Web  hindi.cri.cn
    छंगतु शहर का पांडा प्रजनन केंद्र
    2014-07-21 08:51:24 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम रोजाना की तरह श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    लीजिए, अब शुरू करते हैं, पत्रों को पढ़ने का सिलसिला। दोस्तो, आज का पहला खत भेजा है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं 27 जून को ताज़ा देश-दुनिया की ख़बरों के बाद पेश साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत तिब्बत की विश्व प्रसिद्ध थांगखा चित्रकला के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने का मौक़ा मिला। रंगीन रेशमी कपड़ों पर उकेरी जाने वाली उक्त चित्रकला का संबंध बौद्ध धर्म से है और इसका इतिहास कोई तेरह सौ वर्ष पुराना है। थांगखा योकुंग चित्रकला का अंग है, जिसका शाब्दिक अर्थ "सपना पूरा करने वाली स्वर्णघाटी है।" कार्यक्रम में थांगखा चित्रकला विशेषज्ञ 22 वर्षीय भिक्षु काज़ांग जाथो (नाम जैसा समझ में आया) द्वारा इस पवित्र विधा पर बारीकी से जानकारी दिया जाना काफी महत्वपूर्ण लगा। थांगखा बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्राकृतिक रंगों में मूलतः पांच रंगों की मदद से सैंकड़ों रंग बनाये जाते हैं और सोना-चाँदी, सुलेमानी मिट्टी आदि का भी इसमें बखूबी उपयोग होता है। थांगखा तिब्बती बहुल क्षेत्र के तमाम छोटे-बड़े मठ-मन्दिरों और घरों की शोभा बढ़ाता है। पुराना श्रोता होने के नाते थांगखा पर पहले भी अनेक बार कार्यक्रम सुन चुका हूँ, परन्तु हर बार यह जानकारी नई लगती है।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं देश-दुनिया की नवीनतम ख़बरों का ज़ायज़ा लेने के बाद श्रोताओं के अपने साप्ताहिक मंच "आपका पत्र मिला" के तहत विभिन्न कार्यक्रमों पर श्रोताओं की बेशक़ीमती राय सुन कर हमें अपनी समझ बढ़ाने का मौक़ा मिला। आज के अंक में पूर्वापेक्षा अधिक पत्र शामिल करने के लिये भी आपका धन्यवाद। पत्रोत्तर के बाद श्रोताओं से बातचीत क्रम में हिसार, हरियाणा के रेड़ियोधर्मी श्रोता भाई चन्द्रभान ढिंढोरिया से मिलकर बहुत अच्छा लगा और मेरा वह भ्रम भी टूटा कि टीवी और इण्टरनेट के युग में रेड़ियो से बेइंतेहा प्यार करने वाला शायद मैं ही एक अदद श्रोता बचा हूँ। पुराने समय से आकाशवाणी रेड़ियो से जुड़े और कृषि विश्वविद्यालय में कार्यरत चन्द्रभानजी के ज़ज़्बे को मैं सलाम करता हूँ कि अपने कार्य के अलावा वह सामाजिक भलाई के लिये भी समय निकालते हैं। मैं उनकी बातों से इतना प्रभावित हुआ कि यदि इस वक़्त उनका फ़ोन नम्बर मेरे पास होता, तो मैं अविलम्ब उनसे सम्पर्क स्थापित करता। बहरहाल, एक सार्थक बातचीत सुनवाने हेतु आप सभी का हार्दिक साधुवाद।

    अनिलः दोस्तो अब पेश है बिहार से हेमंत कुमार का खत। वे लिखते हैं, नी हाव! परम सम्मान के साथ सहर्ष सूचित करना है कि मनोरंजन तथा सूचना का खजाना 'संडे की मस्ती' का नियमित श्रोता हूं। इस कार्यक्रम मेँ प्रसारित रिपोर्ट, चुटकुले तथा हिँदी सौँग मनोरंजक, ज्ञानवर्द्धक, शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक और सारगर्भित होते हैँ।कार्यक्रम प्रस्तुतिकरण शैली तथा प्रसारण गुणवत्ता उच्च स्तर के हैँ। इसलिए कार्यक्रम सुनकर नियमित पत्र लिखने का प्रयास करता हूं । 29 जून को शाम की सभा अखिल तथा मीनू द्वारा प्रस्तुत 'संडे की मस्ती' मेँ श्रोताओँ की प्रतिक्रिया पढ़ने के बाद एक बच्ची द्वारा गूगल को पत्र लिखने तथा गूगल द्वारा जबाव देने का जिक्र, मोबाइल एपलीकेशन तथा सोसल मीडिया की मदद से मिलने वाली अभूतपूर्व सफलता, फीफा वर्ल्ड कप से जुड़ी रोचक जानकारी, भूतपूर्व क्रिकेटर नवजोत सिँह सिद्धू का ऑडियो-हमारी जीवन हमारे सोच पर आधारित है तथा हिँदी बोलने की राजनीति पर प्रस्तुत चुटकुला मजेदार तथा सूचनाप्रद लगा। बेहतर प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद!

    वनिता:वे आगे लिखते हैं भारत और चीन ने ऐतिहासिक पंचशील समझौते की 60वीँ वर्षगाठ बीजिँग मेँ साथ मिलकर मनाई, लेकिन छह दशक के भारत-चीन रिश्तोँ का विश्लेषण एक दूसरी ही तस्वीर पेश करता है। अप्रैल 1954 मेँ भारत और चीन पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इसकी यह कह कर सराहना हुई थी कि एशिया की दो बड़ी शक्तियों के बीच परस्पर सहयोग का एक आदर्श मॉडल बनेगा। उल्लेखनीय है कि दोनोँ ही देश भारत और चीन 1947 और 1949 मेँ स्वतंत्र हुए थे। पंचशील शब्दावली को प्राचीन बौद्ध परंपरा से ग्रहण किया गया है जो अलग-अलग शब्दोँ से बना है। इसका पहला शब्द है पंच जिसका अर्थ है पांच और दूसरा शब्द है शील जिसका अर्थ मूल्य अथवा गुण है। इस प्रकार पंचशील शब्द पांच मूल्योँ को दर्शाता है, जो परस्पर द्विपक्षीय संबंध, एक दूसरे की क्षेत्रीय एकता-अखंडता और संप्रभुता के प्रति परस्पर आदर-सम्मान, एक दूसरे के आंतरिक मामलोँ मेँ परस्पर अहस्तक्षेप, समानता और परस्पर लाभ तथा शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के भाव को प्रकट करता है। यह सिद्धांत निरपवाद है और यह शाश्वत व्यावहारिक आदर्शोँ को हासिल करने मेँ उपयोगी भी है।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से मनीषा चक्रवर्ती का। लिखती हैं मैंने आज आपकी वेबसाइट पर रूपा जी द्वारा पेश किया 'चीन का भ्रमण' कार्यक्रम सुना;इसमें दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के दुर्लभ जानवार पांडा से जुड़ी विश्वविख्यात छंगतु पंडा प्रजनन अनुसंधान केंद्र की कुछ तस्वीरें देखने का मौका मिला।सछ्वान प्रांत प्यारे पांडा की जन्मभूमि है।पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव में रहकर मैं इस दुर्लभ जानवार पांडा के बारे में आपकी बदौलत अपडेट हो जाती हूं। इतना ही नहीं,पृथ्वी का स्वर्ग कहलाने वाले च्यु चाइ काउ पर्यटन क्षेत्र का दौरा करने का मौका भी मिला।च्यु चाउ कोउ पर्यटन क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन सुनकर मैं मोहित हो गई।यह चीन का सबसे रमणीक स्थल है। यहां का पानी इस पर्यटन क्षेत्र की आत्मा है।इस प्रोग्राम के माध्यम से मुझे पता चला है कि सछ्वान प्रांत में पर्यटन संसाधन कितने समृद्ध हैं।पृथ्वी के स्वर्ग के नाम से विख्यात च्यु चाई काउ और छंगतु स्थित पंडा प्रजनन अड्डे के बारे में बिस्तृत जानकारी हमारे समक्ष पेश करने हेतु सीआरआई हिन्दी विभाग को धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाले हैं बिधान चंद्र सान्याल। लिखते हैं कि सी आर आई हिन्दी सेवा के साथ बिश्वबिख्यात पांडा अनुसंधान केंद्र पर चलते हुये बहुत अच्छा लगा । इस बारे में बहुत सारी आकर्षक जानकारी और सुंदरता मेँ खो गया हुँ मैं। पांडा के बारे मेँ इतनी विस्तृत जानकारी पहले नही मिली।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि यहे खुशी की बात है कि बौद्ध धर्म और चैरिटी बिषय पर अगले 16 से 18 अक्टूबर को पश्चिमी चीन के शानशी प्रांत के चाओची शहर मेँ 27वीँ वर्ल्ड फेलोशिप ऑफ बुद्धिस्ट महासभा आयोजित होगी । आशा है कि इस महासभा कि माध्यम से चीनी बौद्ध धर्म जगत और विभिन्न देशॉ के बौद्ध धर्म जगतॉ के मित्रबत संबंधॉ को मजबूती मिलेगी । इस बिषय पर और भी जानकारी प्राप्त करना चाहता हूं ।

    वनिता:उधर, चीन के कानसू प्रांत के लानचो शहर मेँ आयोजित चीन मध्य एशिया सहयोग वार्ता के बारे मेँ विस्तृत जानकारी देने के लिए धन्यवाद । हमे यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि चीन शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर कायम रहता है और मध्य एशिया के बिभिन्न देशॉ , रूस ,ईरान आदि आदि देशॉ के साथ सिल्क रोड आर्थिक क्षेत्र और 21वीँ सदी समुदी सिल्क रोड के जरिए देशॉ के बीच राजनीतिक संबंधॉ , भौगोलिक निकटता व आर्थिक पूरकता की श्रेष्ठता को व्यवहारिक सहयोग की श्रेष्ठता बदलने को तैयार है ।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है झारखंड से एस बी शर्मा ने। लिखते हैं कि चीन की झलक कार्यक्रम में चीन के सछ्वान प्रांत के छंगतु शहर के पांडा प्रजनन केंद्र और विश्वविख्यात प्रजनन अनुसंधान केंद्र के विषय में विस्तार से जानकारी दी गयी। यह पांडा प्रजनन केंद्र 1987 में स्थापित हुआ था इस प्रजनन केंद्र की विशेषता सुनकर मन मत्रमुग्ध हो गया । पांडा प्रजनन केंद्र घने हरित बास व छायादार पेड़ों से घिरा हुआ है यहां का वातावरण बेहद सुहावना और तरोताजा है , प्राकृतिक सौंदर्य और मानवकृत भू दृश्य ने पूरे प्रजनन केंद्र में चार-चांद लगा दिए हैं। छोटे बड़े पांडा और काले गले वाले सारस समेत बहुत से ज्यादा दुर्लभ जानवर बड़े आराम से यहां पर रहते हैं। दिन में कुछ पांडा लेटे या बैठे हुए नजर आते हैं , कुछ बास खाने में मस्त दिखायी देते हैं और अन्य कुछ एक दूसरे से छेड़छाड़ करते हुए क्रीड़ा करते हैं ,देखने में बड़े प्यारे लगते हैं। यानि यहां पर पांडा बिल्कुल प्राकृतिक माहौल में मस्ती के साथ शान से जिंदगी जीते हैं। यहाँ से पांडा के संरक्षण और विस्तार का काम किया जाता है दुर्लभ प्राणी पांडा के संरक्षण के लिए उठाये गए कदम सराहनीय हैं। अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है जमशेदपुर झारखण्ड से सागरिका ने। लिखती हैं कि "ब्रिक्स देशों के विकास की बडी संभावना है " नामक लेख मैंने सी आर आई के वेव साईट पर पढ़ा। चीनी विदेश मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था विभाग के निदेशक च्यांग चुन के कुछ विदेशी लोगो द्वारा ब्रिक्स देशों के विकास पर हताशा व्यक्त करने की घटना को पक्षपात से भरी घटना बताया। साथ ही कथित कुछ देश को सन्देश देने के लिए यह बहुत जरुरी था ब्रिक्स देशो के बड़े व्यापर की संभावनाएं अब उन देशो के हाथ से फिसलने जा रहा है अब ब्रिक्स देश अपना बैंक भी बना रहें इससे उन देशो की कर्ज दे कर मुनाफा कमाने की दुकान भी नहीं चलेगी। इस लिए तथाकथित देश दुर्भावना से कुंठित हो कर ब्रिक्स देशो को हताश करने के लिए इस तरह का बयान दे रहें है। चीन विदेश विभाग के निदेशक द्वारा दी गई वयान उन कुंठित मानसिकता के देशों को दिया गया सही जवाब है ।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है दिल्ली से राम कुमार नीरज का खत। लिखते हैं कि आपका पत्र मिला कार्यक्रम सबसे ज्यादा सुना जाने वाले कार्यक्रमों में से एक है.बदलते समय के साथ कार्यक्रम का नया स्वरूप भी मन को बेहद भा रहा है.कार्यक्रम के बीच बीच में हिंदी संगीत का समावेश एक अलग सामान बांध सा देता है.एक तरफ भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय रेडियो प्रसारकों का एक एक कर बंद होना रेडियो की दुनिया की उदासीनता को दिखाता है वहीँ दूसरी तरफ सी आर आई जैसे अंतर्राष्ट्रीय प्रसारक संस्था श्रोताओं को चीन भारत के साथ साथ दुनिया के नवीनतम खबरों से जोड़े रखने में अहम भूमिका अदा करता है.

    वास्तव में रेडियो की दुनिया भी वर्तमान संसार की एक अद्भुत व्यवस्थायों में से एक है.विज्ञान और दुनिया के प्रगति के साथ साथ रेडियो का संसार भी बढ़ता गया और लोकप्रियता भी उसी तरह से बढती गयी.सचमुच इस रेडियो की दुनिया को देखकर वह पुरानी बात बरबस ही याद ही आ जाती है जब 24 दिसंबर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी ।

    रेडियो की दुनिया में यह जानना भी बेहद दिलचस्प है कि नवंबर 1941 में रेडियो जर्मनी से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भारतीयों के नाम संदेश भारत में रेडियो के इतिहास में एक और प्रसिद्ध दिन रहा जब नेताजी ने कहा था, "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा.

    फ़िलहाल आपकी साईट भी रंग बिरंगी दुनिया की तरह है जहाँ से हम एक क्लीक पर दुनिया बदलते तस्वीर को करीब से देखा और जन सकते है.सचमुच आप सब बधाई के पात्र हैं.आप सब के दिन रात के अथक मेहनत और प्रयासों का ही परिणाम है जब हम सब हजारों किलोमीटर दूर बैठकर भी तरंगों के इस माध्यम से आपसे संपर्क में है और वास्तविकता तो यही है कि यह संपर्क और सम्बन्ध दिन ब प्रगाढ़ हो रहें है,एक बार फिर आप सब को शुक्रिया.

    धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाले हैं रविशंकर बसु। लिखते हैं कि गत 3 जुलाई को चीन की यात्रा पर आये भारतीय थलसेना अध्यक्ष बिक्रम सिंह के साथ चीनी जन मुक्ति सेना(पीएलए)के चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़ फांग फ़ेंगह्वेई से वार्ता के बारे में जानकर काफी अच्छा लगा। दोनों सेनाध्यक्ष के बीच एक दूसरे से संपर्क बढ़ाकर और शंकाओं को कम करते हुए क्षेत्रीय और विश्व शांति के साथ स्थिरता बनाये रखने के लिये सकारात्मक योगदान पर बातचीत हुई। जो कि सचमुच सराहनीय बात है। हम भी आशा करते है चीन और भारत की साझीदारी और भी मजबूत हो।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040