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    सीआईसीए चीन में
    2014-06-03 09:06:06 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाली हैं, जमशेदपुर झारखंड से सागरिका । वे लिखती हैं कि सीआईसीए के चौथे शिखर सम्मेलन के बारे में जानकारी सीआरआई की वेबसाइट पर दी गई है। इसमें मुझे जो पता चला उसके तहत एशिया में सहयोग और विश्वास बहाली के उपायों (सीआईसीए) के संबंध में सम्मेलन का गठन करने का सुझाव 5 अक्तूबर, 1992 को कजाखस्तान के राष्ट्रपति नजरबायेव द्वारा 47वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुत किया गया था। मार्च 1993 में उसे मंच के रूप में औपचारिक रूप से स्थापित किया गया। सीआईसीए का परिचय और इसके इतिहास को आपने विस्तार से बताया है इसके लिए धन्यवाद।

    आपका पत्र मिला कार्यक्रम श्रोताओ का सबसे पसंदीदा कार्यक्रम है इस प्रोग्राम को सुनने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। वनिता और अनिल जी इस प्रोग्राम को काफी सजीव बनाकर पेश करते हैं। इन दिनों आप अधिक से अधिक श्रोताओ के पत्रों को प्रोग्राम में शामिल कर रहे हैं यह बहुत अच्छी बात है। जब किसी श्रोताओं के पत्र कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो

    उनका मनोबल और उत्साह बढ़ जाता है। जिससे वह सी आर आई के साथ और सक्रिय रूप से जुड़ने की कोशिश करते हैं। उम्मीद है कि आगे भी यह कोशिश जारी रहेगी।

    वनिता:दोस्तो, आज का दूसरा खत भेजा है, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि कार्यक्रम की रिपोर्ट में बीजिंग स्थित नये भारतीय राजदूत अशोक कंठ से लिया गया साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा। पूर्व राजदूत जयशंकर का कार्यकाल भी काफी अच्छा रहा था, और अब भी अशोक कंठ की नियुक्ति से भारत-चीन सम्बन्धों में और प्रगाढ़ता आयेगी, इसमें सन्देह नहीं। नये राजदूत बहुत अनुभवी हैं और उनका चीन से सम्बन्ध तीन दशक पुराना है.फिर वह धाराप्रवाह चीनी बोलते हैं, यह भी हमारे लिये एक बड़ी उपलब्धि होगी। क्योंकि इस वर्ष पंचशील सिद्धांत की साठवीं वर्षगांठ के अलावा 2014 भारत-चीन मित्रवत आदान-प्रदान वर्ष भी घोषित किया गया है। ऐसे में नये राजदूत की भूमिका और अहम हो जाती है, मैं आपके माध्यम से अशोकजी को बधाई देता हूं।

    अनिलः उन्होंने आगे लिखा है कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत भारत में सम्पन्न लोकसभा के आठवें चरण के मतदान पर पंकज श्रीवास्तव द्वारा मेलबॉर्न स्थित रेड़ियो ऑस्ट्रेलिया के जितार्थ भारद्वाज से फ़ोन पर की गई चर्चा अत्यन्त सारगर्भित लगी। पंकज और जितार्थ दोनों ही भारतीय चुनाओं पर अच्छी समझ रखते हैं। पहली बार विकास एक मुद्दा बन कर उभरा है और न चाहते हुए भी नेता इसकी चर्चा करने बाध्य हुये हैं। सार्थक बातचीत सुनवाने हेतु धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है बिहार से, इसे भेजने वाले हैं हेमंत कुमार। लिखते हैं कि मुझे आपके प्रोग्राम अच्छे लगते हैं। गत् 9 मई को शाम की सभा मेँ विशेष रिपोर्ट मेँ चीन मेँ नियुक्त भारत के नए राजदूत- अशोक कंठ के साथ साक्षात्कार मेँ हाल के वर्षोँ मेँ भारत-चीन के बीच बढ़ते राजनीतिक, आर्थिक, राजनीतिक, व्यापारीक तथा सांस्कृतिक संबंधोँ पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। साथ ही बेहतर संबंधों के लिए सीआरआई की भूमिका पर भी विचार व्यक्त किया गया। प्रस्तुत विशेष रिपोर्ट अच्छी लगी।

    अनिलः उन्होंने एक सवाल भी पूछा कि चीन के मध्य भाग से होकर बहने वाली 'यांमटिसी नदी' का उद्गम स्थल कहां है और इनकी लंबाई कितनी है? क्या यह एशिया की सबसे बड़ी नदी है?

    दोस्तो, यांग्त्ज़ी की कुल लम्बाई 6380 किलोमिटर है। वह दुनिया की तसरी बड़ी नदी है। उसका उद्नम स्थल दक्षिण छिंग हाई प्रांत के थांगकूला पहाड़ का कलातानतुंग हिमनद है।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है एस बी शर्मा ने। वे लिखते हैं दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत गणराज्य के महापर्व के अवसर पर दुनिया के राजनीतिक चाणक्यों की नजर लगी थी। सबसे बड़े लोकतंत्र में संसदीय चुनाव का उत्सव जारी है दुनिया भर की मीडिया इस पर नजर गड़ाए बैठी थी। अब तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी बन चुके हैं। वह भी बड़े बहुमत के साथ।

    अनिल:दोस्तो, उन्होंने आगे लिखा है कि चीनी जन मैत्री संघ की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ पर चीन सरकार और चीनी जनता को बहुत बहुत बधाई। विदेशों के लिए चीनी जन मैत्री संघ की स्थापना 3 मई 1954 में हुई। अब इस संघ के 46 देशों और क्षेत्रों की शाखा स्थापित हो चुकी हैं और 157 देशों के 500 से अधिक गैरसरकारी समुदायों व संगठनों के साथ मैत्रीपूर्ण व सहयोगी संबंध कायम हुए। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भाषण देते हुए कहा कि जनता के बीच मैत्री विश्व शांति और विकास को आगे बढ़ाने की बुनियादी शक्ति है। चीनी जनता दुनिया के विभिन्न देशों की जनता के साथ मेल-मिलाप सहअस्तित्व करते हुए सामंजस्यपूर्ण ढंग से विकास करने को तैयार है, ताकि मानव जाति की शांति और विकास वाले महान कार्य का संवर्द्धन किया जा सके। चीनी राष्ट्र शांति प्रिय राष्ट्र है। विश्व की शांति बनाए रखने और समान विकास करने के लिए विभिन्न सभ्यताओं के बीच आदान प्रदान व एक दूसरे से सीखना जरूरी है। आपकी वेबसाइट पर मैंने चीन के राष्ट्राध्यक्ष का यह विचार पढ़ा यह जानकर अत्यंत ख़ुशी हुई की चीन दुनिया में शांति और अमन चैन चाहता है और इसके लिए दृढ़ संकल्प है।

    वनिता:दोस्तो, इसके बाद पेश है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का खत। लिखते हैं कि टी-टाइम प्रोग्राम में नींद की उपयोगिता और अच्छी नींद के लिए चेरी का जूस पीने की बात और झगड़े से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर आदि की जानकारी बहुत अच्छी लगी। मैं आपके प्रोग्राम के लिए एक शायरी भेज रहा हूं।

    अनिल:शायरी इस प्रकार है, तुझमे मेरा रिश्ता क्या है मालूम तो नही मगर, / तेरे लिए दुआ मांगना , अच्छा लगता है / मेरे कितने पास कितने दूर है तू / क्या पता मगर , / मुझे तुझे धड़कनो मेँ / बसाना अच्छा लगता है / तू कितना अपना कितना गैर है / क्या पता मुझे ऐ अजनबी / मगर तेरा मुझसे / रिश्ता पूछना अच्छा लगता है / प्यार है या नफरत ये जानू कैसे सामने /झगड़ना तुझसे , / फिर तुझे ही मनाना मुझे / अच्छा लगता है / तेरे उजालो को देख खुश होना / तेरे अंधेरॉ मेँ हाथ ना छोड़ना , मुझे / अच्छा लगता है ।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है पश्चिम बंगाल से मनीषा चक्रवर्ती ने। वे लिखती हैं कि मैंने आज आपके वेबपेज पर पंकज श्रीवास्तव द्वारा पेश न्यूज़ फ़्लैश सुना; साथ ही इस में छिंगताओ में आयोजित "छिंगताओ अंतर्राष्ट्रीय बागवानी प्रदर्शनी" से जुड़ी चाइना गार्डन की कुछ तस्वीरें देखने का मौका मिला। बेहद सजीव प्रस्तुति रही; पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव में रहकर मैं तमाम खबरें पाती हूं। कृपया विश्व बागवानी मेले के बारे में और अधिक जानकारी दीजिएगा। साथ ही "आपका पत्र मिला" प्रोग्राम में इस पर रिपोर्ट पेश करें।

    अनिल:दोस्तो, आज का अंतिम खत भेजा है बिलासपुर छत्तीसगढ़ से पुराने श्रोता चुन्नीलाल कैवर्त ने। वे लिखते हैं कि मोदी के पीएम बनने के बाद चीन भारत संबंधों का भविष्य उज्जवल नजर आता है l निश्चित रूप से आर्थिक कूटनीति के अलावा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चीन व भारत का सहयोग और मजबूत होगा। चीन के आर्थिक विकास को मोदी ने अपनी आँखों से देखा है l मोदी इस अनुभव से लाभ उठाने का भरसक प्रयास करेंगे l सीमा विवाद की समस्या जटिल जरूर है,लेकिन असंभव भी नहीं l इसका हल भी मिल बैठकर दोनों देशों के नेता निकाल ही लेंगे l

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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