर्च करने लगे आखिर ये क्या हो गया कैसे और क्यों हुआ और कितने मासूम लोग इससे हताहत हुए होंगे। कितनों ने अपनी जान खोयी होगी और कितने बेघर हुए। आँखें बिलकुल नम हैं। … चीनी सेना बचाव और राहत कार्य में जुटी हुई है। हम इंडो-चाइना कल्चरल सोसाइटी के और से गहरा शोक प्रकट करते हैं हम चीनी भाइयों के दुःख की इस घड़ी में हम उनके साथ हैं। हमारी दुआ है अल्लाह घायलों को जल्दी अच्छा कर दें। हमें पूरा विश्वास है कि चीन सरकार जल्द से जल्द लोगों का जन-जीवन सुधारने के लिए ठोस क़दम उठाएगी।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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