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    2013 मेँ 1 लाख 45 हजार चीनी लोग यात्रा के लिए भारत गए
    2014-07-09 09:23:07 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, एक श्रोता, जिन्होंने अपना नाम तो नहीं लिखा है, फिर भी हम उनका खत शामिल कर रहे हैं। लिखते हैं कि मैं सीआरआई का एक शुभेच्छु होने के नाते बेवसाईट में मौजूद गलतियों की तरफ इशारा करने की कोशिश कर रहा हूं। अगर हो सके तो इस ओर ध्यान देकर गलतियों को सुधारने का प्रयास करें। सीआरआई चीन का सबसे प्रमुख रेडियो स्टेशन है जिसके प्रसारण से दुनिया के तमाम देशों के लोग चीन की जानकारी पाते हैं। चीन का दुनिया के दूसरे देशों के साथ सांस्कृतिक संबंध को बढ़ाने में सीआरआई की अहम भूमिका है।

    वनिता:दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है पश्चिम बंगाल से, इसे भेजने वाला हैं बिधान चंद्र सान्याल। लिखते हैं मुझे यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि वर्ष 2013 मेँ 9 करोड़ 81 लाख 90 हजार चीनी लोगॉ ने विदेश यात्रा की । मैँ यह जानने के लिए उत्सुक हूं कि 2013 मेँ कितने चीनी लोगों ने भारत यात्रा की ?

    आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष 1 लाख 45 हजार चीनी लोग यात्रा के लिए भारत गए। यह संख्या वर्ष 2012 से 6 प्रतिशत अधिक रही। उधर पिछले वर्ष 6 लाख 80 हजार भारतीय चीन पहुंचे। यह संख्या वर्ष 2012 से 11 प्रतिशत अधिक रही।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि पंचशील सिद्धांत भारत , चीन म्यांमार द्वारा जून 1954 में जारी किया गया। पंचशील चीन व भारत द्वारा दुनिया की शांति व सुरक्षा की दिशा में किया गया महत्वपूर्ण योगदान है , और आज तक दोनॉ देशॉ की जनता की जबान पर है । देशॉ के संबंधॉ को लेकर स्थापित इस सिद्धांत में इन चीजों पर ज़ोर दिया गया है। एक दूसरे की प्रभुसत्ता व प्रादेशिक अखंडता का सम्मान किया जाय , एक दूसरे के अंदरूनी मामलॉ में दखल न दिया जाय और समानता व आपसी लाभ के आधार पर शांतिपूर्ण सह अस्तित्व बरकरार रखा जाये । ये सिद्धांत विश्व के कई देशॉ द्वारा स्वीकार कर लिये गये हैं और द्विपक्षीय संबंधॉ पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनॉ व दस्तावेजो मेँ दर्ज किये गये है । पंचशील ने अंतरराष्ट्रीय संबंधॉ की सैद्धातिक व यथार्थ कार्यवाही में रचनात्मक योगदान किया । पंचशील सिद्धांत की 60 वीँ वर्षगांठ के मौके पर कहा जा सकता है कि पंचशील की जीवन शक्ति बड़ी मजबूत है। इस दौरान दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।

    वनिता:अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। नेक्स्ट खत हमें आया है, केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल का। वे लिखते हैं कि 22 जून को ताज़ा समाचारों के बीच यह उत्साहवर्धक समाचार भी सुनने को मिला कि दोहा की राजधानी क़तर में आयोजित विश्व विरासत सम्मेलन में चीन की बड़ी नहर और रेशम मार्ग को विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया गया है। बधाई स्वीकार करें। सच कहूँ, तो लम्बे अरसे से सीआरआई सुनते-सुनते अब हमें चीन भी अपने देश-सा लगने लगा है और यही कारण है कि जब चीन से जुडी कोई अच्छी ख़बर होती है, तो हमें भी सुकून मिलता है।

    अनिलः दोस्तो, अगला मेल हमें भेजा है सऊदी अरब से सादिक आज़मी ने। वे लिखते हैं कि नमस्कार मैंने 18 जून का साप्ताहिक कार्यक्रम आपका पत्र मिला सुना। जिसे हमेशा की तरह अनिल जी और वनीता जी ने पेश किया। कार्यक्रम और सीआरआई हिन्दी वेबसाइट पर सुरेश अग्रवाल, एस बी शर्मा जी, विधान चन्द्र सान्याल जी के विचारों और प्रतिक्रियाओं से अवगत कराया गया। साथ मे आर एन सिंह जी से लिया गया साक्षात्कार सुनवाया गया जो अच्छा लगा और 72 वर्ष की आयु में भी रेडियो से उनका लगाव हमारे लिये प्रेरणादायी है। हम ऐसे वरिष्ठ श्रोता महोदय के जज़्बे को सलाम करते हैं उनकी यूपी सरकार की नाकामियों पर की गई कविता स्वरूप टिप्पणी सराहनीय थी। साथ ही अरविंद केजरीवाल की जल्दीबाज़ी करने हेतु चार लाइनें सटीक लगी। भेंटवर्ता सुनवाने हेतु अनिल जी का धन्यवाद।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि आपके वेब पेज पर विज़िट करते ही मन में खुशी की एक लहर दौड़ गई। जब लेख पढ़ा कि कतर की राजधानी दोहा में आयोजित 38वें विश्व विरासत सम्मेलन में 22 जून को सलाह मशविरे के जरिए चीन की बड़ी नहर और रेशम मार्ग को विश्व विरासत सूची में शामिल करने के आवेदन की पुष्टि की गई अब चीन में 47 विश्व विरासत उपलब्ध हो गए हैं। मौजूदा सम्मेलन में चीन द्वारा स्वतंत्र रूप से आवेदन किए गए सांस्कृतिक विरासत परियोजना"बड़ी नहर"से संबंधित जानकारी का परिचय, सम्मेलन समिति में बहस और मतदान के जरिए अंत में विरासत सूची में शामिल किया गया। जो चीन में 46वीं विश्व विरासत परियोजना है रेशम मार्ग से जुड़े विचार विमर्श कार्य सम्मेलन में बेरोकटोक रूप से किया गया, इस विशेष उप्लब्धि पर मेरी ओर से समस्त चीन वासियों को बधाई।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है दिल्ली से हमारे अमीर अहमद का। वे लिखते हैं कि ये जानकार बड़ी प्रसन्नता हुई कि चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ह्वा छुन इंग ने 16 जून को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने जो कहा कि चीन अपने पडोसी द्वारा आसपास के देशों के साथ मैत्री ,सहयोग और पारस्परिक लाभ वाले संबंधों का विकास करने पर खुश है। हम इंडो चाइना कल्चर सोसायटी के सभी सदस्य व ऑल इंडिया सी आर आई श्रोता महासंघ उनके इस विचार का स्वागत करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीन हमेशा भारत के साथ संबंधों को महत्व देता है।हमें बड़ी ख़ुशी हुई। आज हमें आपकी वेबसइट के माध्यम से जानकारी मिली कि चीन औऱ ब्रिटेन दोनों देशों ने लंदन में संयुक्त बयान जारी किया। जिसमें कुल 30 विषय शामिल हैं, मालूम हुआ कि चीन-ब्रिटेन संबंधों के विभिन्न पक्षों से संबंधित हैं।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि ब्रिटेन इस बात को स्वीकार करता है कि तिब्बत चीन लोक गणराज्य का एक भाग है।ये एक ख़ुशी की बात है तिब्बत का कायापलट विकास से सभी को मानना होगा कि चीन का तिब्बत चीन का ही है । आज वो जिस ततरह है उसका श्रेय भी चीनी नेताओं को ही जाता है। ब्रिटेन ने कहा कि वह तिब्बत की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता। हम उसके इस विचार का स्वागत करते हैं .

    अनिलः दोस्तो, नेक्स्ट लैटर हमें भेजा है, पश्चिम बंगाल से असीम जे. घोष ने। वे लिखते हैं कि 17 जून की "टी-टाइम" का नया अंक सुना. फुटबाल वर्ल्ड कप 2014 के मौके पर कोलकाता का स्वरूप किस तरह बदल गया इसकी जानकारी साथ ही कोलकाता के विभिन्न क्लबों, रेस्तरां और मिठाई की दुकानों की ब्यौरा के बारे में जानकारी रोचक लगा। वे आगे लिखते हैं कि हर बार की तरह प्रोग्राम के दूसरे चरण में मोबाइल से होने वाले खतरों और शोध के बारे में चर्चा अच्छी थी और इसके साथ ही बालों में होने वाले डैंड्रफ को रोकने के लिए दिया गया घरेलू उपचार बेहद फायदेमंद था। हमें आगे भी टी-टाइम के नए अंक का इंतजार रहेगा।

    वनिता:अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। अगला पत्र हमें आया है, झारखंड से एस बी शर्मा का। वे लिखते हैं कि आपका पत्र मिला कार्यक्रम के माध्यम से वनीता जी और अनिल जी ने सी आर आई का श्रोताओं से संचार और संवाद व्यवस्था काफी मजबूत कर दिया है श्रोताओं के बहुमूल्य पत्र ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम में शामिल किये जा रहे हैं। साथ ही पत्रोत्तर के माध्यम से श्रोताओ की जिज्ञासा भी शांत की जा रही है।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि चीन एशियाई सुरक्षा का रक्षक है तथा चीन हमेशा एक सच्चे दोस्त की भाटी पडोसी देशों के विकास से खुश होता है। ये दोनों समाचारों को सीआरआई की वेबसाईट और रेडयो पर उचित स्थान दिया गया। सी आर आई के माध्यम से यह पता चला कि चीन एशिया में शांति स्थापना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करता रहा है। चाहे वह कोरिया समस्या हो या ईरान समस्या। सभी का उचित समाधान ढूढ़ने और स्थायी शांति के लिए चीन सार्थक प्रयास करता है और भविष्य में भी चीन अपने दायित्व का निर्वहन करते रहेगा। इसके लिए चीन तीन आवश्यक कदम उठाएगा। पहला चीन ज्यादा क्षेत्रीय बहुपक्षीय सुरक्षा गारंटी व्यवस्था का सक्रिय विकास करेगा। दूसरा, एशिया के बड़े देश के रूप में चीन पड़ोसी देशों के साथ सहयोग करते हुए सूचना के आदान प्रदान और संयुक्त अभ्यास के माध्यम से आतंक विरोधी, मादक पदार्थों के प्रवर्तन, तस्करी के खिलाफ़, समुद्री डाकुओं पर हमले और वैब अपराध को रोकथाम जैसे क्षेत्रों में योगदान कर सकता है। तीसरा, चीन शांतिपूर्ण विकास का संदेश लगातार देता है। आर्थिक, व्यापारिक और मानविकी आदान प्रदान चीन और पड़ोसी देशों के बीच आवाजाही का प्रमुख अंग है।

    वनिता:दोस्तो अब पेश है उ॰प्र से मधु द्विवेदी का खत। वे लिखती हैं कि प्राचीन चीनी सांरगी (कुछिन) तथा उसकी काष्ठ व लय विशेषता पढने को मिली। वाद्य यंत्रो से शांति और प्रेम की स्वर लहरियां ही निकलती हैँ।संग्रहालय मेँ सुरक्षित दो कुछिन तथा इससे जुडी रोचक प्रेम कथा पढकर जानकारी मेँ वृद्धि हुई। वे आगे लिखते हैं कि कहा जाता है कि जो भावनायेँ भाषा और शब्दोँ से व्यक्त नहीँ की जा सकती हैँ उन्हेँ चित्र के माध्यम से आसानी से अभिव्यक्त कर देते हैँ।सीआरआई हिन्दी की फोटो गैलरी बहुत ही मनमोहक,स्पष्ट और अपने आप सम्पूर्ण है जो मुझे बहुत पसंद आ रही है।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है जमशेदपुर झारखण्ड से सागरिका ने। लिखती हैं कि चीन की 5 हजार साल पुरानी सभ्यता हुडंशान संस्कृति के विषय में दी गई विस्तृत रोचक जानकारी काफी श्रेष्ठ लगी। ल्याओनिडं प्रांत में पाए गए एक देवी मंदिर, एक बलिवेदी तथा प्रस्तर मकबरों के एक समूह से यह सिद्ध हुआ कि चीनी सभ्यता कोई 5000 वर्ष पुरानी थी, न कि 4000 वर्ष पुरानी और यह ह्वाडंहो(पीली नदी) से ल्याओहो नदी घाटी तक फैली हुई है। शीआन शहर में छिन मकबरे की खुदाई से प्राप्त पकी मिट्टी से बनी घोड़ों व सैनिकों की मूर्तियां प्रारंभिक सामन्ती समाज की कला की अभिव्यक्ति हैं। तो हुडंशान संस्कृति का देवी मंदिर चीनी सभ्यता के भोरकाल की कलात्मक अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा है। प्राचीन काल में बेहतरीन कलात्मक वस्तुओं को धार्मिक वेदियों के लिए सुरक्षित रखा जाता था। रिवाज के अनुसार उत्कृष्ट देवी को खुश करने के लिए हुडंशान जनता धरती के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती थी और नई फसल के लिए पूजा करती थी। हुडंशान जनता देवताओं तथा पूर्वजों की पूजा करने में जीववाद और टोटमवाद से कई गुना आगे थी। देवताओं की पूजा की जड़ें एक विशेष वर्ग के लोगों की पूजा से संबद्ध थी। जबकि प्रस्तर मकबरे से कुछ दूरी पर स्थित छोटे और मध्यम आकार के मकबरों में बहुत कम वस्तुएं मिलीं या बिल्कुल ही नहीं मिलीं, दूसरे मकबरों में अलंकृत जेड वस्तुएं जैसे बकसुएं, हार, नक्काशीदार सुअर व ड्रैगन आदि रखे गए थे। नम्बर 2 बड़ा मकबरा 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में परिष्कृत पालिश युक्त पत्थरों से निर्मित किया गया था। इसके अन्दर एक वर्गाकार पथरीला कक्ष तथा तहखाना है।

    वनिता:दोस्तो आज का अंतिम खत आया है हमारे पुराना श्रोता चुन्नीलाल कैवर्त का। लिखते हैं कि चीन का विशेष आर्थिक क्षेत्र हाएनान द्वीप खनिज संपदा और वन्य प्राणियों से संपन्न क्षेत्र है l खूबसूरत हाएनान द्वीप पर्यटकों के लिए स्वर्ग है l यहाँ के समुद्री दृश्य आकर्षक और लुभावने हैं l चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हाएनान द्वीप की सुन्दरता एवं खनिज भंडारों के बारे में विस्तृत और ठोस जानकारी मिली l जिसके लिए श्याओ यांग जी का हार्दिक धन्यवाद l

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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