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    कार्यक्रमों पर श्रोताओं की राय
    2014-07-28 15:00:26 cri


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल ने। लिखते हैं कि भारत और चीन के सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं। चीन रेशम मार्ग के माध्यम से दोनॉ देश जुड़े थे। बौद्ध धर्भ दोनों देशॉ के बीच इस संबंधॉ को आगे बढ़ाया। भारत से चीन गये बौद्ध धर्म का परिचय आपसी संबंधॉ के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम था। जिसने चीन मेँ बौद्ध कला और वास्तुकला के निर्माण और चीनी बौद्ध भिक्षुओ जैसे फा-जियान , जुनजांग और इजिंग की भारत यात्रा को नये संबंधों से जोड़ा। चीन हमेशा से अपनी संस्कृति , कला , वास्तुकला , विश्वास , दर्शन आदि के लिए दुनिया मेँ आकर्षण का एक केन्द्र रहा है। पीकिंग मानव के अवशेषॉ के साक्ष्य के साथ यह आदिम मानव के विकास का भी गवाह रहा है। नवपाषाण युग मेँ , इसे व्यवस्थित जीवन शैली की शुरुआत के रूप मेँ परिवर्तित किया गया जो बाद मेँ जटिल सभ्यता के रूप मेँ अपनी पराकाष्ठा पर पहुंचा । इधार भारत भी एक विविधतापूर्ण देश है । भारत एक बहु जातीय देश है , लेकिन वह चीन की तरह नहीं है , जहां किसी एक जाति के लोगॉ की संख्या अत्याधिक है । भारत मेँ कोई प्रमुख जातियॉ मेँ जनसंख्या का अनुपात बराबर है । उनकी प्रथाएं व मान्यताएं भिन्न भिन्न होती हैं और तरह तरह के काम करते हैं। ये जातियां एक दूसरे से मिली जुली ही नहीं , एक दूसरे पर निर्भर भी करती हैं। जिससे एक सुस्थिर समाज कायम हुआ है । पुरानी सभ्यता वाले देश के रूप मेँ भारत की संस्कृति व आधुनिक प्रगति को महसूस किया जा सकेगा।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि महान पुराने सभ्य देश के रूप मेँ भारत और चीन के बीच बड़ी समानताएं मौजूद हैं । उधर समानताऑ के बीच बीच फ़र्क भी मौजूद है। भारत और चीन के बीच चाहे समानताएं हो या अंतर , पर एक दूसरे की पूरक बनकर मैत्रीपूर्ण आवाजाही व गहरे सहयोग को बरकारार रखना हमारे लिए सबसे अहम बात है। सीमा मसले पर मतभेद के बावजूद, दोनॉ देशॉ के बीच सदियॉ से चला आ रहे सांस्कृतिक संबंध आज भी हैं , यही नही दोनॉ देशॉ की तरफ से संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की कोशिश भी लगातार जारी है। इसकी ताजा मिसाल है चीन द्वारा 2014 को चीन-भारत मैत्री आदान-प्रदान वर्ष के रूप मेँ मनाया जाना । मैं कहना चाहूंगा कि सी आर आई हिन्दी सेवा अब दोनो देशों के बीच मैत्री का सेतु बन गया है ।

    अनिलः दोस्तो अब पेश है एक खत। जिस का विषय है 7 जुलाई "चीन का भ्रमण"की तहत "शिनयांग की हरी चाय की महक" कार्यक्रम बेहद अच्छा लगा। यह अंक सुनकर यह जानकर ख़ुशी हुई की मध्य चीन के हू पेह, होनान व आनह्वी इन तीनों प्रांतों के संगम पर खड़ा शिनयांग क्षेत्र चीन के प्रसिद्ध हरी चाय उत्पादन केंद्रों में से एक माना जाता है। जिस तरीके से रूपा जी ने इसका वर्णन कर हमें शिनयांग के दौरे पर ले गई। लगा कि मैं सचमुच शिनयांग क्षेत्र में पहुंच गया। शिनयांग का ची कुंग यानी मुर्गा सिर पर्वत के वारे में, वहा के विशेष स्थानीय व्यंजनों के बारे में जानकारी बहुत ही रोचक लगी।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा हैं केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने । वे लिखते हैं कि 9 जुलाई को कार्यक्रम में समाचारों के बाद श्रोताओं के अपने साप्ताहिक मंच "आपका पत्र मिला" के तहत आज विशेषकर, पंचशील सिध्दांत की साठवीं वर्षगाँठ के अवसर पर सीआरआई द्वारा प्रसारित विशेष कार्यक्रमों पर श्रोताओं की बेशक़ीमती राय सुनने को मिली। चीन में कृत्रिम बारिश के इतिहास पर श्रोता भाई हेमन्त कुमार के प्रश्न का उत्तर काफी सूचनाप्रद लगा। सऊदी अरब से भाई सादिक़ आज़मी के सुझाव भी अच्छे थे, सम्भव हो तो उन पर ज़रूर अमल कीजियेगा, क्यों कि यह प्रतिस्पर्धा का ज़माना है। श्रोताओं से भेंट क्रम में आज भागलपुर के डॉक्टर हेमन्त कुमार से मिलवाना अच्छा लगा। बेहतर हो कि बातचीत के लिये कुछ नये श्रोता भी सामने आयें। पेशकश के लिये हार्दिक धन्यवाद।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत उंग-दुंग के जन्मस्थान की सैर बहुत महत्वपूर्ण लगी। चीन के अरासान क्षेत्र की ऊँट संस्कृति काफी सूचनाप्रद होने के साथ-साथ ऊँट मानवजाति और पर्यावरण के प्रति कितना वफ़ादार है, यह आज के प्रसारण से जाना। ऊँट के दूध में पोषकता के साथ गज़ब की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी विद्यमान है। अरासान के चरवाहे ऊँट से कितना प्यार करते हैं, इसकी मिसाल उनकी उस एकबात से ही मिल जाती है, जब वह "दूध पिलाओ" नामक गीत गाते हैं और ऊंटनी अपने बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर देती है। निराशा इस बात को लेकर हुई कि पारिस्थितिकी प्रभावों के चलते इस प्राणी के अस्तित्व को ख़तरा पैदा होने लगा है। हमें किसी भी क़ीमत पर समय रहते ऊँट प्रजाति को संकट से बचाना ही होगा। कार्यक्रम में चीन के भीतरी मंगोलिया क्षेत्र के विस्तृत मरुस्थल और उसके बीच बनी चन्द्रमा झील में नौकाविहार का आनन्द भी हमने दूर बैठे ही बखूबी लिया। सच कहूँ, तो चीन के इस विशाल रेगिस्तान और रेगिस्तान के ज़हाज़ ऊँट पर इतनी अच्छी जानकारी मैंने काफी समय बाद सुनी और चीन के एक और महत्वपूर्ण पहलू की जानकारी अनायास ही ताज़ा हो उठी। धन्यवाद स्वीकार करें।

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है एस.बी.शर्मा का खत। लिखते है कि चीन के युन्नान प्रान्त के ताली शहर में दूसरा भारत चीन योग शिखर सम्मलेन का उद्घाटन हुआ यह सम्मेलन 7 जुलाई से 12 जुलाई तक चला। गौरतलब है कि 2014 चीन-भारत मित्रवत आदान प्रदान वर्ष है इस वर्ष चीन के विभिन्न शहरो में भारत की झलक नामक विशेष प्रदर्शनी आयोजित हो रही है। युन्नान का यह योग शिविर उसी का एक अहम हिस्सा है दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से आये 1500 से अधिक योग प्रेमियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया। भारत से गए दशो योग शिक्षक भी यहां पहुंचे।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं सोमवार को पेश चीन की झलक प्रोग्राम में शिनयांग क्षेत्र चीन के प्रसिद्ध हरी चाय के विषय में विस्तार से बताया च्यांगहान घाटी में अवस्थित इस क्षेत्र का प्राकृतिक दृश्य बहुत अनुपम है और मौसम भी बहुत सुहावना है। विशेष प्राकृतिक स्थिति की वजह से शिनयांग में बहुत ही मनोहर प्राकृतिक दृश्य है। जिसके कारण बढ़िया गुणवत्ता वाली हरी चाय की अच्छी पैदावार हो रही है पिछले हजार वर्ष से यहां के स्थानीय वासी हरी चाय उगाने पर आश्रित हैं वे हरी चाय उगाने में जुटे हुए ही नहीं बल्कि हरी चाय पीने के आदी भी हो गये हैं। उत्तम गुणवत्ता के अच्छी चाय का उत्पादन और दैनिक जीवन में हरी चाय से उनका मधुर रिश्ता पैदा कर दिया है ताबड़तोड़ ऊबड़ खाबड़ ढलानों पर बेशुमार चाय के पेड़ उगे हुए दिखाई देते हैं, हल्के कोहरे में चाय की महक चारों तरफ व्याप्त रही है। जिससे यह

    क्षेत्र चाय जैसा सुगन्धित महसूस होता है। यातायात के लिए पक्की सड़क

    निर्मित हो जाने के कारण अब चाय खरीदने वाले ग्राहक बड़ी तादाद में यहां

    आने लगे हैं,।उच्च गुणवत्ता के कारण नयी हरी चाय अपने गांव में ही हाथो

    हाथ बिक जाती है।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है सऊदी अरब से, इसे भेजने वाले हैं सादिक आज़मी । लिखते हैं नमस्कार । सर्वप्रथम cri हिन्दी विभाग का आभार व्यक्त करता हूं कि मेरी पिछली आलोचना का उत्तर प्रेम भाव से दिया और मेरी प्रतिक्रिया को कार्यक्रम मे जगह दी जा रही है । हम cri हिन्दी के हित में सदा कार्य करते आए हैं और सदैव करते रहेंगे। नियमित श्रोता होने पर कार्यक्रम सुनना और पत्र ब्यवहार पर ध्यान केन्द्रित रहना हमारी पहली प्राथमिकता रहती है और हमेशा रहेगी।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं आजकल आपकी वेबसाइट पर एक और कमी देखने को मिल रही है । किसी रिपोर्ट को पढ़ने के उपरांत मैसेज बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया वाला मैसेज तो आता है कि सेव सफल रहा। पुष्टि के बाद दिखाया जाएगा मगर ऐसा बहुत कम होता है। 50 मैसेज की तुलना में 4 मैसेज दिखाए जाते हैं। वह भी चौबीस घन्टे के बाद जबकि ऐसा नही होना चाहिये। दूसरे किसी भी सोशल साइट पर मैसेज के तुरंत बाद वह शो करता है। आशा है शीघ्र इस समस्या का निवारण कर दिया जाएगा। आज के कार्यक्रम आपका पत्र मिला मे हमारी प्रतक्रिया के बाद हेमंत कुमार जी से अनिल जी द्वारा लिया गया साक्षात्कार अच्छा लगा। उन्होंने अनिल जी सभी प्रश्नों के उत्तर अत्यन्त प्रेम भाव से दिया और हमको अपनी निजी गतिविधियों से भी अवगत कराया जिसके लिये धन्यवाद

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है रायपुर से, इसे भेजने वाले हैं अशोक बजाज। लिखते हैं रायपुर / छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ के पदाधिकारियों की बैठक दिनांक 13 जुलाई को रायपुर में संपन्न हुई. संघ ने निर्णय लिया है कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 20 अगस्त को "रेडियो श्रोता दिवस" मनाया जायेगा. इस वर्ष रायपुर से 85 कि.मी. दूर भाटापारा शहर में श्रोता सम्मलेन व प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. जिसमें तमाम रेडियो श्रोताओ के अलावा उद्घोषकों को भी आमंत्रित किया जायेगा।

    पिछले 7- 8 वर्षों से लगातार पूरे राज्य के श्रोता 20 अगस्त को सम्मलेन का आयोजन करते आ रहें हैं। 20 अगस्त को श्रोता दिवस मनाने का प्रचलन अब देश के अनेक हिस्से में शुरू हो चुका है।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है आज का अंतिम खत। जिसे भेजने वाले है राम कुमार नीरज। लिखते हैं दुनिया के नवीनतम समाचारों को करीब से जानने और समझने का प्रमुख माध्यम बनता जा रहा है.रिपोर्टों की ताज़ा कड़ी में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी की भूमिका पर विस्तृत रिपोर्ट पढ़ा.बेहद अच्छा लगा.आपके प्रस्तुत रिपोर्ट से यह स्पस्ट है कि भारत इस सप्ताह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय संकट और सुरक्षा खतरों से निपटने के प्रयासों पर विचार विमर्श करेगा ताकि शांति के माहौल को कायम रखते हुए वैश्विक आर्थिक स्थिरता को आगे बढ़ाया जा सके।

    ब्रिक्स (ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में शिरकत के लिए बर्लिन के रास्ते ब्राजील रवाना होने से पहले एक बयान में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ब्रिक्स के एक नए विकास बैंक तथा आकस्मिक आरक्षित (कंटीन्जेंट रिजर्व) व्यवस्था की स्थापना के कदम को लेकर काफी उत्सुक है.

    ब्रिक्स विकास बैंक कई देशों और विकासशील राष्ट्रों में परियोजनाओं का वित्तपोषण करेगा. इस बैंक का मुख्यालय नई दिल्ली या शांगहाए में बनाए जाने को लेकर भारत और चीन का अपना अपना दावा है. ब्राजील की राष्ट्रपति दिल्मा राउसेफ के न्योते पर मोदी ब्राजील जा रहे हैं. वह फोर्टालेजा और ब्रासीलिया में 15-16 जुलाई को आयोजित छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि यह बैठक ऐसे समय आयोजित की जा रही है जब दुनिया के कई हिस्सों में राजनीतिक उथलपुथल, विवाद और मानवीय संकट जारी है. उन्होंने कहा कि इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी और अशांति भी बनी हुई है. मोदी ने कहा कि कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सुस्ती का सामना करना पड़ रहा है जिससे समावेशी व आर्थिक विकास को लेकर चुनौती बढ़ गई है.

    एक अच्छी रिपोर्टिंग का शुक्रिया आपको।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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