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चक्रवर्ती के विचार का चीनी राष्ट्रीय विकास बैंक के प्रथम अर्थशास्त्री ल्यू योंग ने बिलकुल माना। उन्होंने कहा कि पाँच ब्रिक्स देशों के सामने आर्थिक वृद्धि दर धीमी होना, औद्योगिक अतिरिक्त मूल्य कम होना और मौद्रिक उतार-चढ़ाव बड़ा होना आदि सवाल मौजूद हैं। लेकिन अगर पाँच देशों ने समान प्रयास किया, जो ब्रिक्स देशों का अगला स्वर्णिम दशक और सुनहरा होगा। उन्होंने कहा:
"ब्रिक्स देशों को एक दूसरे से सीखना चाहिए। आर्थिक ढांचे में परिवर्तन करते हुए वृद्धि के नए पहलु की खोज करनी चाहिए। ब्रिक्स देशों को वैश्विक मूल्य चैन के मध्यम व निचले स्तर से मध्यम-उच्च स्तर तक पहुंचना चाहिए। निवेश सहयोग और व्यवस्था के सहयोग को आगे बढ़ाते हुए निवेश की सुविधा को मज़बूत करनी चाहिए। वित्तीय सहयोग को मज़बूत करते हुए मुद्रा की विनिमय दर की जोखिम को कम करना चाहिए। हमारे समान प्रयास के माध्यम से ब्रिक्स का अगला स्वर्णिम दशक और अच्छा होगा।"
ब्रिक्स देशों का अगला स्वर्णिम दशक आने वाला है, यह संगोष्ठी में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों की समान व्यापक आम सहमति है। भारतीय संसद की स्थायी प्रतिरक्षा कमेटी के सदस्य, भारतीय संसद के भारत-चीन मैत्री दल के अध्यक्ष तरुण विजय ने ब्रिक्स के नए अर्थ की व्याख्या की। उन्होंने कहा:
"ब्रिक्स में B का मतलब बिल्ड द ब्रडरहुड है (build the brotherhood) यानी देशों व देशों के बीच भाईचारे की भावना स्थापित की जाए। R का मतलब रिटर्न टू लाइफ (return or life) यानी जीवन में वापस लौटें। I का मतलब इनर पीस (inner peace) यानी आंतरिक शांति। C का मतलब कल्चर एंड सिविलाइजेशन (culture and civilization) यानी संस्कृति और सभ्यता का प्रतिबिंब, जबकि S का मतलब सर्व द मैनकाइंड (serve the mankind) यानी मानव समाज की सेवा करना है।"
तरुण विजय के ये विचार चीन की मानव जाति को प्राथमिकता देने की प्रशासन व्यवस्था की विचारधारा से मेल खाते हैं। सिर्फ मनुष्य की अच्छी तरह सेवा करने से ही हमारा जीवन और बेहतर हो सकेगा, हमारी दुनिया और सुन्दर बनेगी।
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