हर वर्ष मार्च और अप्रैल के महीने में आड़ू के फूल खिलने का मौसम होता है। तिब्बत के छांगतु प्रिफेक्चर की मांगखांग कांउटी में लानछांगच्यांग नदी के दोनों तटों पर खड़े ऊंचे पर्वतों के ढलान पर अनोखा दृश्य नज़र आता है। कुछ हज़ार छोटे-छोटे कृत्रिम तालाब में सफेद-सफेद तरल चीज रखी होती है। जिनमें छिंगहाई तिब्बत पठार में नीले आसमान और सफेद बादल की छाया नज़र आती है। कुछ दिन बाद सूर्य की गर्मी और हवा से सूखा तरल पदार्थ धीरे-धीरे क्रिस्टलीकरण से नमक बन जाएगा। स्थानीय महिलाएं छोटे चाकू से नमक को जमा करती हैं। यह उनकी आय का एक स्रोत है। यह है अच्छी गुणवत्ता वाला आड़ू तिब्बती नमक, कहा जाता है कि यहां नमक के खेत का इतिहास एक हजार से अधिक वर्ष पुराना है।
मांगखांग प्राचीन चाय घोड़ा मार्ग का एक अहम केंद्र था। एक हज़ार वर्ष पहले व्यापारी दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के चाय को इस रास्ते से तिब्बत तक पहुंचाते थे और चाय से स्थानीय अच्छी गुणवत्ता वाले घोड़ों का आदान प्रदान करते थे। लेकिन कम लोग जानते हैं कि चाय और घोड़े के अलावा तिब्बती नमक उस समय भी बहुत लोकप्रिय थे। छिंगहाई तिब्बत पठार समुद्र से बहुत दूर है। इस तरह यहां नमक का कम उत्पादन होता था। मक्खन वाली नमकीन चाय यानी घी-चाय में तिब्बती नमक को डालकर ज्यादा अच्छा स्वाद मिलता है। कहा जाता है कि इस प्रकार के नमक को खाने के बाद गायें और भेड़ें ज्यादा स्वस्थ होती हैं और बहुत जल्दी से बढ़ती हैं।
खेती का काम करने के बराबर नमक के खेत में संचालन प्रक्रिया सुनिश्चित हुई है। स्थानीय गांव वासी सरल उपकरणों से कुओं में से नमकीन पानी निकालते हैं, फिर पानी को पीठ पर लादकर नमक के खेत में खुदाई किए जाने वाले तालाब में डालते हैं। तालाब में पानी सूखने के बाद नमकीन क्रिस्टल(crystal) पैदा होते हैं। इस प्रकार के नमकीन क्रिस्टल को तालाब से निकालकर नमक के खेत में छोटी-छोटी लकड़ियों से बने शेल्फ़ पर रखा जाता है। आम तौर पर एक हफ्ते बाद हवा और सूरज की रोशनी से नमक क्रिस्टल में तब्दील हो जाता है और तालाब की जमीन पर चमकदार नमक नजर आता है।
दिल्चस्प बात यह है कि लानछांगच्यांग नदी के दोनों तटों पर समान पानी वाले कुओं से अलग-अलग तरह का नमक पैदा होता है। नदी के पूर्वी और पश्चिमी तट पर उत्पादित नमक का रंग भी अलग होता है। लानछांगच्यांग नदी के पूर्वी भाग में सफेद नमक तैयार होता है, जबकि पश्चिमी भाग में लाल रंग का । कहा जाता है कि इस प्रकार का अंतर नदी के दोनों तटों पर भूमि की गुणवत्ता की वजह से होता है।
तिब्बत के छांगतु प्रिफेक्चर में मांगखांग नमक के खेत में आम तौर पर नाशी जातीय महिलाओं को काम करते हुए देखा जाता है। बताया जाता है कि स्थानीय नमक के खेत के उत्पादन से प्राप्त आय घर में खर्च के लिए काफ़ी नहीं होती। इस तरह परिवार में पुरुष आम तौर पर काम के लिए बाहर जाते हैं। घर में रहने वाली महिलाएं नमक के खेत की देखभाल करती हैं। स्थानीय महिला ने हमारे संवाददाता को बताया कि वर्तमान में सीढ़ियों के जरिए कुओं में से नमकीन पानी नहीं निकाला जाता। अब लोग बिजली के पम्प के माध्यम से कुओं में से पानी निकालते हैं। इस तरह महिलाओं को कम मेहनत करनी पड़ती है। नमक उत्पादन बढ़ने के कारण महिलाओं की आय में इजाफा हुआ है।