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जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध कॉलेज के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने कहा कि संगोष्ठी में उन्होंने चीनी विद्वानों के साथ चीन की शासन के पहलु में चीनी विद्वानों के साथ विचार-विमर्श किया, जिससे उन्हें बड़ा लाभ मिला। स्वर्ण सिंह ने कहा:
"देश की शासन के क्षेत्र में चीन ने दुनिया के सामने एक अच्छी मिसाल कायम की है। आर्थिक तेज वृद्धि के अलावा, स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी उन्नमुलन जैसे पहलुओं में चीन ने बड़ी कामयाबियां हासिल कीं है। मौजूदा संगोष्ठी में चीन ने अपनी शासन का अनुभव दूसरों के साथ साझा किया, जिससे अन्य विकासशील देश सीख सकेंगे।"
राष्ट्रीय स्थिति मिलती-जुलती होने की वजह से चीन और भारत कई क्षेत्रों में एक दूसरे से सीख सकते हैं। आर्थिक क्षेत्र में दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व एशिया अनुसंधान और सामाजिक विज्ञान कॉलेज के प्रधान श्रीमती चक्रवर्ती के विचार में चीन और भारत के बीच व्यापक सहयोग का आधार ही नहीं, समान विकास को आगे बढ़ाने की वस्तुगत और रणनीतिक मांग भी मौजूद है। दोनों पक्षों को मतभेदों को दरकिनार कर समानताओं की खोज करनी चाहिए, ताकि समान विकास को आगे बढ़ाया जा सके। श्रीमती चक्रवर्ती ने कहा:
"चीन और भारत की अपनी-अपनी श्रेष्ठताएं हैं। भारत का सॉफ्टवियर उद्योग और चीन का हार्डवियर उद्योग दोनों ही विकसित हैं। हमें एक दूसरे पर विश्वास करते हुए आपस में निवेश बढ़ाने को मज़बूत करना चाहिए, ताकि दोनों देशों के बीच एक दूसरे के पूरक बन सके।"
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा प्रस्तुत "खुलेपन, समावेश, सहयोग और समान जीत" वाली ब्रिक्स भावना के मार्गदर्शन में ब्रिक्स देशों ने व्यवस्था के निर्माण, आपसी अंतरसंबंधी और आपसी संपर्क के क्षेत्र में फलदायक उपलब्धियां हासिल कीं। ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग शुद्ध आर्थिक निवेश पार कर महत्वपूर्ण प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बन रहा है, इसके साथ ही वह वित्तीय संकट के मुकाबले, विश्व आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय संबंध में लोकतंत्रीकरण की महत्वपूर्ण शक्ति भी बन गयी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्वी एशिया अनुसंधान और सामाजिक विज्ञान कॉलेज के प्रधान श्रीमती चक्रवर्ती के विचार में पाँच ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग का और उज्ज्वल भविष्य होगा। उनका कहना है:
"किसी भी देश, चाहे नागरिक हो या सरकार ही क्यों न हो, शिक्षा प्राप्त करने वालों को मालूम है कि पाँच ब्रिक्स देशों के साझेदार संबंध से सारी दुनिया को लाभ मिलेगा। इसके साथ ही पाँच देश एक दूसरे से सीख सकते हैं। मुझे पक्का विश्वास है कि ब्रिक्स व्यवस्था के विकास का उज्ज्वल भविष्य होगा।"
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