दो दिनों तक चलने वाली छठी चीन-अमेरिका रणनीतिक और आर्थिक वार्ता 10 जुलाई को पेईचिंग में संपन्न हो गई। वार्ता में दोनों पक्षों ने देनों देशों के नेताओं के बीच हुई आम सहमतियों को वास्तविक रूप से लागू करने, चीन-अमरीका बड़े देशों के बीच नये रिश्ते वाले संबंधों की स्थापना जैसे विषयों पर विचार विमर्श किया। जिसमें व्यापक आम सहमति हुई और महत्वपूर्ण एवं सक्रिय सफलता भी मिली।
आर्थिक वार्ता में अमेरिका ने कहा कि वह उच्च स्तरीय वाली पूंजी निवेश एवं राष्ट्रीय बचत की सहायता वाले वृद्धि तरीकों का समर्थन करता है। साथ ही वह अपनी मुद्रा नीति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था पर पड़े प्रभाव पर बड़ा ध्यान देता है। इसके अलावा दोनों पक्ष जी-20 के ढांचे में सहयोग को मज़बूत करना जारी रखेंगे और अंतर्राष्ट्रीय वित्तिय संचालन में सुधार को आगे बढ़ाएंगे।
दोनों पक्षों के बीच आम सहमती हुई है कि वर्ष 2014 में द्विपक्षीय पूंजी निवेश करने के समझौते पत्र के मूल मद्दों और मुख्य खंडों के बारे में समझौते पर पहुंचने के लिये कोशिश करेंगे। साथ ही वर्ष 2015 की शुरूआत में नकारात्मक सूची (Negative list) के बारे में वार्ता की जाएगी। इसके अलावा अमेरिका ने चीनी निवेशकों के लिये खुलेपन वाले निवेश माहौल तैयार करने की बात भी कही।
उधर रणनीतिक वार्ता में दोनों पक्षों के बीच आतंक विरोधी, कानून प्रवर्तन, भ्रष्टाचार, सीमा-शुल्क, ऊर्जा और पर्यावरण परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर आम सहमति हुई। दोनों पक्षों के बीच सैन्य संबंध के निर्माण को लेकर सेनाओं के बीच वार्ता गहराकर संपर्क और सहयोग प्रणाली को संपूर्ण बनाने के समझौते पर भी बातचीत हुई।
साथ ही दोनों पक्षों ने वादा किया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये प्रयास करेंगे और एशियाई-प्रशांत मामलों में घनिष्ठ संपर्क और समन्वय को और मज़बूत करेंगे।
वार्ता में चीन ने ज़ोर दिया कि दोनों पक्षों को एक दूसरे की प्रभूसत्ता और प्रादेशिक अखंडता और विकास के लिये चुने रास्ते का सम्मान करना चाहिये। साथ ही रचनात्मक तरीके से दोनों पक्षों के बीच मौजूद अंतरविरोधों और मतभेदों को हल करना चाहिये। साथ ही चीन ने थाईवान और तिब्बत आदि मुद्दों पर अपने रुख को भी दोहराया। इसके अलावा चीन ने पूर्वी समुद्र और दक्षिणी समुद्र जैसे मुद्दों पर अपने रूख को एक फिर बार स्पष्ट किया। चीन ने अमेरिका से निष्पक्षता और न्यायपूर्ण रुख अपनाकर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिये सकारात्मक भूमिका निभाने का आग्रह भी किया। (रमेश)