चीनी पनडुब्बियों का बेड़ा
चीन की समुद्री रेखा 18 हजार किलोमीटर लंबी है और समुद्री क्षेत्रफल 30 लाख वर्गकिलोमीटर से ज्यादा है ।इतिहास में कमजोर समुद्री रक्षा के कारण चीन पश्चिमी शक्तियों का आधा उपनिवेश बना था ।23 अप्रैल 1949 को चीनी जन मुक्ति सेना की नौसेना स्थापित हुई ।68 साल के बाद चीनी नौसेना ने अपना पैर विश्व के हर महाद्वीप और महासागर में पैर पसारे हैं। अदन की खाड़ी में गश्त लगा रहे चीनी नौसेना के सैन्य जहाज को विभिन्न देशों के वाणिज्य जहाजों के लिए विश्वसनीय संरक्षक छाता कहा जाता है ।चीनी नौसेना अधिक अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी उठा रही है और अधिक सार्वजनिक सुरक्षा उत्पाद प्रदान कर रही है ।चीनी नौसेना विश्व स्तर की ओर तेजी से बढ़ रही है ।
यह है कि चीनी नौसेना के पूर्वी सागर बेड़े की पनडुब्बी सुदूर महासागर में गश्त लगा रही थी ।इस पनडुब्बी के लिए ऐसी गश्त सामान्य बात बन चुकी है ।इस पनडुब्बी के कैप्टन यूपिंग ने सीआरआई के संवाददाता को बताया कि अब विभिन्न कार्य बढ़ रहे हैं ।असली युद्ध जैसा अभ्यास ज्यादा हो गये हैं ।उन्होंने कहा ,पहले एक साल में हम पनडुब्बी बेड़े के सिर्फ एक या दो पनडुब्बी जहाज युद्ध की तैयारी के लिए गश्ती लगाते थे ।अब हर साल पांच या 6 पनडुब्बी जहाज बाहर जाकर गश्ती लगाते हैं ।हमें सचमुच अभ्यास बढ़ने का एहसास है ।बेड़े के बहुत ऑफिसर और सैनिक एक साल समुद्र पर कम से कम 100 दिन बिताते हैं ।
इस पनडुब्बी जहाज का अभ्यास इधर के कुछ सालों में चीनी नौसेना के युगांतर विकास की एक झलक है ।सुधार से शक्तिशाली सेना निर्मित करने की पृष्ठभूमि में चाहे पनडुब्बी और विभिन्न किस्मों के जंगी जहाज हो ,या नेवी एयर फॉर्स और मरीन कोर्प्स ,सब कड़े युद्धाभ्यास में जुटे हुए हैं ,उदाहरण के लिए लगातार 12 साल तक जटिल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्थिति में टैक्टिक अभ्यास ,पनडुब्बी और वार्टर सुरंग विरोधी अभ्यास ,हवाई विमान भेदी अभ्यास ,द्वीप पर कब्जा करने का चतुर्मुखी अभ्यास ,विभिन्न किस्मों के मिसाइलों और टोपीडो के प्रक्षेपण और इत्यादि ।इन कदमों से बड़े पैमाने तौर पर नौसेना की युद्ध क्षमता उन्नत की गयी ।
चीनी नौसैनिक
इसके साथ चीनी नौसेना निरंतर सुदूर महासागर में अभ्यास मजबूत कर रही है ।कई सौ जहाजों और सौ से अधिक लड़ाकू विमानों ने सुदूर महासागर में अभ्यास किया है ।नौसेना हर साल युद्ध की तैयारी में गश्ती लगाती है और कई सौ विदेशी सेनाओं के जहाजों और विमानों की निगरानी करती है ,जिस ने बुनियादी तौर पर महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र का सामान्य नियंत्रण और प्रबंधन पूरा किया है । नौसेना के विध्वंसक जहाज फ्लीट के चीफ आफ स्टाफ शा जीमिंग ने बताया ,अब सुदूर सागर जाना सामान्य बात है ।पहले जब हम तीन या पाँच दिन तक बाहर जाते थे ,तो तनावपूर्ण लगता था ।अब यह बहुत आम बात है ।तकनीकी स्तर पर कोई सवाल नहीं है ।हमारा नारा है कि चौबीस घंटे तक सचेत रहना ,पूरी लाइन पर रक्षा करना और समय पर जहाबी हमला करना ।जब हम बाहर जाते हैं ,तो लड़ाई के लिए तैयार होना है ।
चीन सरकार द्वारा जारी चीनी सैन्य रणनीति श्वेत पत्र के मुताबिक चीनी नौसेना कदम ब कदम निकट समुद्री रक्षा से निकट समुद्री रक्षा और गहरे समुद्र में सुरक्षा जोड़ने की ओर परिवर्तित हो रही है ।
अब चीनी नौसेना सक्रियता से संयुक्त सैन्याभ्यास ,अंतरराष्ट्रीय बचाव व राहत ,महासागर में जहाजरानी ,चिकित्सा सेवा ,युद्ध पीड़ित क्षेत्र में फंसे प्रवासी चीनी हटाने में भाग लेती है ।
हाल ही में अदन की खाड़ी में थूवालू का एक माल जहाज समुद्री लुटेरों दवारा अपहृत किया गया । वहां गश्त लगा रहे चीनी नौसेना के यूलिन जहाज ने खबर मिलने के बाद जल्दी से बचाव कार्य शुरू किया ।अंत में माल जहाज पर सवार 19 विदेशी सदस्य सुरक्षित रूप से बचाये गये ।यूलिन जहाज के ऑफिसर चो लांग ने बताया,काररवाई में हम ने जल्दी से उस माल जहाज को नियंत्रित कर लिया और जहाज पर चढ़ कर तलाशी की ।हम ने शुरू से ही जहाज पर सवार व्यक्तियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। छुड़ाए गए विदेशी नाविक ने चीनी नौसेना के प्रति आभार व्यक्त किया ।उन्होंने कहा ,कुल पांच जंगी जहाज हैं ।सिर्फ चीनी नौसेना ने जहाज पर चढ़कर हमें बचाया।चीन के आभारी हैं ।चीनी नौसेना को धन्यवाद ।
चीनी नौसेना का यूलिन जहाज
दिसंबर 2008 से चीनी नौसेना ने जहाजरानी की सुरक्षा के लिए लगातार 26 जत्थों के 83 जहाज और लगभग 22 हजार सैनिक भेजे और 6300 से अधिक देशी विदेशी जहाजरों की जहाजरानी की सुरक्षा की ।मलेशिया के यात्री विमान एमएज 370 लापता होने के बाद चीनी नौसेना ने संयुक्त तलाशी कार्य के लिए 10 जहाज भेजे ।मालदीव की राजधानी माले में पेयजल पानी संकट पैदा होने के बाद चीनी नौसेना के नंबर 861 जहाज ने फौरन ही वहां जाकर पानी की आपात सप्लाई की ।चीनी नौसेना के जहाज एशिया ,अफ्रीका और लाटिन अमेरिका के 20 से अधिक देश पहुंचे ,जिस ने विश्व के सामने चीन की विश्व शांति की सुरक्षा करने वाली बडे देश की छवि दिखायी ।
नौसेना का तेज विकास साजो सामान के अपडेट से अलग नहीं हो सकता ।26 अप्रैल 2017 को चीन से खुद निर्मित प्रथम विमान वाहक पानी में उतरा ,जिस का मतलब है कि चीन ने पूरी तरह विमान वाहक से जुड़ी तकनीकों और प्रबंधन अनुभव में महारत हासिल की है ।चीनी नौसेना अनुसंधान केंद्र के अध्ययनकर्ता छो वेइतुंग ने बताया ,नया विमान वाहक नये उपकरणों से लदा है और देशी विशेष इस्पात से बना है ।उस का हल(hull) पूरी तरह अपने से वेल्डिंग किया गया है ,जिस के आंतरिक ढांचे मं बड़ा बदलाव भी आएगा ।एक विमान वाहक की आयु 50 से 60 वर्ष की है ,जिस पर दो पीढियों वाले लडाकू विमान तैनात होंगे ।इसलिए भावी अपडेट की गुंजाइश रखी जाएगी ।हथियार व्यवस्था भी नयी होगी ,उदाहरण के लिए रेडार ,दूर संचार ,विमान भेदी मिसाइल और तोप ।चीन का प्रथम विमान वाहक ल्यो निंग जहाज की भूमिका अभ्यास और अध्ययन है ।वर्तमान विमान वाहक लड़ाई के लिए है ।
चीन का प्रथम विमान वाहक जहाज ल्यो निंग जहाज
इसके अलावा सिलसिलेवार नयी तरह के मिसाइल विध्वंसक जहाज ,मिसाइल फ्रिगेट जहाज और जहाज पर तैनात लडाकू विमान चीनी नौसेना की सर्विस में शामिल किए जा रहे हैं ।
68 साल पहले चीनी नौसेना में सिर्फ 13 लोग थे ।अब चीनी नौसेना के पास विमान वाहक ,पनडुब्बी ,दस हजार टन वाले विध्वंसक हैं ।चीनी नौसेना निकट समुद्र से डीप सी की ओर बढ़ रही है और विश्व स्तरीय नौसेना के रूप में बदल रही है ।(वेइतुंग)